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डेली न्यूज़

  • 03 Apr, 2024
  • 65 min read
सामाजिक न्याय

इंडिया TB रिपोर्ट 2024

प्रिलिम्स के लिये:

इंडिया TB रिपोर्ट 2024, तपेदिक (TB), अल्पपोषण, HIV, मधुमेह, मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस 

मेन्स के लिये:

इंडिया TB रिपोर्ट 2024, TB उन्मूलन की चुनौतियाँ, TB उन्मूलन में भारत की प्रगति।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इंडिया TB रिपोर्ट 2024 जारी की, जिसमें बताया गया है कि तपेदिक/क्षय रोग (Tuberculosis- TB) के कारण मृत्यु दर वर्ष 2015 में 28 प्रति लाख जनसंख्या से घटकर वर्ष 2022 में 23 प्रति लाख जनसंख्या हो गई है।

रिपोर्ट के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • TB के मामलों और मौतों में रुझान:
    • निजी क्षेत्र से अधिसूचनाओं में वृद्धि के बावजूद, सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में तपेदिक के बड़ी संख्या में मामले दर्ज हो रहे हैं।
      • वर्ष 2023 में रिपोर्ट किये गए 25.5 लाख मामलों में से लगभग 33% या 8.4 लाख मामले निजी क्षेत्र से आए।
      • तुलना करने के लिये वर्ष 2015 में निजी क्षेत्र द्वारा केवल 1.9 लाख मामले दर्ज किये गए थे, इस वर्ष को कार्यक्रम द्वारा आधार रेखा माना जाता है जो बीमारी के उन्मूलन के लिये तैयार है।
    • वर्ष 2023 में TB की अनुमानित घटना पिछले वर्ष के 27.4 लाख के अनुमान से थोड़ा बढ़कर 27.8 लाख हो गई।
      • संक्रमण से मृत्यु दर 3.2 लाख पर ही बरकरार रही।
    • भारत में TB से मृत्यु दर वर्ष 2021 में 4.94 लाख से घटकर वर्ष 2022 में 3.31 लाख हो गई।
    • भारत संक्रमण से पीड़ित 95% रोगियों में उपचार शुरू करने के अपने वर्ष 2023 के लक्ष्य तक पहुँच गया।

  • लक्ष्य पूरा करने में चुनौतियाँ:
    • वर्ष 2025 तक तपेदिक को खत्म करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद, भारत को इन लक्ष्यों को पूरा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
    • वर्ष 2023 में दर्ज किये गए मामलों और मौतों की संख्या देश द्वारा निर्धारित लक्ष्य से कम रही।
    • ऐसे कई जोखिम कारक हैं जो तपेदिक की घटनाओं और उपचार परिणामों में योगदान करते हैं।
    • अल्पपोषण:
      • वर्ष 2022 में लगभग 7.44 लाख TB रोगी अल्पपोषित थे। पोषण में सुधार के लिये सरकार लगभग एक करोड़ लाभार्थियों को 500 रुपए की मासिक सहायता प्रदान करती है।
    • HIV: 
      • सामान्य आबादी की तुलना में HIV से पीड़ित लोगों में TB के लक्षण विकसित होने का जोखिम 20 गुना अधिक होता है। वर्ष 2022 में कुल मिलाकर 94,000 TB रोगियों को HIV था।
    • मधुमेह:
      • अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर मधुमेह से पीड़ित 3.70 लाख TB रोगियों में से 1.02 लाख भारत में थे।
      • मधुमेह से TB होने की संभावना दो से तीन गुना बढ़ जाती है, जो बदले में मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस के बढ़ते जोखिम से जुड़ी होती है।
      • मधुमेह रोगियों में TB का उपचार भी उतना कारगर साबित नहीं होता है। वर्ष 2023 में लगभग 92% TB रोगियों की मधुमेह के लिये जाँच की गई, जिनमें से 7.7% में इसका निदान किया गया और रिपोर्ट के अनुसार निदान किये गए लगभग 63% लोगों ने मधुमेह का उपचार शुरू किया।
    • शराब और तंबाकू का सेवन: 
      • प्रतिदिन 50 मिलीलीटर से अधिक शराब के सेवन से TB संक्रमण, सक्रिय संक्रमण और संक्रमण की पुनरावृत्ति का खतरा बढ़ जाता है
        • लगभग 18.8 लाख अथवा 74% TB रोगियों की शराब सेवन की जाँच में पाया गया कि उनमें से 7.1% रोगियों ने शराब का सेवन किया।
      • वर्ष 2023 में लगभग 19.1 लाख अथवा 75% TB रोगियों की तंबाकू सेवन की जाँच की गई जिसमें पाया गया कि 11% रोगी तंबाकू का सेवन करते थे।
        • और इनमें से 32% लोग तंबाकू मुक्ति केंद्रों के माध्यम से इसका सेवन बंद करने हेतु प्रयासरत थे।

क्षय रोग क्या है?

  • परिचय:
    • क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होने वाला जीवाणु संक्रमण है। यह व्यावहारिक रूप से शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। यह अधिकांशतः फेफड़े, फुप्फुसावरण (Pleura) (फेफड़ों के चारों ओर पर्त), लिम्फ नोड्स, आँत, रीढ़ और मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
  • संचरण:
    • यह एक वायुजनित संक्रमण है जो संक्रमित के साथ निकट संपर्क विशेष रूप से खराब वेंटिलेशन वाली घनी आबादी जैसे स्थानों से फैलता है।
  • लक्षण:
    • फेफड़े की TB के विभिन्न सामान्य लक्षण हैं, जैसे- खाँसी के साथ बलगम और कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वज़न घटना, बुखार एवं रात को पसीना आना।
  • संक्रमण की व्यापकता:
    • प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन लोग TB से संक्रमित होते हैं। हालाँकि यह रोकथाम और उपचार योग्य बीमारी है किंतु प्रत्येक वर्ष TB से मरने वालों की संख्या 1.5 मिलियन है जो इसे संक्रमण के संबंध में विश्व की सबसे घातक बीमारी बनाती है।
    • TB, HIV से पीड़ित लोगों की मृत्यु का प्रमुख कारण है और रोगाणुरोधी प्रतिरोध में भी एक प्रमुख योगदानकर्त्ता है।
    • TB की व्यापकता समग्र विश्व में है किंतु अधिकांशतः निम्न और मध्यम आय वाले देशों में निवास करने वाले लोग इससे संक्रमित होते हैं। TB के कुल मामलों में से आधे मामले 8 देशों- बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका से संबंधित होते हैं।

  • उपचार:
    • TB उपचार योग्य बीमारी है। इसका उपचार 4 रोगाणुरोधी दवाओं के 6 महीने की एक मानक अवधि के साथ किया जाता है जिसमें एक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता या प्रशिक्षित स्वयंसेवक द्वारा रोगी को जानकारी, पर्यवेक्षण एवं सहायता प्रदान की जाती है।
    • TB-रोधी औषधियों का उपयोग दशकों से किया जा रहा है और सर्वेक्षण किये गए प्रत्येक देश में 1 अथवा अधिक औषधियों हेतु प्रतिरोधी प्रभेदों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।
      • बहुऔषधि-रोधी क्षय रोग (Multidrug-resistant Tuberculosis- MDR-TB), TB का एक रूप है जो बैक्टीरिया के कारण होता है जिस पर आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिसिन जैसी दो सबसे प्रभावशाली क्षय रोग प्रतिरोधी औषधियों का कोई असर नहीं होता है।
        • MDR-TB बेडक्वीलाइन जैसी दूसरी दवाओं का उपयोग करके उपचार और इलाज योग्य है।
      • व्यापक रूप से दवा प्रतिरोधी क्षय रोग (Extensively drug-resistant TB- XDR-TB), MDR-TB का एक अधिक गंभीर रूप है जो बैक्टीरिया के कारण होता है, जिस पर दूसरे सबसे प्रभावी क्षय रोग प्रतिरोधी दवाओं का असर नहीं होता है जिसके कारण रोगियों के पास अक्सर उपचार का अन्य कोई दूसरा विकल्प भी नहीं होता है।
  • TB के उपचार के लिये औषधियाँ:
    • आइसोनियाज़िड (INH): यह दवा TB के इलाज की सबसे प्रभावशाली औषधि है और यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के उपचार हेतु अत्यधिक प्रभावी है।
      • यह जीवाणु कोशिका भित्ति में माइकोलिक अम्ल के संश्लेषण को रोककर कार्य करता है।
    • रिफैम्पिसिन (RIF): यह TB के उपचार हेतु एक और अन्य आवश्यक औषधि है जो बैक्टीरिया में RNA के संश्लेषण की रोकथाम कर उपचार करती है।
      • इसका उपयोग अक्सर TB  के इलाज के लिये अन्य दवाओं के साथ संयोजन में किया जाता है और रोगी के शरीर में दवा प्रतिरोध के विकास को रोकने के लिये यह महत्त्वपूर्ण है।
      • डेलामानिड: डेलामानिड एक नई दवा है जिसका उपयोग मल्टीड्रग-प्रतिरोधी TB (MDR-TB) के उपचार में किया जाता है और अक्सर अन्य दवाओं के साथ संयोजन में उपयोग किया जाता है।

TB से निपटने के लिये विभिन्न पहल क्या हैं?

  • वैश्विक पहलें:
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल फंड और स्टॉप टी.बी. पार्टनरशिप के साथ एक संयुक्त पहल “फाइंड. ट्रीट. ऑल. #EndTB” की शुरुआत की है।
    • EndTB की वैश्विक योजना, 2023-2030: यह वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में TB को समाप्त करने की योजना है। यह आवश्यक प्राथमिकता वाले कार्यों का खाका और TB को समाप्त करने के लिये आवश्यक वित्तीय संसाधनों का विस्तृत अनुमान प्रदान करता है।
  • भारतीय पहलें:

निष्कर्ष

  • भारत में TB उन्मूलन की राह में व्यक्ति-केंद्रित देखभाल को प्राथमिकता देने, स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों को संबोधित करने और नवाचार को अपनाने के लिये ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत समग्र और व्यक्ति-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाकर टीबी नियंत्रण की राह में मौजूद बाधाओं को दूर कर सकता है तथा अपने सभी नागरिकों के लिये एक स्वस्थ भविष्य का निर्माण कर सकता है।

प्रश्न: भारत में TB उन्मूलन की दिशा में प्रगति में बाधक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। पहचानी गई चुनौतियों के आलोक में TB उन्मूलन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिये रणनीतियों का प्रस्ताव है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन (नेशनल न्यूट्रिशन मिशन)' के उद्देश्य हैं? (2017)

  1. गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण से संबंधी जागरूकता उत्पन्न करना।
  2. छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में रक्ताल्पता की घटना को कम करना।
  3. बाजरा, मोटा अनाज तथा अपरिष्कृत चावल के उपभोग को बढ़ाना।
  4. मुर्गी के अंडों के उपभोग को बढ़ाना।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 1, 2 और 3
(c)केवल 1, 2 और 4
(d)केवल 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. "एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है।" विश्लेषण कीजिये। (2021)


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस को भारत का समर्थन

प्रिलिम्स के लिये:

फिलीपींस, दक्षिण चीन सागर, ताइवान, लूजॉन स्ट्रेट, मलक्का जलसंधि, नाइन-डैश लाइन, सेनकाकू द्वीपसमूह, एजियन सागर, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, एक्ट ईस्ट पॉलिसी, आसियान, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल

मेन्स के लिये:

दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में विवाद, भारत और फिलीपींस के बीच सहयोग के क्षेत्र।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

दक्षिण चीन सागर पर चीन के साथ विवाद के बीच हाल ही में विदेश मंत्रालय ने फिलीपींस द्वारा अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने में फिलीपींस का दृढ़ता से समर्थन किया है।

  • वर्ष 2024 में फिलीपींस और भारत के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। यह सफर दोनों देशों के बीच एक परिवर्तनकारी साझेदारी का प्रतीक है।

दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में विवाद क्या है?

