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संसद टीवी संवाद

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

इन डेप्थ : न्यूज़ीलैंड में आतंकी हमला तथा प्रवासन

  • 22 Mar 2019
  • 11 min read

संदर्भ

न्यूज़ीलैंड की दो मस्जिदों में हुए ताज़ा आतंकी हमले में 49 लोगों की जान चली गई और काफी संख्या में लोग जख्मी हो गए। मृतकों में से अधिकांश की पहचान प्रवासियों और शरणार्थियों के रूप में की गई है। एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ने अपने नस्लवादी और आप्रवासी विरोधी विचारों को प्रकट करते हुए एक घोषणापत्र जारी कर इस घटना की ज़िम्मेदारी ली है।

मानव प्रवास : यह स्थायी या अस्थायी रूप से नए स्थान (गृह देश के भीतर या बाहर) में बसने के इरादे से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले लोगों द्वारा किया जाने वाला आवागमन है। ऐसे लोगों को प्रवासी कहा जाता है।

आप्रवासन (Immigration) स्थायी रूप से किसी अन्य देश में रहने के इरादे से होता है, जबकि उत्प्रवास (Emigration) अपने निवास वाले देश को छोड़कर कहीं और बसने के इरादे से किया जाता है।

शरणार्थी (Refugees) : ये वे लोग होते हैं जो युद्ध, हिंसा या उत्पीड़न के कारण अपने देश (जहाँ वे निवास कर रहे हों) से भागने को मजबूर होते हैं। ऐसे लोग अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा संरक्षित होते हैं, विशेष रूप से 1951 का रिफ्यूजी कन्वेंशन।

1951 का रिफ्यूजी कन्वेंशन विस्थापितों के अधिकारों सहित राज्यों के कानूनी दायित्वों के साथ उनकी रक्षा करने का काम करता है। शरणार्थियों की बड़ी आबादी होने के बावजूद भारत इस कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है।

शरण चाहने वाला (Asylum Seeker) वह व्यक्ति होता है जो शरणार्थी होने का दावा तो करता है किंतु उसके पास इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति द्वारा शरण के लिये इस आधार पर आवेदन किया जाता है कि देश लौटने पर नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक मान्यताओं के कारण उसका उत्पीड़न होगा।

वैश्विक प्रवासन रिपोर्ट : यह इंटरनेशनल ऑर्गनाइज़ेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) एक फ्लैगशिप प्रकाशन है जो अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के मामले में नवीनतम रुझानों को पेश करता है, उभरते नीतिगत मुद्दों पर चर्चा करता है और अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व तथा ओशिनिया में हाल के क्षेत्रीय विकास को गति प्रदान करता है।

प्रवासन के लिये अंतर्राष्ट्रीय संगठन (International Organisation for Migration-IOM)- 1951 में स्थापित IOM प्रवासन के क्षेत्र में अग्रणी अंतर-सरकारी संगठन है तथा यह सरकारी, अंतर-सरकारी और गैर-सरकारी सहयोगियों के साथ मिलकर काम करता है। इसका मुख्य कार्यालय Le Grand-Saconnex, स्विट्जरलैंड में स्थित है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन दिवस -18 दिसंबर

विश्व प्रवासन रिपोर्ट 2018 : प्रमुख निष्कर्ष

  • दुनिया भर में 244 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी हैं, जो दुनिया की कुल आबादी का 3.3% है।
  • वर्ष 2015 में यूरोप और एशिया में प्रवासियों की संख्या लगभग 75 मिलियन थी जो कुल वैश्विक अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या का 62% है।
  • अफ्रीका और ओशिनिया में 2015 में क्रमशः कुल प्रवासी आबादी का 9% और 3% था। लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में 2015 में कुल प्रवासियों की आबादी 4% थी।
  • U.S.A 1970 से अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों के गंतव्य का प्रमुख देश रहा है। 1970 से यह संख्या चौगुनी हो गई है, 1970 में प्रवासियों की संख्या 12 मिलियन से कम थी जो 2015 में बढ़कर 46.6 मिलियन हो गई है।
  • 2015 में देश में 12 मिलियन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों के साथ जर्मनी दूसरा सबसे पसंदीदा देश रहा है।
  • वर्ष 2015 में दुनिया भर के लगभग सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी एशिया में आए जो मुख्य रूप से भारत, चीन और अन्य दक्षिण एशियाई देशों जैसे- अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से थे।
  • मेक्सिको यूरोपीय मूल का दूसरा सबसे बड़ा देश था उसके बाद कई अन्य यूरोपीय देश थे।

विस्थापन से संबंधित परिणाम

  • दुनिया भर में 68 मिलियन से अधिक ज़बरन विस्थापित लोग हैं, जिनमें से 40.3 मिलियन आंतरिक रूप से विस्थापित हैं तथा 25.4 मिलियन शरणार्थी हैं।
  • दुनिया भर में शरण मांगने वाले लोगों की संख्या 3 मिलियन से अधिक है।
  • वर्ष 2015 में दुनिया भर में प्रतिदिन 24 लोग अपने देश से भागने को मजबूर हुए।
  • वर्ष 2015 में दुनिया की लगभग आधी शरणार्थी आबादी 18 वर्ष से कम उम्र की थी।
  • विस्थापन का कारण मुख्य रूप से नागरिक और अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष है जिसमें हिंसा, अतिवाद आदि शामिल हैं।

