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ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

रैपिड फायर

भारत के GDP आँकड़ों पर IMF ने व्यक्त की चिंता

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वर्ष 2025 के लिये भारत के राष्ट्रीय खातों और सरकारी वित्त आँकड़ों के लिये अपना 'C' ग्रेड बरकरार रखा है, जो लगातार कार्यप्रणाली संबंधी कमियों को दर्शाता है जो सटीक आर्थिक निगरानी में कुछ हद तक बाधा डालती हैं।

  • IMF 2025 मूल्यांकन: आईएमएफ का डेटा पर्याप्तता मूल्यांकन डेटा की गुणवत्ता को A (पर्याप्त) से D (गंभीर कमियाँ) तक रेट करता है । भारत का 'C' ग्रेड उन कमियों वाले डेटा को इंगित करता है जो "निगरानी को कुछ हद तक बाधित करते हैं"।
  • राष्ट्रीय लेखा (GDP) कमजोरियाँ:
    • पुराना आधार वर्ष: 2011-12 आधार वर्ष का उपयोग आधुनिक आर्थिक संरचना को गलत ढंग से प्रस्तुत करता है।
    • दोषपूर्ण अपस्फीति विधि: उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) और दोहरी अपस्फीति के स्थान पर थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और एकल अपस्फीति पर निर्भरता पूर्वाग्रह को जन्म देती है।
    • डेटा अंतराल: उत्पादन और व्यय-पक्ष GDP गणनाओं के बीच अस्पष्टीकृत विसंगतियाँ।
    • विस्तृत जानकारी का अभाव: समय पर, क्षेत्रवार निवेश डेटा और मौसमी रूप से समायोजित आँकड़ों का अभाव ।
  • IMF की सिफारिशें: जनसंख्या गणना को प्राथमिकता देकर, राज्य-स्तरीय प्रणालियों में सुधार करके और डिजिटल एवं उच्च आवृत्ति वाली डेटा पद्धतियों को अंगीकार कर डेटा गुणवत्ता बेहतर बनाया जा सकता है। 
    • GDP और CPI में नियमित रूप से संशोधन, सांख्यिकीय अंकेक्षण प्राधिकरण की स्थापना और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के लिये संसाधनों की उपलब्धता में वृद्धि कर पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित की जा सकती है। 
  • सरकार की सुधारात्मक कार्रवाई: भारत एक प्रमुख सांख्यिकीय सुधार कर रहा है , जिसके तहत फरवरी 2026 में एक नई GDP शृंखला (आधार वर्ष 2022-23) तथा CPI शृंखला (आधार वर्ष 2024) शुरू की जाएगी।

और पढ़ें: भारत के सकल घरेलू उत्पाद डेटा से संबंधित चिंताएँ


प्रारंभिक परीक्षा

विश्व एड्स दिवस 2025

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ‘बाधाओं पर काबू पाना, एड्स प्रतिक्रिया में परिवर्तन’ (Overcoming disruption, transforming the AIDS response) थीम के तहत विश्व एड्स दिवस 2025 का आयोजन किया और एड्स नियंत्रण में हुई राष्ट्रीय प्रगति को रेखांकित किया।

  • वर्ष 1998 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने HIV/एड्स के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया में नागरिक समाज की महत्त्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिये 1 दिसंबर को पहला विश्व एड्स दिवस मनाया।

ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV)/एड्स क्या है?

  • HIV एक ऐसा वायरस है जो शरीर की  प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुँचाता है। यह मुख्य रूप से CD4 कोशिकाओं (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका) को नष्ट कर देता है, जिससे शरीर कमज़ोर हो जाता है और व्यक्ति संक्रमणों एवं कैंसर की चपेट में आसानी से आ जाता है।
  • HIV का संचरण संक्रमित शारीरिक द्रवों (जैसे रक्त, वीर्य, स्तन का दूध, योनि स्राव) के सीधे संपर्क से होता है। यह मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंध, साझा सुइयों का उपयोग या बिना कीटाणु रहित टैटू बनवाने से फैल सकता है। यह आकस्मिक संपर्क (Casual Contact) से नहीं फैलता है।
  • लक्षण: शुरुआती लक्षणों में बुखार और चकत्ते शामिल हैं। बाद के चरणों में लिम्फ नोड्स में सूजन, वजन कम होना और दस्त शामिल हो सकते हैं। गंभीर HIV संक्रमण (जिसे एड्स-AIDS कहते हैं) व्यक्ति को अवसरवादी बीमारियों (Opportunistic diseases) और कैंसर के प्रति अतिसंवेदनशील बना देता है, जिसमे टीबी (Tuberculosis), मेनिन्जाइटिस (Meningitis - मस्तिष्क ज्वर), लिम्फोमा जैसे कैंसर शामिल हैं।
  • उपचार: HIV का इलाज संभव नहीं है, लेकिन प्रतिदिन एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) से वायरस को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया जा सकता है।
  • वैश्विक प्रतिक्रिया: संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य 3.3 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक HIV महामारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करना है।

भारत का राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) क्या है?

