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स्पुतनिक-V वैक्सीन

  • 16 Apr 2021
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

रूस द्वारा विकसित कोविड-19 प्रतिरोधी वैक्सीन ‘स्पुतनिक-V’ को ‘ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (DCGI) द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिये मंज़ूरी दे दी गई है।

  • कोविशील्ड (सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) और कोवैक्सिन (भारत बायोटेक) के बाद आपातकालीन उपयोग की मंज़ूरी पाने वाला यह तीसरा कोरोनवायरस टीका है।

प्रमुख बिंदु:

स्पुतनिक-V वैक्सीन:

  • स्पुतनिक-V वैक्सीन को मॉस्को में ‘गामालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी’ द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसमें दो अलग-अलग वायरस का उपयोग किया गया है जो मनुष्यों में सामान्य सर्दी (एडेनोवायरस) का कारण बनते हैं।
    • एडेनोवायरस के कमज़ोर होने से ये वह मनुष्यों में अपनी प्रतिकृति का निर्माण नहीं कर सकता है और बीमारी का कारण नहीं बन सकता है।
    • उन्हें संशोधित भी किया जाता है ताकि वैक्सीन कोरोनोवायरस स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिये एक कोड प्रदान कर सके। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब वास्तविक वायरस शरीर को संक्रमित करने की कोशिश करता है, तो यह एंटीबॉडी के रूप में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का निर्माण कर सकता है।
  • स्पुतनिक टीकाकरण के दौरान दोनों खुराकों में से प्रत्येक के लिये अलग-अलग वेक्टर का उपयोग किया जाता है। यह दोनों खुराकों के लिये एक ही वितरण तंत्र का उपयोग करके अन्य टीकों की तुलना में लंबी अवधि के लिये प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
    • दोनों खुराकों को 21 दिनों के अंतराल पर दिया जाता है।
  • स्पुतनिक-V को तरल रूप में -18 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत किया जाता है। हालाँकि इसके शुष्क रूप में इसे 2-8 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत किया जा सकता है, इसे कोल्ड-चेन बुनियादी ढाँचे में अतिरिक्त निवेश किये बिना भी पारंपरिक रेफ्रिजरेटर में भंडारित किया जाता है।

प्रभावकारिता:

  • द लांसेट में प्रकाशित रूस में आयोजित चरण-3 के परीक्षण परिणामों में यह पाया गया कि इसकी प्रभावकारिता 91.6% है।

एडेनोवायरस:

  • एडेनोवायरस (ADV) 70-90 नैनोमीटर आकार के DNA वायरस हैं, जो मनुष्यों में कई बीमारियों जैसे-सर्दी, श्वसन संक्रमण आदि को प्रेरित करते हैं।
  • इन टीकों के लिये एडेनोवायरस को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि उनका DNA दोहरे तंतु से निर्मित होता है जो उन्हें आनुवंशिक रूप से अधिक स्थिर बनाता है और इंजेक्शन लगने के बाद उनके बदलने की संभावना कम होती है।
  • रेबीज़ वैक्सीन एक एडेनोवायरस वैक्सीन है।
  • एडेनोवायरस वैक्सीन एक प्रकार की वायरल वेक्टर वैक्सीन है।
    • इस टीके में एडेनोवायरस को जीन या वैक्सीन एंटीजन की ‘टारगेट होस्ट टिश्यू’ में पहुँचाने के लिये एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • हालाँकि एडेनोवायरस वैक्सीन में कमियाँ हैं, जैसे कि मानव में पहले से मौजूद प्रतिरक्षा, उत्तेजक प्रतिक्रियाएँ आदि।
    • जिस तरह मानव शरीर ज़्यादातर वास्तविक वायरल संक्रमणों के लिये प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करता है, वह एडेनोवायरल वैक्टर के लिये प्रतिरक्षा भी विकसित करता है। 

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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