अंतर्राष्ट्रीय संबंध
एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन 2025
- 04 Nov 2025
- 69 min read
प्रिलिम्स के लिये: एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग, हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI), ग्योंगजू घोषणा (2025)
मेन्स के लिये: हिंद-प्रशांत में भारत की विदेश नीति, क्षेत्रीय व्यापार को आकार देने में एपेक की भूमिका
चर्चा में क्यों?
दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में आयोजित एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन 2025, APEC नेताओं के ग्योंगजू घोषणा-पत्र (2025) को अपनाने के साथ संपन्न हुआ, जिसमें क्षेत्रीय सहयोग, डिजिटल परिवर्तन और समावेशी आर्थिक विकास की पुष्टि की गई।
APEC शिखर सम्मेलन 2025 के मुख्य परिणाम क्या हैं?
- ग्योंगजू घोषणा को अपनाना (2025): इस घोषणा-पत्र में समावेशी आर्थिक विकास के प्रति APEC नेताओं की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई तथा श्रम बाज़ारों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और जनसांख्यिकीय बदलावों के परिवर्तनकारी प्रभाव को मान्यता दी गई।
- इसमें तीन प्राथमिकताएँ रेखांकित की गईं:
- विश्व की सबसे गतिशील और परस्पर जुड़ी क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण।
- क्षेत्र को डिजिटल और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित परिवर्तन के लिये तैयार करना।
- साझा चुनौतियों का समाधान करते हुए यह सुनिश्चित करना कि विकास के लाभ सभी तक समान रूप से पहुँचें।
- इसमें तीन प्राथमिकताएँ रेखांकित की गईं:
- APEC आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पहल (2026-2030): AI पहल का उद्देश्य नवाचार, सहयोग, क्षमता निर्माण और सतत्, ऊर्जा-कुशल AI विकास को बढ़ावा देकर समावेशी, समुत्थानशील विकास को बढ़ावा देना है।
- जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के लिये रूपरेखा: APEC द्वारा अपनाया गया यह ढाँचा, क्षेत्र की वृद्ध होती आबादी, घटती जन्म दर और तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण जैसी चुनौतियों का समाधान करता है।
- यह समुत्थानशील और समावेशी विकास के लिये जन-केंद्रित, अंतर-पीढ़ीगत नीतियों का आग्रह करता है तथा साझा नीतिगत प्रतिक्रियाओं, सामाजिक नवाचार, मज़बूत रोज़गार, राजकोषीय समुत्थानशीलता और वृद्ध आबादी के लिये "सिल्वर इकोनॉमी" को बढ़ावा देता है।
- मज़बूत आर्थिक और तकनीकी सहयोग: चीन-दक्षिण कोरिया ने मुद्रा विनिमय को नवीनीकृत कर साइबर सुरक्षा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। शिखर सम्मेलन के दौरान हुई अमेरिका-चीन वार्ता ने व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने और चुनिंदा शुल्कों में कटौती की योजना के साथ तनाव कम करने का संकेत दिया।
- समावेशी और नियम-आधारित बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता: नेताओं ने पुत्रजया विज़न 2040 की पुनः पुष्टि की, जिसमें मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार, स्थिर निवेश वातावरण और विखंडन के बजाय बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
- पुत्रजया विज़न 2040, जिसे APEC ने वर्ष 2020 में अपनाया, एक दीर्घकालिक रणनीतिक रूपरेखा है जिसका उद्देश्य खुले, गतिशील, अनुकूलनशील और शांतिपूर्ण एशिया-प्रशांत समुदाय का निर्माण करना है।
एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) क्या है?
- एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) की स्थापना वर्ष 1989 में हुई थी। यह 21 अर्थव्यवस्थाओं का एक क्षेत्रीय मंच है, जिसका उद्देश्य संतुलित, समावेशी, सतत् और नवोन्मेषी विकास को बढ़ावा देना, साथ ही एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक एकीकरण को आगे बढ़ाना है।
- APEC “देशों” के बजाय “अर्थव्यवस्थाओं (Economies)” शब्द का उपयोग करता है, ताकि राजनीतिक प्रतिनिधित्व की बजाय आर्थिक सहयोग पर ज़ोर दिया जा सके।
- APEC का उद्देश्य वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और जन-आवागमन को सुगम बनाना है। इसके लिये यह सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सरल बनाता है, व्यावसायिक वातावरण में सुधार करता है तथा क्षेत्रीय नीतियों और मानकों में सामंजस्य स्थापित कर व्यापार तथा आर्थिक एकीकरण को सशक्त बनाता है।
- सदस्य देश: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कनाडा, चिली, चीन, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मेक्सिको, न्यूज़ीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, पेरू, फिलिपींस, रूस, सिंगापुर, चीनी ताइपे, थाईलैंड, अमेरिका और वियतनाम।
- APEC की 21 सदस्य अर्थव्यवस्थाओं में लगभग 2.95 अरब लोग निवास करते हैं जो विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 62% तथा वैश्विक व्यापार का 48% (2021 के अनुसार) प्रतिनिधित्व करते हैं।
- भारत APEC का सदस्य नहीं है, लेकिन इसके कई सदस्य देशों के साथ उसके मज़बूत राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंध हैं।
- APEC प्रक्रिया: यह सर्वसम्मति और स्वैच्छिक भागीदारी के सिद्धांत पर कार्य करती है, जहाँ सभी सदस्यों की समान भागीदारी होती है और निर्णय संवाद के माध्यम से लिये जाते हैं।
- APEC प्रक्रिया को सिंगापुर स्थित एक स्थायी सचिवालय का सहयोग प्राप्त है।
- भारत की APEC में रुचि: भारत APEC को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार, निवेश और आर्थिक एकीकरण को सुदृढ़ करने के एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में देखता है।
- इसकी सदस्यता भारत को वैश्विक व्यापार मानकों के साथ बेहतर सामंजस्य, प्रक्रियाओं के सरलीकरण, अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने तथा ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी राष्ट्रीय पहलों को सशक्त बनाने में सहायता प्रदान कर सकती है।
- भारत की APEC सदस्यता में गिरावट के कारण: भारत की APEC सदस्यता की संभावना इसलिये कम हो गई क्योंकि यह मंच सर्वसम्मति-आधारित प्रवेश प्रक्रिया अपनाता है, नए सदस्यों को शामिल करने पर रोक (फ्रीज़) लगी हुई है एवं भारत की संरक्षणवादी व्यापार नीतियों तथा जटिल विनियामक ढाँचे को लेकर चिंताएँ व्यक्त की गई हैं।
- भू-राजनीतिक कारणों, विशेष रूप से चीन के मौन विरोध, ने वर्ष 1991 और वर्ष 1997 में भारत के आवेदन करने के बावजूद उसे इस मंच की सदस्यता से बाहर रखा है।
- हालाँकि भारत अतिथि या पर्यवेक्षक के रूप में APEC की बैठकों में भाग लेता रहा है, लेकिन उसकी सदस्यता पर अब तक विचार नहीं किया गया है।
APEC का विकसित एजेंडा भारत के हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण के साथ किस प्रकार संरेखित है?