  • NACP: राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) HIV/एड्स की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन के लिये भारत की पहल है। 
  • इसका कार्यान्वयन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) द्वारा किया जाता है।
    • एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम है। यह वह उन्नत (Advanced) और अंतिम चरण है जब ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) का संक्रमण गंभीर हो जाता है।
  • NACP का विकास: वर्ष 1992 में शुरू किया गया NACP कई चरणों से गुजरा है, जिनमें से प्रत्येक का एक रणनीतिक फोकस है:
    • एनएसीपी I (1992-1999): एचआईवी के प्रसार को धीमा करने के लिये भारत का पहला व्यापक कार्यक्रम शुरू किया गया।
    • एनएसीपी II (1999-2006): संचरण को कम करने और राष्ट्रीय क्षमता को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया ।
    • एनएसीपी III (2007-2012): इसका उद्देश्य रोकथाम को बढ़ाकर और सेवाओं को एकीकृत करके महामारी को रोकना और उलटना था । 
  • राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) की शुरुआत वर्ष 1992 में हुई थी और यह कई चरणों से गुज़रा है, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष उद्देश्य रहा है:
    • NACP I (1992-1999): यह HIV के प्रसार को धीमा करने के लिये भारत का पहला व्यापक कार्यक्रम था।
    • NACP II (1999-2006): इस चरण में रोग के संचरण को कम करने और राष्ट्रीय क्षमता (जैसे स्वास्थ्य संरचना) को मज़बूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • NACP III (2007-2012): इसका मुख्य लक्ष्य रोकथाम को बढ़ाकर (Preventive Measures) और सेवाओं को एकीकृत करके महामारी को रोकना और इसके प्रभाव को कम करना था।
      • ज़िला एड्स रोकथाम एवं नियंत्रण इकाइयॉं (DAPCU) स्थापित की गईं।
    • NACP IV (वर्ष 2012-2017 और 2021 तक विस्तारित): तेज़ गति से बदलाव लाना और समन्वित (एक-साथ) स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।
      • इसका लक्ष्य नए संक्रमणों में 50% कमी लाना था (वर्ष 2007 की आधार रेखा की तुलना में) प्रमुख पहलों में शामिल थे:
      • HIV/एड्स (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017, भेदभाव पर रोक लगाता है।
      • HIV से पीड़ित लोगों (PLHIV) को पुनः जोड़ने के लिये मिशन संपर्क का उद्देश्य अनुवर्ती कार्रवाई में चूक करना है।
      • उद्देश्य: HIV से पीड़ित लोगों (PLHIV) को फिर से कार्यक्रम से जोड़ना है। यह उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करता है जो अनुवर्ती कार्रवाई (Follow-up) या उपचार लेने में चूक गए हैं।
      • 'टेस्ट एंड ट्रीट' नीति और सार्वभौमिक वायरल लोड निगरानी।
    • NACP V (2021-2026): 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय वाली एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना, जो वर्ष 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा मानकर उसे समाप्त करने के लिये SDG 3.3 के साथ संरेखित है।

