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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 06 Oct, 2022
  • 51 min read
प्रारंभिक परीक्षा

हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH): प्रचंड

हाल ही में स्वदेश में विकसित बहु-भूमिका वाले हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH), प्रचंड को औपचारिक रूप से भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया, यह उच्च ऊँचाई वाले युद्ध क्षेत्रों में संचालन के लिये उपयुक्त है।

Prachanda

हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर

  • परिचय:
    • LCH दुनिया का एकमात्र लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जो 5,000 मीटर की ऊँचाई पर हथियारों और ईंधन के काफी भार के साथ उतरने एवं उड़ान भरने में सक्षम है।
    • यह हेलीकॉप्टर रडार संकेतकों (सिग्नेचर) से बचाव के लिये रडार-अवशोषित तकनीकी का उपयोग करता है जिसमें क्रैश-प्रूफ संरचना एवं लैंडिंग गियर है।
      • दबावयुक्त केबिन परमाणु, जैविक और रासायनिक (NBC) आकस्मिक व्यय से सुरक्षा प्रदान करता है।
    • यह हेलीकॉप्टर काउंटरमेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम से लैस है जो इसे दुश्मन के रडार या दुश्मन की मिसाइलों से बचाता है।
    • LCH हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित दो फ्राँसीसी मूल के शक्ति इंजनों द्वारा संचालित है।
  • उत्पत्ति:
    • वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के समय पहली बार एक ऐसे स्वदेशी हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर की आवश्यकता महसूस की गई थी जो सभी भारतीय युद्ध क्षेत्र परिदृश्यों में सटीक हमला कर सके।
      • इसका आशय एक ऐसे हेलीकाप्टर के निर्माण से था जो रेगिस्तान की भीषण गर्मी और अत्यधिक ठंड वाले ऊँचे क्षेत्रों में, उग्रवाद-रोधी परिदृश्यों, युद्ध की स्थिति में कार्य कर सके।
    • भारत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित सब 3-टन केटेगरी हेलीकॉप्टर चेतक और चीता का उपयोग कर रहा है।
      • इन एकल इंजन वाहनों में से अधिकांश उपयोगी हेलीकाप्टर थे। भारतीय सेना चीता के सशस्त्र संस्करण लांसर का भी उपयोग करती है।
    • इसके अतिरिक्त भारतीय वायु सेना वर्तमान में रूसी मूल के MI-17 और इसके वेरिएंट MI-17 IV तथा MI-17 V5 का उपयोग करती है जिसका अधिकतम टेक-ऑफ वजन 13 टन है, जिसे वर्ष 2028 से चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना है।
    • सरकार ने अक्तूबर 2006 में LCH परियोजना को मंज़ूरी दी थी और HAL को इसे विकसित करने का काम सौंपा गया था। 
  • महत्त्व:
    • LCH में शत्रु की वायु रक्षा प्रणाली को समाप्त करने, अन्वेषण व बचाव करने, टैंक-रोधी और काउंटर सरफेस फोर्स ऑपरेशंस आदि जैसी भूमिकाओं को पूरा करने की क्षमता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

राष्ट्रीय युवा पुलिस अधीक्षक सम्मेलन और पुलिस प्रदर्शनी

हाल ही में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने चौथे राष्ट्रीय युवा पुलिस अधीक्षक सम्मेलन और पुलिस प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया।

समारोह के प्रमुख बिंदु:

  • विषय:
    • पुलिस प्रदर्शनी नागरिकों हेतु पुलिस सेवाओं के प्रभावी प्रतिपादन के लिये बॉडी आर्मर, माइन प्रोटेक्टिव व्हीकल (MPV), कम घातक हथियार, उन्नत हथियार, नवीनतम संचार उपकरण, निगरानी उपकरण, तटीय सुरक्षा, ड्रोन और एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजीज़, साइबर सुरक्षा/साइबर अपराध प्रबंधन तथा बिग डेटा एवं पूर्वानुमान विश्लेषण जैसे क्षेत्रों में नवीनतम प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित है।
  • थीम:
    • साइबर अपराध प्रबंधन, ड्रोन और काउंटर ड्रोन में नवाचार एवं अनुसंधान।

चर्चा के प्रमुख क्षेत्र:

  • भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (I4C):
    • साइबर अपराध की बढ़ती समस्या का व्यापक और समन्वित तरीके से समाधान के लिये I4C को अनुमोदित किया गया था।
    • इस समन्वय केंद्र में सात घटक हैं, जिनमें से एक महत्त्वपूर्ण घटक राष्ट्रीय साइबर अनुसंधान और नवाचार केंद्र (ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट) में स्थित है। अन्य छह घटक हैं:
      • राष्ट्रीय साइबर क्राइम थ्रेट विश्लेषण यूनिट
      • राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
      • राष्ट्रीय साइबर क्राइम प्रशिक्षण केंद्र
      • साइबर क्राइम पारिस्थितिकी प्रबंधन यूनिट
      • राष्ट्रीय साइबर क्राइम फोरेन्सिक प्रयोगशाला (NCFL) पारिस्थितिकी
      • संयुक्त साइबर क्राइम जाँच टीम के लिये प्लेटफ़ॉर्म
    • यह अत्याधुनिक केंद्र नई दिल्ली में स्थित है.
  • अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क (CCTNS):
    • पृष्ठभूमि:
    • उद्देश्य:
      • पुलिस की कार्यप्रणाली को नागरिक हितैषी बनाना एवं थानों की कार्यप्रणाली को स्वचालित एवं अधिक पारदर्शी बनाना।
      • सूचना संचार प्रौद्योगिकी के प्रभावी प्रयोग से नागरिक-केंद्रित सेवाओं के वितरण को बेहतर बनाना।
      • पुलिस के जाँच अधिकारियों को अपराध की जाँच और अपराधियों की खोजबीन सुगम बनाने के लिये उपकरण, प्रौधोगिकी एवं सूचना मुहैया कराना।
    • स्थिति:
      • इसे देश भर के सभी 16,347 पुलिस स्टेशनों में लागू किया गया है और 99% पुलिस स्टेशनों में 100 प्रतिशत FIRs सीधे CCTNS में दर्ज किये जा रहे हैं।
  • ड्रोन का उपयोग:
    • ड्रोन लड़ाकू अभियानों, निगरानी, आंतरिक सुरक्षा, सीमा सुरक्षा और दूरदराज़ के क्षेत्रों, सुरक्षा क्षेत्रों में संचार हेतु उपयोगी साबित हो सकते हैं।
    • ड्रोन का उपयोग दवाओं, भोजन और आवश्यक वस्तुओं के परिवहन एवं प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में खोज व बचाव कार्यों में भी किया जा सकता है।
    • ड्रोन के इस्तेमाल से भू-संपत्ति की डिजिटल मैपिंग की जा रही है और आने वाले समय में ड्रोन सेवाओं से गाँवों में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनाकर रोज़गार के नए रास्ते खोले जा सकते हैंl
    • ड्रोन की मदद से मछुआरों और किसानों की उपज को कम-से-कम नुकसान के साथ न्यूनतम समय में बाज़ार में पहुँचाए जाने के साथ फसलों पर कीटनाशकों का छिडकाव करना भी आसान हो जाएगा l

