लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



संसद टीवी संवाद

सामाजिक न्याय

इन डेप्थ : एचआईवी : नई उम्मीद

  • 14 Mar 2019
  • 15 min read

संदर्भ एवं पृष्ठभूमि

हाल ही में एचआईवी से पीड़ित एक व्यक्ति का लंदन में पूर्ण रूप से इलाज किया गया है जिसे ‘लंदन रोगी’ (London Patient) कहा गया है। टिमोथी रे ब्राउन (Timothy Ray Brown) के बाद वह दूसरे एचआईवी पीड़ित व्यक्ति हैं जिन्हें पूर्णतः ठीक किया गया है। उन्हें CCR5-डेल्टा 32 तकनीक से ठीक किया गया है। यह CCR5-डेल्टा 32 तकनीक समान दाता कोशिकाओं (Homogenous Donor Cells) से युक्त एक स्टेम सेल प्रत्यारोपण पर आधारित है।

ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (HIV)

  • एचआईवी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में CD-4, जो कि एक प्रकार का व्हाइट ब्लड सेल (T-Cells) होता है, पर हमला करता है। टी-कोशिकाएँ वे कोशिकाएँ होती हैं जो कोशिकाओं में विसंगतियों और संक्रमण का पता लगाने के लिये शरीर में घूमती रहती हैं।
  • शरीर में प्रवेश करने के बाद एचआईवी वायरस की संख्या में तीव्र वृद्धि होती है और यह CD-4 कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है, इस प्रकार यह मानव प्रतिरक्षा प्रणाली (Human Immune System) को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता है। एक बार जब यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है तो इसे कभी नहीं हटाया जा सकता है।
  • एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की CD-4 की संख्या में काफी कमी आ जाती है। एक स्वस्थ शरीर में, CD-4 की संख्या 500- 1600 के बीच होती है, लेकिन एक संक्रमित शरीर में यह संख्या 200 तक कम हो सकती है।
  • कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण एक व्यक्ति में संक्रमण और कैंसर की संभावना अधिक रहती है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के लिये मामूली चोट या बीमारी से भी उबरना मुश्किल हो जाता है।
  • समुचित उपचार से एचआईवी के गंभीर प्रभाव को रोका जा सकता है।

प्रसार (Transmission)

  • एचआईवी रक्त, वीर्य (Semen) ​​योनि स्राव (Vaginal Fluid), गुदा तरल पदार्थ (Anal Fluid) और स्तन के दूध सहित शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
  • एचआईवी के संचरण के लिये शारीरिक तरल पदार्थ में वायरस की पर्याप्त संख्या होना चाहिये। ऐसा व्यक्ति जिसमें HIV संक्रमण की पहचान नहीं हुई है (Undetectable HIV) के द्वारा तरल पदार्थ के ट्रांसफर के बाद भी किसी अन्य व्यक्ति को एचआईवी ट्रांसफर नहीं हो सकता।
  • अनडीटेक्टेबल एचआईवी’ उस स्थिति को कहा जाता है जब शरीर में एचआईवी वायरस की मात्रा इतनी कम होती है कि रक्त की जाँच में इसकी पहचान नहीं हो पाती। उपचार से इसका ठीक होना संभव हो सकता है। लेकिन रक्त परीक्षण के माध्यम से इसकी नियमित निगरानी भी आवश्यक है।

लक्षण (Symptoms)

  • एचआईवी से संक्रमित लगभग 80 प्रतिशत लोगों के शरीर में वायरस के प्रवेश के लगभग 2-6 सप्ताह बाद एक्यूट रेट्रोवायरल सिंड्रोम (Acute Retroviral Syndrome) नामक लक्षणों का एक समूह विकसित होता है।
  • प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, जोड़ों में दर्द, माँसपेशियों में दर्द, गले में खराश, रात में पसीना आना, ग्रंथियों का बढ़ जाना, शरीर पर लाल चकत्ते, थकान, कमज़ोरी, वजन का अचानक गिरना और छाले (thrush) शामिल हैं।
  • एक व्यक्ति लंबे समय तक किसी भी लक्षण का अनुभव किये बिना भी एचआईवी से संक्रमित हो सकता है। इस दौरान वायरस का विकसित होना जारी रहता है और यह प्रतिरक्षा प्रणाली तथा अंगों की क्षति का कारण बनता है।

वैश्विक आँकड़े

  • एड्स की महामारी की शुरुआत के बाद से 70 मिलियन से अधिक लोग एचआईवी वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 35 मिलियन लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
  • 2017 के अंत में विश्व स्तर पर 36.9 मिलियन लोग एचआईवी के साथ जीवन जी रहे थे। इनमें 15 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या 1.8 मिलियन थी।
  • ग्लोबल एचआईवी और एड्स के आँकड़ों के अनुसार, एचआईवी से संक्रमित केवल 59 प्रतिशत लोग एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स ले रहे हैं।
  • अफ्रीकी रीजन में एचआईवी से पीड़ित 25 वयस्कों में से 1 एचआईवी संक्रमण से पीड़ित है जो सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है।

भारतीय आँकड़े

  • 2017 में एचआईवी से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 21.40 लाख थी।
  • भारत में 2017 में 87,000 से अधिक नए मामले पाए गए जो 1995 की तुलना में 85 प्रतिशत गिरावट को दर्शाता है।

उपचार (Treatment)

1. एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (Antiretroviral Therapy)

  • यह दैनिक रूप से ली जाने वाली दवाओं का एक संयोजन है जो वायरस के प्रसार को रोकते हैं।
  • इस थेरेपी से CD-4 कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद मिलती है जिससे रोग से लड़ने की प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत होती है।
  • यह एचआईवी के संचरण के जोखिम को कम करने के अलावा, एड्स संक्रमण (एचआईवी के कारण संक्रमण की स्थिति) को बढ़ने से रोकने में भी मदद करता है।

2. स्टेम सेल प्रत्यारोपण (Stem Cell Transplant)

  • इसके तहत एक संक्रमित व्यक्ति का आनुवंशिक उत्परिवर्तन वाले दाताओं (Donor) से लिये गए स्टेम सेल प्रत्यारोपण के माध्यम से इलाज किया जाता है जो एचआईवी रिसेप्टर CCR5 की वृद्धि को रोकता है।
  • CCR5 एचआईवी -1 द्वारा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला रिसेप्टर है। जिन लोगों के पास CCR5 की उत्परिवर्तित भाग होते हैं, वे HIV-1 वायरस स्ट्रेन के प्रतिरोधी होते हैं।
  • अब तक इस पद्धति का उपयोग करने वाले विशेषज्ञों द्वारा केवल दो लोगों के एचआईवी का इलाज कर पूरी तरह से ठीक किया गया है। पहले व्यक्ति टिमोथी रे ब्राउन (बर्लिन का रोगी) हैं जिन्हें 2007 में ठीक किया गया था और दूसरे को लंदन रोगी के रूप में जाना जाता है जिन्हें एचआईवी का उपचार कर पूरी तरह से ठीक किया गया है।
  • दोनों रोगियों के उपचार में अंतर यह है कि बर्लिन रोगी को दो प्रत्यारोपण दिये गए तथा विशेषज्ञों ने संपूर्ण शरीर के विकिरण (Irradiation) को कम कर दिया, जबकि लंदन रोगी को सिर्फ एक प्रत्यारोपण तथा हल्का कीमोथेरेपी दिया गया।
  • शोधकर्त्ताओं के लिये यह तरीका बहुत जटिल, महँगा और जोखिम भरा होता है।

एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (AIDS)

  • यह एचआईवी के कारण उत्पन्न होने वाले लक्षणों या सिंड्रोम का एक समूह है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति को निश्चित रूप से एड्स ही होगा।
  • एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति में एड्स के लक्षण विकसित होने की संभावना तब होती है जब एचआईवी संक्रमण से लड़ने के लिये उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमज़ोर हो जाती है।
  • यह एचआईवी का अंतिम चरण होता है जब संक्रमण अपने चरम पर होता है और यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।
  • एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति जिसकी CD-4 गिनती (Count) 200 प्रति घन मिलीमीटर से कम होती है उसकी एड्स रोगी के रूप में पहचान की जाती है।
  • एचआईवी से एड्स के रूप में परिवर्तित होने का जोखिम व्यक्तियों के बीच व्यापक रूप से भिन्न होता है और इसके लिये कई कारक ज़िम्मेदार होते हैं, जैसे-

♦ व्यक्ति की उम्र
♦ एचआईवी से बचाव करने की शरीर की क्षमता
♦ उच्च गुणवत्ता वाली स्वच्छता से युक्त स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच
♦ अन्य संक्रमणों की उपस्थिति
♦ एचआईवी के ड्रग-प्रतिरोधी स्टेन
♦ व्यक्तिगत आनुवंशिक प्रतिरोध

