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केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) में सुधार

  • 04 Nov 2025
  • 93 min read

प्रिलिम्स के लिये: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, केंद्र प्रायोजित योजनाएँ, सतत् विकास लक्ष्य, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, मिड-डे मील योजना, विशेष श्रेणी के राज्य, सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण  

मेन्स के लिये: केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS): कार्यान्वयन में चुनौतियाँ और सुधार, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की भूमिका: वित्तीय ईमानदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करना।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) में आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उनकी बजटिंग, लेखांकन तथा भुगतान प्रणालियों को मज़बूत करने के लिये एक समिति का गठन किया है।

  • यह समिति यह समीक्षा करेगी कि राज्य किस प्रकार CSS आवंटनों को सतत् विकास लक्ष्यों  (SDGs) के साथ दर्शाते और एकीकृत करते हैं, ताकि देशभर में समान तथा पारदर्शी बजट एवं लेखांकन प्रथाएँ सुनिश्चित की जा सकें।

केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) क्या हैं?

  • परिचय: केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) ऐसी योजनाएँ हैं जिन्हें केंद्र और राज्य दोनों मिलकर वित्तीय रूप से समर्थन देते हैं, इन्हें राज्य सरकारें लागू करती हैं तथा ये संविधान की राज्य सूची एवं समवर्ती सूची में शामिल क्षेत्रों पर केंद्रित होती हैं।
    • ये योजनाएँ राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरक बनाने के लिये डिज़ाइन की गई हैं, ताकि केंद्र की मज़बूत वित्तीय क्षमता का लाभ उठाया जा सके और सभी धन हस्तांतरण राज्य के समेकित कोष के माध्यम से किये जाते हैं।
    • भारत वर्तमान में 54 केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) और 260 केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ चला रहा है, जिसमें प्रत्येक रुपये में से 8 पैसे CSS पर खर्च होते हैं।
  • श्रेणियाँ: CSS को तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा गया है:
    • कोर ऑफ द कोर स्कीम: ये सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम होते हैं जो सामाजिक समावेशन और सुरक्षा को लक्षित करते हैं, जैसे- MGNREGA
    • कोर स्कीम: ये योजनाएँ मुख्य विकासात्मक क्षेत्रों जैसे कृषि, बुनियादी ढाँचा, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास पर केंद्रित होती हैं। उदाहरणों में मिड-डे मील (स्कूल पोषण कार्यक्रम) और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) शामिल हैं।
    • वैकल्पिक योजनाएँ: राज्यों के पास अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर इन्हें लागू करने की फ्लेक्सिबिलिटी है, जैसे कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम
  • वित्तपोषण: केंद्र अपनी बजट का लगभग 10% राशि CSS पर आवंटित करता है और केंद्र-राज्य वित्तपोषण का अनुपात इस प्रकार है: अधिकांश योजनाओं के लिये 60:40, कुछ चयनित योजनाओं के लिये 80:20, उत्तर-पूर्वी एवं विशेष श्रेणी के राज्यों के लिये 90:10।
  • केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ (Central Sector Schemes) में अंतर:

आधार

केंद्रीय क्षेत्र योजनाएँ (CS)

केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS)

वित्तपोषण

100% केंद्रीय सरकार द्वारा वित्तपोषित

इसे केंद्र और राज्यों द्वारा तय अनुपात (जैसे- 90:10, 75:25, 60:40) में फंड किया जाता है।

