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डेली न्यूज़

भारतीय विरासत और संस्कृति

वर्षांत समीक्षा – 2025 : संस्कृति मंत्रालय

प्रिलिम्स के लिये: पिपरहवा अवशेष, काशी तमिल संगमम, कंब रामायण, मराठा सैन्य परिदृश्य, जनजातीय गौरव वर्ष, ज्ञान भारतम

मेन्स के लिये: विरासत संरक्षण के प्रयास, भारतीय विरासत और संस्कृति, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों? 

संस्कृति मंत्रालय ने अपनी वर्ष 2025 वर्षांत समीक्षा जारी की, जिसमें महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सवों, धरोहर संरक्षण के प्रयासों और व्यापक जनभागीदारी से भरपूर एक महत्त्वपूर्ण वर्ष को प्रदर्शित किया गया है।

सारांश

  • भारत ने वर्ष 2025 में धरोहर संरक्षण के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ दर्ज कीं, जिनमें पिपरहवा बुद्ध अवशेषों की वापसी और मराठा सैन्य परिदृश्यों को UNESCO दर्जा मिलना शामिल है।
  • इस वर्ष काशी तमिल संगमम 3.0, कंब रामायण का पुनर्जीवन, महाकुंभ में कालाग्राम और ज्ञान भारतम कार्यक्रम जैसे प्रमुख सांस्कृतिक प्रदर्शन एवं ज्ञानवर्द्धक पहलों का आयोजन किया गया।

भारत द्वारा वर्ष 2025 में किये गए प्रमुख धरोहर संरक्षण उपाय क्या थे?

  • भगवान बुद्ध के अवशेषों की पुनर्प्राप्ति: पवित्र पिपरहवा अवशेष (1898) को विदेश में नीलाम किये जाने से रोका गया और समन्वित कानूनी तथा राजनयिक प्रयासों के माध्यम से 127 वर्ष बाद भारत वापस लाया गया।
  • काशी तमिल संगमम 3.0: यह एक सांस्कृतिक पहल है जो तमिलनाडु और काशी के बीच गहरे ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव मनाती है तथा उनके प्राचीन सभ्यतागत बंधन को और मज़बूत करती है।
  • कंब रामायण परंपरा का पुनर्जीवन: कंब रामायण, जिसे रामावतारम भी कहा जाता है, 12वीं शताब्दी ईस्वी का एक प्रमुख तमिल महाकाव्य है जिसे कवि कंबर ने रचा था।
    • यह वाल्मीकि के संस्कृत रामायण का पुनर्कल्पित रूप है, जिसे चोल काल की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करते हुए अनुकूलित किया गया है।
  • महाकुंभ 2025 में कलाग्राम: कलाग्राम एक सांस्कृतिक ग्राम है, जिसे महाकुंभ 2025 के लिये प्रयागराज में संस्कृति मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया है।
    • यह भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और विविध सांस्कृतिक धरोहर को शिल्पकला, व्यंजनों तथा सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के समन्वित प्रदर्शन के माध्यम से प्रदर्शित करने के लिये बनाया गया है।
  • मराठा सैन्य परिदृश्यों को UNESCO की मान्यता: भारत ने मराठा सैन्य परिदृश्यों को अपना 44वाँ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित कराने में सफलता प्राप्त की, जिससे विश्व धरोहर स्थलों की संख्या के आधार पर भारत की वैश्विक रैंक बढ़कर छठे स्थान पर पहुँच गई।
  • प्रोजेक्ट मौसम: भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने समुद्री सांस्कृतिक मार्गों पर अनुसंधान को बेहतर करने तथा भारतीय महासागर क्षेत्र में समुद्र-संबंधी सांस्कृतिक परिदृश्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के क्रम में नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
  • प्रोजेक्ट गज-लोक: यह इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) द्वारा शुरू की गई एक पारदेशीय पहल है। इसका उद्देश्य प्रदर्शनी व गोलमेज चर्चाओं के माध्यम से पारिस्थितिकी को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने के साथ एशियाई हाथियों के सांस्कृतिक प्रतीकवाद का दस्तावेज़ीकरण करना है।
  • ज्ञान भारतम: यह भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार करने से संबंधित राष्ट्रीय पहल है। इसे नई दिल्ली में आयोजित पहले ज्ञान भारतम इंटरनेशनल सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया।
    • इस सम्मेलन का समापन दिल्ली घोषणापत्र के साथ हुआ, जिसमें भारत ने विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण के तहत अपनी पांडुलिपि परंपरा के पुनरुद्धार की प्रतिबद्धता दोहराई।
  • ट्राइबल बिज़नेस कॉन्क्लेव 2025: इस कॉन्क्लेव में जनजातीय गौरव वर्ष के अनुरूप जनजातीय कला, साहित्य एवं उद्यमिता को प्रदर्शित किया गया।
  • स्पेशल कैंपेन 5.0: इसका आधिकारिक नाम स्पेशल कैंपेन फॉर डिस्पोज़ल ऑफ पेंडिंग मैटर्स 5.0 या SCDPM 5.0 है। यह पहल लंबित मामलों को कम करने और स्वच्छता को संस्थागत रूप देने पर केंद्रित है। 
    • यह अभियान 599 सांस्कृतिक स्थलों पर पूर्ण स्वच्छता लक्ष्य हासिल करने के साथ ई-अपशिष्ट के वैज्ञानिक आधार पर निपटान को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।
  • संविधान हत्या दिवस: 25 जून, 2025 को मनाया गया यह दिवस आपातकाल की घोषणा के 50 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। इसके तहत संवैधानिक मूल्यों, नागरिक स्वतंत्रता तथा लोकतांत्रिक सुरक्षा उपायों के महत्त्व को रेखांकित किया गया।
  • सेवा पर्व 2025: इसमें सामुदायिक सेवा, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और नागरिक जागरूकता के संदर्भ में एकजुटता के साथ देशव्यापी कला कार्यशालाओं एवं विरासत स्थलों पर स्वच्छता अभियानों के माध्यम से जन सहभागिता का प्रदर्शन हुआ।