  • दक्षिण चीन सागर का महत्त्व: 
    • सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण अवस्थिति: सामरिक दृष्टि से दक्षिण चीन सागर की अवस्थिति महत्त्वपूर्ण है, इसकी सीमा उत्तर में चीन और ताइवान से, पश्चिम में भारत-चीन प्रायद्वीप (वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर सहित), दक्षिण में इंडोनेशिया तथा ब्रुनेई एवं पूर्व में फिलीपींस (जिसे पश्चिम फिलीपीन सागर कहा जाता है) से लगती है।
      • यह ताइवान जलसंधि द्वारा पूर्वी चीन सागर से और लूज़ॉन जलसंधि द्वारा फिलीपीन सागर (प्रशांत महासागर के दोनों सीमांत समुद्र) से जुड़ा हुआ है।
    • व्यापारिक महत्त्व: समुद्री मार्ग से व्यापार का एक-तिहाई हिस्सा दक्षिण चीन सागर के माध्यम से किया जाता है। चीन का 64% से अधिक समुद्री व्यापार दक्षिण चीन सागर पर निर्भर है।
      • भारत का 55% से अधिक व्यापार दक्षिण चीन सागर और मलक्का जलसंधि से होता है।
    • मत्स्य पालन के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्र: दक्षिण चीन सागर मत्स्य पालन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण एवं एक समृद्ध क्षेत्र भी है, जो इस क्षेत्र के लाखों लोगों के लिये आजीविका व खाद्य सुरक्षा का एक प्रमुख स्रोत है।
      • यह वैविध्यपूर्ण समुद्री पारितंत्र और मत्स्य पालन को बनाए रखने में मदद करता है, साथ ही यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं तथा खाद्य आपूर्ति में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
  • विवाद: 
    • दक्षिण-चीन सागर विवाद का केंद्र भूमि सुविधाओं (द्वीपों और चट्टानों) और उनसे संबंधित क्षेत्रीय जल पर क्षेत्रीय दावों के इर्द-गिर्द घूमता है।
      • इन विवादों में शामिल पक्षों में चीन, ब्रुनेई, ताइवान, फिलीपींस, वियतनाम और मलेशिया शामिल हैं।
      • चीन अपने "नाइन-डैश लाइन" मानचित्र के साथ समुद्र के 90% हिस्से पर दावा करता है और नियंत्रण स्थापित करने के लिये इसने द्वीपों का भौतिक रूप से विस्तार किया है तथा वहाँ सैन्य प्रतिष्ठानों का निर्माण किया है।
    • चीन पारासेल और स्प्रैटली द्वीप समूह में विशेष रूप से सक्रिय है। चीन निरंतर तटरक्षक उपस्थिति के माध्यम से स्कारबोरो शोल को भी नियंत्रित करता है।

क्षेत्रीय विवादों का सामना करने वाले अन्य प्रमुख जल निकाय कौन-से हैं?

समुद्री क्षेत्र

शामिल प्राथमिक देश

क्षेत्रीय विवाद

मैप 

पूर्वी चीन सागर

चीन, जापान, ताइवान

सेनकाकू/डियाओयू द्वीप समूह पर विवाद

एजियन सागर

ग्रीस, तुर्की

अतिव्यापी दावे, संसाधन अन्वेषण, समुद्री सीमाएँ

आर्कटिक महासागर

अमेरिका, कनाडा, रूस, डेनमार्क, नॉर्वे

विस्तारित विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों के लिये दावे 

समुद्री विवादों में सलामी स्लाइसिंग तकनीक क्या है?

  • परिचय: इसमें समय के साथ छोटे, क्रमिक कार्यों के माध्यम से समुद्री क्षेत्रों पर नियंत्रण बढ़ाने वाले देश शामिल हैं।
    • यह सीधे टकराव से बचता है, कानूनी अस्पष्टताओं का फायदा उठाता है और विवादित जल में प्रभाव स्थापित करने तथा अपरिवर्तनीय स्थिति पैदा करने का लक्ष्य रखता है।
  • उदाहरण: चीन पर कृत्रिम द्वीपों के निर्माण, संसाधन अन्वेषण का संचालन करने और अन्य देशों के लिये नियंत्रण तथा पहुँच को सीमित करने हेतु मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाने जैसी कार्रवाइयों के माध्यम से दक्षिण चीन सागर में सलामी स्लाइसिंग तकनीक को नियोजित करने का आरोप लगाया गया है।
    • उदाहरण के लिये, हाल ही में चीनी तट रक्षक जहाज़ों ने सेकेंड थॉमस शोल में फिलीपीन जहाज़ों को रोक दिया, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में तनाव बढ़ गया।

भारत और फिलीपींस के बीच सहयोग के क्षेत्र क्या हैं?

  • परिचय: भारत और फिलीपींस ने औपचारिक रूप से 26 नवंबर, 1949 को राजनयिक संबंध स्थापित किये।
    • वर्ष 2014 में शुरू की गई एक्ट ईस्ट पॉलिसी के साथ, फिलीपींस के साथ संबंध राजनीतिक सुरक्षा, व्यापार, उद्योग और  पीपल-टू-पीपल क्षेत्रों में तथा अधिक विविध हो गए हैं।
  • द्विपक्षीय व्यापार: भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के आधिकारिक व्यापार आँकड़ों के अनुसार भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में पहली बार 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
    • भारत फिलीपींस को अभियांत्रिकी वस्तु, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, पेट्रोलियम उत्पाद, भेषजीय पदार्थ, गोजातीय नस्ल के पशुओं का माँस, तिलहन, तंबाकू और मूंगफली का निर्यात करता है।
    • फिलीपींस से भारत में आयात की जाने वाली वस्तुओं में विद्युत मशीनरी, अर्द्धचालक, अयस्क, ताँबा, प्लास्टिक, मोती, खाद्य उद्योग से प्राप्त अपशिष्ट और पशु चारा शामिल हैं।
  • स्वास्थ्य और चिकित्सा: फिलीपींस भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सिन के आपातकालीन उपयोग को अनुमति (EUA) प्रदान करने वाला पहला आसियान सदस्य था।
    • वर्तमान में भारत द्वारा आसियान देशों को किये जाने वाले कुल औषध निर्यात का 20% फिलीपींस को किया जाता है और भारत इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: भारत और फिलीपींस ने विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक द्विपक्षीय सहयोग कार्यक्रम (Programme of Cooperation- POC) पर अक्तूबर 2019 में हस्ताक्षर किये जिसमें कृषि जैव प्रौद्योगिकी, भौतिक विज्ञान एवं महासागर विज्ञान जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
    • भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के तट-आधारित एंटी-शिप संस्करण की आपूर्ति के लिये जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया।
      • यह भारत की उन्नत रक्षा क्षमताओं की वैश्विक मांग को रेखांकित करता है।

 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. दक्षिण चीन सागर में हाल के विवादों के संदर्भ में क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक व्यवस्था पर अनिर्णीत समुद्री विवादों के संभावित आर्थिक तथा सुरक्षा प्रभावों का आकलन कीजिये।

प्रश्न. भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक आयामों पर विचार करते हुए भारत तथा फिलीपींस के मध्य विकसित होते संबंधों का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)

क्षेत्र जो कभी-कभी                -       देश
समाचारों में उल्लिखित होते हैं

  1. केटालोनिया              -             स्पेन
  2. क्रीमिया                    -            हंगरी
  3. मिंडानाओ                -             फिलीपींस
  4. ओरोमिया                 -            नाइजीरिया

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित है?

