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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वैश्विक शरणार्थी संकट

  • 20 Jun 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये

शरणार्थी, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त, सबंधित कानून 

मेन्स के लिये

वैश्विक शरणार्थी संकट, UNHCR की भूमिका, भारत और शरणार्थी संकट

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (United Nations High Commissioner for Refugees-UNHCR) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 के अंत तक लगभग 79.5 मिलियन लोग विभिन्न कारणों से विस्थापित हुए, जो कि वैश्विक आबादी का लगभग 1 प्रतिशत हैं, इसमें से अधिकांश बच्चे थे।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार, 79.5 मिलियन में से, 26 मिलियन क्रॉस-बॉर्डर शरणार्थी थे, 45.7 मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित थे, 4.2 मिलियन शरण (Asylum) चाहने वाले थे और 3.6 मिलियन वेनेज़ुएला से अन्य देशों में जाने वाले विस्थापित थे।
  • इतनी बड़ी मात्रा में विस्थापन के मुख्य कारणों में उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन आदि को शामिल किया जा सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में प्रत्येक 97 लोगों में 1 व्यक्ति जबरन विस्थापन से प्रभावित हुआ, जबकि वर्ष 2010 में प्रत्येक 159 में से 1 व्यक्ति जबरन विस्थापन से प्रभावित था और वर्ष 2005 में प्रत्येक 174 में से 1 व्यक्ति इससे प्रभावित था।
  • UNHCR द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ के अनुसार, सर्वाधिक चिंताजनक यह है कि विस्थापित लोगों में से काफी कम लोग ही वापस अपने घर लौटने में सक्षम थे।
  • आँकड़ों के अनुसार, 1990 के दशक में प्रत्येक वर्ष औसतन 1.5 मिलियन शरणार्थी घर लौटने में सक्षम थे, जबकि पिछले एक दशक (2010-2019) में यह संख्या घटकर 385,000 रह गई है।
  • वर्ष 2019 के अंत में सीमा पार विस्थापित होने वाले 10 में से 8 लोग केवल 10 देशों से ही थे और इन 10 देशों में से 4 अफ्रीकी देश हैं।
    • अफगानिस्तान, सोमालिया, कांगो, सूडान और इरीट्रिया बीते एक दशक भर (2010-2019) में सीमा पार विस्थापन के लिये स्रोत देशों की शीर्ष 10 सूची में बने रहे।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 से सीरिया शरणार्थियों की उत्पत्ति के लिये एक प्रमुख देश रहा है। वर्ष 2019 के अंत में दुनिया भर के 126 देशों में कुल 6.6 मिलियन सीरियाई शरणार्थी थे।

कौन हैं शरणार्थी?

  • एक शरणार्थी का अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से होता है जिसे उत्पीड़न, युद्ध या हिंसा के कारण उसके देश से भागने के लिये मज़बूर किया गया है।
  • अधिकांश शरणार्थियों में नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता, राजनीतिक राय या किसी विशिष्ट समूह की सदस्यता के कारण उत्पीड़न का भय होता है, इसी भय के कारण कई शरणार्थी वापस अपने घर नहीं लौट पाते हैं।

वैश्विक शरणार्थी संकट

  • जानकारों का मानना है कि तथाकथित ‘वैश्विक शरणार्थी संकट’ की उत्पत्ति सर्वप्रथम द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 20वीं शताब्दी में संकट उत्पन्न हुआ और लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर एक सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ा। 
  • एक अनुमान के अनुसार, इस दौरान यूरोप में लगभग 40 मिलियन लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।
  • वर्ष 1945 में भले ही द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया, किंतु संघर्ष इसके बाद भी जारी रहा और इसके परिणामस्वरूप विश्व युद्ध के बाद भी लोगों का विस्थापन जारी रहा। 
  • अगस्त 1947 में भारत आज़ाद हो गया, इसी के साथ भारत का दो हिस्सों में विभाजन भी हो गया, लाखों लोगों को इस दौरान अपना सब कुछ छोड़ कर एक नए स्थान पर जाना पड़ा। आँकड़ों के अनुसार, इस दौरान तकरीबन 14 मिलियन लोगों ने पलायन किया था।
  • फिलिस्तीन में युद्ध के बाद यहूदी राज्य के गठन के कारण वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी, जॉर्डन, सीरिया और लेबनान में तकरीबन 750,000 लोगों का पलायन हुआ।
  • 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध की शुरुआत एशिया और अफ्रीका में स्वतंत्रता आंदोलनों के साथ हुई। इस दौरान स्वतंत्रता संबंधी युद्धों और उसके बाद हुए नागरिक संघर्षों ने अल्जीरिया, कांगो, अंगोला, नाइजीरिया और अन्य देशों के लाखों लोगों को पलायन के संकट में ढकेल दिया।
  • वर्ष 1981 से वर्ष 1989 के बीच मध्य अमेरिका में गृहयुद्ध का दौर था, जिसमें लगभग 2 मिलियन लोगों को विस्थापित होना पड़ा।
  • वर्ष 1971 में बांग्लादेश आज़ाद हो गया, इस दौरान तत्कालीन पूर्वी बंगाल से तकरीबन 10 मिलियन लोगों ने पलायन किया था।

भारत में शरणार्थी संबंध कानून 

  • भारत में अधिकारियों द्वारा विभिन्न कानूनों, जैसे–पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920; विदेशी कानून, 1946 इत्यादि को ध्यान में रखकर शरणार्थियों और आश्रय याचकों के प्रवेश के संबंध में विचार किया जाता है।
  • ये कानून शरणार्थियों को अन्य विदेशियों के समतुल्य मानते हैं और इस बात का विचार नहीं करते कि मानवीय आधार पर उन्हें विशेष दर्जा मिलना चाहिये। 
  • भारत में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे अधिक शरणार्थी आबादी है लेकिन यहाँ अभी तक आश्रय याचकों के लिये एक समान कानून नहीं बनाया जा सका है।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त 

(United Nations High Commissioner for Refugees-UNHCR) 

  • संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) एक संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और एक वैश्विक संगठन है जो शरणार्थियों के जीवन बचाने, उसके अधिकारों की रक्षा करने और उनके लिये बेहतर भविष्य के निर्माण के प्रति समर्पित है।
  • संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी की स्थापना वर्ष 1950 में की गई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा (Geneva) में स्थित है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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