कार्यान्वयन

केंद्र सरकार की मशीनरी या उसके एजेंसियों द्वारा सीधे लागू की जाती है

राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा कार्यान्वित

विषय क्षेत्र

मुख्य रूप से संघ सूची के तहत विषयों पर आधारित

राज्य सूची के अंतर्गत विषयों के आधार पर

वित्तीय हस्तांतरण

राज्यों को कोई धन हस्तांतरित नहीं किया जाता, खर्च केंद्र द्वारा किया जाता है

योजना को लागू करने के लिये राज्यों को धन हस्तांतरित किया जाता है

उद्देश्य


राष्ट्रीय महत्त्व के कार्यक्रमों को केंद्र द्वारा सीधे लागू करना।

राज्यों को कल्याण और विकास कार्यक्रमों को लागू करने में सहायता करना।

उदाहरण

अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, भारतनेट

मनरेगा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्याह्न भोजन योजना

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

  • परिचय: भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित, CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक), भारतीय लेखा एवं ऑडिट विभाग (IA&AD) का प्रमुख होता है।
    • CAG का प्रशासन: इसे CAG के (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 द्वारा शासित किया जाता है, जिसे वर्ष 1976, 1984 और 1987 में संशोधित किया गया।
    • इसे भारतीय लोकतंत्र के मुख्य स्तंभों में से एक माना जाता है, जैसे कि सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग, और UPSC
  • नियुक्ति और कार्यकाल: CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जिसकी अवधि 6 वर्ष की होती है या 65 वर्ष की आयु तक। CAG पक्षपात रहित कार्य करने की शपथ लेते हैं और राष्ट्रपति को अपना त्याग-पत्र देकर इस्तीफा दे सकते हैं।
  • हटाना: CAG को केवल राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है और यह प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान होती है — अर्थात् सत्यापित दुराचार या अक्षमता के मामलों में संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित होना आवश्यक है।
  • भूमिका और कर्त्तव्य: CAG, संसद का प्रतिनिधि होने के कारण यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग कानूनी, कुशल तथा निर्धारित उद्देश्यों के लिये किया जाए।
    • यह कानूनी, नियामक और नैतिक ऑडिट करता है ताकि व्यय की वैधता, आर्थिकता तथा विवेकपूर्णता का मूल्यांकन किया जा सके।
    • ब्रिटेन के CAG के विपरीत, भारत का CAG केवल ऑडिटर के रूप में कार्य करता है, नियंत्रक (Comptroller) के रूप में नहीं।
  • स्वतंत्रता: CAG को केवल संवैधानिक प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति द्वारा (न की राष्ट्रपति के विवेक अधिकार पर) हटाया जा सकता है
    • पद छोड़ने के बाद CAG भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी भी अन्य पद के लिये पात्र नही हैं।

केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) से संबंधित प्रमुख मुद्दे क्या हैं?

  • पारदर्शिता का अभाव: एक प्रमुख चुनौती यह है कि राज्य बजटों में CSS (केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं) की निधियों का स्पष्ट विवरण नहीं होता, केंद्र और राज्य के अंशों को अलग-अलग नहीं दर्शाया जाता। इससे सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) जैसे व्यापक उद्देश्यों के साथ योजनाओं का समन्वय और कुल सार्वजनिक व्यय की ट्रैकिंग कठिन हो जाती है।
    • असंगत लेखांकन, दोहराए गए प्रतिवेदन, कमज़ोर निगरानी और अपर्याप्त लेखा परीक्षा परियोजनाओं के प्रभाव के सटीक मूल्यांकन को बाधित करते हैं।
  • निधियों का अप्रत्याशित प्रवाह: केंद्र से राज्यों और कार्यान्वयन एजेंसियों तक धन का प्रवाह अक्सर अनियमित एवं अप्रत्याशित होता है, जिससे परियोजनाएँ विलंबित होती हैं, संसाधन निष्क्रिय पड़े रहते हैं तथा वर्ष के अंत में धन खर्च करने की हड़बड़ी से कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  • आवंटन: कठोर बजटीय प्रावधानों के कारण राज्यों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप धन समायोजित करने की स्वतंत्रता नहीं होती। “एक जैसा समाधान सभी के लिये” दृष्टिकोण क्षेत्रीय असमानताओं की अनदेखी करता है।
  • भुगतान प्रणाली से जुड़ी चुनौतियाँ: यद्यपि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सुधार लागू किये गए हैं, फिर भी प्रक्रियागत जटिलताएँ, सत्यापन त्रुटियाँ और तकनीकी बाधाओं के कारण भुगतान में देरी होती है।
    • असटीक लाभार्थी डेटा, बैंकिंग समस्याएँ और रीयल-टाइम ट्रैकिंग की अनुपस्थिति से धन का रिसाव, शिकायतें एवं जवाबदेही की कमी उत्पन्न होती है।

CSS की प्रभावशीलता में सुधार हेतु कौन-से सुधार आवश्यक हैं?

  • एकीकृत एवं पारदर्शी बजट शीर्षक: सभी केंद्रीय और राज्य सरकारों के अंश को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने हेतु सभी केंद्रीय बजटों में एक मानकीकृत बजट संरचना अपनाई जाए। साथ ही, व्यय को ठोस विकास परिणामों से जोड़ने के लिये सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) से संबद्ध बजट व्यवस्था को अनिवार्य किया जाना चाहिये।
  • भविष्योन्मुखी वित्तपोषण: राज्यों को वार्षिक आवंटन की पूर्व जानकारी प्रदान की जाए, प्रमुख केंद्रीय योजनाओं के लिये तीन-वर्षीय गतिशील राजकोषीय ढाँचा अपनाया जाए और बेहतर योजना, परियोजना की निरंतरता तथा परिणाम-उन्मुख कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये 10–15% निधियों को प्रदर्शन संकेतकों से जोड़ा जाए।
    • मध्याह्न भोजन और पीएम-पोषण जैसी योजनाओं के अंतर्गत खाना पकाने की लागत के प्रावधानों को WPI-सूचकांकित किया जाना चाहिये तथा प्रत्येक दो वर्षों में संशोधित किया जाना चाहिये।
  • मानकीकृत लेखांकन कोड: राज्यों में समान वर्गीकरण कोड के साथ CSS के लिये एक राष्ट्रीय लेखांकन ढाँचा तैयार किया जाए, ताकि डेटा का समेकन, अंतर-राज्यीय तुलना और CAG के लिये पारदर्शी लेखा परीक्षा प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
  • राज्य IFMIS के साथ अनिवार्य एकीकरण: आधार-लिंक्ड लाभार्थी डेटाबेस को बनाए रखते हुए सटीक लेखांकन के लिये सभी CSS लेन-देन को राज्य एकीकृत वित्तीय प्रबंधन और सूचना प्रणाली (IFMIS) के साथ एकीकृत करना।
    • सामान्य सेवा केंद्रों (CSS) के माध्यम से प्रामाणीकरण और शिकायत निवारण को सक्षम बनाना।
  • दक्षता के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: निधि प्रवाह पर नज़र रखने, विसंगतियों का पता लगाने और व्यय प्रवृत्तियों का पूर्वानुमान लगाने हेतु AI तथा डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाना, साथ ही अधिकारियों को मोबाइल-आधारित वास्तविक समय निगरानी के माध्यम से व्यय और प्रगति को रिकॉर्ड करने में सक्षम बनाना।