निष्कर्ष

वर्ष 2025 सांस्कृतिक गर्व, विरासत संरक्षण और सभ्यतागत आत्मविश्वास के पुनरुत्थान का सशक्त प्रतीक रहा। त्योहारों, वैश्विक साझेदारियों, सांस्कृतिक विरासत के प्रत्यावर्तन और ज्ञान संरक्षण के माध्यम से संस्कृति मंत्रालय ने देश एवं विदेश में भारत की सांस्कृतिक उपस्थिति को सुदृढ़ करने के साथ अभूतपूर्व जनभागीदारी को प्रेरित किया। 

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: विरासत संरक्षण के तहत संरक्षण नैतिकता और जनसहभागिता के बीच सामंजस्य आवश्यक है। चर्चा कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. कौन सी संपत्ति वर्ष 2025 में भारत की 44वीं यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बनी?
उत्तर: मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया। इसके साथ ही यह मान्यता प्राप्त करने वाली देश की 44वीं संपत्ति बन गई है। इससे भारत की वैश्विक रैंकिंग में सुधार हुआ तथा लैंडस्केप्स-बेस्ड मिलिट्री विरासत के महत्त्व पर प्रकाश पड़ा।

2. ज्ञान भारतम क्या है और यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर: यह भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार करने से संबंधित राष्ट्रीय पहल है। इसका वेब पोर्टल और संस्थागत MoUs मिलकर एक समन्वित डिजिटल संरचना का निर्माण करते हैं, जिससे भारत की प्राचीन पांडुलिपि ज्ञान परंपरा को संरक्षित किया जा सके।

3. वर्ष 2025 में संस्कृति मंत्रालय ने विरासत को आजीविका से किस प्रकार जोड़ा?
उत्तर: कलाग्राम, सेवा पर्व और ट्राइबल बिज़नेस कॉन्क्लेव जैसी पहलों के माध्यम से मंत्रालय ने शिल्पकला को बढ़ावा दिया, बाज़ार से जुड़ाव और क्षमता निर्माण मंच आयोजित किये, ताकि विरासत को सतत आजीविका में परिवर्तित किया जा सके।


भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रभावी ग्रामीण रोज़गार हेतु MGNREGA का पुनरुद्धार

प्रिलिम्स के लिये: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS), आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (APBS), ग्राम पंचायतें, वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006, JanMGNREGA ऐप, ब्लॉकचेन।        

मेन्स के लिये: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) से संबंधित प्रमुख प्रावधान, उनसे संबंधित चुनौतियाँ और इसे सुदृढ़ करने हेतु आगे की राह। 

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड 

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा भ्रष्टाचार को रोकने के क्रम में कुछ शर्तों के साथ पश्चिम बंगाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के कार्यों को फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है। 

