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भारतीय टेलीस्कोप ने खोजी दूरस्थ रेडियो गैलेक्सी

  • 18 Aug 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

खगोलविदों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने अब तक की सबसे दूरस्थ रेडियो आकाशगंगा की खोज की है। उल्लेखनीय है कि खगोलविदों ने सबसे दूरस्थ रेडियो आकाशगंगा को खोजने के लिये एक भारतीय दूरबीन का उपयोग किया है।

प्रमुख बिंदु

  • जायंट मीटर-वेव रेडियो टेलीस्कोप (Giant Metrewave Radio Telescope-GMRT) द्वारा खोजी गई यह आकाशगंगा उस दौर की है जब ब्रह्मांड अपने वर्तमान स्वरूप का केवल 7% था।
  • यह आकाशगंगा पृथ्वी से 12 अरब प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है।
  • इस आकाशगंगा की दूरी हवाई में स्थित जेमिनी नार्थ टेलीस्कोप और एरिजोना में स्थित लार्ज बाइनोक्युलर टेलीस्कोप की मदद से निर्धारित की गई है।
  • मंथली नोटिसेज़ ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह आकाशगंगा उस समय की मानी जा रही है जब ब्रह्मांड की उत्पत्ति को केवल एक बिलियन साल हुए थे।

जायंट मीटर-वेव रेडियो टेलीस्कोप

  • GMRT 25 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई तीस परवलयाकर (Parabolic) रेडियो दूरबीनों (प्रत्येक दूरबीन का व्यास 45 मीटर) की एक श्रृंखला है जो सभी दिशाओं में घूम सकती हैं। 
  • इसका संचालन राष्ट्रीय खगोल भौतिकी केंद्र (National Centre for Radio Astrophysics) द्वारा किया जाता है, जो टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (TATA Institute of Fundamental Research) का एक हिस्सा है। यह पुणे शहर से 80 किलोमीटर उत्तर में खोडाड नामक स्थान पर स्थित है।
  • यह विश्व की सबसे संवेदनशील दूरबीनों में से एक है।
  • GMRT भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा विज्ञान के बुनियादी क्षेत्रों में किये गए सबसे चुनौतीपूर्ण प्रयोगात्मक कार्यक्रमों में से एक है।
  • इसका डिश एंटीना ही नहीं बल्कि संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स को भी भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा भारत में ही तैयार किया गया है।
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