प्रारंभिक परीक्षा
अलकनंदा आकाशगंगा
चर्चा में क्यों?
पुणे स्थित राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र - टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (NCRA–TIFR) के शोधकर्त्ताओं ने एक सुव्यवस्थित सर्पिल आकाशगंगा की खोज की है, जिसका नाम अलकनंदा रखा गया है। यह आकाशगंगा बिग बैंग (Big Bang) के केवल 1.5 अरब वर्ष बाद की है।
- नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) से प्राप्त इस खोज ने वर्तमान सिद्धांतों को चुनौती दी है, जिनके अनुसार ब्रह्मांड के इतिहास के प्रारंभिक चरण में अच्छी तरह से संरचित आकाशगंगाओं का निर्माण संभव नहीं माना जाता था।
अलकनंदा आकाशगंगा के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- अलकनंदा: अलकनंदा लगभग 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और एक पाठ्यपुस्तकीय सर्पिल संरचना दर्शाती है । इसका निर्माण तब हुआ था जब ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु का केवल 10%, यानी लगभग 1.5 अरब वर्ष पुराना था ।
- अलकनंदा पृथ्वी से लगभग 12 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और एक आदर्श सर्पिल संरचना प्रदर्शित करती है। इसका निर्माण उस समय हुआ था जब ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु का केवल 10% यानी लगभग 1.5 अरब वर्ष पुराना था।
- इसमें दो स्पष्ट सर्पिल भुजाएँ (spiral arms) और एक चमकीला केंद्रीय उभार (bright central bulge) है, जो आश्चर्यजनक रूप से आकाशगंगा (Milky Way) के समान दिखता है।
- इसका नाम हिमालयी नदी अलकनंदा के नाम पर रखा गया है, जिसे मंदाकिनी नदी की बहन (Sister river of Mandakini) माना जाता है (मंदकानी भी आकाशगंगा का हिंदी नाम है)।
- यह नाम आकाशगंगा की एक दूरस्थ बहन (Sister of the Milky Way) के साथ इसकी समानता को दर्शाता है।
- महत्त्व: प्रारंभिक आकाशगंगाओं के अव्यवस्थित, गुच्छेदार, गर्म और अस्थिर होने की उम्मीद थी, लेकिन अलकनंदा एक परिपक्व और सुव्यवस्थित सर्पिल प्रणाली के रूप में सामने आई।
- इसकी संरचना इस बात के बढ़ते प्रमाण को सुदृढ़ करती है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड पहले की धारणा से कहीं अधिक विकसित था।
- आकाशगंगा की अप्रत्याशित परिपक्वता से पता चलता है कि जटिल आकाशगंगा संरचनाएँ वर्तमान मॉडलों के पूर्वानुमान से बहुत पहले ही आकार लेने लगी थीं।
आकाशगंगा के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- आकाशगंगाएँ विशाल प्रणालियाँ हैं जो तारों, ग्रहों और गैस व धूल के विशाल बादलों से बनी हैं तथा सभी गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा एक साथ जुड़ी होती हैं।
- यह विभिन्न आकार की होती हैं- कुछ हज़ार तारों वाली छोटी आकाशगंगाओं से लेकर खरबों तारों वाली विशालकाय आकाशगंगाओं तक, जिनका विस्तार दस लाख प्रकाश वर्ष से भी अधिक है।
- अधिकांश बड़ी आकाशगंगाओं के केंद्र में अतिविशाल ब्लैक होल होते हैं, जिनमें से कुछ का भार सूर्य के द्रव्यमान से अरबों गुना अधिक होता है।