निष्कर्ष:

CAG की यह समिति CSS के वित्तीय प्रशासन में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य अपारदर्शी बजटिंग, बिखरे हुए लेखांकन और अकुशल भुगतान प्रक्रियाओं जैसी चुनौतियों को दूर करना है। इसके माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाना, निधि प्रवाह को अधिक पूर्वानुमानित बनाना तथा परिणाम-उन्मुख व्यय को सुदृढ़ करना लक्ष्य है, जिससे राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के अनुरूप सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता में व्यापक सुधार हो सके।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) के कार्यान्वयन में चुनौतियों की जाँच कीजिये और राजकोषीय पारदर्शिता एवं सेवा वितरण में सुधार के लिये संस्थागत सुधारों का सुझाव दीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) क्या हैं?

CSS संयुक्त रूप से वित्तपोषित केंद्र-राज्य कार्यक्रम हैं जो राज्यों द्वारा समवर्ती और राज्य के विषयों में राज्य के प्रयासों के पूरक के रूप में कार्यान्वित किये जाते हैं तथा राज्य की संचित निधि के माध्यम से प्रदान किये जाते हैं।

2. केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) के लेखापरीक्षा में CAG की क्या संवैधानिक भूमिका है?

अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित भारत की सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्था (CAG) की भूमिका सार्वजनिक धन के उपयोग में वैधता, दक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। इसके लिये यह केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं (CSS) के व्यय की कानूनी, नियामक और औचित्यपरक लेखा परीक्षा करता है।

3. केंद्र प्रायोजित योजनाएँ (CSS) केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं से किस प्रकार भिन्न हैं?

CSS केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित तथा राज्यों द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं, जबकि केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ पूरी तरह से वित्तपोषित और सीधे केंद्र सरकार द्वारा कार्यान्वित की जाती हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स

प्रश्न. लोक निधि के फलोत्पादक और आशायित प्रयोग को सुरक्षित करने के साथ-साथ भारत में नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (CAG) के कार्यालय का महत्त्व क्या है? (2012)

  1. CAG संसद की ओर से राजकोष पर नियंत्रण रखता है जब भारत का राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात/वित्तीय आपात घोषित करता है।
  2. मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित परियोजनाओं या कार्यक्रमों पर CAG द्वारा जारी किये गए प्रतिवेदनों पर लेखा समिति विचार-विमर्श करती है।
  3. CAG के प्रतिवेदनों से मिली जानकारियों के आधार पर जाँचकर्त्ता एजेंसियाँ उन लोगों के विरुद्ध आरोप दाखिल कर सकती है जिन्होंने लोक निधि प्रबंधन में कानून का उल्लंघन किया हो।
  4. CAG को ऐसी मिश्रित न्यायिक शक्तियाँ प्राप्त हैं कि सरकारी कंपनियों के लेखा-परीक्षा और लेखा जाँच करते समय वह कानून का उल्लंघन करने वालों पर अभियोग लगा सके।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 3 ओर 4
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: c


मेन्स

प्रश्न. “नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका है।” समझाएँ कि यह उसकी नियुक्ति की पद्धति और शर्तों के साथ-साथ उसके द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियों की सीमा में कैसे परिलक्षित होती है? (2018)

प्रश्न. संघ एवं राज्यों की लेखाओं के संबध में नियंत्रक और महालेखापरीक्षक की शक्तिओं का प्रयोग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 149 से व्युत्पन्न है। चर्चा कीजिये कि क्या सरकार की नीति कार्यान्वयन की लेखापरीक्षा करना अपने स्वयं (नियंत्रक और महालेखापरीक्षक) की अधिकारिता का अतिक्रमण करना होगा या नहीं। (2016)

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