  • NACP की उपलब्धियाँ: 
    • भारत में HIV का प्रसार वर्ष 2010 में 0.33% से घटकर 2024 में 0.20% हो गया, जो वैश्विक औसत 0.70% से काफी कम है, जो इस महामारी पर भारत के मज़बूत नियंत्रण को दर्शाता है।
    • भारत में नए HIV संक्रमणों की संख्या में 49% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। यह संख्या वर्ष 2010 में 1.25 लाख से घटकर 2024 में 64,500 हो गई है। यह गिरावट वैश्विक स्तर पर दर्ज की गई 40% की कमी से भी बेहतर है।
    • वर्ष 2024 में, वैश्विक स्तर पर नए HIV संक्रमणों में भारत का योगदान केवल 5% है (कुल 1.3 मिलियन)। यह आँकड़ा देश के सफल सरकारी कार्यक्रमों और ART उपचार की विस्तृत पहुँच को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
  • NACP-V के तहत, HIV परीक्षण 4.13 करोड़ (2020-21) से बढ़कर 6.62 करोड़ (2024-25) हो गया, एंटीरेट्रोवायरल उपचार पर लोगों की संख्या 14.94 लाख से बढ़कर 18.60 लाख हो गई।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. HIV क्या है और यह किस प्रकार फैलता है?
HIV प्रतिरक्षा प्रणाली, मुख्यतः CD4 कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है और संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थों—रक्त, वीर्य, ​​योनि द्रव या स्तन के दूध—के माध्यम से फैलता है। आकस्मिक संपर्क से वायरस नहीं फैलता।

2. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) चरण-V का प्राथमिक लक्ष्य क्या है?
NACP-V का लक्ष्य सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 3.3 के अनुरूप व्यापक रोकथाम, परीक्षण और उपचार के माध्यम से वर्ष 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा के रूप में समाप्त करना है।

3. NACP-V के अंतर्गत भारत की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
HIV परीक्षण की संख्या 4.13 करोड़ से बढ़कर 6.62 करोड़ हो गई है, ART कवरेज 14.94 लाख से बढ़कर 18.60 लाख हो गया तथा वायरल लोड परीक्षण लगभग दोगुना हो गया है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग टैटू गुदवाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है? (2013) 

  1. चिकनगुनिया 
  2. हेपेटाइटिस बी     
  3. HIV-एड्स 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2019)

(a) यकृतशोथ B विषाणु काफी कुछ HIV की तरह ही संचरित होता है।

(b) यकृतशोथ C का टीका होता है, जबकि यकृतशोथ B का कोई टीका नहीं होता है।

(c) सार्वभौम रूप से यकृतशोथ B और C विषाणुओं से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या HIV से संक्रमित लोगों की संख्या से कई गुना अधिक है।

(d) यकृतशोथ B और C विषाणुओं से संक्रमित कुछ व्यक्तियों में अनेक वर्षों तक इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।

उत्तर: (b)


प्रश्न. मानव प्रतिरक्षा-हीनता विषाणु (हयूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) के संचरण के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही नहीं है? (2010)

(a) स्त्री से पुरुष में संचरण की संभावना पुरुष से स्त्री में संचरण की तुलना में दुगुनी होती है।

(b) यदि व्यक्ति किसी अन्य यौन-संचारित रोग से भी पीड़ित है तो संचरण की संभावना बढ़ जाती है।

(c) संक्रमण-पीड़ित माँ अपने शिशु को गर्भावस्था के दौरान, प्रसूति के समय तथा स्तनपान से संक्रमण संचारित कर सकती है।

(d) दूषित सुई लगने की तुलना में संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने पर संक्रमण का जोखिम कहीं अधिक होता है।

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)

  1. हैपेटाइटिस B,  HIV/एड्स की तुलना में कई गुना अधिक संक्रामक है।  
  2. हैपेटाइटिस B यकृत कैंसर उत्पन्न कर सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


प्रारंभिक परीक्षा

असम में अनुसूचित जनजातियों का त्रि-स्तरीय वर्गीकरण

स्रोत: ईटी

चर्चा में क्यों? 

असम में छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिये एक नए त्रि-स्तरीय अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्गीकरण का प्रस्ताव रखे जाने के बाद से अशांति का माहौल है। हालाँकि इस कदम से आवेदक समूह संतुष्ट हैं, लेकिन मौज़ूदा आदिवासियों ने इसका कड़ा विरोध किया है जिसके साथ ही राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।

असम के मंत्री समूह ने अनुसूचित जनजाति वर्गीकरण पर क्या सिफारिश की?

  • मंत्री समूह ने तीन स्तरीय ST संरचना का प्रस्ताव रखा:
    • अनुसूचित जनजाति (मैदानी क्षेत्र) : मैदानी क्षेत्रों में विद्यमान जनजातीय समुदायों के लिये जारी है।
    • अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी): मौजूदा पहाड़ी जनजातियों के लिये अपरिवर्तित रहेगा।
    • अनुसूचित जनजाति (घाटी): ST का दर्जा मांगने वाले छह समुदायों के लिये नई सुझाई गई श्रेणी: अहोम, चुटिया, मोरन, मटक, कोच-राजबोंगशी और चाय जनजाति/आदिवासी।
    • मंत्री समूह ने कहा कि इस ढाँचे से राज्य को अनुसूचित जनजाति (मैदानी) और अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) के मौजूदा अधिकारों को कम किये बिना आरक्षण को पुनर्गठित करने की सुविधा मिलेगी।
      • राज्य में रोज़गार और शिक्षा के लिये अलग-अलग कोटा लागू होगा, लेकिन केंद्रीय सेवाओं के लिये सभी समूह एक ही अनुसूचित जनजाति सूची साझा करेंगे।
    • ध्यान दें कि त्रिस्तरीय वर्गीकरण के वैधानिक अनुमोदन के लिये संसद को विशेष कानून पारित करना होगा।

भारत में अनुसूचित जनजातियों को कैसे अधिसूचित किया जाता है?

  • अनुच्छेद 366 (25): ‘अनुसूचित जनजाति’ से तात्पर्य उन जनजातियों या जनजातीय समूहों से है जिन्हें अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजातियों के रूप में मान्यता दी गई है।
  • अनुच्छेद 342: अनुच्छेद 342 यह निर्धारित करता है कि राष्ट्रपति, संबंधित राज्यपाल से परामर्श करके यह घोषित करते हैं कि किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में कौन-कौन सी जनजातियाँ ST (अनुसूचित जनजाति) मानी जाऍंगी।
  • एक बार अनुसूचित जनजाति (ST) सूची अधिसूचित हो जाने के बाद, इसमें किसी को शामिल करना या हटाना केवल संसद द्वारा कानून बनाकर ही किया जा सकता है, कार्यकारी अधिसूचना (Executive Notification) के माध्यम से नहीं।
  • अनुसूचित जनजाति वर्गीकरण: संविधान में ‘अनुसूचित जनजाति’ शब्द का उल्लेख है, लेकिन इसमें उनकी पहचान के लिये कोई मानदंड निर्धारित नहीं किया गया है। 
    • सरकार ने वर्ष 1956 में लोकुर समिति का गठन किया, जिसने जनजाति को आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, व्यापक समुदाय के साथ सीमित संपर्क तथा सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन जैसे मानदंडों के आधार पर परिभाषित किया।
  • स्वतंत्रता से पहले, वर्ष 1931 की जनगणना में ऐसे समूहों को बहिष्कृत या आंशिक रूप से बहिष्कृत क्षेत्रों में रहने वाली ‘पिछड़ी जनजातियों’ के रूप में वर्णित किया गया था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह (2024) मामले में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को उप-वर्गीकृत (Sub-Classify) करने की वैधता को बरकरार रखा है।
  • न्यायालय ने राज्यों को यह अनुमति दी है कि वे आरक्षण के लाभों का उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिये उप-समूह (Sub-groups) बना सकते हैं।
  • सेवाओं/पदों में आरक्षण:
    • अनुच्छेद 16(4): राज्य सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व वाले पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण की अनुमति प्रदान करता है।
    • अनुच्छेद 46: अनुच्छेद 46 के अनुसार, राज्य (सरकार) का यह कर्त्तव्य है कि वह कमज़ोर वर्गों (विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों) के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा दे।
    • अनुच्छेद 335 के अनुसार, संघ (केंद्र) या राज्य की सेवाओं में नियुक्तियाँ करते समय प्रशासनिक दक्षता (Administrative Efficiency) को बनाए रखते हुए, अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के दावों पर विचार किया जाना चाहिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. संविधान के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों को कौन अधिसूचित करता है?
राष्ट्रपति राज्यपाल से परामर्श के बाद प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के लिये अनुसूचित जनजातियों को अधिसूचित करता है (अनुच्छेद 342), इसमें वृद्धि/हटाना केवल संसद द्वारा कानून के माध्यम से ही किया जा सकता है।

2. क्या संविधान में अनुसूचित जनजातियों की पहचान के लिये मानदंड निर्धारित किये गए हैं?
नहीं - संविधान में अनुसूचित जनजातियों का नाम तो दिया गया है, लेकिन मानदंड परिभाषित नहीं किये गए हैं; लोकुर समिति (1956) ने आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव और पिछड़ेपन जैसे मानदंडों की सिफारिश की थी।

