रैपिड फायर
राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025
- 06 Dec 2025
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लोकसभा में 'राइट टू डिसकनेक्ट बिल 2025' (Right to Disconnect Bill 2025) नामक एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया गया है, जिसका लक्ष्य कर्मचारियों को काम के घंटों के बाद कार्य से जुड़े कॉल्स या ईमेल का जवाब देने के लिये कानूनी रूप से बाध्य होने से बचाना है, ताकि कार्य-जीवन संतुलन (work-life balance) को बढ़ावा दिया जा सके।
- मुख्य प्रावधान: विधेयक में एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव है, जो 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों में राइट टू डिस्कनेक्ट के अधिकार को लागू करने, आधारभूत अध्ययन करने और कार्य समय के बाद काम से संबंधित शर्तों पर चर्चा करने का कार्य करेगा।
- विधेयक के अनुसार, कर्मचारी जो निर्धारित समय के बाद संवाद करने से इनकार करते हैं, उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी, और यदि उन्हें निर्धारित समय से अधिक काम दिया जाता है तो नियोक्ता को ओवरटाइम वेतन का भुगतान करना होगा।
- इसके अलावा, विधेयक में मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों—जैसे टेलीप्रेशर, तनाव और "इन्फो- ओबेसिटी (info-obesity) से निपटने के लिये परामर्श सेवाओं और डिजिटल डिटॉक्स केंद्रों की स्थापना का भी प्रस्ताव किया गया है।
- वैश्विक संदर्भ में समानता: फ्राँस, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने पहले ही इस प्रकार के अधिकार लागू कर दिये हैं, जो कर्मचारी कल्याण की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को दर्शाते हैं।
- निजी सदस्य विधेयक: निजी सदस्य विधेयक एक ऐसा प्रस्तावित कानून है जिसे किसी सांसद (MP) द्वारा संसद में पेश किया जाता है, जो किसी मंत्री द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जाता।
- भारतीय संसदीय प्रणाली में, किसी सांसद को ‘निजी सदस्य’ तब माना जाता है जब वह किसी मंत्री पद पर न हो, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का।
- निजी सदस्यों के विधेयक, जो संसद सत्र के दौरान शुक्रवार को लिये जाते हैं, कभी-कभार ही पारित हो पाते हैं।
- स्वतंत्रता के बाद से अब तक केवल 14 निजी सदस्य विधेयक (PMB) दोनों सदनों में पारित होकर राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त कर पाए हैं और वर्ष 1970 के बाद से कोई भी PMB दोनों सदनों में पारित नहीं हुआ है।