(a) 1, 2 और 3
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2 और 4

उत्तर: (c)


प्रश्न. दक्षिण-पूर्व एशिया ने भू-स्थानिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में अंतरिक्ष और समय पर वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। निम्नलिखित में से कौन-सी इस वैश्विक परिप्रेक्ष्य के लिये सबसे ठोस व्याख्या है? (2011) 

(a) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह सबसे गर्म थिएटर था।
(b) चीन और भारत की एशियाई शक्तियों के बीच इसका स्थान।
(c) यह शीत युद्ध के समय में महाशक्ति टकराव का अखाड़ा था।
(d) प्रशांत और भारतीय महासागरों तथा इसके पूर्व-प्रख्यात समुद्री चरित्र के बीच इसका स्थान। 

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. चीन
  4. भारत
  5. जापान 
  6. संयुक्त राज्य अमेरिका  

उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) के 'मुक्त व्यापार भागीदारों' में से हैं? 

(a) 1, 2, 4 और 5 
(b) 3, 4, 5 और 6 
(c) 1, 3, 4 और 5 
(d) 2, 3, 4 और 6 

उत्तर: (C)


प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2009) 

  • ब्रुनेई दारुस्सलाम 
  • पूर्वी तिमोर
  • लाओस

उपर्युक्त में से कौन-कौन आसियान (ए.एस.इ.ए.एन.) का सदस्य है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: C


मेन्स:

प्रश्न. शीतयुद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में, भारत की पूर्वोन्मुखी नीति के आर्थिक और सामरिक आयामों का मूल्याकंन कीजिये। (2016)


शासन व्यवस्था

इंटरनेट की स्वतंत्रता

प्रिलिम्स के लिये:

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019, अनुच्छेद 370, आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 144

मेन्स के लिये:

इंटरनेट स्वतंत्रता, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और क्षमता, पारदर्शिता और जवाबदेही।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

लगातार पाँच वर्षों से भारत इंटरनेट प्रतिबंध लगाने वाले देशों की वैश्विक सूची में शीर्ष पर है, वर्ष 2016 और वर्ष 2022 के बीच दुनिया में दर्ज किये गए सभी ब्लैकआउट में से लगभग 60% भारत में हुए हैं।

  • पिछले दशक में राज्य द्वारा लगाए गए शटडाउन ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिये खतरे का हवाला दिया है। हालाँकि अधिकार समूहों ने तर्क दिया है कि ये शटडाउन अदालत के निर्देशों का भी उल्लंघन करते हैं।

भारत में इंटरनेट शटडाउन के प्रमुख रुझान क्या हैं?

  • इंटरनेट शटडाउन के उदाहरण:
    • सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (Software Freedom Law Centre- SFLC) द्वारा एकत्र किये गए आँकड़ों के अनुसार, भारत सरकार ने 1 जनवरी, 2014 और 31 दिसंबर, 2023 के बीच कुल 780 शटडाउन लगाए।
    • नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और कृषि विधेयक 2020 प्रस्तुत करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ।
    • भारत का इंटरनेट प्रतिबंध वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को हुए कुल नुकसान के 70% से अधिक के लिये ज़िम्मेदार रहा। 
    • भारत ने वर्ष 2023 में 7,000 घंटे से अधिक समय तक इंटरनेट बंद रखा।
      • क्षेत्रीय स्तर पर जम्मू-कश्मीर में पिछले 12 वर्षों में सबसे अधिक 433 शटडाउन देखे गए।
        • जातीय झड़पों के बीच वर्ष 2023 में सबसे लंबा ब्लैकआउट मई से दिसंबर तक मणिपुर में हुआ।
    • SFLC डेटा के अनुसार, वर्ष 2015 और 2022 के बीच 55,000 से अधिक वेबसाइटें ब्लॉक की गईं।
  • वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता:
    • फ्रीडम हाउस की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता में लगातार 13वें वर्ष गिरावट आई है और 29 देशों में ऑनलाइन मानवाधिकारों के लिये माहौल खराब हो गया है।
      • पिछले तीन वर्षों में भारत की रैंकिंग इसी बेंचमार्क के आस-पास रही है।
      • वर्ष 2016-2017 में भारत ने 59 अंक और वर्ष 2023 में 50 हासिल किये थे।

इंटरनेट शटडाउन से संबंधित प्रावधान क्या हैं?

  • भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 5(2) जो दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा) नियम, 2017 के साथ पठित है: 
    • ये नियम संघ या राज्य के गृह सचिव को सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के मामले में किसी भी टेलीग्राफ या तार सेवा (इंटरनेट सहित) को निलंबित करने का आदेश देने की अनुमति देते हैं। 
    • ऐसे आदेश की एक समिति द्वारा पाँच दिनों के भीतर समीक्षा की जानी चाहिये और यह एक बार में 15 दिनों से अधिक अवधि तक जारी नहीं रह सकता। किसी अत्यावश्यक स्थिति में, संघ या राज्य के गृह सचिव द्वारा अधिकृत संयुक्त सचिव स्तर या उससे ऊपर का अधिकारी आदेश जारी कर सकता है। 
      • हालाँकि कानून यह परिभाषित नहीं करता है कि आपातकालीन या सुरक्षा मुद्दा क्या है। सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामले, 2020 में दोहराया कि इंटरनेट शटडाउन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और अनिश्चित काल तक चलने वाला शटडाउन असंवैधानिक है। 
  • दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144:
    • यह धारा एक ज़िला मजिस्ट्रेट, एक उप-विभागीय मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को विशेष रूप से राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक शांति में किसी भी उपद्रव या गड़बड़ी को रोकने या प्रतिबंधित करने के लिये आदेश जारी करने का अधिकार देती है।
    • ऐसे आदेशों में किसी विशेष क्षेत्र में एक निर्दिष्ट अवधि के लिये इंटरनेट सेवाओं का निलंबन शामिल हो सकता है।

इंटरनेट शटडाउन के संबंध में क्या तर्क हैं?