3. क्या राज्य आरक्षण के लिये अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को उप-वर्गीकृत कर सकते हैं?
पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह (2024) के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उप-वर्गीकरण को बरकरार रखा और राज्यों को कानून और संवैधानिक सीमाओं के अधीन, समान लाभ वितरण सुनिश्चित करने के लिये उप-समूह बनाने की अनुमति दी।

सारांश

  • असम के मंत्री समूह ने त्रि-स्तरीय अनुसूचित जनजाति संरचना का प्रस्ताव दिया है - अनुसूचित जनजाति (मैदानी), अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) और एक नई अनुसूचित जनजाति (घाटी) - जिसमें छह अतिरिक्त समुदायों को शामिल किया जाएगा।
    • प्रस्ताव का उद्देश्य मौज़ूदा ST कोटा को बरकरार रखते हुए राज्य स्तरीय आरक्षण को पुनर्गठित करना है।
  • अनुच्छेद 342 और 366(25) में यह बताया गया है कि अनुसूचित जनजातियों को किस प्रकार अधिसूचित किया जाता है: राष्ट्रपति राज्यपाल से परामर्श के बाद उन्हें निर्दिष्ट करते हैं और केवल संसद ही बाद में समूहों को जोड़ या हटा सकती है।
  • अनुच्छेद 15(4), 16(4), 46 और 335 मिलकर प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करते हुए अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षण, कल्याणकारी उपायों और संरक्षण को सशक्त बनाते हैं।
  • संविधान में अनुसूचित जनजातियों की पहचान के लिये कोई मानदंड निर्धारित नहीं है। लोकुर समिति (1956) ने आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, संपर्क में संकोच और पिछड़ापन जैसे मानदंड प्रस्तावित किये थे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न 1. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये:  (2013)

जनजाति

राज्य

1. लिम्बू

सिक्किम

2. कार्बी

हिमाचल प्रदेश

3. डोंगरिया कोंध

ओडिशा

4. बोंडा

तमिलनाडु

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. PVTG 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में निवास करते हैं।  
  2. स्थिर या कम होती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारण के मानदंडों में से एक है।  
  3. देश में अब तक 95 PVTG आधिकारिक तौर पर अधिसूचित हैं।  
  4. PVTGs की सूची में ईरूलर और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?

(a) 1, 2 और 3

(b) 2, 3 और 4

(c) 1, 2 और 4

(d) 1, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत के निम्नलिखित संगठनों/निकायों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग 
  2.  राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग 
  3.  राष्ट्रीय विधि आयोग 
  4.  राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग

उपर्युक्त में से कितने सांविधानिक निकाय हैं? 

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

(c) केवल तीन 

(d) सभी चार 

उत्तर: (a)


रैपिड फायर

GLP-1 के उपयोग पर WHO दिशा-निर्देश

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मोटापे को एक दीर्घकालिक रोग के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसे जीवनभर व्यापक देखभाल की आवश्यकता होती है और वैश्विक स्तर पर तेज़ी से बढ़ रहे मोटापे के संकट से निपटने के लिये ग्लूकागॉन जैसे पेप्टाइड-1 (GLP-1) वजन कम करने वाली थैरेपीज़ के उपयोग पर अपने पहले दिशा-निर्देश जारी किये हैं।**