- आकाशगंगाओं को आमतौर पर उनकी संरचना और स्वरूप के आधार पर सर्पिल, अंडाकार या अनियमित के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- ब्रह्मांडीय जाल में आकाशगंगाएँ: आकाशगंगाएँ आमतौर पर 100 तक के समूहों में संगठित होती हैं, जबकि बड़े समूहों में हज़ारों आकाशगंगाएँ शामिल हो सकती हैं।
- ये समूह आपस में मिलकर सुपरक्लस्टर का निर्माण करते हैं, जो आकाशगंगाओं, रिक्त स्थानों और विशाल संरचनाओं से मिलकर एक विशाल ब्रह्मांडीय जाल का रूप धारण करते हैं।
- आकाशगंगा विकास में प्रमुख प्रक्रियाएँ:
- सर्पिल संरचनाएँ और पट्टियाँ: कई परिपक्व सर्पिल आकाशगंगाएँ तारकीय पट्टियाँ विकसित करती हैं, जो तारों की अस्थायी सघन पट्टियाँ होती हैं जो सर्पिल भुजाओं से जुड़ती हैं तथा तारा निर्माण को प्रभावित करती हैं।
- टकराव: जब आकाशगंगाएँ टकराती हैं तो गैस के बादल संकुचित होते हैं, जिससे नए तारों का निर्माण होता है तथा प्रत्येक आकाशगंगा गुरुत्वाकर्षण बलों के प्रभाव में विकृत हो जाती है।
- संघटित होना: टकराई हुई आकाशगंगाएँ एक बड़ी प्रणाली में सम्मिलित हो सकती हैं, जिससे उनकी संरचना अक्सर बदल जाती है, कभी-कभी वलयाकार आकाशगंगाओं का निर्माण होता है और केंद्रीय ब्लैक होल को नई ऊर्जा प्राप्त होती है।
- गैलेक्टिक कैनिबलिज़्म: बड़ी आकाशगंगाएँ धीरे-धीरे छोटी आकाशगंगाओं को अवशोषित कर सकती हैं, इस प्रक्रिया में वे छोटी आकाशगंगाओं की गैस (Gas), धूल (Dust) और तारों (Stars) को उनसे अलग (Strip) कर देती हैं।
- मिल्की वे आकाशगंगा: मिल्की वे एक सर्पिल आकाशगंगा है जिसका व्यास 1,00,000 प्रकाश वर्ष से भी अधिक है। पृथ्वी इसकी एक सर्पिल भुजा पर, केंद्र से लगभग आधी दूरी पर स्थित है।
- मिल्की वे स्थानीय समूह का हिस्सा है, जिसमें 50 से अधिक आकाशगंगाएँ शामिल हैं, जिनमें कई बौनी आकाशगंगाएँ और बड़ी एंड्रोमेडा आकाशगंगा भी शामिल हैं।
- यह समूह कन्या तारामंडल के निकट स्थित है और विशाल लानियाके सुपरक्लस्टर का हिस्सा बनाता है, जो ब्रह्मांडीय जाल की एक प्रमुख संरचना है।
- मिल्की वे स्थानीय समूह का हिस्सा है, जिसमें 50 से अधिक आकाशगंगाएँ शामिल हैं, जिनमें कई बौनी आकाशगंगाएँ और बड़ी एंड्रोमेडा आकाशगंगा भी शामिल हैं।
- हमारे सौरमंडल को आकाशगंगा की एक परिक्रमा करने में लगभग 240 मिलियन वर्ष लगते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. गैलेक्सी किससे बनी हैं?
आकाशगंगाएँ तारों, ग्रहों, गैस, धूल और डार्क मैटर से बनी होती हैं, जिन्हें गुरुत्वाकर्षण एक साथ बाँधकर रखता है।
2. अलकनंदा क्या है?
अलकनंदा एक सुविकसित सर्पिल आकाशगंगा है, जिसे NCRA–TIFR के शोधकर्त्ताओं ने JWST डेटा का उपयोग करके खोजा है, यह उस समय अस्तित्व में थी जब ब्रह्मांड की आयु लगभग 1.5 अरब वर्ष थी और यह लगभग 12 अरब प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है।
3. मिल्की वे कॉस्मिक वेब में कहाँ स्थित है?
