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केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर

  • 16 Jul 2019
  • 8 min read

संदर्भ

राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2012 (National Telecom Policy) के तहत मोबाइल हैंडसेट्स की रीप्रोग्रामिंग (Reprogramming), सुरक्षा, चोरी जैसी अन्य चिंताओं का समाधान करने के लिये एक नेशनल मोबाइल प्रॉपर्टी रजिस्ट्री (National Mobile Property Registry) की स्थापना का प्रावधान किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • इसके आधार पर संचार मंत्रालय (Ministry of Communications) के तहत दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications-DoT) ने मोबाइल सेवा प्रदाताओं के लिये एक केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (Central Equipment Identity Register-CEIR) की शुरूआत की है।
  • DoT ने जुलाई 2017 में CEIR को एक ज्ञापन के तहत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जारी किया था जिसका नेतृत्व भारत संचार निगम लिमिटेड (Bharat Sanchar Nigam Limited-BSNL) ने किया था।
  • जनवरी 2018 में इस परियोजना को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (Centre for Development of Telematics-CDoT) को सौंप दिया गया।

केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (Central Equipment Identity Register-CEIR) क्या है?

  • वर्ष 2008 के DoT के आदेश के आधार पर, भारत में हर मोबाइल नेटवर्क प्रदाता के पास एक उपकरण पहचान रजिस्टर (Equipment Identity Register-EIR) या उसके नेटवर्क से जुड़े फोन का एक डेटाबेस (Database) होता है।
  • अब ये सभी EIR एक केंद्रीय डेटाबेस CEIR के साथ समस्त जानकारियाँ साझा करेंगे। CEIR भारत में सभी नेटवर्कों से जुड़े समस्त मोबाइल फोनों की सूचनाओं का भंडारण केंद्र होगा।
  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2018 के अंत तक 1,026 मिलियन से अधिक सक्रिय मोबाइल कनेक्शन थे।
  • DoT के वर्ष 2017 के ज्ञापन के अनुसार, CEIR में मोबाइल उपकरण का अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान नंबर (International Mobile Equipment Identity-IMEI), हर फोन या मोबाइल ब्रॉडबैंड डिवाइस में यह विशिष्ट 15 अंकों का कोड होता है जो डिवाइस की सटीक पहचान करता है; मॉडल, संस्करण एवं अन्य जानकारियों को एकत्रित किया जाएगा।
  • इससे यह भी पता चल जाएगा कि फोन को ब्लैकलिस्ट (Blacklist) किया गया है या नहीं।
  • किसी भी फोन की पहचान IMEI नंबर के आधार पर की जाती है, जो मोबाइलों में बैटरी के नीचे या मोबाइल पर ’* # 06 # डायल करके भी ज्ञात किया जा सकता है।
  • सभी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियाँ ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस एसोसिएशन (Global System for Mobile Communications Association) द्वारा आवंटित रेंज के आधार पर प्रत्येक मोबाइल फोन को IMEI नंबर प्रदान करती हैं एवं यदि फोन दोहरे सिम का है तो उसमें दो IMEI नंबर होते हैं।

इसका उद्देश्य

  • इस तरह के केंद्रीकृत डेटाबेस उपलब्ध होने पर मोबाइल चोरी या अवैध मोबाइल फोन की पहचान करने तथा उन्हें ब्लॉक करने में मदद मिलेगी।
  • वर्तमान में जब कोई ग्राहक किसी मोबाइल फोन के चोरी होने की सूचना देता है, तो मोबाइल सेवा प्रदाता अपने EIR के आधार पर फोन के IMEI को ब्लैकलिस्ट कर देते हैं जिससे कंपनी के नेटवर्क का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  • लेकिन यदि सिम को बदल दिया जाता है, तो यह उपयोग में जारी रह सकता है। CEIR के माध्यम से सभी नेटवर्क ऑपरेटरों को यह पता चल जाएगा कि फोन को ब्लैकलिस्ट किया गया है।
  • CEIR, GSMA डेटाबेस के IMEI की पहचान कर यह भी जाँच कर सकता है कि फोन प्रामाणिक है या नहीं।
  • कई बार फोन संबंधी ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें एक प्रामाणिक IMEI नंबर के बजाय डुप्लिकेट IMEI नंबर या सभी 15 नंबरों के स्थान पर शून्य के साथ फोन प्रयोग किये जा रहे हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि CEIR ऐसे उपभोक्ताओं की सभी सेवाओं को ब्लॉक कर सकेगा। वर्तमान में यह क्षमता केवल निजी सेवा प्रदाताओं के पास है।
  • ज्ञापन में IMEI-आधारित कानूनी अवरोधन (IMEI-based lawful interception) को मज़बूत बनाने का भी उल्लेख किया गया है, जिससे कानूनी अधिकारियों को CEIR डेटा का उपयोग करने की अनुमति मिल जाएगी।

CEIR संबंधी मुद्दे

  • 2010 के परामर्श पत्र में "खोए हुए/चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट के लिए IMEI को अवरुद्ध करने से संबंधित मुद्दों" पर भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) ने CEIR के संदर्भ में एक प्रमुख मुद्दा उठाया है कि ऐसे उच्च-मूल्य वाले डेटाबेस को कौन या किसके समक्ष संग्रहीत रखना चाहिये? क्या यह अधिकार सेवा प्रदाता के पास होना चाहिये, अथवा एक तटस्थ तृतीय पक्ष के पास?
  • परामर्श पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए, कई प्रमुख सेवा प्रदाताओं ने BSNL द्वारा सुझाए गए अंतर्राष्ट्रीय निकायों से लेकर ट्राई तक को तीसरे पक्ष के रूप में पसंद किया।
  • मौजूदा वास्तविक IMEI नंबरों के साथ संलग्न करने के लिये चोरी किये गए या अनाधिकृत मोबाइल फोन की क्लोनिंग/प्रतिचित्रण या रिप्रोग्रामिंग करना भी एक अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।
  • क्लोन किये गए IMEI नंबर को ब्लॉक करने से त्रुटिपूर्ण रूप से वैध उपभोक्ताओं को भी ब्लॉक किया जा सकता है। जबकि क्लोन या अवैध IMEI वाले फोन की वास्तविक संख्या को कम करना मुश्किल है। वर्ष 2012 में संसद द्वारा दो मामलों में लगभग 18,000 फोन के समान IMEI नंबर का उपयोग के विषय में जानकारी दी गई थी।
  • वर्ष 2015 में सरकार ने नकली IMEI नंबर वाले मोबाइल फोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • DoT ने मोबाइल उपकरण पहचान संख्या में छेड़छाड़ निरोधक नियम, 2017 के तहत यह प्रावधान है कि यदि कोई उपभोक्ता फोन के IMEI नंबर के साथ छेड़छाड़ करता है या जानबूझकर ऐसे उपकरण का उपयोग करता है तो यह एक दंडनीय अपराध माना जाएगा।

स्रोत: द हिंदू

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