साइबर अपराध और ड्रोन के लिये भारत की पहल:

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:  

प्रश्न- निम्नलिखित गतिविधियों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. खेत में फसल में कीटनाशकों का छिड़काव करना
  2. सक्रिय ज्वालामुखियों के क्रेटरों का निरीक्षण करना
  3. डीएनए विश्लेषण के लिये स्पाउटिंग व्हेल के साँस के नमूने एकत्र करना

तकनीक के वर्तमान स्तर पर उपर्युक्त गतिविधियों में से किसे ड्रोन के प्रयोग से सफलतापूर्वक संपन्न किया जा सकता है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या

  • मानव रहित हवाई वाहन (UAV) या ड्रोन ऐसे विमान हैं जिन्हें मानव पायलट के बिना नेविगेट किया जा सकता है। GPS निगरानी प्रणाली का उपयोग करके ड्रोन को ज़मीन से नियंत्रित कर चलाया जा सकता है।
  • प्रारंभ में ड्रोन ज़्यादातर सैन्य अनुप्रयोगों के लिये विकसित किये गए। हालाँकि इसका उपयोग वैज्ञानिक, मनोरंजन, वाणिज्यिक,  शांति स्थापना और निगरानी, उत्पाद वितरण, हवाई फोटोग्राफी, कृषि आदि सहित अन्य अनुप्रयोगों में विस्तारित हुआ है।
  • फसलों को कीटों से बचाने के लिये अब इनका उपयोग कृषि क्षेत्रों में कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिये किया जाता है। अत: कथन 1 सही है।
  • वर्तमान में वैज्ञानिक सक्रिय ज्वालामुखियों का अध्ययन करने के लिये ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। ड्रोन सामान्य स्वास्थ्य स्थितियों का आकलन करने के लिये उत्क्षेपण करती हुई व्हेलों के साँस के नमूने और उच्च-रिज़ॉल्यूशन की तस्वीरें एकत्र कर सकता है। अत: कथन 2 और 3 सही हैं।

अतः विकल्प (D) सही है।


प्रश्न- भारत में किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर,निधि की हानि की भरपाई और अन्य लाभों के भुगतान के अलावा सामान्यतः निम्नलिखित में से कौन से लाभ दिये जाते हैं?  (2020)

  1. यदि कोई मैलवेयर कंप्यूटर तक उसकी पहुंच को बाधित कर देता है तो कंप्यूटर प्रणाली को पुनः प्रचालित करने में लगने वाली लागत।
  2. यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि किसी शरारती तत्त्व द्वारा जानबूझकर कंप्यूटर को नुकसान पहुँचाया गया है तो  एक नए कंप्यूटर की लागत
  3. यदि साइबर का बलात-ग्रहण होता है तो इस हानि को न्यूनतम करने के लिये विशेष सलाहकार की सेवाएँ लेने पर लगने वाली लागत
  4. अगर कोई तीसरा पक्ष मुकदमा दायर करता है तो न्यायालय में बचाव करने में लगने वाली लागत।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • साइबर बीमा को व्यवसायों को साइबर हमलों के संभावित प्रभावों से बचाने के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह साइबर हमले/उल्लंघन होने के बाद लागतों की भरपाई करके संगठन के जोखिम को कम करने में मदद करता है। सरल शब्दों में साइबर बीमा को साइबर उल्लंघनों से जुड़े शुल्क, खर्च और कानूनी लागत को कवर करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • जिसमें शामिल हैं:
    • उल्लंघन की घटनाओं पर प्रतिक्रिया (अधिसूचना, कॉल सेंटर सेवा, उल्लंघन समाधान, शमन सेवाएँ, जनसंपर्क और संकट प्रबंधन);
    • वकीलों, पेशेवर शुल्क, प्रशासनिक लागत आदि सहित जाँच और जुर्माना; अतः कथन 4 सही है।
    • फोरेंसिक, आईटी ऑडिट, संकट प्रबंधन, कानूनी लागत जैसे खर्च; अतः कथन 3 सही है।
    • गोपनीयता और डेटा दायित्व;
    • व्यक्तिगत पहचान योग्य जानकारी का नुकसान;
    • कॉर्पोरेट की गोपनीय जानकारी का नुकसान;
    • नेटवर्क दायित्व जैसे DDoS अटैक;
    • कॉपीराइट मुद्दों सहित मल्टीमीडिया कवर;
    • व्यापार व्याख्या;
    • आय की हानि, व्यवसाय में रुकावट की लागत, सिस्टम की क्षति और बहाली की लागत, कोई भी अतिरिक्त खर्च; अतः कथन 1 सही है।
    • साइबर चोरी;
    • फंड ट्रांसफर में धोखाधड़ी;
    • ई-चोरी का नुकसान;
    • ई-संचार हानि;
    • साइबर जबरन वसूली।