मिल्की वे स्थानीय समूह का हिस्सा है, वर्जिन क्लस्टर के पास स्थित है और लानियाके सुपरक्लस्टर के भीतर है।
सारांश
- पुणे स्थित NCRA–TIFR के शोधकर्त्ताओं ने JWST के डेटा का उपयोग करके अलकनंदा नामक एक सुविकसित सर्पिल आकाशगंगा की खोज की है, जो उस समय अस्तित्व में थी जब ब्रह्मांड की आयु केवल 1.5 अरब वर्ष थी।
- यह आकाशगंगा 12 अरब प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है और इसकी संरचना आकाशगंगा (Milky Way) जैसी दिखाई देती है, जो इस धारणा को चुनौती देती है कि आरंभिक आकाशगंगाएँ अस्त-व्यस्त और असंरचित थीं।
- इसकी परिपक्व सर्पिल भुजाएँ दर्शाती हैं कि जटिल आकाशगंगा संरचनाएँ मौजूदा मॉडलों के अनुमान से कहीं पहले विकसित हो चुकी थीं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स:
प्रश्न. निम्नलिखित परिघटनाओं पर विचार कीजिये:(2018)
- प्रकाश, गुरुत्व द्वारा प्रभावित होता है।
- ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है।
- पदार्थ अपने चारों ओर के दिक्काल को विकुंचित (वार्प) करता है।
उपर्युक्त में से एल्बर्ट आइंस्टीन के आपेक्षिकता के सामान्य सिद्धांत का/के भविष्य कथन कौन सा/से है/हैं, जिसकी/जिनकी प्रायः समाचार माध्यमों में विवेचना होती है?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
प्रश्न: निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2013)
- संध्या के समय सूर्य का आकार
- भोर के समय सूर्य का रंग
- भोर के चंद्रमा का दिखाई देना
- आकाश में तारों का टिमटिमाना
- आकाश में ध्रुवतारा दिखाई देना
उपर्युक्त में से क्या दृष्टिभ्रम हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 3, 4 और 5
(c) 1, 2 और 4
(d) 2, 3 और 5
उत्तर: (c)
रैपिड फायर
संचार साथी ऐप
दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा सभी नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप पूर्व-स्थापित करने का निर्देश जारी किये जाने ने उपयोगकर्त्ता की सहमति, गोपनीयता और संवैधानिक वैधता को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न कर दी है।
- संचार साथी ऐप: जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया, यह एक नागरिक-केंद्रित प्लेटफॉर्म है जिसे दूरसंचार विभाग द्वारा मोबाइल सुरक्षा को मज़बूत करने और उपयोगकर्त्ताओं को बढ़ती साइबर धोखाधड़ी से बचाने में मदद करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- मुख्य विशेषताएँ: यह उपयोगकर्त्ताओं को IMEI सेवाओं के माध्यम से खोए या चोरी हुए फोन को ट्रैक करने, ब्लॉक करने और ट्रेस करने की सुविधा प्रदान करता है और साथ ही उनके नाम पर सभी मोबाइल कनेक्शनों को सत्यापित करने, किसी भी संदिग्ध या जाली KYC प्रविष्टियों की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करता है।
- चक्षु (Chakshu) फीचर धोखाधड़ी वाले कॉल, SMS, व्हाट्सएप संदेश और डिजिटल अरेस्ट स्कैम की रिपोर्टिंग की सुविधा प्रदान करता है।
- यह मोबाइल हैंडसेट की प्रामाणिकता की पुष्टि करता है, जिससे बाज़ार में नकली उपकरणों की रोकथाम में मदद मिलती है।
- इस ऐप के माध्यम से +91 नंबर के रूप में प्रदर्शित अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल की भी रिपोर्ट की जा सकती है।
- प्रभाव: लॉन्च के बाद से ऐप द्वारा 42 लाख से अधिक चोरी/खोए हुए डिवाइसों को ब्लॉक तथा 26 लाख फोनों का पता लगाया गया है, जिनमें से 7.23 लाख फोन लौटाए जा चुके हैं।
- गोपनीयता और उपयोगकर्त्ता नियंत्रण: यह ऐप स्वैच्छिक है, जो केवल उपयोगकर्त्ता की सहमति से कार्य करती है तथा किसी भी समय इसे सक्रिय या हटाया जा सकता है।
- यह रिपोर्टिंग और सत्यापन में नागरिकों को शामिल करके जनभागीदारी को बढ़ावा देता है तथा IT अधिनियम 2000 एवं डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 का पालन करती है तथा न्यूनतम डेटा (minimal data) एकत्र करती है और केवल कानूनी रूप से आवश्यक होने पर ही इसे साझा करती है।