  • रोकथाम में सुरक्षित सेक्स, एचआईवी का परीक्षण शामिल हैं।

टाइमलाइन

  • 1980 के पूर्व

♦ वर्ष 1900 की शुरुआत में मध्य अफ्रीका में मनुष्यों में सिमीयन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (SIV) के एक प्रकार का प्रसार हो गया था। यह वायरस बाद में एचआईवी की महामारी का वाहक बन गया।
♦ ऐसा माना जाता है कि एचआईवी संक्रमण की उत्पत्ति किंशासा में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DR Congo) में वर्ष 1920 के आसपास हुई थी जब एचआईवी ने चिम्पांजी से मनुष्य की प्रजातियों में प्रवेश किया था।
♦ 1959 में मानव में एचआईवी के पहले ज्ञात मामले की पुष्टि एक ऐसे व्यक्ति में की गई थी जिसकी मृत्यु कांगो में हुई थी।
♦ शोध बताते हैं कि वायरस 1968 के आसपास यूएसए में आया था।

1980 का दशक

  • सितंबर 1982 में सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC), (USA) ने पहली बार 'एड्स' शब्द का इस्तेमाल किया।
  • 1983 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक एड्स स्थिति का आकलन करने के लिये अपनी पहली बैठक की।
  • 1985 के अंत तक दुनिया के हर क्षेत्र में एड्स का कम-से-कम एक मामला सामने आया था, इनकी कुल संख्या 20,303 थी।
  • मई 1986 में इंटरनेशनल कमेटी ऑन द टैक्सोनोमी ऑफ़ वायरस (International Committee on the Taxonomy of Virus) ने कहा कि एड्स का कारण बनने वाले वायरस को आधिकारिक तौर पर एचआईवी कहा जाएगा।
  • फरवरी 1987 में WHO ने एड्स पर ग्लोबल प्रोग्राम शुरू किया।
  • मार्च 1987 में पहले एंटीरेट्रोवायरल ड्रग ज़िडोवुडीन (zidovudine) को एड्स के उपचार के लिये अनुमोदित किया गया था।
  • 1988 में WHO ने 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

1990 का दशक

  • 1991 में न्यूयॉर्क स्थित विज़ुअल एड्स आर्टिस्ट कॉकस ने एचआईवी से पीड़ित लोगों को करुणा का प्रतीक बनाने के लिये रेड रिबन ’प्रोजेक्ट शुरू किया। रेड रिबन एड्स जागरूकता का एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक बन गया।
  • 1993 के अंत तक विश्व स्तर पर 2.5 मिलियन एड्स के मामलों का अनुमान लगाया गया था।
  • 1996 में एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (UNAIDS) की स्थापना की गई थी।

2000 का दशक

  • 2001 से दवा निर्माताओं ने विकासशील देशों के लिये एचआईवी दवाओं का रियायती मूल्य पर उत्पादन शुरू किया।
  • जनवरी 2003 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने ’एड्स राहत के लिये अमेरिकी राष्ट्रपति की आपातकालीन योजना ’बनाने की घोषणा की, जो कि 15 बिलियन डॉलर की पंचवर्षीय योजना है, इसमें एचआईवी संक्रमण वाले देशों में मुख्य रूप से एड्स से लड़ने की योजना बनाई गई है।
  • जनवरी 2010 में एचआईवी पॉज़िटिव लोगों को यूएसए में प्रवेश से रोकने वाला यात्रा प्रतिबंध हटा दिया गया था।
  • 2013 में UNAIDS के हवाले से बताया गया कि एड्स से संबंधित मौतें 2005 में चरम पर थीं, इनमें 30 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
  • 2017 में पहली बार एचआईवी के साथ जी रहे वैश्विक आबादी के आधे से अधिक लोग एंटीरेट्रोवाइरल उपचार प्राप्त कर रहे थे।

एचआईवी -1 और एचआईवी -2

  • एचआईवी दो प्रकार का होता है-एचआईवी -1 और एचआईवी -2
  • एचआईवी -1 को दुनिया भर में अधिकांश संक्रमणों का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रमुख प्रकार माना जाता है, जबकि एचआईवी -2 सामान्य रूप से कम संक्रमण और मुख्य रूप से पश्चिम तथा मध्य अफ्रीकी क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • इन दोनों एचआईवी प्रकारों से एड्स हो सकता है HIV-2 का प्रसार HIV-1 की तुलना में कहीं अधिक मुश्किल है।

निष्कर्ष

उपचार के दो सफल मामलों के आधार पर शोधकर्त्ता अब मानव शरीर से एचआईवी को खत्म करने के लिये कई तरीकों पर विचार कर रहे हैं। ऐसा ही एक तरीका है जीन थेरेपी जो एक व्यक्ति में CCR-5 जीन को परिवर्तित करेगा, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा करना बहुत मुश्किल होगा। उपचार की इस नवीनतम परिघटना ने शोधकर्त्ताओं के आत्मविश्वास को बढ़ाया है और वे उचित तथा कम जोखिम वाले उपचार की खोज करने के लिये प्रेरित होंगे।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2