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द बिग पिक्चर: 'स्वामित्व' योजना के तहत ई-संपत्ति कार्ड का वितरण

  • 12 May 2021
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर 'स्वामित्व' योजना के तहत ई-संपत्ति कार्ड के वितरण की शुरुआत की है।

प्रमुख बिंदु

  • ई-संपत्ति कार्ड का वितरण: इस अवसर पर 4.09 लाख संपत्ति मालिकों को उनके ई-संपत्ति कार्ड दिये जाएंगे, जिसके साथ ही देश भर में स्वामित्व योजना के कार्यान्वयन की शुरुआत हो जाएगी। 
  • कवरेज: इस योजना में 2021-2025 के दौरान पूरे देश में लगभग 6.62 लाख गाँवों को शामिल किया जाएगा।
    • यह योजना बिना सर्वेक्षण वाले अबादी क्षेत्रों (Un-surveyed Abadi Areas) के लिये है। यह सर्वेक्षण किये गए ऐसे क्षेत्रों में भी लागू होता है, जहाँ गुजरात, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्य पहले के रिकॉर्ड को बदलने के तैयार हैं।
    • ड्रोन सर्विसिंग: इस योजना को वर्तमान में लगभग 50,000 गाँवों में लागू किया गया है, जिसमें से लगभग 32000 गाँवों में ड्रोन की सर्विसिंग पूरी हो चुकी है और लगभग 29000 गाँवों में ड्रोन डेटा को संसाधित किया गया है।
  • MoU पर हस्ताक्षर: राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे भारत के सर्वेक्षण के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करें और जहाँ भी आवश्यक हो कानूनों में परिवर्तन करें।
    • आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा ने अपने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों और छठे अनुसूचित क्षेत्रों के लिये: पूर्वोत्तर राज्यों और अनुसूचित क्षेत्रों के लिये संपत्तियों के स्वामित्व पैटर्न अलग हो सकते हैं।
    • इन क्षेत्रों में बस्तियों के लिये खंड (Pockets) मिलने चाहिये और यदि पूरे क्षेत्र में इन बस्तियों का अनुपात परिमाण के समान क्रम का है जैसा कि अन्य राज्यों में पूरे क्षेत्र के आबादी क्षेत्रों के लिये है तो उनकी आवश्यकताओं को अनुकूल बनाने के लिये समझौता ज्ञापन को संशोधित किया जाएगा।

स्वामित्व (SVAMITVA) योजना

स्वामित्व योजना के बारे में:

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य "गाँव में बसे हुए ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में रहने वाले और संपत्ति मालिकों को संपत्ति कार्ड जारी करना" है।

कवरेज:

  • इस योजना के पायलट चरण को महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और पंजाब व राजस्थान के चुनिंदा गांवों में वर्ष 2020-21 के दौरान लागू किया गया था।

संपत्ति कार्ड के लिये नामावली:

  • संपत्ति कार्ड के लिये अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम दिये गए हैं। उदाहरण के लिये हरियाणा में ‘टाइटल डीड’ (Title Deed), ‘कर्नाटक में रूरल प्रॉपर्टी ओनरशिप रिकॉर्ड्स’ (Rural Property Ownership Records- RPOR), मध्य प्रदेश में ‘अधिकार अभिलेख’ (Adhikar Abhilekh), महाराष्ट्र में ‘सनद’ (Sannad), उत्तराखंड में ‘स्वामित्व अभिलेख’ (Svamitva Abhilekh) तथा उत्तर प्रदेश में ‘घरौनी’ (Gharauni)।

ड्रोन और कोर:

  • यह ड्रोन तकनीक और सतत् संचालन संदर्भ प्रणाली (Continuous Operating Reference System- CORS) का उपयोग करते हुए ग्रामीण आबादी क्षेत्रों में भूमि पार्सल (Land Parcels) का नक्शा और प्रत्येक गाँव के लिये GIS आधारित नक्शे तैयार करेगा।
  • अब नई मानचित्र नीति के साथ डेटा भारतीय संस्थाओं हेतु उपयोग करने के लिये स्वतंत्र है।

स्वामित्व ई-संपत्ति कार्ड की प्रक्रिया

  • एक संपत्ति कार्ड बनाने की बहु-चरणीय प्रक्रिया भारतीय सर्वेक्षण विभाग (SoI) और संबंधित राज्य सरकारों के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के साथ शुरू होती है।
  • एक बार समझौता ज्ञापन हो जाने के बाद एक सतत् संचालन संदर्भ प्रणाली (CORS) नेटवर्क स्थापित किया जाता है, जो जमीनी नियंत्रण बिंदुओं को स्थापित करने में सहायता करता है, जो कि सटीक भू-संदर्भ के लिये एक महत्त्वपूर्ण गतिविधि है।
  • इसके अतिरिक्त सर्वेक्षण किये जाने वाले गाँवों की पहचान करना और इस प्रक्रिया में गाँव के आबादी क्षेत्र (आवासीय क्षेत्र) का सीमांकन किया जाता है।
    • ड्रोन का उपयोग ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के मानचित्रण के लिये किया जाता है, ड्रोन से प्राप्त हुई छवियों के आधार पर, 1:500 पैमाने पर एक GIS डेटाबेस, और ग्राम मानचित्र तैयार किये जाते हैं।
  • इसके अलावा जाँच/आपत्ति प्रक्रिया और विवाद समाधान पूरा हो जाता है जिसके बाद अंतिम संपत्ति कार्ड उत्पन्न होते हैं।
    • ये कार्ड डिजिटल प्लेटफॉर्म पर या गाँव के घर के मालिकों को हार्ड कॉपी के रूप में उपलब्ध हैं।

योजना के लाभ

  • केंद्र-राज्य सहयोग: यह एक सरकारी मॉडल है जिसका अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में अनुकरण किये जाने की आवश्यकता है।
    • मॉडल में एक संरचना है जो केंद्र नोडल प्राधिकरण होने की ज़िम्मेदारी लेता है और फिर राज्य सरकारों के राजस्व विभागों के साथ परामर्श करने के बाद राज्य पंचायती राज विभागों (State Panchayati Raj Depts) की मदद लेता है।
  • स्पिन-ऑफ लाभ: इस तरह के भूमि रिकॉर्ड संकलन में संपत्ति कर संग्रह के संदर्भ में कई नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों के लिये एक ‘स्पिन-ऑफ’ लाभ (Spin-off Benefits) दिखाई देगा क्योंकि संपत्ति कार्ड का उपयोग उसी प्रमुख वित्तीय लाभ को निर्धारित करने के लिये किया जाएगा।
  • वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में संपत्ति: यह ग्रामीणों द्वारा ऋण और अन्य वित्तीय लाभों का लाभ उठाने के लिये संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के रूप में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • भूमि रिकॉर्ड और योजना: यह भी बदलने के लिये निर्धारित किया जाता है कि पूरे देश में भूमि रिकॉर्ड कैसे बनाए रखा जाता है।
    • यह पूरे परिदृश्य को नए सिरे से तैयार करने के प्रस्तावों के लिये लोगों को एक सटीक मानचित्र प्रदान करेगा।

चुनौतियाँ

  • डेटा तक पहुँच: एकत्र किये गए डेटा को किस हद तक सरकार और राज्य विभागों की विभिन्न परतों के साथ साझा किया जाएगा।
    • किस हद तक डेटा का मुद्रीकरण किया जाएगा या उसका मुद्रीकरण किया जाना चाहिये।
    • निजी क्षेत्र की कंपनियाँ जो निगरानी और डेटा संग्रह के लिये ड्रोन पेश कर रही हैं, क्या यह डेटा इन कंपनियों के साथ भी साझा किया जाएगा या नहीं।
  • डेटा सुरक्षा: एक देश के रूप भारत अभी भी एक उचित विश्वसनीय और आसान डेटा संरक्षण कानून बनाने से दूर है और इस तरह के कानून के बिना डेटा का संग्रह और इसका दुरुपयोग हमेशा इस तरह की महत्त्वाकांक्षी योजना के लिये चुनौती बना रहेगा।
  • अनुमानित समय के भीतर निगरानी के तहत अधिकतम गाँवों को लाना: गाँवों को निगरानी में लाने का मुद्दा एक चुनौती है क्योंकि एक निश्चित बिंदु के बाद गाँवों को कवरेज करने की गति को बढ़ाया नहीं जा सकता है।
    • इसके अलावा विभिन्न स्थानों में अलग-अलग कार्य और नियम हैं और नोटिस की अवधि उत्तराखंड में न्यूनतम 10 दिनों से लेकर पंजाब के लिये अधिकतम 9 महीने तक होती है।

आगे की राह 

  • राज्यों की भूमिका: डेटा पर संपूर्ण अधिकार राज्य का होने जा रहा है और डेटा का कोई केंद्रीकरण नहीं होगा तथा राज्य सभी संबंधित सूचनाओं का भंडार होगा।
    • राज्य का विषय होने के नाते डेटा को राज्यों की कल्याणकारी नीतियों में प्रयोग करना चाहिये।
  • प्रभावी कार्यान्वयन: पूरे देश में योजना के प्रभावी कार्यान्वयन पर एक अविभाजित ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • सर्वेक्षण के बुनियादी ढाँचे का निर्माण और GIS मानचित्र, जिनका उपयोग किसी भी विभाग द्वारा उनके उपयोग के लिये किया जा सकता है, सफल कार्यान्वयन की कुंजी होने जा रहा है।
  • अन्य क्षेत्रों को लाभ: इस योजना के कारण ड्रोन उद्योग को भी बढ़ावा मिला है क्योंकि इस पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण करने के लिये 2000 ड्रोन की आवश्यकता होगी।
    • इससे रोज़गार क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि ड्रोन पायलटों की आवश्यकता होगी और टीम आधारित अन्य कार्यों के लिये भी मानव संसाधन की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष

इस योजना से गाँव के परिवारों, ग्राम पंचायतों, राज्यों और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को अत्यधिक लाभ मिलेगा , इसके लिये एक समर्पित केंद्र-राज्य सहयोग किया जाए और यह योजना पूरे देश में प्रभावी ढंग से लागू हो।

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