  • मार्च 2022 में केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन तथा फर्जी लाभार्थियों के कारण धनराशि रोकने हेतु MGNREGA अधिनियम, 2005 की धारा 27 का प्रयोग किया था।

सारांश

  • पश्चिम बंगाल में तीन साल के बाद MGNREGA का कार्य फिर से शुरू हो गया है जिसमें भ्रष्टाचार के समाधान हेतु केंद्र सरकार की ओर से कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
  • यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर अभी भी भुगतान में देरी, अप्रभावी संपत्ति गुणवत्ता, अप्रभावी सामाजिक लेखापरीक्षा तथा डिजिटल बहिष्कार जैसी समस्याओं से ग्रसित है।
  • MGNREGA के प्रभावी संचालन हेतु समय पर धन की उपलब्धता, पंचायतों को वास्तविक अधिकार, स्पष्ट जवाबदेहिता और समावेशी प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) क्या है?

  • परिचय: यह भारत में सामाजिक सुरक्षा के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में गारंटीकृत रोज़गार प्रदान करने हेतु शुरू की गई केंद्र प्रायोजित योजना है।
    • इसे वर्ष 2005 में शुरू किया गया था और ग्रामीण विकास मंत्रालय इसका नोडल मंत्रालय है।
  • वैधानिक रोज़गार गारंटी: इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार को 100 दिनों के वेतनभोगी रोज़गार की गारंटी दी गई है और सूखा या आपदा प्रभावित क्षेत्रों में  50 अतिरिक्त दिनों की रोज़गार गारंटी की सुविधा है।
    • इसके तहत यदि आवेदन के 15 दिनों के अंदर कार्य उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो परिवारों को बेरोज़गारी भत्ता (पहले 30 दिनों के लिये न्यूनतम मज़दूरी का 25% और उसके बाद 50%) मिलता है।
  • प्रशासनिक ढाँचा: इस योजना के कम से कम 50% कार्य ग्राम पंचायतों द्वारा निष्पादित किये जाने आवश्यक हैं। DMs व्यापक कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हुए ज़िला कार्यक्रम समन्वयक के रूप में भूमिका निभाता है।
    • केंद्र सरकार अकुशल श्रमिकों की मज़दूरी का 100% और सामग्री लागत का 75% वहन करती है जबकि राज्य सरकारें शेष 25% का वहन करती हैं।
  • केंद्रीय पर्यवेक्षण: MGNREGA अधिनियम, 2005 की धारा 27 केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का अधिकार प्रदान करती है कि अधिनियम का उचित कार्यान्वयन हो।
    • इसके तहत निधि के दुरुपयोग की विश्वसनीय शिकायत प्राप्त होने पर केंद्र सरकार जाँच का आदेश दे सकती है और यदि आवश्यक हो तो संबंधित योजना के लिये निधि जारी करना रोक सकती है। 
  • पारिश्रमिक प्रणाली: इसके तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करने के क्रम में भुगतान प्रत्यक्ष रूप से श्रमिकों के बैंक/आधार से जुड़े खातों में जमा किया जाता है। 
    • मस्टर रोल बंद होने के 16वें दिन से विलंबित भुगतानों पर श्रमिकों को 0.05% दैनिक मुआवज़ा मिलता है।
    • घटनास्थल पर हुई मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता के मामलों में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  • समता के उपाय: इसमें समान कार्य अवसर सुनिश्चित करने के क्रम में एक तिहाई महिला भागीदारी को अनिवार्य किया गया है। वन क्षेत्रों में निजी संपत्ति विहीन जनजातीय परिवार (वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 द्वारा प्रदत्त भूमि अधिकारों को छोड़कर) उन्नत रोज़गार प्रावधानों हेतु पात्र हैं।
  • डिजिटल अवसंरचना: 
    • GeoMGNREGA प्लेटफॉर्म: यह सभी ग्राम पंचायतों में निर्मित संपत्तियों की भौगोलिक टैगिंग पर केंद्रित है।
    • JanMGNREGA मोबाइल एप्लीकेशन: उपस्थिति दर्ज करने, भुगतान ट्रैक करने, संपत्ति मानचित्रण, प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने तथा शिकायत समाधान की सुविधा प्रदान करने में सहायक है।
    • NREGASoft आसूचना प्रणाली: यह MGNREGA के अंतर्गत सभी गतिविधियों को रिकॉर्ड करने पर केंद्रित है।