- चुनौतियाँ: पूर्व-स्थापना के निर्देश का मूल्यांकन के.एस. पुट्टस्वामी (2017) के फैसले के संदर्भ में किया जा रहा है, जिसमें गोपनीयता के अधिकार की पुष्टि की गई थी और किसी भी सरकारी कार्रवाई के लिये तीन-स्तरीय परीक्षण (वैधता, आवश्यकता और अनुपातिता,) निर्धारित किया गया था।
- विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि पूर्व-स्थापित ऐप आमतौर पर हटाए नहीं जाते क्योंकि उपयोगकर्त्ता उन्हें कम ही हटाते हैं, जिससे निष्क्रिय निगरानी और फंक्शन क्रीप का खतरा बढ़ जाता है। इनके डिफॉल्ट रूप से मौज़ूद रहने से सूचित सहमति (informed consent) की अवधारणा भी कमज़ोर होती है।
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और पढ़ें: डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म और चक्षु |
रैपिड फायर
अभ्यास एकुवेरिन
भारतीय सेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास एकुवेरिन का 14वाँ संस्करण केरल के तिरुवनंतपुरम में शुरू हुआ।
- धिवेही में ‘एकुवेरिन’ का अर्थ ‘मित्र’ होता है, जो दोनों देशों (भारत और मालदीव) के बीच मित्रता, आपसी विश्वास तथा सैन्य सहयोग के गहरे बंधनों को दर्शाता है।
- वर्ष 2009 से भारत और मालदीव में बारी-बारी से आयोजित ‘एकुवेरिन’ अभ्यास भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति के अनुरूप है और क्षेत्रीय साझेदारियों को मज़बूत करता है।
- यह अभ्यास दोनों देशों की भारतीय महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को भी मज़बूत करता है।
- यह अभ्यास वन, अर्द्ध-शहरी और तटीय क्षेत्रों में आतंकवाद-विरोधी (Counter-Terrorism) और सशस्त्र विद्रोह-विरोधी (Counter-Insurgency) ऑपरेशनों में दोनों सेनाओं की सहक्रियाशीलता (Interoperability) को बढ़ाता है।
भारत-मालदीव रक्षा संबंध
- ‘एकुवेरिन’ और ‘एकथा’ जैसे प्रमुख द्विपक्षीय अभ्यासों के साथ ही ‘दोस्ती’ जैसे त्रिपक्षीय अभ्यास (भारत, श्रीलंका तथा मालदीव सहित) संचालन क्षमता और सहक्रियाशीलता बढ़ाने के लिये आयोजित किये जाते हैं।
- भारत, मालदीव का प्रमुख रक्षा साझेदार और संकट की स्थिति में पहला प्रतिक्रिया दाता है, जैसा कि ऑपरेशन कैक्टस (1988) और 2004 की सुनामी के बाद की सहायता में देखा गया। भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति और SAGAR विज़न इस सहयोग का मार्गदर्शन करते हैं।
- वर्ष 2016 में रक्षा सचिव स्तर पर शुरू किया गया वार्षिक रक्षा सहयोग संवाद (DCD) भारत–मालदीव रक्षा सहयोग की समीक्षा और मार्गदर्शन के लिये मुख्य मंच के रूप में कार्य करता है।
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रैपिड फायर
भारत IMO परिषद में पुनः निर्वाचित
भारत को वर्ष 2026–27 अवधि के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) परिषद की श्रेणी B (वे देश जिनका समुद्री व्यापार में प्रमुख हित है) में पुनः निर्वाचित किया गया है। भारत को 169 वैध मतों में से 154 मत प्राप्त हुए।
- IMO परिषद (जो श्रेणी A, B और C के कुल 40 सदस्यों से मिलकर बनी है) महासभा के सत्रों के बीच कार्यकारी निकाय के रूप में कार्य करती है और वैश्विक समुद्री नीतियों को आकार देती है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)
- परिचय: IMO संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी है, जिसे वैश्विक नौवहन (शिपिंग) को विनियमित करने के लिये स्थापित किया गया है। यह शिपिंग उद्योग के लिये वैश्विक मानक निर्धारित करने वाला प्राधिकरण है, जो एक निष्पक्ष, प्रभावी और सार्वभौमिक रूप से अपनाए जाने योग्य विनियामक ढाँचा तैयार करता है।
- उत्पत्ति और सदस्यता: IMO की स्थापना वर्ष 1948 में इंटर-गवर्नमेंटल मेरीटाइम कंसल्टेटिव ऑर्गनाइज़ेशन (IMCO) के रूप में हुई थी (जिसका नाम वर्ष 1982 में बदलकर IMO किया गया)। वर्तमान में इसके 176 सदस्य देश और 3 सहयोगी सदस्य हैं। भारत वर्ष 1959 से इसका सदस्य है।
- प्रमुख जनादेश: इसका मुख्य दायित्व अंतर्राष्ट्रीय नौवहन की सुरक्षा और संरक्षा को बेहतर बनाना तथा जहाज़ों से होने वाले समुद्री तथा वायुमंडलीय प्रदूषण को रोकना है।
- एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि IMO स्वयं अपनी नीतियों को लागू नहीं करता तथा इनके क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी इसके सदस्य राष्ट्रों पर होती है।