- साझा दृष्टिकोण: APEC और भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति दोनों ही एक स्वतंत्र, खुले एवं समावेशी क्षेत्रीय व्यवस्था पर ज़ोर देती हैं, जो पारदर्शिता, कनेक्टिविटी तथा अंतर्राष्ट्रीय नियमों के प्रति सम्मान पर आधारित है।
- कनेक्टिविटी और एकीकरण पर ध्यान: आपूर्ति-शृंखला अनुकूलन, बुनियादी और डिजिटल कनेक्टिविटी पर APEC का एजेंडा एक्ट ईस्ट नीति एवं महासागर तथा इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (APEC) जैसी पहलों के तहत भारत के प्रयासों का पूरक है।
- डिजिटल और नवाचार तालमेल: AI, डिजिटल अर्थव्यवस्था और नवाचार-संचालित विकास पर APEC का नया ज़ोर भारत के घरेलू कार्यक्रमों जैसे डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया तथा इंडिया AI के साथ संरेखित है, जो इस क्षेत्र में एक डिजिटल सेतु के रूप में भारत की भूमिका को मज़बूत करता है।
- चूँकि APEC जैसे जैसे अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के एजेंडे का विस्तार कर रहा है, यह भारत को क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं के साथ अनौपचारिक रूप से सहयोग करने और हिंद-प्रशांत की आर्थिक संरचना के निर्माण में भूमिका निभाने के नए अवसर प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
ग्योंगजू में 2025 का APEC शिखर सम्मेलन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और भू-राजनीति के अभिसरण का प्रतीक था। ग्योंगजू घोषणा-पत्र और AI पहल के माध्यम से, इसने पूरे क्षेत्र में सतत् एवं समतापूर्ण AI-संचालित विकास की दिशा निर्धारित की।
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दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: परीक्षण कीजिये कि एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) का विकसित एजेंडा वैश्विक आर्थिक शासन में हो रहे परिवर्तनों को किस प्रकार प्रतिबिंबित करता है। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. APEC नेताओं का ग्योंगजू घोषणा-पत्र (2025) क्या है?
यह दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में आयोजित APEC शिखर सम्मेलन, 2025 का परिणाम है, जो पुत्रजया विज़न 2040 के अंतर्गत समावेशी आर्थिक विकास, डिजिटल और AI परिवर्तन तथा क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के प्रति नेताओं की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
2. APEC आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पहल (2026-2030) क्या है?
नवाचार और सतत् AI अवसंरचना के माध्यम से समावेशी एवं अनुकूल आर्थिक विकास के लिये AI की क्षमता का दोहन करने हेतु APEC 2025 शिखर सम्मेलन में अपनाया गया एक छह-वर्षीय ढाँचा।
3. जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के लिये APEC सहयोगात्मक ढाँचा क्या है?
यह "सिल्वर इकोनॉमी" को बढ़ावा देने वाली अंतर-पीढ़ीगत, जन-केंद्रित नीतियों के माध्यम से वृद्ध होती आबादी, घटती जन्म दर और तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण को संबोधित करने के लिये एक क्षेत्रीय योजना है।
4. APEC एक संगठन के रूप में किस प्रकार कार्य करता है?
APEC आम सहमति और स्वैच्छिक सहयोग पर कार्य करता है, न कि बाध्यकारी संधियों पर, जिसमें सभी 21 सदस्य अर्थव्यवस्थाओं को समान आवाज़ दी जाती है और निर्णय बातचीत के माध्यम से सामूहिक रूप से लिये जाते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2009)
| संगठन | मुख्यालय स्थान |
| 1. एशियाई विकास बैंक | टोक्यो |
| 2. एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग | सिंगापुर |
| 3. दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन | बैंकॉक |
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2
(C) केवल 2 और 3
(D) केवल 3
उत्तर: (B)
प्रश्न. भारत निम्नलिखित में से किसका/किनका सदस्य है? (2015)
- एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन)
- दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (एसोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशन्स)
- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईस्ट एशिया समिट)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) भारत इनमें से किसी का भी सदस्य नहीं है
उत्तर: (b)
