भारतीय इतिहास
जनजातीय गौरव दिवस 2025
- 15 Nov 2025
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प्रिलिम्स के लिये: जनजातीय गौरव दिवस, बिरसा मुंडा, जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, नारायण सिंह, प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान, प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान
मेन्स के लिये: जनजातीय गौरव दिवस का महत्त्व, बिरसा मुंडा जैसे जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत, तथा जनजातीय इतिहास एवं अधिकारों को राष्ट्रीय आख्यान में समाहित करने के लिये सरकार द्वारा अपनायी गयी बहुआयामी पहलों का विश्लेषण।
चर्चा में क्यों?
भारत में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2024–25 को उनके 150वें जन्म-जयंती वर्ष के रूप में जनजातीय गौरव वर्ष घोषित किया गया है।
जनजातीय गौरव दिवस क्या है तथा जनजातीय इतिहास के संरक्षण के लिये यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- जनजातीय गौरव दिवस: यह दिवस प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है ताकि जनजातीय समुदायों के सांस्कृतिक धरोहर-संरक्षण में योगदान तथा राष्ट्रीय गौरव, शौर्य, आतिथ्य जैसे भारतीय मूल्यों के संवर्द्धन में उनकी भूमिका का सम्मान किया जा सके। इसका प्रथम आयोजन वर्ष 2021 में आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत किया गया था।
- जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश भू-नीति के विरुद्ध उलगुलान (विद्रोह) का नेतृत्व किया, जो जनजातीय प्रतिरोध तथा स्वशासन की आकांक्षा का प्रतीक रहा है।
- अन्य जनजातीय नेतृत्वकर्त्ताओं—जैसे वीर नारायण सिंह, बादल भोई, राजा शंकर शाह तथा कुंवर रघुनाथ शाह—को भी औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध उनके संघर्षों के लिये स्मरण किया जाता है।
- जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश भू-नीति के विरुद्ध उलगुलान (विद्रोह) का नेतृत्व किया, जो जनजातीय प्रतिरोध तथा स्वशासन की आकांक्षा का प्रतीक रहा है।
- जनजातीय गौरव वर्ष 2025: इन आयोजनों के परिणामस्वरूप सरकार द्वारा जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की वीरता तथा उपनिवेश-विरोधी संघर्षों को अभिलेखित करने हेतु 11 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों की स्थापना की जा रही है, ये वो संघर्ष हैं जिन्हें प्रायः मुख्यधारा के इतिहास-लेखन में पर्याप्त स्थान नहीं मिला है।
- अब तक 4 संग्रहालय छत्तीसगढ़, झारखंड तथा मध्य प्रदेश में उद्घाटित किये जा चुके हैं।
- स्मृति संरक्षक के रूप में संग्रहालय:
- शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक एवं जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय (रायपुर, छत्तीसगढ़): यह बिंझवार जनजाति के नारायण सिंह की स्मृति में बनाया गया है, जिन्होंने वर्ष 1856-1857 में ब्रिटिश अकाल नीतियों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया था और 10 दिसंबर, 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई थी।
- संग्रहालय में हल्बा क्रांति, मेरिया क्रांति और भूमकाल क्रांति जैसे जनजातीय विद्रोहों का विवरण मिलता है तथा रानी चो-रिस क्रांति (1878) जैसे महिलाओं के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ गांधीवादी आंदोलनों में जनजातियों की भागीदारी को प्रमुखता से दर्शाया गया है गया है।
- भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय (रांची, झारखंड): यह उलगुलान (1899-1900) के नेता, आध्यात्मिक सुधारक तथा स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की स्मृति में बनाया गया है।
- बादल भोई राज्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय (छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश): यह संग्रहालय ब्रिटिश वन कानूनों और उत्पीड़न के विरुद्ध जनजातीय विद्रोह के नेता बादल भोई (1845-1940) को सम्मानित करते हुए निर्मित किया गया है।
- राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह संग्रहालय (जबलपुर, मध्य प्रदेश): यह संग्रहालय वर्ष 1857 के दौरान ब्रिटिश शासन का विरोध तथा साहित्य का अहिंसक साधन के रूप में प्रयोग करने वाले कवियों को समर्पित है।
- शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक एवं जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय (रायपुर, छत्तीसगढ़): यह बिंझवार जनजाति के नारायण सिंह की स्मृति में बनाया गया है, जिन्होंने वर्ष 1856-1857 में ब्रिटिश अकाल नीतियों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया था और 10 दिसंबर, 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई थी।
बिरसा मुंडा कौन थे?