  • घृणा वाक् / हेट स्पीच और गलत सूचना को रोकता है:
  • किसी भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को रोकता है:
    • इंटरनेट शटडाउन से सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा को बाधित करने वाले विरोध प्रदर्शनों के आयोजन एवं लामबंदी पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है।
    • उदाहरण के लिये, सरकार ने किसी भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और अलगाववादी आंदोलनों को रोकने के लिये अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद कश्मीर एवं देश के अन्य हिस्सों में इंटरनेट शटडाउन लगा दिया।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करता है:
    • इंटरनेट शटडाउन राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को बाह्य खतरों तथा साइबर अटैक से बचाने में मदद कर सकता है।
    • उदाहरण के लिये, सरकार ने चीन के साथ गतिरोध के दौरान किसी भी जासूसी या उपद्रव को रोकने के लिये कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया था।
  • उपभोग से आपत्तिजनक सामग्री पर अंकुश:
    • इंटरनेट शटडाउन से उस कंटेंट के वितरण और उपभोग को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है जो कुछ समूहों या व्यक्तियों के लिये हानिकारक या आपत्तिजनक हो सकती है।
    • उदाहरण के लिये, सरकार आपत्तिजनक छवियों या वीडियो के प्रसार को रोकने के लिये कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट के प्रयोग को बंद कर देती है।

इंटरनेट शटडाउन से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?

  • अधिकारों का उल्लंघन:
    • इंटरनेट शटडाउन अनुच्छेद 19(1)(a) और अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
      • वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं इंटरनेट के माध्यम से किसी भी पेशे का अभ्यास करने की स्वतंत्रता को अनुच्छेद 19(1)(a) तथा अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है-  सर्वोच्च न्यायालय में अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामला, 2020।
    • इंटरनेट शटडाउन सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करता है जिसे राज नारायण बनाम यूपी राज्य (वर्ष 1975) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार घोषित किया गया है।
    • इंटरनेट शटडाउन इंटरनेट के अधिकार का भी उल्लंघन करता है जिसे केरल उच्च न्यायालय ने फहीमा शिरीन बनाम केरल राज्य मामले में अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार घोषित किया था।
  • जवाबदेहिता का अभाव: 
    • शटडाउन प्रायः स्पष्ट कानूनी ढाँचे अथवा निरीक्षण तंत्र के बिना लागू किये जाते हैं जिससे इंटरनेट पहुँच पर मनमाना और अनुपातहीन प्रतिबंध संभव होता है।
    • संबद्ध विषय में जवाबदेहिता तंत्र का अभाव अधिकारियों द्वारा अपनी शक्ति के दुरुपयोग के जोखिम को बढ़ा देता है जो प्रभावित होने वाले व्यक्तियों के लिये पर्याप्त औचित्य अथवा दायित्व के बिना शटडाउन लगा सकते हैं।
  • आर्थिक व्यवधान:
    • तात्कालिक सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों के अतिरिक्त इंटरनेट शटडाउन से संबंधित महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव भी होते हैं। ऑनलाइन वाणिज्य, संचार और वित्तीय लेन-देन में होने वाले व्यवधान से व्यवसाय संचालन बाधित होता है, आर्थिक विकास तथा निवेश प्रभावित होता है जिससे अंततः दीर्घकालिक विकास अत्यधिक प्रभावित हो सकता है।
      • Top10VPN के अनुसार, इंटरनेट शटडाउन के कारण वर्ष 2023 की पहली छमाही में भारत को 2,091 करोड़ रुपए ($255.2 मिलियन) का नुकसान हुआ।
  • सामाजिक व्यवधान:
    • इंटरनेट शटडाउन संचार नेटवर्क को बाधित करके, महत्त्वपूर्ण सेवाओं तक पहुँच में बाधा डालकर और व्यक्तियों को उनके समुदायों से अलग कर सामाजिक व्यवस्था को बाधित करता है। इसके परिणामस्वरूप सामाजिक एकजुटता प्रभावित हो सकती है क्योंकि इस दौरान लोग प्रभावी ढंग से संपर्क करने, संगठित अथवा एकजुट होने में असमर्थ होते हैं जिससे उनमें अलगाव और विराग की भावना जागृत हो सकती है।

आगे की राह

  • सरकारी अधिकारियों को अनुराधा भसीन मामले (2020) में सर्वोच्च नयायालय द्वारा दिये गए निर्देशों का अनुपालन करना चाहिये। सर्वोच्च नयायालय द्वारा जारी किये गए दिशा-निर्देश निम्नलिखित थे:
    • निलंबन का उपयोग केवल अस्थायी अवधि के लिये किया जा सकता है।
    • निलंबन नियमों के तहत इंटरनेट सेवाओं को रोकने के संबंध में जारी किये गए किसी भी प्रकार के आदेश में आनुपातिकता के सिद्धांत का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए उसे आवश्यक अवधि से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
    • निलंबन नियमों के तहत इंटरनेट सेवाओं को रोकने के लिये जारी किया गया किसी भी प्रकार का आदेश न्यायिक समीक्षा के अधीन है।
  • इंटरनेट शटडाउन को नियंत्रित करने वाले विधिक और विनियामक ढाँचे को सुदृढ़ करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुसार उनका उपयोग केवल अंतिम उपाय के रूप में किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
    • सरकार को तार अधिनियम (Telegraph Act) और उसके नियमों में संशोधन करना चाहिये, जो अद्यतन तथा सुस्पष्ट नहीं हैं एवं इनमें संवैधानिक व मानवाधिकार मानकों का अनुपालन निहित नहीं हैं।
  • सरकार को कानून-व्यवस्था में व्यावधान, सांप्रदायिक हिंसा, आतंकवादी हमलों, परीक्षाओं और राजनीतिक अस्थिरता का समाधान करने के लिये अन्य अल्प हस्तक्षेप वाले उपायों पर विचार करना चाहिये जिसमें विशिष्ट वेबसाइटों अथवा संबंधित सामग्री तक पहुँच अवरुद्ध करना, चेतावनी अथवा सलाह जारी करना, नागरिक समाज तथा मीडिया के साथ जुड़ना अथवा अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती करना शामिल है।