अतः विकल्प (b) सही है।


प्रश्न: कभी-कभी खबरों में आने वाले शब्द 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू' निम्नलिखित में से किससे संबंधित हैं? (2018)

(a) एक्सोप्लैनेट
(b) क्रिप्टोकरेंसी
(c) साइबर हमले
(d) मिनी उपग्रह

उत्तर: c

व्याख्या:

  • रैनसमवेयर दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर (या मैलवेयर) का एक रूप है। एक बार जब यह कंप्यूटर में प्रवेश कर लेता है, तो आमतौर पर डेटा तक पहुँच कर उपयोगकर्त्ताओं को नुकसान पहुँचाता है। भुगतान करने पर डेटा तक पहुँच बहाल करने का वादा करते हुए हमलावर पीड़ित से फिरौती की मांग करते है।
  • 'वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू कुछ रैनसमवेयर हैं, जिन्होंने बिटकॉइन (क्रिप्टोकरेंसी) में फिरौती के भुगतान की मांग की थी।

अतः विकल्प (c) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

सस्त्र (SASTRA) रामानुजन पुरस्कार 2022

वर्ष 2022 के लिये सस्त्र (SASTRA) रामानुजन पुरस्कार यूंकिंग तांग, सहायक प्रोफेसर कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले, संयुक्त राज्य अमेरिका को दिया जाएगा।

  • सुश्री यूंकिंग की रचनाएँ परिष्कृत तकनीकों का उल्लेखनीय संयोजन प्रदर्शित करती हैं, जिसमें मॉड्यूलर वक्र और शिमुरा किस्म के अंकगणित एवं ज्यामिति केंद्रीय भूमिका निभाते हैं, तथा उनके परिणाम व विधियाँ इस क्षेत्र में भविष्य के अनुसंधान पर प्रभाव डाल सकते हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • यह पुरस्कार वर्ष 2005 में शनमुघा कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान अकादमी (सस्त्र) द्वारा स्थापित किया गया था।
  • श्रीनिवास रामानुजन से प्रभावित होकर गणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले 32 वर्ष और उससे कम आयु के व्यक्तियों को इस पुरस्कार के तहत 10,000 अमेरिकी डॉलर की नकद राशि प्रदान की जाती है।

श्रीनिवास रामानुजन:

  • परिचय:
    • रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को इरोड गाँव (चेन्नई से 400 किमी. दूर, जो तब मद्रास के नाम से जाना जाता था) में हुआ था।
    • वर्ष 1913 में उन्होंने ब्रिटिश गणितज्ञ गॉडफ्रे एच. हार्डी के साथ पत्र-व्यवहार शुरू किया, जिसके बाद वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज़ चले गए।
    • रामानुजन ने संख्याओं के विश्लेषणात्मक सिद्धांत में पर्याप्त योगदान दिया और
    • दीर्घवृत्तीय कार्यों (Elliptic Functions) पर भी ध्यान केंद्रित किया।
    • उन्होंने पूर्ण संख्या, हाइपरज्यामितीय श्रेणी (Hypergeometric Series) और यूलर स्थिरांक (Euler's Constant) के विभाजन पर भी काम किया।
    • उनके पत्र अंग्रेज़ी और यूरोपीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे तथा वर्ष 1918 में लंदन की रॉयल सोसाइटी के लिये उनका चयन हुआ।
    • भारत लौटने के बाद लंबी बीमारी के कारण 26 अप्रैल, 1920 को मात्र 32 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
    • भारत में प्रतिवर्ष महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती (22 दिसंबर) को राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) के रूप में मनाया जाता है।
  • योगदान:
    • सूत्र और समीकरण:
      • रामानुजन ने अपने 32 वर्ष के अल्प जीवनकाल में लगभग 3,900 परिणामों (समीकरणों और सर्वसमिकाओं) का संकलन किया है। उनके सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में पाई (Pi) की अनंत श्रेणी शामिल थी।
      • उन्होंने पाई के अंकों की गणना करने के लिये कई सूत्र प्रदान किये जो परंपरागत तरीकों से अलग थे।
    • खेल सिद्धांत:
      • उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण गणितीय समस्याओं को हल करने के लिये नवीन विचार प्रस्तुत किये, जिन्होंने खेल सिद्धांत के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
      • खेल सिद्धांत में उनका योगदान विशुद्ध रूप से अंतर्ज्ञान पर आधारित है और इसे अभी तक गणित के क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
    • रामानुजन की पुस्तकें:
      • वर्ष 1976 में जॉर्ज एंड्रयूज ने ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में रामानुजन की एक नोटबुक की खोज की थी। बाद में इस नोटबुक को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था।
    • रामानुजन नंबर:
      • 1729 को रामानुजन संख्या माना जाता है।
      • यह ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसको दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है।
        • 1729, 10 और 9 के घनों का योग है- 10 का घन (1000) और 9 का घन (927) है और इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है।
        • 1729, 12 और 1 के घनों का योग भी है- 12 का घन (1728) और 1 का घन (1) है तथा इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न- द मैन हू न्यू इनफिनिटी नामक एक हालिया फिल्म (2016) किसकी जीवनी पर आधारित है?  (2016)

(a) एस. रामानुजन 
(b) एस. चंद्रशेखर
(c) एस.एन. बोस
(d) सी.वी. रमन

उत्तर: (a)

  • 'द मैन हू न्यू इनफिनिटी' भारतीय गणितज्ञ एस. रामानुजन (1887-1920) की जीवनी पर आधारित फिल्म है, इन्हें गणितीय विश्लेषण के क्षेत्र में अपार योगदान के लिये जाना जाता है। वह रॉयल सोसाइटी के फैलो थे।

