प्रारंभिक परीक्षा
ब्लैक होल मर्जर
- 18 Jul 2025
- 6 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
एक अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक टीम ने अब तक का सबसे विशाल ब्लैक होल मर्जर का पता लगाया है। इस घटना को GW231123 नाम दिया गया है, जिसे लाइगो-विर्गो-काग्रा (LIGO-Virgo-KAGRA) सहयोग ने देखा, जो मिलकर गुरुत्वीय तरंग नेटवर्क का निर्माण करते हैं।
ब्लैक होल मर्जर क्या है?
- परिचय: ब्लैक होल मर्जर उस समय होता है जब दो ब्लैक होल एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं और गुरुत्वीय तरंगें (स्पेस-टाइम में उत्पन्न लहरें, जो ब्रह्मांड की कुछ सबसे उग्र और ऊर्जावान घटनाओं से उत्पन्न होती हैं) उत्सर्जित करते हुए धीरे-धीरे एक-दूसरे के करीब आते हैं।
- जब ये ब्लैक होल एक-दूसरे के बहुत पास आ जाते हैं, तो वे टकराकर एक बड़े, एकल ब्लैक होल में मर्ज/विलीन हो जाते हैं।
- इन गुरुत्वीय तरंगों का पता पृथ्वी पर LVK नेटवर्क (LIGO-Virgo-KAGRA) जैसे गुरुत्वीय तरंग वेधशालाओं द्वारा लगाया जाता है।
- GW231123 की महत्ता: इस घटना में दो ब्लैक होल शामिल थे, जिनका द्रव्यमान क्रमशः सूर्य के लगभग 100 और 140 गुना था। इनके टकराने से एक विशाल ब्लैक होल बना, जिसका द्रव्यमान सूर्य के लगभग 225 गुना था।
- GW231123 से उत्पन्न गुरुत्वीय तरंगें वास्तव में अरबों वर्ष पहले उत्पन्न हुई थीं, लेकिन ये पृथ्वी तक वर्ष 2025 में पहुँचीं।
- यह ब्लैक होल मर्जर सामान्य रूप से पाए जाने वाले तारे जनित ब्लैक होलों से भिन्न है, जिनका द्रव्यमान सामान्यतः 60 सौर द्रव्यमान से कम होता है। GW231123 न केवल कहीं अधिक विशाल है, बल्कि इसकी घूर्णन गति भी असाधारण रूप से तेज़ है, जो इसे एक अत्यंत रहस्यमय और आकर्षक खोज बनाती है।
- निहितार्थ: इतने बड़े ब्लैक होल सामान्यतः विशाल तारों के विघटन से बने हुए माने जाते हैं। लेकिन यह घटना इस ओर संकेत करती है कि कुछ विशाल ब्लैक होल संभवतः छोटे ब्लैक होलों के आपसी विलय से भी बन सकते हैं।
गुरुत्वाकर्षण तरंग नेटवर्क
- गुरुत्वाकर्षण तरंग नेटवर्क (Gravitational Wave Network), जिसे अक्सर LVK सहयोग के रूप में संदर्भित किया जाता है, वेधशालाओं का एक वैश्विक गठबंधन है जो गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने के लिये एक साथ कार्य करते हैं।
- लाइगो-विर्गो-काग्रा:
- LIGO (लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्ज़र्वेटरी): वर्ष 2015 में गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पहली बार पता लगाने वाला LIGO है, जिसके दो डिटेक्टर अमेरिका में स्थित हैं।
- उस ऐतिहासिक गुरुत्वाकर्षण तरंग की खोज ने आइंस्टीन के पूर्वानुमान की पुष्टि की (जिसमें उन्होंने वर्ष 1916 में अपने सामान्य सापेक्षता सिद्धांत में इनकी मौजूदगी का पूर्वानुमान लगाया था) और इसके लिये वर्ष 2017 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- विर्गो (Virgo): इटली में स्थित यह डिटेक्टर नेटवर्क में शामिल हुआ ताकि खोज की सटीकता बढ़ाई जा सके और घटनाओं के स्थान का निर्धारण बेहतर ढंग से किया जा सके।
- काग्रा (KAGRA - कामिओका ग्रैविटेशनल वेव डिटेक्टर): जापान में स्थित यह एक नया डिटेक्टर है, जो संवेदनशीलता और भौगोलिक विविधता को बढ़ाता है।
- LIGO (लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्ज़र्वेटरी): वर्ष 2015 में गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पहली बार पता लगाने वाला LIGO है, जिसके दो डिटेक्टर अमेरिका में स्थित हैं।
नोट: भारत, अमेरिका के सहयोग से LIGO का तीसरा डिटेक्टर बना रहा है, जिसे LIGO-India के नाम से जाना जाएगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश वर्ष दूर विशालकाय 'ब्लैक होलों' के विलय का प्रेक्षण किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्त्व है? (2019) (a) 'हिग्स बोसॉन कणों' का अभिज्ञान हुआ। उत्तर: (b) प्रश्न: 'विकसित लेज़र इंटरफेरोमीटर' अंतरिक्ष एंटीना (eLISA)' परियोजना का उद्देश्य क्या है? (2017) (a) न्यूट्रिनो का पता लगाने के लिये उत्तर: (b) |