प्रवासन के हाल के मामले

  • सीरिया 'वैश्विक शरणार्थी संकट' का केंद्रबिंदु है। इस देश से बहुत से लोग पलायन कर चुके हैं।
  • लोग लीबिया से इटली तक भूमध्य सागर पार कर प्रवासन करते हैं।
  • म्याँमार के रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश और भारत की ओर भाग रहे हैं।
  • हज़ारों डोमिनिकन और कैरिबियन में ऐसे अनेक लोग जो किसी भी देश के नागरिक नहीं हैं।

आप्रवासन के लाभ

  • आप्रवासी आमतौर पर ऐसी नौकरी को कर लेते हैं जिसे मेज़बान देश के (जिस देश में भाग कर गए हैं) लोग नहीं करना चाहते या नहीं कर सकते।
  • आप्रवासी श्रमिक अक्सर लंबे समय तक काम करते हैं और कम वेतन में मेज़बान देशों को लाभ पहुँचाते हैं।
  • आप्रवासी मेज़बान देश की विविधता में योगदान करते हैं और इस प्रकार समाज में सहिष्णुता और समझ भी बढ़ाने में योगदान देते हैं।
  • मेज़बान देश की अर्थव्यवस्था के लिये आप्रवासियों ने अपने को प्रतिभा पूल के रूप में पेश किया है।

कमियाँ

  • अक्सर यह देखा जाता है कि आप्रवासियों का शोषण उनके सस्ते श्रम के कारण किया जाता है।
  • विकासशील देशों को 'ब्रेन ड्रेन' का नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उनके सीमित संसाधन जो वे अपने छात्रों को शिक्षित करने में खर्च करते हैं, अगर वह प्रतिभा दूसरे देश में जाती है, तो यह उनके लिये अहितकर होगा।
  • आव्रजन आपराधिक तत्त्वों को ड्रग और मानव तस्करी जैसे अपराध और भ्रष्टाचार के अन्य रूपों को जन्म देता है।
  • आव्रजन कभी-कभी सामाजिक या राजनीतिक मुद्दा भी बन जाता है; नस्लवाद का उपयोग भावनाओं का दोहन करने के लिये या स्थानीय आबादी के मौजूदा संकट के लिये एक बहाने के रूप में किया जाता है।
  • जब यह धारणा बन जाती है कि आप्रवासियों और शरणार्थियों को स्थानीय गरीब आबादी की तुलना में अधिक लाभ मिलता है तब तनाव और शत्रुता की भावना उत्पन्न होती है।
  • गैरकानूनी प्रवासियों के बारे में चिंताएँ उन बहुसंख्यक प्रवासियों के प्रति बीमार भावनाओं को जन्म देती हैं जो कानून का पालन करने वाले और अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले हो सकते हैं।

अनियमित प्रवासन को विनियमित करने के लिये देशों द्वारा हाल ही में उठाए गए कदम

  • यूरोपीय संघ (EU) द्वारा अपनाई गई रणनीतियाँ

♦ शरण चाहने वालों को स्वीकार करने के लिये विविध राष्ट्रीय दृष्टिकोण।
♦ शरणार्थी एकीकरण का समर्थन करने के लिये यूरोपीय संघ के बजट का उपयोग करना।
♦ बाहरी सीमाओं को मज़बूत करना।
♦ पारगमन मार्गों से संपर्क बढ़ाने में तीसरे देशों के साथ सहयोग करना।
♦ प्रवासन के लिये विदेशी सहायता।

  • हंगरी ने यूरोपीय संघ के अन्य देशों द्वारा वापस भेजे गए शरण चाहने वालों की स्वीकृति को निलंबित करके अवैध आव्रजन को प्रतिबंधित कर दिया है।
  • अमेरिका ने अपनी आव्रजन नीति में कुछ बदलाव भी किये हैं।
  • इटली ने प्रवासियों को हिरासत में लेने और उनके निर्वासन का आह्वान किया है, जो देश में अस्थिरता और खतरों के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • डच ने उन अप्रवासियों के प्रति एक शून्य सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाया है जो देश के जीवन के तरीके को मानने के लिये अनिच्छुक हैं।

निष्कर्ष

प्रवासन संभवतः देशों की राजनीति, संस्थानों, सरकारों और मूल्यों के लिये एक दीर्घकालिक चुनौती आगे भी बनी रहेगी। यहाँ तक ​​कि संख्या में गिरावट और इसे प्रबंधित करने के लिये संस्थागत क्षमताओं के विकास के साथ इसका भला और बुरा पक्ष इससे हमेशा जुड़ा रहेगा।

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