- IMO से संबंधित प्रमुख कन्वेंशन और रणनीतियाँ:
- जहाज़ों से प्रदूषण की रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (MARPOL, 1973): जहाज़ों से होने वाले प्रदूषण (तेल, अपशिष्ट, वायु प्रदूषण) को कम करने हेतु।
- समुद्र में जीवन की सुरक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (SOLAS, 1974): जहाज़ों के लिये न्यूनतम सुरक्षा मानक स्थापित करता है। उदाहरण के लिये, अग्नि सुरक्षा।
- नाविकों के लिये प्रशिक्षण, प्रमाणन और निगरानी के मानकों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (STCW, 1978) : नाविक प्रशिक्षण और प्रमाणन के लिये मानदंड निर्धारित करता है ।
- जहाज़ों से GHG उत्सर्जन में कमी पर वर्ष 2023 की IMO रणनीति: वर्ष 2050 तक नेट-ज़ीरो GHG उत्सर्जन प्राप्त करना।
- हॉन्गकॉन्ग अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन, 2009: सतत जहाज़ पुनर्चक्रण (शिप रीसाइक्लिंग) के लिये।
- ब्लास्ट वाटर मैनेजमेंट कन्वेंशन (2004): आक्रामक जलीय प्रजातियों के प्रसार को रोकने हेतु।
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रैपिड फायर
नागरिकता जाँच पर निर्वाचन आयोग
भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनावी मतदाता सूची पंजीकरण (विशेष गहन पुनरीक्षण- SIR) के मामलों में अपनी अधिकारिता स्पष्ट की, विशेष रूप से विपक्ष के उन दावों का खंडन किया कि केवल केंद्र सरकार के पास नागरिकता की जाँच का विशेष अधिकार है।
ECI की भूमिका के संबंध में मुख्य कानूनी प्रावधान और विवाद
- नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9: केवल उन मामलों में केंद्र को नागरिकता समाप्त करने का अधिकार देती है, जब भारतीय नागरिक स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता प्राप्त करते हैं।
- ECI का स्पष्टीकरण: यह शक्ति सीमित है और यह अन्य प्राधिकरणों, जिनमें ECI भी शामिल है, को मतदाता पंजीकरण जैसे उद्देश्यों के लिये नागरिकता की जाँच करने से रोकती नहीं है।
- निर्वाचन आयोग की भूमिका के लिये संवैधानिक और वैधानिक आधार:
- अनुच्छेद 324: निर्वाचन आयोग (ECI) को चुनावों पर पर्यवेक्षण करने का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 326: मतदान के लिये भारतीय नागरिकता को संवैधानिक आवश्यकता बनाता है।
- अनुच्छेद 327: संसद को चुनावों पर कानून बनाने की अनुमति देता है, जिससे भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) संवैधानिक अधिकारों के अनुरूप होना चाहिये।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1950:
- धारा 16: गैर-नागरिक मतदाता सूची के अयोग्य हैं।
- धारा 19: मतदाता को अपने निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य रूप से निवास करना आवश्यक है।
- धारा 21(3): आवश्यक होने पर ECI विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) आयोजित करने का अधिकार देती है।
- ECI की अधिकार सीमा: ECI की भूमिका मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के उद्देश्य से नागरिकता की जाँच तक सीमित है, जैसा कि जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1950 की धारा 16 और 19 में निर्दिष्ट है।
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)
- जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1950 (RPA) की धारा 21(3) भारत निर्वाचन आयोग को निर्वाचन नामावली तैयार करने और संशोधित करने का अधिकार देती है, जिसमें दर्ज कारणों के साथ किसी भी समय संशोधन करना भी शामिल है।
- यह निर्वाचन नामावली की शुद्धता सुनिश्चित करता है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिये आवश्यक है। SIR नागरिकता निर्धारित नहीं करता, बल्कि केवल मतदाता पंजीकरण की पात्रता की जाँच करता है।
- विवाद: कई राज्यों में विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि निर्वाचन नामावली का SIR एक गुप्त नागरिकता परीक्षण है।
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