पीसीएस
हायर सर्विसेज़ (प्रवर) रणनीति
- 01 Aug 2021
- 16 min read
यू.पी.पी.सी.एस. (प्रवर) - रणनीति
रणनीति की आवश्यकता क्यों?
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है। यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आपकी आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है। ध्यातव्य हैं कि यह परीक्षा सामान...
- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
- यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आपकी आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है।
- ध्यातव्य हैं कि यह परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों (प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है जिसमें प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।
- इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक-दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
प्रारंभिक परीक्षा की रणनीति
- परीक्षा के इस चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज्यादा ध्यान दें, जिनसे विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज़्यादा रही है
- चूँकि प्रारम्भिक परीक्षा में प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार की होती है अत: इसमें तथ्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जैसे- अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम किसने पढ़ा था? भारत की कौन-सी नदी ‘दक्षिण की गंगा’ के नाम से जानी जाती है? कौन-सा हार्मोन ‘लड़ो और उड़ो’ के नाम से जाना जाता है? इत्यादि ।
- इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है।
- इन प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए जैसे – एक प्रश्न पूछा गया कि भारतीय संविधान में ‘समवर्ती सूची’ की अवधारणा किस देश से ली गई है? तो आपको भारतीय संविधान में विभिन्न देशों से ली गई प्रमुख अवधारणाओं की एक लिस्ट तैयार कर लेनी चाहिये।
- प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ में पूछे जाने वाले परम्परागत प्रश्न मुख्यतः ‘भारत का इतिहास एवं भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन’, ‘भारत एवं विश्व का भूगोल’, ‘भारतीय राजनीति एवं शासन’, ‘आर्थिक एवं सामाजिक विकास’, ‘पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी’ एवं ‘सामान्य विज्ञान’ से सम्बंधित होते हैं।
- सामान्य अध्ययन के इन परम्परागत प्रश्नों को हल करने के लिये सम्बंधित शीर्षक की कक्षा-6 से कक्षा-12 तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों का अध्ययन करने के साथ-साथ दृष्टि पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के सामान्य अध्ययन के विशेषांक खंडों का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
- इस परीक्षा में समसामयिक घटनाओं एवं राज्य विशेष से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या ज्यादा होती हैा। अत: इनका नियमित रूप से गंभीर अध्ययन करना चाहिये।
- समसामयिक घटनाओं के प्रश्नों की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते हुए आप नियमित रूप से किसी दैनिक अख़बार जैसे - द हिन्दू, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) इत्यादि के साथ-साथ दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिन्दुओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खंड की तैयारी के लिये मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे ’ का अध्ययन करना लाभदायक सिद्ध होगा।
- राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘उत्तर प्रदेश’ या बाजार में उपलब्ध किसी मानक राज्य स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
- इन परीक्षाओं में संस्थाओं इत्यादि से पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिये प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित ‘भारत’ (इण्डिया इयर बुक)’ का बाज़ार में उपलब्ध संक्षिप्त विवरण पढ़ना लाभदायक रहता है।
- द्वितीय प्रश्नपत्र ‘सीसैट’ में मुख्यतः कॉम्प्रिहेंशन, अंतर्वैयक्तिक क्षमता एवं सम्प्रेषण कौशल, तार्किक एवं विश्लेषणात्मक योग्यता, निर्णयन क्षमता एवं समस्या समाधान, सामान्य बौद्धिक योग्यता एवं हाईस्कूल स्तर की प्रारंभिक गणित, सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
- इसकी तैयारी के लिये बाजार में उपलब्ध किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करने के साथ-साथ प्रैक्टिस सेटों को हल करना उचित रहेगा।
- सीसैट का प्रश्नपत्र केवल क्वालिफाइंग (न्यूनतम 33% अंक) होता है। इसमें प्राप्त अंकों को कट-ऑफ निर्धारण में नहीं जोड़ा जाता है।
- यदि कोई अभ्यर्थी सीसैट के प्रश्नपत्र में क्वालिफाइंग अंक से कम अंक प्राप्त करता है तो उसके प्रथम प्रश्नपत्र का मूल्यांकन ही नहीं किया जाता है।
- इस परीक्षा में अभ्यर्थियों के योग्यता क्रम का निर्धारण उनके द्वारा प्रथम प्रश्नपत्र में प्राप्त किये गये अंकों के आधार पर किया जाता है।
- प्रारम्भिक परीक्षा तिथि से सामान्यत:15 -20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है। इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है, वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