MGNREGA योजना के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • श्रम भुगतान में देरी: अक्सर श्रम भुगतान में देरी ABPS की खराबी, बैंक खातों में विसंगतियों तथा नौकरशाही संबंधी बाधाओं के कारण होती है। दैनिक आधार पर अनिवार्य 0.05% विलंब मुआवज़ा शायद ही कभी दिया जाता है।
    • उदाहरण के लिये वर्ष 2021 में केंद्र सरकार पर पश्चिम बंगाल का 7,500 करोड़ रुपये बकाया था जिसमें से श्रम भुगतान की राशि 2,744 करोड़ रुपये थी।
    • विभिन्न राज्यों में श्रम दरों में काफी भिन्नता (220 रुपये से लेकर 350 रुपये से अधिक तक) से प्रवासन का दबाव बनता है।
  • भ्रष्टाचार और लीकेज: फर्जी जॉब कार्ड और काल्पनिक लाभार्थियों के माध्यम से धन का गबन होने के साथ परियोजना आपूर्ति में हेराफेरी या अधिक बिलिंग के माध्यम से भ्रष्टाचार होता है।
    • उदाहरण के लिये केंद्र ने मनरेगा अधिनियम, 2005 की धारा 27 का उपयोग कई अनियमितताओं (नकली जॉब कार्ड, धन के दुरुपयोग, अनुचित कार्य आवंटन इत्यादि) के कारण किया।
  • अप्रभावी सामाजिक अंकेक्षण: कई स्थानों पर सामाजिक अंकेक्षण केवल औपचारिकता मात्र बनकर रह जाते हैं, जिनमें सीमित जनभागीदारी और अपर्याप्त ऑडिटर प्रशिक्षण होता है। साथ ही मज़दूरों में प्रतिशोध का भय रहता है, जिससे वास्तविक भागीदारी हतोत्साहित होती है और महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष छिपे रह जाते हैं।
  • संपत्तियों की कम गुणवत्ता: खराब कार्यकुशलता के कारण निर्मित परिसंपत्तियाँ जल्दी खराब होने लगती हैं और समर्पित रखरखाव की अनुपस्थिति उनके क्षरण को और तीव्र कर देती है।
    • अल्पकालिक लक्ष्यों और श्रम-गहन भूमि कार्य पर अत्यधिक ज़ोर देने से ऐसा बुनियादी ढाँचा बनता है जिसकी दीर्घकालिक उपयोगिता सीमित होती है।
  • डिजिटल विभाजन: JanMGNREGA ऐप जैसी डिजिटल पहलों से वे लोग बाहर रह जाते हैं जिनके पास डिजिटल साक्षरता या स्मार्टफोन की सुविधा नहीं है। अनिवार्य आधार सीडिंग उन मज़दूरों को और हाशिये पर धकेल देती है जिनके पास विश्वसनीय बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण दस्तावेज़ नहीं होते, जैसे कि वन-निवासी जनजातीय समुदाय

MGNREGA योजना को सुदृढ़ करने हेतु किन उपायों की आवश्यकता है?

