उत्तर प्रदेश Switch to English
सारनाथ के पवित्र बुद्ध अवशेष
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित पवित्र बुद्ध अवशेषों को मई 2025 में वियतनाम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस (UNDV) समारोह के अवसर पर प्रदर्शित किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- बुद्ध अवशेषों के बारे में:
- ये अवशेष उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार से संबंधित हैं, यह विहार महाबोधि सोसाइटी द्वारा संचालित है, जिसकी स्थापना अंगारिका धर्मपाल ने की थी।
- अवशेषों की खुदाई 1927–1931 के दौरान नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश) में एच. लॉन्गहर्स्ट द्वारा की गई थी।
- इन अवशेषों को 27 दिसंबर, 1932 को राय बहादुर दयाराम साहनी ने भारत के वायसराय की ओर से महाबोधि सोसाइटी को सौंपा था।
- यह कार्यक्रम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस (UNDV)
- वेसाक दिवस बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र दिन है, जो महात्मा बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति (ज्ञानोदय) और महापरिनिर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 दिसंबर, 1999 को एक प्रस्ताव पारित कर इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता दी।
- पहला आधिकारिक आयोजन वर्ष 2000 में न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में किया गया था।
- संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस 2025 की थीम है- "मानव गरिमा के लिये एकता और समावेशिता के लिये बौद्ध दृष्टिकोण: विश्व शांति और सतत् विकास के लिये बौद्ध अंतर्दृष्टि"।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC)
- यह सबसे बड़ा धार्मिक बौद्ध संघ है।
- इस संघ का उद्देश्य वैश्विक मंच पर बौद्ध धर्म की भूमिका का निर्माण करना है, ताकि बौद्ध धर्म की विरासत को संरक्षित करने, ज्ञान साझा करने और मूल्यों को बढ़ावा देने में मदद मिल सके तथा वैश्विक वार्ता में सार्थक भागीदारी के साथ बौद्ध धर्म का संयुक्त प्रतिनिधित्व किया जा सके।
- नवंबर 2011 में नई दिल्ली में ‘वैश्विक बौद्ध मंडली’ (GBC) की मेज़बानी की गई थी, जहाँ उपस्थित लोगों ने सर्वसम्मति से एक अंतर्राष्ट्रीय अम्ब्रेला निकाय- अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के गठन के प्रस्ताव को अपनाया।
- मुख्यालय: दिल्ली (भारत)

