रैपिड फायर
नागरिकता जाँच पर निर्वाचन आयोग
- 03 Dec 2025
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भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) ने चुनावी मतदाता सूची पंजीकरण (विशेष गहन पुनरीक्षण- SIR) के मामलों में अपनी अधिकारिता स्पष्ट की, विशेष रूप से विपक्ष के उन दावों का खंडन किया कि केवल केंद्र सरकार के पास नागरिकता की जाँच का विशेष अधिकार है।
ECI की भूमिका के संबंध में मुख्य कानूनी प्रावधान और विवाद
- नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9: केवल उन मामलों में केंद्र को नागरिकता समाप्त करने का अधिकार देती है, जब भारतीय नागरिक स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता प्राप्त करते हैं।
- ECI का स्पष्टीकरण: यह शक्ति सीमित है और यह अन्य प्राधिकरणों, जिनमें ECI भी शामिल है, को मतदाता पंजीकरण जैसे उद्देश्यों के लिये नागरिकता की जाँच करने से रोकती नहीं है।
- निर्वाचन आयोग की भूमिका के लिये संवैधानिक और वैधानिक आधार:
- अनुच्छेद 324: निर्वाचन आयोग (ECI) को चुनावों पर पर्यवेक्षण करने का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 326: मतदान के लिये भारतीय नागरिकता को संवैधानिक आवश्यकता बनाता है।
- अनुच्छेद 327: संसद को चुनावों पर कानून बनाने की अनुमति देता है, जिससे भारत का निर्वाचन आयोग (ECI) संवैधानिक अधिकारों के अनुरूप होना चाहिये।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1950:
- धारा 16: गैर-नागरिक मतदाता सूची के अयोग्य हैं।
- धारा 19: मतदाता को अपने निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य रूप से निवास करना आवश्यक है।
- धारा 21(3): आवश्यक होने पर ECI विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) आयोजित करने का अधिकार देती है।
- ECI की अधिकार सीमा: ECI की भूमिका मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के उद्देश्य से नागरिकता की जाँच तक सीमित है, जैसा कि जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1950 की धारा 16 और 19 में निर्दिष्ट है।
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)
- जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1950 (RPA) की धारा 21(3) भारत निर्वाचन आयोग को निर्वाचन नामावली तैयार करने और संशोधित करने का अधिकार देती है, जिसमें दर्ज कारणों के साथ किसी भी समय संशोधन करना भी शामिल है।
- यह निर्वाचन नामावली की शुद्धता सुनिश्चित करता है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिये आवश्यक है। SIR नागरिकता निर्धारित नहीं करता, बल्कि केवल मतदाता पंजीकरण की पात्रता की जाँच करता है।
- विवाद: कई राज्यों में विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि निर्वाचन नामावली का SIR एक गुप्त नागरिकता परीक्षण है।
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