  • GLP-1: ये दवाएँ 15–20% तक वजन घटाने में मदद कर सकती हैं (जो बैरियाट्रिक सर्जरी के समान है) और साथ ही हृदय (Cardiovascular), गुर्दा (Kidney), जिगर (Liver) और स्लीप एप्निया (Sleep Aapnea) जैसी स्थितियों में भी लाभ प्रदान करती हैं।
  • WHO GLP-1 दिशा-निर्देश: मोटापे वाले वयस्कों में GLP-1 दवाओं के दीर्घकालिक उपयोग की शर्तीय अनुमति देता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं में नहीं, क्योंकि दीर्घकालिक सुरक्षा पर पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इन दवाओं का प्रभाव तभी प्रभावी होगा जब इन्हें गहन व्यावहारिक समर्थन के साथ इस्तेमाल किया जाए, जिसमें स्वस्थ आहार योजना, नियमित शारीरिक गतिविधि और संरचित जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मोटापे के इलाज के लिये दवाओं के इस्तेमाल पर ज़ोर देता है कि इसे जीवनभर चलने वाली देखभाल योजना का हिस्सा होना चाहिये।
    • WHO यह भी रेखांकित करती है कि GLP-1 थेरेपीज़ की समान और निष्पक्ष पहुँच सुनिश्चित करना आवश्यक है और चेतावनी देती है कि वर्तमान वैश्विक उत्पादन वर्ष 2030 तक केवल उन लोगों का 10% से भी कम कवर करेगा जिन्हें इससे लाभ हो सकता है।
  • मोटापा: WHO के अनुसार, वयस्कों में मोटापा तब माना जाता है जब बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 या उससे अधिक हो। भारत में किसी व्यक्ति को मोटा तब माना जाता है जब उनका बॉडी मास इंडेक्स 25 kg/m² या उससे अधिक हो। गंभीर मोटापा (Morbid Obesity) तब होता है जब किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स 35 या अधिक हो।
    • वैश्विक बोझ (Global burden): विश्वभर में 1 बिलियन से अधिक लोग मोटापे के साथ जीवन- यापन कर रहे हैं, जिससे वर्ष 2024 में 3.7 मिलियन मृत्यु हुईं। वर्ष 2030 तक आँकड़े दोगुने होने का अनुमान है। भारत में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5 (2019-21) के अनुसार, महिलाओं का 24% और पुरुषों का 23% हिस्सा अधिक वजन या मोटापे से ग्रसित है।

और पढ़ें: भारत में मोटापे का बढ़ता बोझ


रैपिड फायर

अंटार्कटिका दिवस और NCPOR के 25 वर्ष

स्रोत: पी.आई.बी

भारत ने अंटार्कटिका दिवस (1 दिसंबर) मनाया तथा इसी के साथ राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च- NCPOR), गोवा के 25 वर्ष पूरे होने का भी जश्न मनाया गया। इस अवसर पर ध्रुवीय और महासागर अन्वेषण के लिये देश की प्रमुख संस्था के रूप में NCPOR की भूमिका की पुष्टि हुई।

  • अंटार्कटिका दिवस: यह अंटार्कटिका संधि पर 1 दिसंबर, 1959 को हस्तक्षर किये जाने की याद में विश्व में अंटार्कटिका दिवस मनाया जाता है। यह संधि अंटार्कटिका महाद्वीप को पूर्णत: शांति और वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु सुरक्षित घोषित करती है।
    • इस संधि ने महाद्वीप पर क्षेत्रीय दावों को स्थगित कर दिया, महाद्वीप पर परमाणु हथियारों और अपशिष्ट पर प्रतिबंध लगा दिया तथा 60 डिग्री दक्षिण अक्षांश के संपूर्ण क्षेत्र को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये संरक्षित कर दिया।
    • भारत वर्ष 1983 से अंटार्कटिक संधि का एक परामर्शदात्री पक्ष (Consultative Party) है, जिसके कारण उसे मतदान का अधिकार प्राप्त है। इससे भारत को अनुसंधान केंद्र संचालित करने और अंटार्कटिका के वैज्ञानिक और पर्यावरणीय शासन में महत्त्वपूर्ण योगदान करने की क्षमता प्राप्त हुई है।
  • NCPOR: इसकी स्थापना वर्ष 1998 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत की गई थी, NCPOR भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के समन्वय, मैत्री (1989) और भारती (2011) अनुसंधान स्टेशनों के रखरखाव के लिये भारत की नोडल एजेंसी है।
  • गोवा में स्थित यह संस्थान बहुविषयक ध्रुवीय एवं दक्षिणी महासागर अनुसंधान का नेतृत्व करता है तथा इसमें डॉक्टरेट अध्ययन के लिये मान्यता प्राप्त अनुसंधान सुविधाएँ हैं। 
  • नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (NCPOR) ने भारत के स्थायी अनुसंधान केंद्र स्थापित किये हैं: दक्षिण गंगोत्री, मैत्री, भारती (अंटार्कटिका) और हिमाद्रि (आर्कटिक)। इसके अलावा, इसने हिमालयी अनुसंधान केंद्र 'हिमांश' भी स्थापित किया है।
    • वित्त मंत्रालय ने NCPOR के नेतृत्व में एक नए पूर्वी अंटार्कटिका अनुसंधान स्टेशन मैत्री-II को मंज़ूरी दे दी है।
  • यह भारत के गहरे महासागर मिशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा ध्रुवीय विज्ञान को रणनीतिक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जोड़ता है ।

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राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR)


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