प्रश्न: इंटरनेट शटडाउन से संबंधित सांविधिक और मानवाधिकार संबंधी चिंताओं का मूल्यांकन कीजिये तथा अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उनका समाधान करने हेतु उपायों का विवरण दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है? (2018)

(a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध
(b) अनुच्छेद 17 एवं भाग IV में दिए राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व
(c) अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएँ
(d) अनुच्छेद 24 एवं संविधान के 44वें संशोधन के अधीन उपबंध

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. आप ‘वाक् और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य’ संकल्पना से क्या समझते हैं? क्या इसकी परिधि में घृणा वाक् भी आता है? भारत में फिल्में अभिव्यक्ति के अन्य रूपों से तनिक भिन्न स्तर पर क्यों हैं? चर्चा कीजिये। (2014)


सामाजिक न्याय

फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024

प्रिलिम्स के लिये:

फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP), सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 12.3

मेन्स के लिये:

फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024, फूड लॉस एंड वेस्ट: वर्तमान परिदृश्य, कारण, समाधान हेतु पहल

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) और यूनाइटेड किंगडम स्थित गैर-लाभकारी संगठन WRAP (वेस्ट एंड रिसोर्सेज़ एक्शन प्रोग्राम) द्वारा संयुक्त रूप से फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2024 जारी की गई, जिसके अनुसार भोजन की बर्बादी की ट्रैकिंग तथा निगरानी करने के लिये डेटा बुनियादी ढाँचे में विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण करने की आवश्यकता है।

  • WRAP एक गैर-लाभकारी संगठन है जो जलवायु कार्रवाई करता है। यह जलवायु संकट के कारणों से निपटने और ग्रह को एक संधारणीय बनाने हेतु समग्र विश्व में कार्य करता है।
  • यह रिपोर्ट भोजन की बर्बादी (Food Waste) को मानव खाद्य आपूर्ति शृंखला से हटाए गए भोजन और संबंधित अखाद्य हिस्सों के रूप में परिभाषित करती है।
  • फसलों और पशुधन की कोई भी मात्रा जो मानव-खाद्य वस्तुएँ हैं, जो बिक्री स्तर के बिंदु के अतिरिक्त "प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कटाई के बाद/पशुधन पशु उत्पादन/आपूर्ति शृंखला से पूरी तरह से बाहर निकल जाती हैं", को "फूड लॉस" कहा जाता है।

नोट:

फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट वर्ष 2030 (SDG 12.3) तक भोजन की बर्बादी को आधा करने में राष्ट्र स्तरीय प्रगति की निगरानी करती है। SDG 12 का लक्ष्य सतत् उपभोग और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना है।

  • यह पहली बार वर्ष 2021 में प्रकाशित की गई थी। वर्तमान रिपोर्ट हालिया और बड़े डेटासेट पर आधारित है तथा समग्र विश्व में बर्बाद होने वाले भोजन के पैमाने पर एक अपडेट प्रदान करती है एवं  साथ ही समाधान के रूप में सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से बहु-हितधारक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करती है।

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • भोजन की बर्बादी का स्तर:
    • वर्ष 2022 में विश्व के विभिन्न क्षेत्रों ने 1.05 बिलियन टन भोजन बर्बाद किया यानी खुदरा, खाद्य सेवा और घरेलू स्तर पर उपभोक्ताओं को उपलब्ध भोजन का पाँचवाँ हिस्सा (19%) बर्बाद हुआ।
    • खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agricultural Organization-FAO) के अनुमान के अनुसार, यह फसल के बाद से लेकर खुदरा बिक्री तक, आपूर्ति शृंखला में लुप्त/नष्ट हो जाने वाले विश्व के 13% भोजन के अतिरिक्त है। 
  • खाद्य अपशिष्ट और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन:
    • खाद्य हानि और अपशिष्ट वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (Global Greenhouse Ga- GHG) उत्सर्जन का 8-10% अर्थात् विमानन क्षेत्र से कुल उत्सर्जन का लगभग 5 गुना उत्पन्न करते हैं।
      • यह तब होता है जब मानवता का एक तिहाई हिस्सा खाद्य असुरक्षा का सामना करता है।
  • खाद्य अपशिष्ट में कम असमानता:
    • फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट- 2021 जारी होने के बाद से, डेटा कवरेज में महत्त्वपूर्ण विस्तार हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप औसतन प्रति व्यक्ति घरेलू खाद्य अपशिष्ट में असमानताओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
    • उच्च-आय, उच्च-मध्यम आय और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में, घरेलू फूड वेस्ट के औसत स्तर में प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष केवल 7 किलोग्राम का अंतर देखा गया है।
  • तापमान और खाद्य अपशिष्ट सहसंबंध:
    • ऐसा प्रतीत होता है कि गर्म देशों में प्रति व्यक्ति घरेलू भोजन की बर्बादी संभवतः अधिक ताज़े खाद्य पदार्थों के सेवन के परिणामस्वरूप ज़्यादा होती है जिसमें बड़ी मात्रा में अनुपयुक्त घटक शामिल होते हैं और सुदृढ़ कोल्ड चेन की कमी होती है।
    • उच्च मौसमी तापमान, अत्यधिक गर्मी की घटनाएँ और अनावृष्टि भोजन को सुरक्षित रूप से संग्रहित करना, संसाधित करना, परिवहन करना तथा बेचना अधिक चुनौतीपूर्ण बना देता है, जिससे प्रायः भोजन की एक बड़ी मात्रा बर्बाद हो जाती है या नष्ट हो जाती है।
  • शहरी-ग्रामीण असमानताएँ:
    • मध्यम आय वाले देशों में शहरी और ग्रामीण आबादी के बीच भिन्नता दिखाई देती है, ग्रामीण क्षेत्रों में आम तौर पर भोजन की कम बर्बादी होती है।
    • संभावित स्पष्टीकरणों में ग्रामीण क्षेत्रों में बचे हुए खाद्य पदार्थों को पालतू जानवरों, पशुओं के चारे और घरेलू खाद में अधिक उपयोग करना शामिल है।
  • प्रगति को ट्रैक करने के लिये पर्याप्त प्रणाली का अभाव:
    • कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वर्ष 2030 तक भोजन की बर्बादी को आधा करने के सतत् विकास लक्ष्य 12.3 को पूरा करने के लिये प्रगति को ट्रैक करने हेतु पर्याप्त प्रणालियों का अभाव है, विशेष रूप से खुदरा तथा खाद्य सेवाओं में।
    • वर्तमान में, केवल चार G-20 देशों (ऑस्ट्रेलिया, जापान, यूके, यूएस) और यूरोपीय संघ के पास वर्ष 2030 तक प्रगति को ट्रैक करने के लिये खाद्य अपशिष्ट अनुमान उपयुक्त हैं।
  • डेटा भिन्नता और उपराष्ट्रीय अनुमान:
    • भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भोजन की बर्बादी के संबंध में केवल उपराष्ट्रीय अनुमान हैं, जो व्यापक राष्ट्रीय डेटा में अंतर को उजागर करते हैं।
    • रिपोर्ट बताती है कि इस भिन्नता के लिये खाद्य अपशिष्ट परिदृश्य के स्पष्ट आँकड़ों के अधिक समावेशी अध्ययन की आवश्यकता है।

खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2024 की प्रमुख सिफारिशें क्या हैं?

  • G20 देशों की भागीदारी:
    • घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य अपशिष्ट के संबंध में जागरूकता तथा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये वैश्विक उपभोक्ता रुझानों पर अपने प्रभाव का लाभ उठाते हुए, सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 12.3 को प्राप्त करने के लिये G20 देशों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं नीति विकास में अग्रणी भूमिका निभाने हेतु प्रोत्साहित करना।
  • सार्वजनिक निजी भागीदारी को बढ़ावा देना:
    • भोजन की बर्बादी और जलवायु तथा जल तनाव पर इसके प्रभावों को कम करने के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnerships- PPP) को अपनाने को प्रोत्साहित करें, लक्ष्य-माप-अधिनियम दृष्टिकोण के माध्यम से एक साझा लक्ष्य को सहयोग करने तथा वितरित करने हेतु सरकारों, क्षेत्रीय एवं उद्योग समूहों को एक साथ लाना।
  • खाद्य अपशिष्ट सूचकांक का उपयोग:
    • खाद्य अपशिष्ट को लगातार मापने के लिये खाद्य अपशिष्ट सूचकांक का उपयोग करने हेतु देशों का समर्थन, मज़बूत राष्ट्रीय आधार रेखाएँ विकसित करना और SDG 12.3 की दिशा में प्रगति को ट्रैक करना। इसमें विशेष रूप से खुदरा और खाद्य सेवा क्षेत्रों में व्यापक खाद्य अपशिष्ट डेटा संग्रह की कमी को संबोधित करना शामिल है।
  • प्रतिनिधि राष्ट्रीय खाद्य अपशिष्ट अध्ययन का संचालन:
    • डेटा में भिन्नता को संबोधित करने और व्यक्तिगत तथा प्रणालीगत दोनों स्तरों पर भोजन की बर्बादी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया एवं मैक्सिको जैसे प्रमुख देशों में प्रतिनिधि राष्ट्रीय खाद्य अपशिष्ट अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालना।
  • सभी क्षेत्रों में सहयोगात्मक प्रयास:
    • वर्ष 2030 तक वैश्विक खाद्य बर्बादी को आधा करके SDG 12.3 हासिल करने के लिये सटीक माप, नवीन समाधान और सामूहिक कार्रवाई के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए, खाद्य बर्बादी को कम करने के प्रयासों में सहयोग करने हेतु सरकारों, शहरों, खाद्य व्यवसायों, शोधकर्त्ताओं से आग्रह करने की आवश्यकता है।

खाद्य हानि और बर्बादी से संबंधित प्रमुख प्रयास क्या हैं?

  • संवैधानिक प्रावधान:
    • यद्यपि भारतीय संविधान में भोजन के अधिकार के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन के मौलिक अधिकार की व्याख्या मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार को शामिल करने के लिये की जा सकती है, जिसमें भोजन और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं का अधिकार शामिल हो सकता है।
  • बफर स्टॉक/सुरक्षित भंडार: 
    • भारतीय खाद्य निगम (FCI) का मुख्य कार्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खाद्यान्न की खरीद और विभिन्न स्थानों पर उसके गोदामों में भंडारण करना है। इसके बाद आवश्यकतानुसार यहाँ से राज्य सरकारों को खाद्यान की आपूर्ति की जाती है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA): 
    • यह खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण का कल्याणकारी से अधिकार-आधारित दृष्टिकोण में परिवर्तित होने का प्रतीक है।
    • NFSA 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को निम्नलिखित योजना के तहत कवर करता है:
      • अंत्योदय अन्न योजना: इसके अंतर्गत सबसे निर्धन लोग शामिल हैं, इन्हें प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।
      • प्राथमिकता वाले परिवार (PHH): PHH श्रेणी के अंतर्गत आने वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।

प्रश्न. भुखमरी की समस्या से जूझने के बावजूद, वैश्विक स्तर पर बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों की बर्बादी होती है। आपूर्ति शृंखला में खाद्य पदार्थों की बर्बादी के कारणों का विश्लेषण कीजिये और अधिक सतत् खाद्य प्रणाली के लिये व्यावहारिक समाधान सुझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल वे ही परिवार सहायता प्राप्त खाद्यान्न लेने की पात्रता रखते हैं जो "गरीबी रेखा से नीचे" (बी.पी.एल.) श्रेणी में आते हैं।
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया होगी।
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छः महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हक़दार हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भूख और कुपोषण को दूर करने में किस प्रकार सहायता की है? (2021)


भूगोल

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को नई श्रेणी की आवश्यकता

प्रिलिम्स के लिये:

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को नई श्रेणी, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, चक्रवाती तूफान, सैफिर-सिम्पसन (SS) स्केल, ग्लोबल वार्मिंग  