- यू.पी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में ऋणात्मक अंक (1/3) के प्रावधान होने के कारण किसी भी ऐसे प्रश्न जिसके चारों विकल्पों के बारे में आप अनभिज्ञ हो या उनके संबंध में आप कुछ नही जानते हो, तो ऐसे प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ देना बेहतर होगा।
मुख्य परीक्षा की रणनीति
- मुख्य परीक्षा की प्रकृति लिखित (वर्णनात्मक) होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से अलग होती है।
- प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है, वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।
- ध्यातव्य है कि यू.पी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित यू.पी.पी.सी.एस. (प्रवर) मुख्य परीक्षा में विषयों का बँटवारा अनिवार्य एवं वैकल्पिक के रूप में किया गया है।
- अनिवार्य विषयों में सामान्य अध्ययन के चार प्रश्नपत्र, सामान्य हिंदी एवं निबंध की प्रकृति लिखित (वर्णनात्मक) होती है। इसी प्रकार वैकल्पिक विषय में विज्ञप्ति में दिये गए विषयों में से चयनित एक विषय के दोनों प्रश्नपत्रों की प्रकृति भी लिखित (वर्णनात्मक) होती है।
- वर्ष 2015 से इस मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषय में पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति के साथ-साथ उत्तर- पुस्तिका में भी बदलाव किये जाने के कारण अब इन विषयों में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये विषय की गहरी समझ एवं विश्लेषणात्मक क्षमता का होना अनिवार्य है। प्रश्नों की प्रकृति अब रटंत पद्धति से हटकर अवधारणात्मक सह-विश्लेषणात्मक प्रकार की हो गई है।
- मुख्य परीक्षा के इस बदले हुए परिवेश में जहाँ समय प्रबंधन एक चुनौती बनकर उभरा है, वहीं इस मुख्य परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये न केवल सम्पूर्ण पाठ्यक्रम के विस्तृत समझ की आवश्यकता है बल्कि विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों एवं उस पर आधारित मॉडल प्रश्नों का निर्धारित शब्द सीमा व समय में उत्तर-लेखन अति आवश्यक है।
- इस परीक्षा में हिंदी के प्रश्नपत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये हिंदी के व्याकरण (उपसर्ग, प्रत्यय, विलोम इत्यादि) की समझ, संक्षिप्त सार, अपठित गद्यांश इत्यादि की अच्छी जानकारी आवश्यक है। इसके लिये हिंदी की स्तरीय पुस्तक जैसे– ‘वासुदेवनंदन प्रसाद’ एवं ‘हरदेव बाहरी’ की ‘सामान्य हिंदी एवं व्याकरण’ पुस्तक का गहराई से अध्ययन एवं उपरोक्त विषयों पर निरंतर लेखन कार्य करना लाभदायक रहेगा।
- निबंध का प्रश्नपत्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं निर्णायक होता है। पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि यह तीन विशेष खंडों में विभाजित रहता है, जिसमें अभ्यर्थी को अपनी रूचि एवं विषय पर गहरी समझ के अनुसार प्रत्येक खंड से एक-एक निबंध लिखना होता है
- निबंध को रोचक बनाने के लिये श्लोक, कविता, उद्धरण, महापुरुषों के कथन इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है। निबंध की तैयारी के लिये दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘निबंध- दृष्टि’ का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा, क्योंकि इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से श्रेणी क्रम में विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा- शैली एवं अप्रोच स्तरीय हैं।
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- मुख्य परीक्षा के वैकल्पिक विषयों की तैयारी के लिये सम्बंधित विषय के स्तरीय किताबों का अध्ययन आवश्यक होता है जैसे- वैकल्पिक विषय ‘इतिहास’ के चारों खंडों (प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत, आधुनिक भारत एवं विश्व इतिहास) के लिये क्रमशः झा एवं श्रीमाली, सतीश चंद्रा, बिपिन चंद्रा एवं बीएल ग्रोवर तथा लाल बहादुर वर्मा की पुस्तक एवं बाजार में उपलब्ध किसी स्तरीय नोट्स का अध्ययन करके बिन्दुवार नोट्स एवं प्रश्नों की सिनोप्सिस तैयार करना लाभदायक रहता है। इससे आप मुख्य परीक्षा के दौरान सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का त्वरित अध्ययन कर सकते हैं।
- यू.पी.पी.एस.सी. (प्रवर) मुख्य परीक्षा कुल 1500 अंकों की होती है जिसमें सामान्यत: 950-1000 अंक प्राप्त करने पर साक्षात्कार के लिये आमंत्रित किया जाता है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह कट ऑफ कम भी हो सकता है।
- विदित है कि वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्नपत्रों में उत्तर को उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिये।
- किसी भी प्रश्न का सटीक एवं सारगर्भित उत्तर लिखने के लिए दो बातें महत्वपूर्ण होती है- पहली, विषय की व्यापक समझ हो तथा दूसरी, उत्तर लेखन का निरंतर अभ्यास किया जाए।
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साक्षात्कार की रणनीति
- साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।
- अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है।
- यू.पी.पी.एस.सी. (प्रवर) परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किये गये हैं।
- आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त अंकों के योग के आधार पर तैयार की गई मेधा सूची (मेरिट लिस्ट ) के आधार पर होता है।