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

संयुक्त अरब अमीरात के नए वीज़ा नियम

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने पर्यटकों के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात में काम करने और रहने की इच्छा रखने वालों को आकर्षित करने के लिये नए वीज़ा नियमों की घोषणा की है।

  • वीज़ा एक आधिकारिक दस्तावेज़ होता है जो धारक को कानूनी रूप से किसी देश में प्रवेश की अनुमति देता है।

मुख्य बदलाव:

  • वीज़ा की तीन श्रेणियाँ: एंट्री वीज़ा, ग्रीन वीज़ा और गोल्डन वीज़ा।
  • पहली बार, संयुक्त अरब अमीरात ने एंट्री वीज़ा प्रस्तुत किया है जिसमें आगंतुकों को मेज़बान या प्रायोजक की आवश्यकता नहीं होती है। एंट्री वीज़ा या पर्यटक वीज़ा अब एक या अधिक बार देश में आने के लिये उपलब्ध होगा जो पूर्व की 30 दिनों की अवधि के बजाय अब 60 दिनों के लिये वैध होगा।
  • ग्रीन वीज़ा एक प्रकार का नवीकरणीय-निवास वीज़ा है जो विदेशियों को संयुक्त अरब अमीरात में निवास करने या रोज़गार के बिना, पाँच वर्ष के लिये अहर्ता प्रदान करता है। यह पिछले निवास वीज़ा की जगह प्रयुक्त हुआ है जो केवल दो वर्ष के लिये वैध था।
  • गोल्डन वीज़ा धारकों को 10 वर्ष तक के लिये दीर्घकालिक नवीकरणीय निवास वीज़ा प्रदान करता है। गोल्डन वीज़ा के लिये पात्र लोगों में निवेशक, उद्यमी, असाधारण प्रतिभा वाले व्यक्ति जैसे शोधकर्त्ता, चिकित्सा पेशेवर और वैज्ञानिक एवं ज्ञान के क्षेत्र के लोग तथा उत्कृष्ट छात्र और स्नातक शामिल हैं।
    • योग्य पेशेवर 30,000 AED (संयुक्त अरब अमीरात दिरहम) की न्यूनतम मासिक आय के साथ दीर्घकालिक निवास वीज़ प्राप्त कर सकते हैं। निवेशकों को कम-से-कम 20 लाख AED की संपत्ति खरीदने पर भी वीज़ा मिल सकता है।
  • अद्यतन वीज़ा प्रणाली जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और संयुक्त अरब अमीरात में रहने, काम करने तथा निवेश करने के अनुभव को सुखद एवं खुशहाल बनाने का एक प्रयास है।

भारतीयों को लाभ:

  • संयुक्त अरब अमीरात में लगभग 3.5 मिलियन भारतीय प्रवासी हैं जो इसकी कुल आबादी का लगभग 30% है।
  • देश में प्रवेश और निवास करने की प्रणाली के पुनर्गठन से कार्य एवं निवेश के लिये एक आदर्श गंतव्य के रूप में देश की छवि को और बढ़ावा मिलेगा।
  • इससे न केवल हज़ारों प्रतिभाशाली पेशेवर, संयुक्त अरब अमीरात में रोज़गार के नए अवसर तलाश पाएंगे बल्कि पर्यटक अब सरलीकृत वीज़ा प्रणाली के साथ परेशानी-मुक्त आवागमन का अनुभव कर सकेंगे।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार 2022

कैरोलिन आर. बर्टोजी, के. बैरी शार्पलेस और मोर्टन मेल्डल को 'क्लिक केमिस्ट्री एवं बायोऑथोर्गोनल केमिस्ट्री के विकास के लिये' रसायन विज्ञान में 2022 का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • शार्पलेस (दूसरी बार जीते) ने 'क्लिक केमिस्ट्री' शब्द पर बड़े पैमाने पर काम किया।
  • मेल्डल, ने स्वतंत्र रूप से 'ट्रायज़ोल' नामक एक विशेष रासायनिक संरचना के बारे में खोज की जिसके कई महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं।
  • बर्टोज़ी ने क्लिक प्रतिक्रियाओं को विकसित करने का काम किया जो जीवित जीवों के अंदर काम कर सकते थे, इसे 'बायोऑर्थोगोनल' प्रतिक्रियाएँ (एक शब्द जिसे उन्होंने गढ़ा था) कहा जाता है।
  • रसायन विज्ञान में 2021 का नोबेल पुरस्कार बेंजामिन लिस्ट और डेविड मैकमिलन को असममित ऑर्गेनोकैटलिसिस (Asymmetric Organocatalysis) के विकास के लिये दिया गया।

नोट:

के बैरी शार्पलेस ने "डेवलपिंग द फर्स्ट चिरल कैटेलिस्ट्स" के लिये विलियम एस नोल्स और नोयोरी रयोजी के साथ 2001 का नोबेल पुरस्कार साझा किया था।

क्लिक केमिस्ट्री में नोबेल विजेताओं का योगदान:

  • अवधारणा (शार्पलेस द्वारा द्वारा गढ़ी गई):
    • क्लिक केमिस्ट्री रसायन विज्ञान का एक न्यूनतर रूप है जिसमें आणविक बिल्डिंग ब्लॉक जल्दी और कुशलता से एक साथ स्नैप कर सकते हैं। यह रसायन विज्ञान का एक सरल एवं विश्वसनीय रूप है, जहाँ प्रतिक्रियाएँ जल्दी होती हैं तथा अवांछित उप-उत्पादों से बचा जाता है।
    • क्लिक केमिस्ट्री की अवधारणा वर्ष 2000 के आसपास बैरी शार्पलेस द्वारा गढ़ी गई थी, उन्होंने पाया कि कार्बन परमाणुओं, कार्बनिक पदार्थों के निर्माण खंडों को अणुओं के निर्माण की प्रक्रिया में एक-दूसरे के साथ बंधन के लिये मजबूर करने के बजाय, छोटे अणुओं को पूर्ण कार्बन ढाँचे के साथ जोड़ना आसान है।
    • इसका केंद्रीय विचार उन अणुओं के बीच सरल प्रतिक्रियाओं का चयन करना है जिनके पास एक साथ बंधन के लिये "मज़बूत आंतरिक ड्राइव" है, जिसके परिणामस्वरूप एक तेज़ और कम अपव्ययी प्रक्रिया होती है।
    • महत्त्व: रसायनशास्त्री अक्सर प्रकृति में पाए जाने वाले जटिल रासायनिक अणुओं को फिर से बनाने की कोशिश करते हैं और इसमें अन्य बातों के अलावा चिकित्सा के क्षेत्र में- कोशिकाओं में रोगजनकों को कैसे लक्षित एवं अवरुद्ध किया जाए, जैसे अनुप्रयोग शामिल होते हैं। हालाँकि यह प्रक्रिया जटिल तथा समय लेने वाली हो सकती है।
      • अणुओं के निर्माण के लिये उपयोगी क्लिक केमिस्ट्री के अंतर्गत प्राकृतिक अणुओं की सटीक प्रतियाँ तो नहीं बन सकती हैं, लेकिन उन अणुओं को बनाना संभव होगा जो समान कार्यों को करने में सक्षम हों।
  • एज़ाइड-एल्काइन साइक्लोएडिशन (मेल्डल और शार्पलेस)
    • 2000 के दशक में मेल्डल और शार्पलेस (एक-दूसरे से स्वतंत्र) ने क्लिक केमिस्ट्री में प्रमुख कार्य किया- कॉपर कैटालाइज्ड -एज़ाइड एल्काइन साइक्लोएडिशन।
    • मेल्डल ने पाया कि एल्काइन और एसाइल हैलाइड के बीच होने वाली अभिक्रिया में कॉपर आयनों को जोड़ने से अप्रत्याशित रूप से एक ट्राईज़ोल (एक स्थिर रिंग के आकार की रासायनिक संरचना) बनती है जो फार्मास्यूटिकल्स, डाई और कृषि रसायनों में एक सामान्य विनिर्माण तत्त्व है। कॉपर आयनों को जोड़ने से अभिक्रिया को नियंत्रित करने के साथ एक अन्य तत्त्व बनाने में मदद मिली।
    • एल्काइन और एज़ाइड मिलकर एक ट्राईज़ोल बनाते हैं। एज़ाइड एक N3 (नाइट्राइड आयन) कार्बनिक यौगिक है, जबकि एल्काइन एक हाइड्रोकार्बन है जिसमें कम-से-कम एक कार्बन-कार्बन ट्रिपल बॉण्ड होता है।
      • यह सरल और प्रभावी रासायनिक अभिक्रिया, अब दवाओं के विकास, डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) की मैपिंग और इस तरह के अन्य उद्देश्य हेतु ऐसी सामग्री बनाने के लिये व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।
  • बायोऑर्थोगोनल अभिक्रियाएँ (Bioorthogonal Reactions-Bertozzi):
    • ये अभिक्रियाएँ जीवों के अंदर कोशिका के सामान्य रसायन विज्ञान को बाधित किये बिना काम करती हैं।
    • नैनोटेक्नोलॉजी के संयोजन में इसके उपयोग से बायोमेडिसिन के विभिन्न क्षेत्रों में और विकास हो सकता है, जैसे कि आणविक बायोइमेजिंग, लक्षित वितरण, स्वस्थाने दवा सक्रियण (in situ drug activation), कोशिका-नैनोमटेरियल इंटरैक्शन का अध्ययन, बायोसेंसिंग आदि।
    • बायोऑर्थोगोनल प्रतिक्रियाओं का उपयोग करके शोधकर्त्ताओं ने कैंसर फार्मास्यूटिकल्स के लक्ष्यीकरण में सुधार किया है।

बर्टोज़ी द्वारा कैंसर फाइटिंग क्लिक केमिस्ट्री का विकास:

  • स्पॉटिंग ग्लाइकान:
    • ग्लाइकान पर शोध करते हुए कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला परिहारकारी प्रकार का कार्बोहाइड्रेट जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिये महत्त्वपूर्ण है, कैरोलिन आर बर्टोज़ी फ्लोरोसेंट अणुओं को ग्लाइकान से जोड़ना चाहते थे ताकि उन्हें आसानी से देखा जा सके।
      • बर्टोज़ी उसी एज़ाइड में बदल गया जिसका इस्तेमाल शार्पलेस और मेल्डल ने किया था। एज़ाइड न केवल कोशिका के अन्य भागों के साथ अंतःक्रिया करने से बचता है, बल्कि जीवित प्राणियों में भी इसका परिचय सुरक्षित है।
    • वर्ष 2004 में उन्होंने वैकल्पिक क्लिक केमिस्ट्री प्रतिक्रिया विकसित की जो विषाक्त ताँबे के बिना काम करती थी, जिससे यह जीवित कोशिकाओं के लिये सुरक्षित हो जाता है।
    • बर्टोज़ी कार्य का उपयोग ट्यूमर कोशिकाओं की सतह पर ग्लाइकान की पहचान करने और उनके सुरक्षात्मक तंत्र को अवरुद्ध करने के लिये किया जा रहा है जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं को अक्षम कर सकते हैं।
      • यह विधि वर्तमान में उन्नत कैंसर वाले लोगों के लिये नैदानिक परीक्षणों में है। शोधकर्त्ताओं ने "क्लिक करने योग्य एंटीबॉडी" को विकसित करना भी शुरू कर दिया है जो ट्यूमर को ट्रैक करने और कैंसर कोशिकाओं में विकिरण को सटीक रूप से वितरित करने में मदद कर सकते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