मेन्स के लिये:

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को नई श्रेणी की आवश्यकता है, भूकंप जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ। 

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है, जहाँ शोधकर्त्ताओं ने दावा किया है कि चक्रवाती तूफान के दौरान पवन की गति 309 किमी./घंटा को पार कर सकती है और इसलिये पवन के पैमाने में श्रेणी 6 को जोड़ना होगा।

अध्ययन के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • सैफिर-सिम्पसन (SS) स्केल पर पुनर्विचार:
    • सैफिर-सिम्पसन (SS) तूफान पवन स्केल की पर्याप्तता के बारे में चिंताएँ हैं, जिसका प्रयोग केवल पवन की गति के आधार पर तूफान के जोखिम को संचारित करने के लिये 50 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है।
      • SS चक्रवाती तूफान पवन पैमाने पर 5 श्रेणियाँ हैं- श्रेणी 1 से श्रेणी 5 - श्रेणी 5 में पवन की गति 252 किमी./घंटा से अधिक है।
        • श्रेणी 5 के प्रभाव में पवन, तूफान और वृष्टि का संयुक्त रूप से प्रभाव किसी भी संरचना को पूरी तरह से ध्वस्त कर देगा।
    • ओपन-एंडेड श्रेणी 5 अब गर्म होती जलवायु में तूफान से होने वाले नुकसान के बढ़ते जोखिम के  संचार हेतु पर्याप्त नहीं हो सकती है।

  • परिकल्पित श्रेणी 6 का परिचय:
    • ग्लोबल वार्मिंग के कारण अब श्रेणी 6 के चक्रवात को परिभाषित करने की आवश्यकता है।
      • वार्मिंग न केवल समुद्र की सतह पर, बल्कि समुद्र की गहराई में भी देखी जा सकती है, जिससे समुद्र में ऊष्मा/हीट की मात्रा बढ़ जाती है और इस प्रकार उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि होती है।
    • मौजूदा पैमाने की सीमाओं को संबोधित करने के लिये सैफिर-सिम्पसन विंड स्केल में एक परिकल्पित श्रेणी 6 की शुरुआत 309 किमी./घंटा से ऊपर की हवा की गति के साथ प्रस्तावित है।
  • तूफान की तीव्रता पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव:
    • पूर्व-औद्योगिक काल से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि के कारण पृथ्वी लगभग 1.10 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो गई है और महासागरों में अधिक तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवात उत्पन्न हुए हैं।
      • वार्मिंग की प्रत्येक डिग्री के लिये सबसे शक्तिशाली चक्रवात 12% प्रबल हो रहे हैं जिससे वे 40% अधिक विनाशकारी बन रहे हैं।
    • जैसे-जैसे महासागर गर्म होते हैं, चक्रवात भी तेज़ी से प्रबल होते हैं और महासागरों के ऊपर अधिक समय तक रहते हैं।
      • वर्ष 2023 में, उष्णकटिबंधीय चक्रवात फ्रेडी ने महासागरों के ऊपर 37 दिन रहा, जिससे यह अब तक का सबसे लंबे समय तक रहने वाला चक्रवात बन गया।
  • रिस्क मेसेजिंग के निहितार्थ: 
    • निष्कर्ष में ग्लोबल वार्मिंग के कारण गंभीर तूफानों के बढ़ते जोखिम के बारे में आमजन को बेहतर तरीके से जागरूक करने के लिये रिस्क मेसेजिंग में बदलाव करने के महत्त्व को रेखांकित किया गया है।
    • SS स्केल के माध्यम से अंतर्देशीय बाढ़ और तूफान वृद्धि से संबंधित मुद्दों का समाधान नहीं किया जा सकता है।
    • अतएव, तूफान के खतरों के किसी भी संभावना के बारे को उचित तरीके से संप्रेषित करने के लिये मेसेजिंग प्रणाली में बदलाव करना आवश्यक है।

नोट: 

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात की गति 119 किमी./घंटा अथवा उससे अधिक तक पहुँच जाने के बाद इसे हरिकेन/प्रभंजन, टाइफून के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, यह इसकी उत्पत्ति पर निर्भर करता है।
    • उत्तरी अटलांटिक, मध्य उत्तरी प्रशांत और पूर्वी उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में हरिकेन शब्द का प्रयोग किया जाता है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के लिये पश्चिमी प्रशांत बेसिन सबसे सक्रिय क्षेत्र है और यहाँ विश्वभर के लगभग एक तिहाई उष्णकटिबंधीय चक्रवात उत्पन्न होते हैं।
  • उत्तर भारतीय बेसिन कुल वैश्विक बेसिन का मात्र 4% है, हालाँकि यह इस प्रकार के चक्रवातों के प्रभाव के लिये विश्व के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है।

चक्रवात क्या हैं?

 

प्रश्न. मौजूदा सैफिर-सिम्पसन (SS) स्केल की सीमाओं का परीक्षण कीजिये और स्पष्ट कीजिये कि एक नई श्रेणी- 6 की शुरुआत इन सीमाओं का किस प्रकार समाधान कर सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये (2020)

  1. जेट प्रवाह केवल उत्तरी गोलार्द्ध में होते हैं।  
  2. केवल कुछ चक्रवात ही केंद्र में वाताक्षि उत्पन्न करते हैं।  
  3. चक्रवाती की वाताक्षि के अंदर का तापमान आस-पास के तापमान से लगभग 10º C कम होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2 
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) अक्षांशों में दक्षिणी अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में चक्रवात उत्पन्न नहीं होता। इसके क्या कारण हैं? (2015) 

(a) समुद्री पृष्ठों के तापमान निम्न होते हैं। 
(b) अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसारी क्षेत्र (इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जेन्स ज़ोन) बिरले ही होते हैं। 
(c) कोरिऑलिस बल अत्यंत दुर्बल होता है। 
(d) उन क्षेत्रों में भूमि मौजूद नहीं होती। 

उत्तर: (b) 


मेन्स:

प्रश्न. उष्णकटिबंधीय चक्रवात अधिकांशतः दक्षिणी चीन सागर, बंगाल की खाड़ी और मैक्सिको की खाड़ी तक ही परिसीमित रहते हैं। ऐसा क्यों हैं? (2014)


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