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पेपर 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ऑर्बिट के प्रकार

  • 06 May 2021
  • 8 min read

अंतरिक्ष में विभिन्न खगोलीय निकाय अथवा वस्तु जिस निश्चित पथ पर किसी अन्य निकाय/वस्तु का चक्कर लगाती है, उसे ऑर्बिट अथवा कक्षा कहा जाता है। एक निश्चित ऑर्बिट में किसी ग्रह के चारों ओर घूमने वाली वस्तु को ‘उपग्रह’ कहा जाता है। पृथ्वी से उपग्रहों की ऊँचाई के अनुसार, कक्षाओं को ‘हाई अर्थ ऑर्बिट’, ‘मीडियम अर्थ ऑर्बिट’ और ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

  • ‘हाई अर्थ ऑर्बिट’ की शुरुआत पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी के दसवें हिस्से से होती है। कई प्रकार के मौसम और संचार संबंधी उपग्रहों को पृथ्वी की सतह से दूर ‘हाई अर्थ ऑर्बिट’ में स्थापित किया जाता है।
  • ‘मीडियम अर्थ ऑर्बिट’ में प्रायः नेविगेशन उपग्रह शामिल होते हैं, जिन्हें किसी विशेष क्षेत्र की निगरानी के लिये डिज़ाइन किया जाता है।
  • नासा (NASA) के ‘अर्थ ऑब्ज़रवेशन सिस्टम’ समेत सभी अधिकांश वैज्ञानिक उपग्रहों को पृथ्वी के ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में स्थापित किया जाता है।

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ऑर्बिट में एक उपग्रह का पथ:

  • किसी उपग्रह की ऊँचाई, उत्केंद्रता और उसका झुकाव, उस उपग्रह के ऑर्बिट में पथ का निर्धारण करते हैं।

उपग्रह की ऊँचाई:

  • ऑर्बिट की ऊँचाई अथवा उपग्रह और पृथ्वी की सतह के बीच की दूरी, यह निर्धारित करती है कि उपग्रह कितनी जल्दी पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। उपग्रह का ऑर्बिट जितना ऊँचा होता है, वह उतनी ही धीमी गति से चक्कर लगाता है।
  • पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रह की गति को प्रायः पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जैसे-जैसे उपग्रह पृथ्वी के करीब आते हैं, गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव भी उतना ही मज़बूत होता जाता है और उपग्रह अधिक तेज़ी से आगे बढ़ता है।
    • उदाहरण के लिये नासा को ‘एक्वा उपग्रह’ को पृथ्वी की सतह से लगभग 705 किलोमीटर ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिये लगभग 99 मिनट की आवश्यकता होती है।
    • पृथ्वी की सतह से लगभग 36,000 किलोमीटर दूर एक संचार उपग्रह को पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने में 23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकंड लगते हैं।
    • पृथ्वी के केंद्र से लगभग 384,403 किलोमीटर की दूरी पर चंद्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा लगाने में 28 दिन का समय लगता है।
    • उपग्रह की ऊँचाई बदलने से उसकी कक्षीय गति भी बदल जाती है, जो कि एक असामान्य विरोधाभास का प्रतिनिधित्त्व करता है।
      • यदि कोई उपग्रह ऑपरेटर उपग्रह की कक्षीय गति को बढ़ाना चाहता है, तो वह उपग्रह की गति को तेज़ करने के लिये केवल थ्रस्टरों में आग नहीं लगा सकते हैं, क्योंकि ऐसा करने से पृथ्वी से उपग्रह की ऊँचाई बढ़ जाएगी, जिससे कक्षीय गति धीमी हो जाएगी।
      • इसके बजाय, उपग्रह के ऑपरेटर को अग्रगामी गति के विपरीत दिशा में थ्रस्टरों को आग लगानी चाहिये, यह परिवर्तन उपग्रह को एक निचली कक्षा में ले जाएगा, जिससे उसकी गति भी बढ़ जाएगी।
        • इसी धारणा का उपयोग ज़मीन पर गतिमान गाड़ी को रोकने के लिये प्रयोग किया जाता है।
  • उपग्रह की उत्केंद्रता:
    • उत्केंद्रता, ऑर्बिट के आकार को संदर्भित करती है। कम उत्केंद्रता ऑर्बिट वाला एक उपग्रह पृथ्वी के निकट एक घेरे में परिक्रमा लगाता है।
    • एक उत्केंद्र ऑर्बिट, अण्डाकार होता है, जहाँ पृथ्वी से उपग्रह की दूरी इस तथ्य पर निर्भर करती है कि वह ऑर्बिट में किस स्थान पर है। 