मेडिसिन/फिजियोलॉजी में नोबेल पुरस्कार 2022

हाल ही में विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम के क्षेत्र में शोध के लिये स्वीडिश आनुवंशिकीविद् स्वंते पाबो को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिये वर्ष 2022 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है।

  • वर्ष 2021 में यह सम्मान संयुक्त राज्य अमेरिका के दो वैज्ञानिकों डेविड जूलियस और आर्डेम पटापोटियन को तापमान और स्पर्श के लिये रिसेप्टर्स की उनकी खोजों हेतु दिया गया था।

स्वंते पाबो के शोध:

  • मानव विकास: होमो सेपियन्स, लगभग 300,000 वर्ष पहले अफ्रीका में पहली बार दिखाई दिये, जबकि निकटतम ज्ञात पूर्वज, निएंडरथल, अफ्रीका के बाहर विकसित हुए और लगभग 400,000 वर्ष से 30,000 वर्ष पहले तक यूरोप एवं पश्चिमी एशिया में उनकी आबादी थी, जहाँ से वे विलुप्त हो गए थे।
  • निएंडरथल का जीनोम अनुक्रमण: निएंडरथल के जीनों को अनुक्रमित करने के बाद यह पाया जाता है कि हमारे विलुप्त रिश्तेदारों के पुरातन जीन अनुक्रम वर्तमान मनुष्यों के शरीर विज्ञान को प्रभावित करते हैं।
    • उदाहरण के लिये जीन EPAS1 का डेनिसोवन संस्करण उच्च ऊँचाई पर जीवित रहने में लाभ प्रदान करता है और वर्तमान तिब्बतियों में आम है।
    • अन्य उदाहरण निएंडरथल जीन हैं जो विभिन्न प्रकार के संक्रमणों के प्रति हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रभावित करते हैं।
  • डेनिसोवा की खोज: वर्ष 2008 में साइबेरिया के दक्षिणी भाग में डेनिसोवा गुफा में उंगली की हड्डी का 40,000 वर्ष पुराना टुकड़ा खोजा गया था।
    • इस हड्डी के DNA अनुक्रमण से पहले अज्ञात होमिनिन की खोज हुई थी, जिसे डेनिसोवा नाम दिया गया था।
  • विभिन्न मानव प्रजातियों का सह-अस्तित्व: आधुनिक मनुष्यों के पूर्वज, निएंडरथल और डेनिसोवन्स लगभग 20,000 वर्षों तक सह-अस्तित्व में रहे, इस दौरान उन्होंने न केवल एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया की बल्कि अंतर-नस्ल भी विकसित की।
    • आधुनिक समय में यूरोपीय या एशियाई मूल के मनुष्य में लगभग 1-4% जीनोम निएंडरथल से उत्पन्न हुए हैं।
    • इसके अलावा डेनिसोवा और होमो सेपियन्स के बीच जीन स्थानांतरण भी हुआ था। यह संबंध पहली बार मेलानेशिया तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य हिस्सों के लोगों में देखा गया था, जहाँ लोगों का 6% डीएनए डेनिसोवा से संबंधित है।
  • नोवेल पद्धति:
    • प्राचीन डीएनए को अनुक्रमित करना आसान नहीं है क्योंकि यह अत्यधिक खंडित होने के साथ कवक और बैक्टीरिया जैसे रोगाणुओं के संदूषण से युक्त होता है। समय के साथ डीएनए रासायनिक रूप से संशोधित हुए हैं।
    • इसलिये पाबो ने निएंडरथल के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए का अध्ययन करने का फैसला किया।
    • माइटोकॉन्ड्रिया, जिसे लोकप्रिय रूप से कोशिका का पावरहाउस कहा जाता है, कोशिका के अंदर का एक अंग है जिसका अपना डीएनए होता है।
    • यद्यपि माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम छोटा होता है और इसकी कोशिका में केवल कुछ आनुवंशिक जानकारी होती हैं लेकिन इसकी हज़ारों प्रतियाँ मौजूद होती है। इससे इसके सफल अनुक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। 
  • महत्त्व:
    • मानव विकास को समझने में वैचारिक सफलता सर्वोपरि है।
    • पाबो के शोध के परिणामस्वरूप पेलियोजेनोमिक्स नामक एक नई वैज्ञानिक शाखा का उदय हुआ है, जो प्राचीन या विलुप्त जीवों के जीन के अध्ययन और विश्लेषण से संबंधित है।

निएंडरथल कौन थे?

  • निएंडरथल, वर्तमान मानव प्रजातियों के निकटतम थे जो यूरोप और पश्चिम एशिया में रहते थे तथा लगभग 30,000 साल पूर्व (विलुप्त होने से पहले) उनका विस्तार दक्षिणी साइबेरिया एवं मध्य पूर्व तक हो गया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कभी-कभी मीडिया में 'डेनिसोवन' शब्द का उल्लेख किस संदर्भ में किया जाता है? (2019)

(a) डायनासोर के प्रकार के जीवाश्म
(b) प्रारंभिक मानव प्रजाति
(c) पूर्वोत्तर भारत में पाई गई गुफा प्रणाली
(d) भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में भूवैज्ञानिक काल

उत्तर: b

  • डेनिसोवन होमिनिड की एक विलुप्त प्रजाति है और निएंडरथल से संबंधित थी। वे शुरुआती मानव की एक अन्य आबादी थी जो एशिया में रहते थे।
  • डेनिसोवन्स मानव परिवार से हाल ही में जुड़े हैं। जीवाश्म विज्ञानियों ने एक 40,000 वर्ष पुराने दांत और एक उत्कृष्ट रूप से संरक्षित जीवाश्म छोटी उंगली की हड्डी का पता लगाया जो पाँच से सात वर्ष की एक लड़की की थी ।
  • अध्ययनों से पता चलता है कि लड़की निएंडरथल से निकटता से संबंधित थी, फिर भी पुरातन मनुष्यों की एक नई प्रजाति के रूप में वर्गीकृत करने के लिये पर्याप्त थी। जहाँ हड्डी पाई गई थी वहीँ की गुफा के नाम पर वैज्ञानिकों ने इसे "डेनिसोवन" नाम दिया था। डेनिसोवन जीनोम यह भी बताता है कि उस लड़की के आँखों,त्वचा और बाल के रंग भूरे थे। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