  • क्षमता-निर्माण कार्यक्रम: ग्राम पंचायतों को वास्तविक वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार देकर उन्हें स्वायत्त परियोजना प्रबंधन में सक्षम बनाया जाना चाहिये।
    • गुणवत्तापूर्ण डिज़ाइन और निगरानी सुनिश्चित करने के लिये इंजीनियरों एवं विशेषज्ञों से युक्त ब्लॉक-स्तरीय तकनीकी प्रकोष्ठों का गठन किया जाना चाहिये।
  • पर्याप्त और समय पर वित्तपोषण: बजट का निर्धारण विगत आवंटन प्रवृत्तियों के बजाय वास्तविक रोज़गार मांग के आधार पर किया जाए। आपातकालीन स्थितियों के लिये ज़िला-स्तरीय आकस्मिक कोष (10–15%) बनाया जाए। परियोजना सुचारू रूप से चलती रहे, इसके लिये राज्यों द्वारा 25% सामग्री लागत समय पर जारी करना अनिवार्य किया जाए, देरी होने पर दंड का प्रावधान हो।
    • उदाहरण के लिये, पश्चिम बंगाल में श्रम बजट अब प्रदर्शन और अनुपालन के आधार पर तिमाही रूप से आवंटित किया जाएगा, जबकि आमतौर पर इसे पूरे वर्ष के लिये एक बार में स्वीकृति दी जाती थी।
  • प्रौद्योगिकी-सक्षम पारदर्शिता: सभी परियोजना चरणों में 100% जियो-टैगिंग को अनिवार्य किया जाए, साथ ही फोटो अपलोड और उच्च-मूल्य वाले कार्यों के लिये वीडियो प्रलेखन भी सुनिश्चित किया जाए।
    • भुगतान पैटर्न, उपस्थिति रिकॉर्ड और कार्य माप जैसे डेटा का विश्लेषण करने के लिये मशीन लर्निंग का उपयोग किया जाए ताकि अनियमितताओं की पहचान की जा सके। अपरिवर्तनीय और प्रत्यक्ष मज़दूर भुगतान सुनिश्चित करने के लिये ब्लॉकचेन आधारित मॉडल का पायलट परीक्षण किया जाए।
    • उदाहरण के लिये, केंद्र ने पश्चिम बंगाल में सभी श्रमिकों के लिये 100% इलेक्ट्रॉनिक KYC (e-KYC), 100% आधार सीडिंग और मज़दूरी भुगतान को आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (APBS) के माध्यम से अनिवार्य किया है।
  • उचित और पर्याप्त मज़दूरी: सर्टिफाइड बेयरफुट टेक्नीशियन (स्थानीय व्यक्ति जिन्हें MGNREGA कार्यों के लिये बुनियादी तकनीकी सहायता प्रदान करने का प्रशिक्षण दिया जाता है)  और कुशल कार्यों के लिये अधिक मज़दूरी दें। पेमेंट की 15-दिन की डेडलाइन लागू करें, जिसमें देरी होने पर ऑटोमैटिक पेनल्टी लगे। भुगतान में देरी रोकने के लिये 15 दिनों की कड़ी समय-सीमा लागू की जाए और देरी होने पर स्वत: दंड का प्रावधान किया जाए।

निष्कर्ष:

पश्चिम बंगाल में MGNREGA की पुनः शुरुआत भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच पारदर्शिता और जवाबदेही को मज़बूती देने की एक महत्त्वपूर्ण पहल को रेखांकित करती है। यह उदाहरण योजना की सामाजिक सुरक्षा जाल के रूप में संभावनाओं को उजागर करता है और केंद्रीय निगरानी तथा विकेंद्रीकृत कार्यान्वयन के बीच प्रभावी शासन के लिये चल रही तनावपूर्ण स्थिति को भी दर्शाता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. MGNREGA में मज़दूरी में निरंतर देरी और संपत्ति की गुणवत्ता जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं। इन मुख्य क्रियान्वयन चुनौतियों का समाधान करने के लिये संस्थागत और प्रौद्योगिकी-संबंधी सुधारों का सुझाव दीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. MGNREGA अधिनियम, 2005 की धारा 27 का महत्त्व क्या है?
यह केंद्र सरकार को निगरानी अधिकार प्रदान करती है, जिससे वह दिशानिर्देश जारी कर सकती है, जाँच का आदेश दे सकती है और कुप्रवृत्ति के मामलों में राज्यों को फंड जारी करना रोक सकती है, ताकि राष्ट्रीय योजना की अखंडता सुनिश्चित हो सके।

2. MGNREGA के कार्यान्वयन का समर्थन करने वाली डिजिटल पहलें कौन-सी हैं?
मुख्य प्लेटफॉर्म हैं: GeoMGNREGA (संपत्ति का जियो-टैगिंग), JanMGRNEGA ऐप (उपस्थिति, भुगतान, शिकायत निवारण) और NREGASoft (सभी गतिविधियों के लिये केंद्रीय MIS)।

3. MGNREGA लैंगिक समानता सुनिश्चित करने का लक्ष्य कैसे रखती है?
योजना में यह अनिवार्य है कि कम से कम एक-तिहाई लाभार्थी महिलाएँ हों, जिससे महिला कार्यबल की भागीदारी और समान वेतन रोज़गार तक पहुँच को बढ़ावा मिलता है।


UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम’ से लाभान्वित होने के पात्र हैं? (2011)

(a) केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों के वयस्क सदस्य
(b) गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवारों के वयस्क सदस्य
(c) सभी पिछड़े समुदायों के परिवारों के वयस्क सदस्य
(d) किसी भी परिवार के वयस्क सदस्य

उत्तर: (d)


मेन्स 

प्रश्न.  "गरीबी उन्मूलन की एक अनिवार्य शर्त गरीबों को वंचितता के प्रक्रम से विमुक्त कर देना है।" उपयुक्त उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इस कथन को पुष्ट कीजिये। (2016)


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