नोट 

  • ऑर्बिट की उत्केंद्रता (e) एक पूर्ण वृत्त से ऑर्बिट के विचलन को संदर्भित करती है।
  • एक गोलाकार ऑर्बिट की उत्केंद्रता शून्य (0) होती है, जबकि सबसे अधिक उत्केंद्रता 1 के करीब (परंतु सदैव 1 से कम) होती है।
  • उत्केंद्रित ऑर्बिट में एक उपग्रह केंद्र में नहीं, बल्कि दीर्घवृत्त के ‘फोकल पॉइंट’ में से किसी एक के चारों ओर घूमता है।

 ऑर्बिट का झुकाव:

  • ऑर्बिट का झुकाव, भूमध्य रेखा के संबंध में ऑर्बिट के कोण को संदर्भित करता है।
  • 0° का एक कक्षीय झुकाव भूमध्य रेखा के एकदम ऊपर होता है, जबकि 90° का कक्षीय झुकाव ध्रुव के ठीक ऊपर होता है और 180° कक्षीय झुकाव पृथ्वी के घुमाव के विपरीत दिशा में भूमध्य रेखा के ऊपर होता है।

हाई अर्थ ऑर्बिट:

  • ‘हाई अर्थ ऑर्बिट’ उस स्थिति को संदर्भित करता है जब कोई उपग्रह पृथ्वी के केंद्र से 42,164 किलोमीटर (पृथ्वी की सतह से लगभग 36,000 किलोमीटर) दूर पहुँच जाता है।
  • इस ऊँचाई पर, उपग्रह एक प्रकार के ‘स्वीट स्पॉट’ में प्रवेश करता है जिसमें उसकी कक्षा पृथ्वी के घूर्णन के समान हो जाती है। इस विशेष ‘हाई अर्थ ऑर्बिट’ को ‘जियोसिंक्रोनस’ कहा जाता है।
    • भूमध्य रेखा (जहाँ उत्केंद्रता और ऑर्बिट का झुकाव शून्य होता है) पर एक गोलाकार ‘जियोसिंक्रोनस’ कक्षा में एक उपग्रह के पास एक भूस्थैतिक कक्षा होगी, जो पृथ्वी के सापेक्ष नहीं होती है।
    • ऐसा इसलिये होता है, क्योंकि उपग्रह उसी गति से परिक्रमा करता है जिस पर पृथ्वी घूर्णन कर रही होती है, अतः वह सदैव पृथ्वी की सतह पर एक ही स्थान पर रहता है।
  • मौसम की निगरानी और संचार (फोन, टेलीविजन, रेडियो) के लिये भूस्थैतिक कक्षा का उपयोग अत्यंत मूल्यवान है क्योंकि इस कक्षा में उपग्रह एक ही सतह का निरंतर दृश्य प्रदान करता है।
  • कुछ हाई अर्थ ऑर्बिट उपग्रह सौर गतिविधियों की निगरानी करते हैं और अंतरिक्ष में चुंबकीय तथा विकिरण स्तर को ट्रैक करते हैं।

नोट

  • अन्य ‘स्वीट स्पॉट’ हाई अर्थ ऑर्बिट के ऊपर होता है, जिसे ‘लैग्रेंज पॉइंट’ कहा जाता है।
  • ‘लैग्रेंज पॉइंट्स’ पर, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव को समाप्त कर देता है।
  • ‘लैग्रेंज पॉइंट्स’ पर रखी गई कोई भी चीज़ पृथ्वी और सूर्य की ओर समान रूप से खिंचेगी तथा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के साथ घूमेगी।

Earth-Orbit

लैग्रेंज पॉइंट्स

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