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वुलर झील में कमल का पुनरुद्धार

  • 12 Jul 2025
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

1992 की बाढ़ के कारण तीन दशकों की पारिस्थितिक निष्क्रियता के बाद वुलर संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण (WUCMA) के नेतृत्व में केंद्रित संरक्षण प्रयासों के कारण कश्मीर की वुलर झील में एक बार फिर कमल के फूल खिलने लगे हैं।

  • कमल के तने (जिन्हें स्थानीय रूप से नादरू कहा जाता है) वर्ष 1992 से विकसित नहीं हो सके, क्योंकि बीज भारी गाद के नीचे दब गए थे, लेकिन प्रकंद (रेंगने वाली जड़ के डंठल ) गहराई में जीवित रहे और गाद हटाये जाने के बाद अंकुरित हो गए।

वुलर झील

  • यह भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है और एशिया ( रूस के साइबेरिया में बैकाल झील के बाद) की दूसरी सबसे बड़ी झील है, जो जम्मू-कश्मीर में बांदीपोरा तथा सोपोर के बीच स्थित है।
  • भूगोल: यह हरामुक पर्वत की तलहटी में स्थित है और झेलम नदी के साथ-साथ 25 अन्य नदियाँ इसे पानी उपलब्ध कराती हैं।
    • इसके केंद्र में एक छोटा सा द्वीप है जिसे जैना लंक (Zaina Lank) कहा जाता है, जिसका निर्माण कश्मीर के 8 वें सुल्तान जैनुल-अबी-दीन ने करवाया था।
  • पारिस्थितिक महत्त्व: 1990 में इसे रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था।
  • भूविज्ञान: इस झील का बेसिन टेक्टोनिक गतिविधि के कारण बना है। इसे प्राचीन सतीसर झील का अवशेष भी माना जाता है।
  • एवियन जीव: वुलर झील 56 पक्षी प्रजातियों, 39 मछली प्रजातियों और 20 से अधिक प्रकार के पौधों का आवास है ।
    • यहाँ पाई जाने वाली उल्लेखनीय प्रवासी पक्षी प्रजातियों में सफेद पेट वाला बगुला, गुलाबी सिर वाली बत्तख, बेयर पोचार्ड और कश्मीर कैटफिश शामिल हैं।

कमल (नेलुम्बो न्यूसीफेरा)

  • कमल एक बारहमासी पौधा है जिसके फूल कटोरे के आकार के होते हैं और पंखुड़ियाँ 8 से 12 इंच व्यास की होती हैं। 
    • यह एक जलीय पौधा है जो पोषक तत्त्वों से भरपूर, धुंधली परिस्थितियों में पनपता है। 
  • यह गुलाबी, पीले या सफेद रंग में होता है। 
  • इसे भारत के राष्ट्रीय पुष्प के रूप में मान्यता प्राप्त है। कमल हिंदू और बौद्ध धर्मों का एक आवर्ती प्रतीक है।

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