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जैव विविधता और पर्यावरण

WMC ने ग्लोबल ग्रीनहाउस गैस वॉच को मंज़ूरी दी

  • 27 May 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

WMO, जलवायु परिवर्तन, ग्रीन हाउस गैस, UNFCCC

मेन्स के लिये:

ग्लोबल ग्रीनहाउस गैस वॉच की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 19वीं विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस (World Meteorological Congress- WMC) ने ग्लोबल ग्रीनहाउस गैस (GHG) वॉच (G3W) की  GHG निगरानी पहल को मंज़ूरी दी है, ताकि ऊष्मा को अवशोषित करने वाली गैसों को कम करने के साथ ही जलवायु परिवर्तन का मुकाबला किया जा सके।

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation- WMO) ने WHO के सहयोग से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का प्रबंधन करने हेतु जलवायु, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विज्ञान तथा सेवाओं को आगे बढ़ाने के लिये कार्यान्वयन योजना 2023-2033 तैयार की है। 

नोट: 19वीं विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस (Cg-19) वर्तमान में 22 मई से 2 जून, 2023 तक जेनेवा के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (Conference Centre of Geneva- CICG) में हो रही है। यह विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) का सर्वोच्च निकाय है। 

 विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO): 

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) 192 देशों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
  • भारत, विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य देश है।
  • इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 के वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस के बाद स्थापित किया गया था।
  • 23 मार्च, 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित WMO, मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा इससे संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गया है।
  • WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।

ग्रीनहाउस गैस वॉच (G3W): 

  • परिचय: 
    • यह UNFCCC पक्षकारों एवं अन्य हितधारकों को कार्रवाई योग्य जानकारी के प्रावधान का समर्थन करने के लिये ग्रीनहाउस गैस के प्रवाह की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित टॉप-टू-बॉटम निगरानी की स्थापना करेगा।
    • ग्रीनहाउस गैस वॉच महत्त्वपूर्ण सूचना अंतराल को भरने का कार्य करेगी और एकीकृत तथा परिचालनात्मक फ्रेमवर्क प्रदान करेगी। यह फ्रेमवर्क सभी अंतरिक्ष-आधारित और सतह-आधारित अवलोकन प्रणाली के साथ ही साथ प्रतिरूपण और डेटा सम्मिलन क्षमताओं को एक ही छत के नीचे लाने का कार्य करेगा।
  • कार्यान्वयन:
    • निगरानी बुनियादी ढाँचा, GHG निगरानी में WMO की लंबे समय से चली आ रही गतिविधियों का संचालन और विस्तार करेगा, जिसे ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच (Global Atmosphere Watch- GAW)  के हिस्से के रूप में तथा इसकी एकीकृत वैश्विक GHG सूचना प्रणाली (IG3IS) के माध्यम से लागू किया गया है। 
      • WMO की GAW वायुमंडलीय संरचना, इसके परिवर्तन की एकल समन्वित वैश्विक समझ के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है और वातावरण, महासागरों एवं जीवमंडल के बीच अंतर्संबंध की समझ को बेहतर बनाने में मदद करता है। 
      • IG3IS  का उद्देश्य एक एकीकृत वैश्विक GHG सूचना प्रणाली का समन्वय करना, वायुमंडलीय अवलोकन तथा मॉडलिंग के साथ इन्वेंट्री एंड फ्लक्स मॉडल आधारित जानकारी को जोड़ना है, ताकि राष्ट्रीय और शहरी पैमाने पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के सर्वोत्तम संभव अनुमान प्रदान किये जा सकें। 
  • घटक: 
    • सतह-आधारित तथा उपग्रह आधारित अवलोकन 
    • गतिविधि डेटा और प्रोसेस-आधारित मॉडल के आधार पर GHG उत्सर्जन का पूर्वानुमान
    • GHG चक्रण का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्लोबल हाई-रिज़ॉल्यूशन अर्थ सिस्टम मॉडल
    • उच्च सटीकता वाले उत्पादों के निर्माण हेतु मॉडल से जुड़े डेटा एसिमिलेशन सिस्टम
  • महत्त्व: 
    • वर्तमान में, भूमि और अंतरिक्ष आधारित GHG प्रेक्षणों या मॉडलिंग उत्पादों का कोई व्यापक, समय पर अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान उपलब्ध नहीं है।  
    • GHG निगरानी अवसंरचना कार्बन चक्र की समझ को बेहतर बनाने में मदद करेगी। न्यूनीकरण गतिविधियों की योजना बनाने के लिये पूर्ण कार्बन चक्र को समझना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।   
    • GHG पर विश्व स्तर पर सुसंगत, ग्रिडयुक्त जानकारी और उचित समय संकल्प के साथ उनके प्रवाह से GHG के स्रोतों  के बेहतर मूल्यांकन में मदद मिलेगी और जीवमंडल, महासागर और स्थायी तुषार क्षेत्रों के साथ उनके संबंध का संकेत मिलेगा। 

ग्रीनहाउस गैस 

वर्ष 2023-2033 हेतु कार्यान्वयन योजना:

  • उद्देश्य: 
    • इस योजना का उद्देश्य "विश्व भर में जलवायु, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विज्ञान और सेवाओं के प्रभावी एकीकरण के माध्यम से मौज़ूदा तथा उभरती चरम मौसम की घटनाओं, जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय जोखिमों का सामना करने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण" प्रदान करना है।
    • यह जलवायु परिवर्तन, मौसम, वायु प्रदूषण, पराबैंगनी विकिरण, चरम घटनाओं और स्वास्थ्य के साथ अन्य पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव के प्रबंधन हेतु एक समन्वित दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।
  • आवश्यकता: 
    • वर्ष 2030-2050 तक, जलवायु परिवर्तन से कुपोषण, मलेरिया, डायरिया और अत्यधिक गर्मी के कारण सालाना लगभग 250,000 अतिरिक्त मौतें होने का अनुमान है।
    • यदि मौज़ूदा उत्सर्जन स्तर बना रहता है, तो सदी के अंत तक 8.4 बिलियन लोगों तक दो प्रमुख वेक्टर जनित मलेरिया और डेंगू रोगों से खतरा उत्पन्न हो सकता है।
    • अत्यधिक गर्मी को लेकर उत्पन्न चिंताएँ और पूर्व चेतावनी प्रणाली संबंधी जानकारी को मज़बूत बनाने के महत्त्व तथा जलवायु से संबंधित जोखिमों जैसे ग्रीष्म लहरों, वनाग्नि एवं वायु गुणवत्ता से संबद्ध मुद्दों के लिये जोखिम प्रबंधन के महत्त्व को देखते हुए यह कार्यान्वयन योजना आवश्यक हो जाती है।
      • वर्ष 2022 में, भारत ने सबसे गर्म माह मार्च का अनुभव किया, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में शुरुआती ग्रीष्म लहरें चलीं।
      • अत्यधिक गर्मी वर्ष 2030 तक 600 मिलियन भारतीयों को अत्यधिक उच्च तापमान का सामना करना पड़ेगा

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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