इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


शासन व्यवस्था

साइबर सुरक्षा

  • 30 Apr 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

साइबर सुरक्षित भारत पहल, साइबर स्वच्छता केंद्र, ऑनलाइन साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल।

मेन्स के लिये:

साइबर सुरक्षा का मुद्दा तथा आवश्यक सुरक्षा उपाय।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्ट-इन (CERT-In) ने सभी सरकारी और निजी एजेंसियों को साइबर सुरक्षा उल्लंघन की घटनाओं को रिपोर्ट करने के साथ छह घंटे के अंदर अनिवार्य रूप से सूचित करने के लिये कहा है।

  • CERT-In को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 70B के तहत साइबर सुरक्षा घटनाओं पर जानकारी एकत्र करने, विश्लेषण करने और प्रसारित करने का अधिकार है।

CERT-In के बारे में:

  • कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम - इंडिया भारतीय साइबर स्पेस को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संगठन है।
  • यह एक नोडल एजेंसी है जिसका कार्य हैकिंग और फ़िशिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटना है।
  • यह संगठन साइबर घटनाओं पर जानकारी को एकत्र करने, उसका विश्लेषण और प्रसार करता है, साथ ही साइबर सुरक्षा घटनाओं पर अलर्ट भी जारी करता है।
  • CERT-In घटना निवारण और प्रतिक्रिया सेवाओं के साथ-साथ सुरक्षा गुणवत्ता प्रबंधन सेवाएँ भी प्रदान करता है।

CERT-In के निर्देश:

  • अनिवार्य रूप से लॉग्स को सक्षम बनाना :
    • यह सभी सेवा प्रदाताओं, मध्यस्थों, डेटा केंद्रों, कॉरपोरेट्स और सरकारी संगठनों को अपनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) प्रणाली के लॉग्स को अनिवार्य रूप से सक्षम करने का निर्देश देता है।
      • सभी सेवा प्रदाताओं को 180 दिनों की रोलिंग अवधि के लिये लॉग्स को सुरक्षित रूप से बनाए रखना होता है, जिसे भारतीय अधिकार क्षेत्र में रखा जाएगा।
        • यह लॉग किसी भी घटना की रिपोर्टिंग के साथ या कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम के निर्देश पर CERT-In को प्रदान की जानी चाहिये।
  • सभी ICT प्रणालियों को जोड़ना और समक्रमिक(Synchronize)करना:
    • यह सुनिश्चित करने के लिये कि घटनाओं की शृंखला समय-सीमा में सटीक रूप से परिलक्षित हो, सभी सेवा प्रदाताओं को अपनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्रणाली से युक्त क्लॉक को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) या राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) के नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (NTP) सर्वर से जोड़ने और करने का निर्देश दिया गया है।
      • नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल( NTP) एक ऐसा प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग TCP/IP-आधारित नेटवर्क पर विश्वसनीय रूप से सटीक समय स्रोतों को प्रसारित करने और प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
      • इसका उपयोग कंप्यूटर की आंतरिक क्लॉक को एक सामान्य समय स्रोत से समक्रमिक करने के लिये किया जाता है।
  • रिकॉर्ड बनाए रखने की आवश्यकता:
    • पाँच साल की अवधि के लिये KYC और वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रखने हेतु इसे वर्चुअल परिसंपत्ति, एक्सचेंज और कस्टोडियन वॉलेट प्रदाताओं की आवश्यकता होती है।
      • क्लाउड, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) प्रदान करने वाली कंपनियों को ग्राहकों के नाम, ईमेल और आईपी पते भी पंजीकृत करने होंगे।

ऐसे पहल की आवश्यकता क्यों :

  • समस्या समाधान की बाधाएँ दूर करना:
    • यह साइबर सुरक्षा घटनाओं से निपटने तथा विश्लेषण में बाधा संबंधी मुद्दों के मामले में मदद प्रदान करेगा।
  • प्रतिदिन अभिलेखों को सुव्यवस्थित करना:
    • अतीत में ऐसे मामले सामने आए हैं जहांँ गैर-भंडारण या डेटा की उपलब्धता और मध्यस्थों तथा सेवा प्रदाताओं के साथ उचित रिकॉर्ड के मामलों की पहचान की गई है।
    • ये दिशा-निर्देश बनाये रखने के लिए तारीख के रिकॉर्ड को सुव्यवस्थित करेंगे और CERT-In को सुरक्षा से संबंधित घटनाओं की उचित रिपोर्टिंग करेंगे।
  • उपयोगकर्त्ताओं को उनके अधिकारों के बारे में बताना:
    • अंतिम उपयोगकर्त्ता को यह जानने का अधिकार है कि क्या उनका डेटा लोड किया गया है ताकि कोई व्यक्ति लेन-देन की धोखाधड़ी, नकली ऋण, आईडी के दुरुपयोग आदि से अपनी रक्षा कर सके।
    • सरकार को भी कंपनियों को घटना के 24 घंटे के भीतर उपयोगकर्त्ताओं को सूचित करने के लिये बाध्य करना चाहिये।
    • कई उपयोगकर्ता अभी भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उनका केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) और वित्तीय डेटा सुरक्षित है या नहीं।

साइबर सुरक्षा हेतु सरकार की पहलें:

आगे की राह

  • भारत वैश्विक स्तर पर 17 डिजिटल रूप से सशक्तअर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से डिजिटल व्यवस्था अपनाने वाले देशों में से एक है तथा तेज़ी से डिजिटलीकरण के लिये साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु दूरगामी उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।
  • कॉरपोरेट्स या संबंधित सरकारी विभागों के लिये यह महत्त्वपूर्ण है कि वे अपने संगठनों में कमियों का पता लगाएंँ और उन कमियों को दूर करने के लिये उचित सुरक्षा प्रणाली अपनाएँ, जिसमें विभिन्न स्तरों के बीच सुरक्षा खतरे की खुफिया जानकारी साझा हो सके।
  • विभिन्न एजेंसियों और मंत्रालयों के बीच परिचालन हेतु समन्वय सुनिश्चित करने के लिये एक शीर्ष निकाय की आवश्यकता है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)

  1. सेवा प्रदाताओं
  2. डेटा केंद्र
  3. कॉर्पोरेट निकाय

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act) की धारा 70 B के अनुसार, केंद्र सरकार ने अधिसूचना द्वारा घटना प्रतिक्रिया के लिये राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में कार्य करने हेतु भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) नामक एक एजेंसी का गठन किया गया है।
  • केंद्र सरकार ने आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 70 B के तहत वर्ष 2014 में CERT-In के लिये नियम स्थापित और अधिसूचित किये। नियम 12 (1) (A) के अनुसार, घटना होने के उचित समय के भीतर CERT-In को साइबर सुरक्षा की घटनाओं के लिये सेवा प्रदाताओं, मध्यस्थों, डेटा केंद्रों और कॉर्पोरेट निकायों हेतु रिपोर्ट करना अनिवार्य है। अत: विकल्प (d) सही है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow