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द बिग पिक्चर: भारत का कोविड महामारी प्रबंधन

  • 03 May 2021
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत में कोविड के मामलों में उछाल देखा जा रहा है।

  • देश ने कोविड-19 महामारी के प्रभावी नियंत्रण और प्रबंधन में इस हालिया उछाल से निपटने के लिये पाँच-स्तरीय रणनीति (Five-Fold Strategy) अपनाई है।

प्रमुख बिंदु

  • प्रयासों को मज़बूत करें: केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से युद्ध स्तर पर वायरस के प्रसार की जाँच करने के अपने प्रयासों को मज़बूत करने का आग्रह किया है।
    • यह भी दावा किया गया है कि देश में पहले की तुलना में वायरस से निपटने के लिये बहुत अधिक संसाधन हैं और सूक्ष्म-नियंत्रण क्षेत्रों पर भी ध्यान होना चाहिये।
  • नई वैक्सीन का आगमन: एक तीसरा टीका स्पुतनिक V (रूस द्वारा विकसित) होगा, जो अगले कुछ हफ्तों में भारत के लिये उपलब्ध होगा।
  • सरकार द्वारा कम सख्त प्रतिबंध: मामलों पर अंकुश लगाने के अधिक अंशांकित (Calibrated) उपायों को राज्यों द्वारा अपनाया गया है, जैसे कि सप्ताहांत कर्फ्यू, नाइट कर्फ्यू, विभिन्न गतिविधियों पर प्रतिबंध।
    • पिछले वर्ष की तरह अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों को देखते हुए राज्यों में अभी पूर्ण लॉकडाउन का फैसला नहीं लिया गया है।
  • पाँच-स्तरीय रणनीति: परीक्षण, ट्रेसिंग, उपचार, कोविड-उपयुक्त व्यवहार और टीकाकरण की पाँच-स्तरीय रणनीति पर ज़ोर दिया गया है।
    • परीक्षण: सभी ज़िलों में न्यूनतम 70% RT-PCR परीक्षणों और रैपिड एंटीजन परीक्षणों का उपयोग महत्त्वपूर्ण रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में स्क्रीनिंग परीक्षणों के साथ-साथ उन क्षेत्रों में भी किया जाता है जहाँ नए मामले आ रहे हैं।
    • ट्रेसिंग: संचरण की शृंखला को तोड़ने के लिये प्रभावी और समय पर ट्रेसिंग, नियंत्रण और निगरानी गतिविधियों को बढ़ाने के लिये ज़ोर दिया जाता है।
    • उपचार: नैदानिक देखभाल, उपचार और समर्थित घर/सुविधा देखभाल के प्रोटोकॉल का प्रभावी ढंग से पालन करना।
    • कोविड-उपयुक्त व्यवहार: कोविड से बचने के लिये मास्क ठीक से पहनना, हाथ की सफाई और सामाजिक दूरी को बनाए रखना आवश्यक है।
    • टीकाकरण: विशेषकर उच्च रूप से प्रभावित ज़िलों में पात्र जनसंख्या समूहों के टीकाकरण की समयबद्ध योजना।
  • महाराष्ट्र की ATM नीति: सुनामी की तरह कोविड के मामलों में वृद्धि से महाराष्ट्र की स्थिति गंभीर है।
    • मुंबई, पुणे में शहरों की स्थिति पिछले कुछ दिनों से ठहराव की स्थिति (Situation of Plateauing) दिखाई दे रही है, परंतु नासिक और नागपुर जैसे अन्य स्थान अभी भी बुरी तरह प्रभावित हैं।
    • राज्य ने एक ATM नीति अपनाई है:
      • A= मामलों तक पहुँच।
      • T= जोखिम प्रोफाइल, लक्षण और व्यक्ति की कमज़ोरियों के आधार पर रोगियों को स्थानांतरित करना।
      • M= संस्थागत क्वारंटाइन, अस्पतालों में या घर पर ही उचित रूप से प्रबंधित करना।

कोविड प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियाँ

  • परीक्षण के मुद्दे: RT-PCR टेस्ट की सीमाओं के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है क्योंकि झूठे नकारात्मक मामलों की रिपोर्टें बढ़ी हैं; स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को इस बात का संज्ञान होना चाहिये।
  • तार्किक और परिचालन मुद्दे: भारत के पास अभी भी बहुत सारे तार्किक और परिचालन मुद्दे (Logistical and Operational Issues) हैं तथा टीकों की कमी को समाप्त करने की आवश्यकता है।
    • टीकों की चर्चा अक्सर विनिर्माण पर ही समाप्त हो जाती है लेकिन टीकों का समान और समुचित वितरण उनके निर्माण के लिये उतना ही महत्त्वपूर्ण है।
      • केंद्र और राज्यों को एक साथ काम करने की आवश्यकता है ताकि देश में जो उपलब्ध हो वह वास्तव में उसके लोगों तक पहुँच सके।
  • टीकाकरण के लिये आयु सीमा: एक निश्चित आयु वर्ग (वर्तमान में 45 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों के लिये) टीकाकरण की सुविधा को सीमित करता है और इसलिये आबादी के एक बड़े हिस्से के लिये कोविड के जोखिम बढ़ जाते हैं।
    • 45 वर्ष से कम उम्र के लोग भी बिना किसी सहरुग्णताएँ (Comorbidities) के कोविड के उन्नत लक्षण विकसित कर रहे हैं, जैसे कि निमोनिया।
  • अवसंरचनात्मक चुनौतियाँ: बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवा, स्टाफ, वेंटिलेटर की कमी अन्य प्रमुख मुद्दे हैं जो महामारी के प्रभावी प्रबंधन में बाधा डालते हैं।
  • कोविड-उचित व्यवहार का पालन न करना: मास्क पहनने, स्वच्छता बनाए रखने, सामाजिक दूरी और ऐसी अन्य गतिविधियों के प्रति लोगों के आकस्मिक व्यवहार परिवर्तन से वायरस के संचरण का खतरा बढ़ जाता है।
  • झूठी सूचना का प्रसार: कोविड-19 से संबंधित जानकारी को फैलाने में सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म की प्रमुख भूमिका है, इस झूठी सूचना का प्रसार अभी भी लोगों में दहशत पैदा करने और परीक्षण या टीकाकरण के प्रति झिझक पैदा करने में काफी सफल है।

आगे की राह

  • मरीज़ों की निगरानी करना: स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अधिक-से-अधिक तरीकों से आगे बढ़ रही है, लेकिन उन लोगों की निगरानी करना और पता लगाना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है, जिन्हें वास्तव में अस्पताल में भर्ती होने, ऑक्सीजन सहायता और अन्य अस्पताल सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
    • इसके अलावा उन लोगों की भी निगरानी करना जो घर पर आइसोलेशन में हैं, यह इसलिये भी बहुत महत्त्वपूर्ण है ताकि वे सही सलाह प्राप्त कर सकें और घर पर अच्छी तरह से देख-रेख कर सकें।
    • रोगसूचक (Symptomatic) लोगों को उसी देखभाल और सावधानियों के साथ इलाज करना चाहिये जिन्होंने RT-PCR परीक्षण नहीं कराया है लेकिन उन्हें भी कोविड हो सकता है।
  • टीकाकरण: भारत को वर्तमान में पात्र आयु वर्ग के लोगों के कवरेज का विस्तार करने की आवश्यकता है, जिन्हें टीका लगाया जा सकता है क्योंकि महामारी की दूसरी लहर युवा लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
    • तीसरे उपलब्ध टीके के रूप में स्पुतनिक-V को शामिल करने के अलावा भारत को स्वदेशी रूप से विकसित टीकों की विनिर्माण क्षमता बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिये।
    • इसके अलावा भारत को वैक्सीन के दुविधा को हराकर यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि सबसे कमज़ोर लोगों को टीका लगाया जाए।
  • प्रतिबंध लागू करना: पूर्ण या राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और कर्फ्यू को चुनना अंतिम विकल्प होगा क्योंकि देश पहले ऐसी स्थितियों से गुजर चुका है और इसके परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं।
    • समाज का गरीब और वंचित तबका, प्रवासी श्रमिक इसका सबसे बड़ा खामियाजा भुगत रहा है।
    • हालाँकि सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये।
  • समुदाय आधारित दृष्टिकोण: एक बहुत मज़बूत सूचना शिक्षा परामर्श अभियान के माध्यम से लोगों की स्थानीय भाषाओं में एक सक्रिय समर्थन समय की आवश्यकता है।
    • टीकों का प्रमुख उद्देश्य मृत्यु को रोकना और जीवन को बचाना है।
    • हमारे पास सभी मानक उपाय जैसे- मास्किंग, स्वच्छता बनाए रखना आदि आज के समय में उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं जितने तब थे जब भारत में टीके नहीं थे।
  • वायरस का जीनोम-मैपिंग: भारत में विश्व की कुछ सबसे अच्छी जीनोम लैब हैं। स्थिति खराब होने और वायरस के नए उपभेदों को विकसित करने से रोकने के लिये इसकी प्रयोगशालाओं के बीच बेहतर सहसंबंध स्थापित करना और इसकी जीनोमिक निगरानी जारी रखना है।

निष्कर्ष

  • महामारी से निपटने की रणनीतियों को महामारी के साथ-साथ विकसित करने की आवश्यकता है।
    • परीक्षण और अनुरेखण क्षमताओं में वृद्धि, स्वास्थ्य प्रणाली के भार को कम करने के लिये हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी और व्यक्तिगत रूप से भी सामुदायिक रूप में प्रयास करना आवश्यक है।
  • एहतियाती उपायों के प्रति एक उदार रवैये के साथ महामारी पर अंकुश लगाया जा सकता है। शून्य सहिष्णुता कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन न करने के प्रति होनी चाहिये।
  • टीकों की आपूर्ति शृंखला के वितरण के अंत की ओर केंद्र और राज्यों से थोड़ा अधिक समन्वित प्रयास आवश्यक है।
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