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प्रारंभिक परीक्षा

आदि कर्मयोगी और तलाश

  • 11 Jul 2025
  • 8 min read

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आदि कर्मयोगी कार्यक्रम के तहत पहली क्षेत्रीय प्रक्रिया प्रयोगशाला (Regional Process Lab - RPL) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य स्थानीय शासन को सशक्त बनाना है।

  • साथ ही, जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (NESTS) ने तलाश (TALASH – Tribal Aptitude, Life Skills and Self-Esteem Hub) कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य जनजातीय विद्यार्थियों के समग्र विकास को समर्थन देना है।

आदि कर्मयोगी क्या है?

  • परिचय: आदि कर्मयोगी एक उत्तरदायी शासन के लिये  राष्ट्रीय मिशन है, जिसे 20 लाख जनजातीय स्तर के कार्यकर्ताओं और ग्राम स्तरीय परिवर्तन अभिकर्त्ताओं का एक कुशल समूह तैयार करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। ये कार्यकर्त्ता समावेशी विकास को गति देंगे और जनजातीय क्षेत्रों में अंतिम छोर तक सेवाओं की प्रभावी डिलीवरी सुनिश्चित करेंगे।
  • उद्देश्य: 
    • स्थानीय नेतृत्व का निर्माण: राज्य मास्टर प्रशिक्षकों (SMT), ज़िला मास्टर प्रशिक्षकों (DMT) और ब्लॉक स्तर के प्रशिक्षकों का विकास करना।
    • अंतिम छोर तक सेवा वितरण को सुदृढ़ करना: दूरदराज़ के क्षेत्रों में जनजातीय कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन और सेवा वितरण को प्रभावी बनाना।
    • समुदाय-केंद्रित शासन को बढ़ावा देना: जनजातीय समुदायों को गरिमा, सहानुभूति और उद्देश्यपूर्ण भागीदारी के साथ सशक्त बनाना।
  • क्रियान्वयन: पाँच दक्षिणी राज्यों कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के SMT को बेंगलुरु स्थित RPL में प्रशिक्षित किया जा रहा है। 
    • ये प्रशिक्षक आगे चलकर राज्य स्तरीय प्रक्रिया प्रयोगशालाएँ (SPL) संचालित करेंगे, जहाँ वे ज़िला मास्टर प्रशिक्षकों (DMT) को प्रशिक्षित करेंगे। इस कार्यक्रम में सिविल सोसाइटी संगठनों की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है ताकि सहभागिता आधारित अधिगम को बढ़ावा दिया जा सके तथा प्रशिक्षण स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप हो। यह निरंतर अधिगम और नेतृत्व के विकास का भी समर्थन करता है।
    • आदि कर्मयोगी मिशन स्थानीय स्तर की योजना, त्वरित शिकायत निवारण और साझा कार्यान्वयन के माध्यम से उत्तरदायी शासन को समर्थन देता है। यह मिशन जनजातीय कार्य, ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास, जल शक्ति, शिक्षा, और वन विभाग जैसे विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों को एक साथ लाता है।

तलाश क्या है?

  • परिचय: तलाश (TALASH) एक नवाचारी मंच है, जिसे राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (NESTS) ने संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) भारत के सहयोग से शुरू किया है। इसका उद्देश्य पूरे भारत के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में पढ़ने वाले 1.38 लाख से अधिक छात्रों के समग्र विकास को समर्थन देना है।
    • तलाश मंच जनजातीय छात्रों को आवश्यक जीवन कौशल और कॅरियर की स्पष्टता प्रदान करके उन्हें प्रतिस्पर्द्धात्मक विश्व की चुनौतियों से निपटने के लिये तैयार करता है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के साथ भी मेल खाता है, जो समावेशी तथा समान शिक्षा पर बल देती है।
    • तलाश को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। अब तक 75 एकलव्य विद्यालयों के 189 शिक्षक प्रशिक्षित किए जा चुके हैं। वर्ष 2025 के अंत तक, यह कार्यक्रम सभी EMRS को शामिल कर लेगा।
  • तलाश (TALASH) की प्रमुख विशेषताएँ:
    • मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन (Psychometric Assessments): राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के ‘तमन्ना (Tamanna)’ फ्रेमवर्क पर आधारित इस मूल्यांकन में छात्र अभिरुचि परीक्षण देते हैं और उन्हें एक व्यक्तिगत कॅरियर कार्ड प्रदान किया जाता है।
    • कॅरियर परामर्श (Career Counselling): यह छात्रों को उनके लक्ष्यों को उनकी क्षमताओं और रुचियों के अनुरूप समन्वयित करने में सहायता करता है।
    • जीवन कौशल और आत्म-सम्मान मॉड्यूल: इंटरैक्टिव पाठों के माध्यम से छात्रों में आत्मविश्वास और सांवेगिक बुद्धिमत्ता का विकास किया जाता है।
    • शिक्षकों के लिये ई-लर्निंग: शिक्षकों को डिजिटल उपकरणों तथा प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाया जाता है, जिससे वे छात्रों का मार्गदर्शन और मेंटरिंग प्रभावी ढंग से कर सकें।

नोट: तमन्ना (Tamanna) एक रुझान परीक्षण है, जिसे शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत NCERT और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा विकसित किया गया है। यह कक्षा 9वीं और 10वीं के छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं व संभावनाओं को समझने में सहायता करता है।

  • यह परीक्षण स्वैच्छिक है, इसमें उत्तीर्ण या अनुत्तीर्ण की कोई अवधारणा नहीं है और इसका उद्देश्य विषय चयन थोपना नहीं, बल्कि मार्गदर्शन प्रदान करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. PVTG 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में निवास करते हैं।
  2.   स्थिर या कम होती जनसंख्या PVTG स्थिति निर्धारण के मानदंडों में से एक है।
  3.   देश में अब तक 95 PVTG आधिकारिक तौर पर अधिसूचित हैं।
  4.   PVTGs की सूची में ईरूलर और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही है?

(a)1, 2 और 3
(b)2, 3 और 4
(c)1, 2 और 4
(d)1, 3 और 4

उत्तर: (c)

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