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भारत-US कर संधि विवाद

  • 06 Dec 2025
  • 13 min read

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

दोहरा कराधान बचाव समझौता (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) की अमेरिकी व्याख्या में प्रस्तावित बदलाव से लौट रहे भारतीय पेशेवरों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और दूरस्थ कार्यकर्त्ताओं के लिये महत्त्वपूर्ण कर लाभ समाप्त होने का खतरा है।

  • वर्तमान लाभ: RNOR स्थिति ऐसे व्यक्तियों को केवल भारत में अर्जित या प्राप्त आय पर कर देने की अनुमति देती है, विदेशी आय (जैसे अमेरिकी वेतन, लाभांश, ब्याज, पूंजीगत लाभ) RNOR अवधि के दौरान भारत में अप्रभावित रहती है।
    • RNOR के लिये पात्रता: 120–182 दिन भारत में रहने या पिछले 10 वर्षों में 9 वर्षों तक NRI रहने या पिछले 7 वर्षों में ≤729 दिन भारत में रहने जैसे मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है।
  • आगामी बदलाव: अमेरिका नए OECD टिप्पणी का हवाला देते हुए, RNOR को संधि के तहत भारतीय ‘कर निवासी’ के रूप में अब मान्यता नहीं दे सकता, क्योंकि भारत इस स्थिति के दौरान उनकी वैश्विक आय पर कर नहीं लगाता।
  • प्रभाव: इससे RNOR संधि लाभों से वंचित हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी स्रोत कर दरों में वृद्धि होगी (जैसे, लाभांश पर 30% कर बनाम 15-25%, ब्याज पर 30% कर बनाम 15%)।
    • यह मौजूदा सीमा-पार निवेश संरचनाओं को जोखिम में डालता है और प्रभावित व्यक्तियों के लिये तत्काल वित्तीय पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता उत्पन्न करता है, भले ही भारत के घरेलू कर कानून में कोई बदलाव नहीं हुआ हो।
  • कानूनी महत्त्व: हालाँकि OECD टिप्पणी बाध्यकारी नहीं है, इसका प्रेरक प्रभाव मज़बूत है, विशेषकर क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों OECD ढाँचे के साथ जुड़ते हैं, जिससे यह बदलाव एक संभावित गंभीर खतरा बन जाता है।

और पढ़ें: अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौता और दोहरा कराधान बचाव समझौता

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