भौतिकी में नोबेल पुरस्कार 2022

वर्ष 2022 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ द्वारा जॉन एफ क्लॉजर, एलेन एस्पेक्ट और एंटोन ज़िलिंगर को क्वांटम यांत्रिकी में इनके कार्य के लिये प्रदान किया गया। 

  • 2021 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार स्यूकुरो मनाबे और क्लॉस हेसलमैन (संयुक्त रूप से) को जलवायु मॉडल पर उनके शोध के लिये एवं जियोर्जियो पैरिसी को भौतिक प्रणालियों में विकार तथा उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया पर उनके कार्य हेतु प्रदान किया गया था।
  • फिजियोलॉजी या मेडिसिन में 2022 का नोबेल पुरस्कार स्वंते पाबो को विलुप्त होमिनिन (hominins) के जीनोम और मानव विकास में शोध के लिये प्रदान किया गया।

क्वांटम यांत्रिकी और क्वांटम एंटैंगलमेंट (Entanglement) क्या है?  

  • यांत्रिकी, भौतिकी की वह शाखा है जो विभिन्न निकायों की गति और परस्पर क्रिया से संबंधित है। यांत्रिकी के दो भाग हैं - क्लासिकल और क्वांटम।
    • क्लासिकल या न्यूटोनियन यांत्रिकी, मैक्रोस्कोपिक वस्तुओं की गति और उन्हें प्रभावित करने वाले बलों का गणितीय अध्ययन है।
    • क्वांटम यांत्रिकी, भौतिकी का एक उपक्षेत्र है जिसके अंतर्गत  कणों - परमाणु, इलेक्ट्रॉन, फोटॉन के व्यवहार और आणविक एवं उप आणविक क्षेत्र में लगभग हर आयाम का वर्णन किया जाता है।  
      • क्वांटम सिस्टम के व्यवहार में एक महत्त्वपूर्ण अंतर (क्लासिकल रिजिड निकायों की तुलना में)  एंटैंगलमेंट की अवधारणा है।  
  • क्वांटम एंटैंगलमेंट एक ऐसी घटना है जिसके अंतर्गत उप-परमाणु कणों की एक जोड़ी को साझा अवस्था में रखा जाता है (जहाँ इनके पूरक गुण होते हैं), ऐसे में कोई भी एक कण के गुणों को जानकर स्वतः ही दूसरे कण के गुणों को जाना जा सकता है ।   
    • यह सच है कि भले ही दोनों कणों को कितनी दूर क्लेयों न ले जाया जाए।
    • क्वांटम एंटैंगलमेंट को पहली बार वर्ष 1935 में इरविन श्रोडिंगर द्वारा स्पष्ट किया गया था,  जिसे आगे चलकर उनके  कैट पैराडॉक्स के नाम से जाना गया।

बेल इनइक्वलिटी:

  • 1960 के दशक में, जॉन स्टीवर्ट बेल ने गणितीय असमानता - बेल असमानता विकसित की, जिसमें कहा गया है कि यदि कहीं अस्पष्ट वेरिएबल्स हैं, तो बड़ी संख्या में माप के परिणामों के बीच सहसंबंध कभी भी एक निश्चित मूल्य से अधिक नहीं होगा।
    • क्वांटम यांत्रिकी बताती है कि किसी निश्चित प्रकार का प्रयोग बेल की असमानता के नियमों का उल्लंघन करेगा, जिसके परिणामस्वरूप अन्यथा संभव होने की तुलना में एक मज़बूत सहसंबंध होगा।

प्रयोग:

  • विजेताओं को उलझे हुए फोटॉनों (क्वांटम एंटैंगलमेंट) के साथ उनके प्रयोगों, बेल असमानताओं के उल्लंघन और अग्रणी क्वांटम सूचना विज्ञान के लिये सम्मानित किया गया है।
  • जॉन एफ क्लॉसर ने जॉन बेल के विचारों को विकसित किया, जिससे एक व्यावहारिक प्रयोग हुआ जिसने स्पष्ट रूप से बेल असमानता का उल्लंघन करके क्वांटम यांत्रिकी का समर्थन किया। इसका अर्थ है कि क्वांटम यांत्रिकी को एक सिद्धांत द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है जो छिपे हुए वेरिएबल्स का उपयोग करता है।
  • एलेन आस्पेक्ट ने यह सेटअप विकसित किया, इसका उपयोग इस प्रकार से किया जिसने एक महत्त्वपूर्ण खामी को दूर कर दिया।
    • एक उलझे हुए युग्म के अपना स्रोत छोड़ने के बाद वह माप सेटिंग्स को स्विच करने में सक्षम हुए, इसलिये उत्सर्जित होने पर मौजूद सेटिंग परिणाम को प्रभावित नहीं कर सकती थी (क्योंकि जॉन क्लॉसर के प्रयोग के बाद उसमें कुछ खामियां बनी रहीं)।
  • एंटोन जिलिंगर को क्वांटम क्रिप्टोग्राफी जैसे अनुसंधान और अनुप्रयोग दोनों में उलझाव एवं बेल युग्मों के नवीन उपयोग के लिये चुना गया था।
    • उनके शोध समूह ने क्वांटम टेलीपोर्टेशन नामक एक घटना का प्रदर्शन किया जो क्वांटम अवस्था को एक कण से दूरी पर स्थानांतरित करना संभव बनाता है।

प्रयोग का महत्त्व:

  • प्रायोगिक उपकरणों के विकास ने क्वांटम सूचना पर आधारित प्रौद्योगिकी के एक नए युग की नींव रखी है।
  • यह क्वांटम कंप्यूटरों के निर्माण, माप में सुधार, क्वांटम नेटवर्क बनाने, सुरक्षित क्वांटम एन्क्रिप्टेड संचार (क्वांटम क्रिप्टोग्राफी) और सटीक टाइमकीपिंग स्थापित करने के लिये कण प्रणालियों के विशेष गुणों का उपयोग करने में मदद करेगा जैसा कि परमाणु घड़ियों में किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस वैज्ञानिक ने अपने बेटे के साथ भौतिकी का नोबेल पुरस्कार साझा किया? (2008)

(a) मैक्स प्लैंक
(b) अल्बर्ट आइंस्टीन
(c) विलियम हेनरी ब्रैग
(d) एनरिको फर्मिक

उत्तर: (c)


प्रश्न. नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक जेम्स डी. वाटसन किस क्षेत्र में अपने काम के लिये जाने जाते हैं? (2008)

(a) धातु विज्ञान
(b) मौसम विज्ञान
(c) पर्यावरण संरक्षण
(d) आनुवंशिकी

उत्तर: (d)


प्रश्न. वर्ष 1990 के दशक में ब्लू एलईडी के आविष्कार के लिये अकासाकी, अमानो और नाकामुरा को संयुक्त रूप से वर्ष 2014 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। इस आविष्कार ने मनुष्य के दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित किया है? (मुख्य परीक्षा, 2021)

प्रश्न. प्रो. सत्येंद्र नाथ बोस द्वारा किये गए 'बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी' के कार्य की चर्चा कीजिये और प्रदर्शित कीजिये कि इसने किस प्रकार भौतिकी के क्षेत्र में क्रांति ला दी। (मुख्य परीक्षा, 2018)

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 अक्तूबर, 2022

विश्व शिक्षक दिवस

विश्व भर में 05 अक्तूबर को विश्व शिक्षक दिवस (World Teachers Day) मनाया जाता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस (International Teachers Day) के रूप में भी जाना जाता है। यह दिवस दुनिया में शिक्षकों की स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के बीच वर्ष 1966 में हुई बैठक में इसका निर्णय लिया गया था। विश्व शिक्षक दिवस न केवल शिक्षकों के लिये बल्कि छात्रों के लिये भी एक विशेष दिन है। इस दिन शिक्षकों और सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष यूनिसेफ, यूएनडीपी, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन तथा यूनेस्को द्वारा एक साथ मिलकर विश्व शिक्षक दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। विश्व शिक्षक दिवस 2022 की थीम ‘शिक्षा का परिवर्तन शिक्षकों से शुरू होता है'(The Transformation of Education Begins with Teachers) है।

नानसेन रिफ्यूजी अवॉर्ड 

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) ने घोषणा की है कि पूर्व जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल को वर्ष 2022 का UNHCR नानसेन रिफ्यूजी अवॉर्ड प्रदान किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, मर्केल को उनके नेतृत्व, साहस और करुणा के लिये इस पुरस्कार के लिये चुना गया है। जिनकी वजह से शरण की तलाश कर रहे लाखों हताश लोगों का संरक्षण सुनिश्चित करने में मदद मिली, मर्केल के नेतृत्व में जर्मनी ने वर्ष 2015 और 2016 में 1.2 मिलियन से अधिक शरणार्थियों एवं शरण चाहने वालों का स्वागत किया। ये शरणार्थी सीरिया समेत अन्य स्थानों पर हिंसक संघर्ष व टकराव के कारण जान बचाने के लिये जर्मनी पहुँचे थे। UNHCR के अनुसार, तत्कालीन जर्मन चांसलर ने अपने साथियों से  जर्मनों से विभाजनकारी राष्ट्रवाद को खारिज करने का आह्वान किया और उनसे आत्मनिर्भर एवं स्वतंत्र, दयालु तथा खुले विचारों को अपनाने का आग्रह किया। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त द्वारा प्रत्येक वर्ष नानसेन पुरस्कार किसी व्यक्ति, समूह या संगठन को शरणार्थियों, स्टेटलेस या विस्थापित लोगों की सहायता हेतु उनके योगदान के लिये दिया जाता है। वर्ष 1954 में यह संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त आर्कटिक खोजकर्त्ता और मानवतावादी फ्रिड्टजॉफ नानसेन के सम्मान में स्थापित किया गया था। यह पुरस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति एलेनोर रूज़वेल्ट थे।

शरत चन्द्र बोस

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का महत्त्व इतना भर नहीं है कि इससे देश को आज़ादी प्राप्त हुई, बल्कि इस दौरान भारतीय समाज के नवनिर्माण की प्रक्रिया रचनात्मक तरीके से शुरू हुई। यही वजह है कि जब हम उस दौर के नायकों के विषय में पढ़ते हैं तो हमे अनेकों वीर पुरूषों के जीवन के संघर्षों और योगदान का पता चलता है। शरत चन्द्र बोस इस संदर्भ में भिन्न नहीं है। शरत चन्द्र बोस का जन्म 7 सितंबर, 1889 में कलकत्ता में हुआ था, उन्होंने चितरंजन दास के निर्देशन में अपने करियर की शुरुआत की। शरत चन्द्र बोस काॅन्ग्रेस कार्यकारी समिति के सदस्य तथा बंगाल विधानसभा में काॅन्ग्रेस संसदीय पार्टी के नेता थे। उन्होने असहयोग आंदोलन में  सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। अहिंसा में विश्वास रखने के बावजूद क्रांतिकारियों के प्रति उनका दृष्टिकोण सहानुभूतिपूर्ण था। वे अगस्त 1946 में केंद्र की अंतरिम सरकार में शामिल हुए तथा उन्हें खान और ऊर्जा मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया, इसी दौरान उन्होंने भाई सुभाष चन्द्र बोस के साथ मिलकर इंडियन नेशनल आर्मी की नीव रखी। सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु के पश्चात उन्होंने इसकी ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई। 


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