- परिचय: 15 नवंबर 1875 को छोटा नागपुर पठार में जन्मे बिरसा मुंडा, मुंडा जनजाति से संबंधित थे।
- ब्रिटिश शासन के दौरान उन्होंने भूमि-अधिग्रहण, बेगार (बलात् श्रम) तथा खूँटकट्टी भूमि प्रणाली (जनजातीय वंशावली आधारित सामूहिक भूमि-अधिकार) के पतन को प्रत्यक्ष रूप से देखा।
- उन्होंने आस्था के रूप में ‘बिरसा’ की स्थापना की, जिसके माध्यम से मुंडा तथा उराँव समुदाय के अनुयायी उन्हें “भगवान” तथा “धरती का अब्बा” के रूप में पूजते थे।
- जनजातीय संगठन में भूमिका: 1886–1890 के दौरान चाइबासा में निवास करते समय वे सरदार आंदोलन (1858–90) से प्रभावित हुए, जिसने जनजातीय समुदायों को बलात् श्रम तथा अवैध काश्तकारी-वृद्धि के विरुद्ध संगठित किया था। बिरसा मुंडा ने भूमि-अधिकार, सांस्कृतिक अस्मिता तथा स्वायत्तता की रक्षा हेतु जनजातीय समूहों का संगठित प्रतिरोध प्रारंभ किया तथा ब्रिटिश शोषण और डिकू प्रभुत्व को चुनौती दी।
- उलगुलान (1899–1900): उन्होंने उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसमें जनजातीय क्षेत्रों से ब्रिटिश शासन की समाप्ति, बाहरी लोगों के निष्कासन तथा “बिरसा राज” की स्थापना की मांग की गयी।
- इस आंदोलन में गुरिल्ला रणनीतियाँ अपनायी गयीं, औपनिवेशिक करों का भुगतान अस्वीकार किया गया तथा दमनात्मक कानूनों को मानने से इंकार किया गया। इसे भारत के इतिहास के सर्वाधिक संगठित जनजातीय विद्रोहों में से एक माना जाता है।
- गिरफ्तारी एवं मृत्यु: वर्ष 1900 में बिरसा मुंडा अपने गुरिल्ला समूह के साथ जामकोपाई वन में गिरफ्तार किये गए। 9 जून 1900 को राँची जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में उनका निधन हो गया। उस समय उनकी आयु मात्र 25 वर्ष थी।
- विरासत: उनके जनआंदोलन के परिणामस्वरूप छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम, 1908 जैसे संरक्षात्मक विधायी सुधार लागू हुये, जिन्होंने जनजातीय समुदायों के भूमि-अधिकारों को विधिक सुरक्षा प्रदान की।
- बाद में 15 नवम्बर 2000 को – उनकी जन्मतिथि पर – झारखण्ड राज्य का गठन हुआ, जो उनकी ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है।
भारत में जनजातीय संस्कृति और विरासत के संवर्द्धन से संबंधित प्रमुख पहलें
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पहल |
मुख्य विशेषताएँ |
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आदि संस्कृति परियोजना |
इसमें विभिन्न जनजातीय कलाओं से संबंधित लगभग 100 गहन पाठ्यक्रम शामिल हैं; इसके द्वारा भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक जनजातीय धरोहर पर लगभग 5,000 चयनित दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते है। |
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आदि वाणी |
इससे हिंदी, अंग्रेज़ी और प्रमुख जनजातीय भाषाओं (मुंडारी, भीली, गोंडी, संथाली, गारो, कुई) के बीच रियल-टाइम टेक्स्ट एवं स्पीच अनुवाद की सुविधा मिलती है। |
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जनजातीय डिजिटल दस्तावेज़ भंडार |
भारत के जनजातीय समुदायों से जुड़े दस्तावेज़ों का डिजिटल भंडार। |
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वर्णमाला और मौखिक साहित्य पहल |
जनजातीय भाषाओं में स्थानीय कविताओं, बाल-गीतों और कहानियों का प्रकाशन; जनजातीय मौखिक साहित्य, लोककथाओं और लोककथानक का संग्रह एवं दस्तावेज़ीकरण। |
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स्थानीय ज्ञान पर शोध और दस्तावेज़ीकरण |
स्वदेशी उपचार पद्धतियों, औषधीय पौधों, आदिवासी भाषाओं, कृषि, नृत्य, चित्रकला आदि पर शोध को बढ़ावा देना। |
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आदि महोत्सव |
जनजातीय शिल्प, भोजन, वाणिज्य, संस्कृति और कला का उत्सव; इससे जनजातीय प्रतिभा और उद्यमशीलता को राष्ट्रीय मंच मिलता है। |
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जनजातीय शिल्प मेला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम |
शिल्प मेलों, लोक नृत्य महोत्सवों, कला प्रतियोगिताओं, कार्यशाला-सह-प्रदर्शनी का आयोजन; राज्यों में जनजातीय मेलों और उत्सवों हेतु वित्तीय सहायता। |
जनजातीय कल्याण एवं विकास संबंधी भारत की पहलें
- विधिक सशक्तीकरण: वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006; पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम — PESA, 1996।
- सामाजिक सुरक्षा: प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN), वन धन विकास योजना (VDVY)।
- ग्रामीण विकास एवं अवसंरचना: प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान।
- स्वास्थ्य: सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन।
- शिक्षा: एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS)।
निष्कर्ष
जनजातीय गौरव दिवस और जारी वर्ष उत्सव, संग्रहालयों एवं डिजिटल पहलों के माध्यम से बिरसा मुंडा जैसे उपेक्षित जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को राष्ट्रीय विमर्श में स्थान देने पर केंद्रित है। यह न केवल उनके बलिदानों का सम्मान करने बल्कि जनजातीय विरासत के संरक्षण के साथ समावेशी भारत की परिकल्पना का मार्ग प्रशस्त करता है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: जनजातीय भाषाओं और सांस्कृतिक ज्ञान के संरक्षण में डिजिटल पहलों की भूमिका की विवेचना कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
(a) PVTG 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में निवास करते हैं।
(b) स्थिर या कम होती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारण के मानदंडों में से एक है।
(c) देश में अब तक 95 PVTG आधिकारिक तौर पर अधिसूचित हैं।
(d) PVTGs की सूची में ईरूलर और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 2 और 4
(d) 1, 3 और 4
उत्तर: (c)
प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2013)
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जनजाति |
राज्य |
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1. लिंबू (लिम्बु) |
सिक्किम |
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2. कार्बी |
हिमाचल प्रदेश |
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3. डोंगरिया कोंध |
ओडिशा |
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4. बोंडा |
तमिलनाडु |
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा सही सुमेलित है?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (a)
मेन्स:
प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गई दो प्रमुख विधिक पहलें क्या हैं? (2017)
