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यूपी पुलिस का 'ऑपरेशन सवेरा'
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने और नशा-मुक्त समाज को बढ़ावा देने के लिये सहारनपुर क्षेत्र में 'ऑपरेशन सवेरा' शुरू किया है।
- यह अभियान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और DGP राजीव कृष्ण के निर्देशानुसार संचालित किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य अवैध नशीले पदार्थों की पूरी शृंखला; निर्माताओं से लेकर तस्करों तक को समाप्त करना है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य:
- यह अभियान सहारनपुर रेंज के तीन ज़िलों में अवैध नशीले पदार्थों के निर्माता, बिचौलिये, आपूर्तिकर्त्ता और विक्रेताओं पर केंद्रित है।
- पुलिस नशीली दवाओं के व्यापार के अग्रिम और पश्चवर्ती दोनों संपर्कों को लक्षित करते हुए तस्करी नेटवर्क को ध्वस्त करेगी।
- कानूनी अधिदेश:
- दोषी व्यक्तियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करने के लिये चल रहे NDPS मामलों की समीक्षा की जाएगी।
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम, 1985 और स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (PITNDPS) अधिनियम, 1988 के अवैध व्यापार की रोकथाम के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अवैध दवा गतिविधियों के माध्यम से अर्जित संपत्तियों को ज़ब्त करना भी शामिल है।
- जागरूकता:
- जागरूकता अभियान समाज, विशेषकर छात्रों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करेंगे।
- नशामुक्ति केंद्रों का निरीक्षण कर उनकी सुविधाओं और चुनौतियों का आकलन किया जाएगा तथा पुनर्वास सहयोग के लिये विभागों के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा।
नोट: इससे पहले कानपुर पुलिस ने भू-माफिया, जबरन वसूली करने वाले गिरोहों और उनका समर्थन करने वाले प्रभावशाली व्यक्तियों के विरुद्ध 5 अगस्त, 2025 को 'ऑपरेशन महाकाल' शुरू किया था।


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अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सातवीं पुण्यतिथि (16 अगस्त) पर नई दिल्ली में उनके स्मारक 'सदैव अटल' पर पुष्पांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
- अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में:
- अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को तत्कालीन ग्वालियर रियासत (अब मध्य प्रदेश का हिस्सा) में हुआ था।
- उन्होंने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया, जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत को गति प्रदान की
- व्यावसायिक करियर:
- वर्ष 1947 में वाजपेयी ने दीनदयाल उपाध्याय के समाचार पत्रों - राष्ट्रधर्म (एक हिंदी मासिक), पांचजन्य (एक हिंदी साप्ताहिक) और स्वदेश तथा वीर अर्जुन जैसे दैनिक के लिये एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।
- बाद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी से प्रभावित होकर वह वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हुए।
- राजनीतिक यात्रा:
- पुरस्कार और सम्मान:
- वर्ष 2015 में भारत रत्न।
- वर्ष 1994 में पद्म विभूषण।.
- वर्ष 1994 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ सांसद) से सम्मानित।
- उनके जन्मदिन (25 दिसंबर) को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- निधन:
- 16 अगस्त वर्ष 2018 को उनका निधन हुआ।
- मुख्य उपलब्धियाँ:
- स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना: दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों का नेटवर्क।
- दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधारों द्वारा औद्योगिक विकास और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया।
- वर्ष 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के दौरान भारत को परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।
- वर्ष 2000 में ग्रामीण संपर्क हेतु प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) का शुभारंभ किया।


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उत्तर प्रदेश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गोरखपुर ज़िले के खानिमपुर गाँव में राज्य के पहले और देश में अपनी तरह के दूसरे ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र का उद्घाटन किया।
भारत की ग्रीन हाइड्रोजन उपलब्धियाँ
- गुजरात में कांडला बंदरगाह भारत के पहले मेक-इन-इंडिया ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का स्थल है, जो देश के नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को आगे बढ़ा रहा है।
- हिसार स्थित जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड भारत का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र है, जो स्टेनलेस स्टील उद्योग को समर्पित है, जिससे यह इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर पहला संयंत्र बन गया है।
- अडानी समूह ने गुजरात के कच्छ में भारत का पहला ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट चालू किया, जो नवीकरणीय ऊर्जा से हाइड्रोजन उत्पादन में अग्रणी है।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- टॉरेंट गैस और टॉरेंट पावर द्वारा स्थापित यह संयंत्र भारत की स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
- पायलट परियोजना के अंतर्गत संयंत्र प्राकृतिक गैस (CNG और PNG) के साथ अधिकतम 2% ग्रीन हाइड्रोजन का मिश्रण करेगा।
- यह मिश्रित गैस घरेलू उपभोक्ताओं, CNG स्टेशनों और उद्योगों को स्थानीय गैस ग्रिड के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी।
- महत्त्व:
- यह परियोजना देश के शहरी गैस वितरण क्षेत्र में ग्रीन हाइड्रोजन और प्राकृतिक गैस मिश्रण की अब तक की सबसे बड़ी पहल है।
- इससे प्रतिवर्ष 500 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और प्रचुर जल संसाधनों के कारण उत्तर प्रदेश को ग्रीन हाइड्रोजन का प्रमुख केंद्र स्थापित किया जा सकेगा।
- ग्रीन हाइड्रोजन नीति:
- उत्तर प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024 निवेश को बढ़ावा देकर और ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया उत्पादन सुविधाओं तथा ग्रीन हाइड्रोजन-आधारित उत्पाद विनिर्माण इकाइयों की स्थापना करके सुगम व्यापार करने में सक्षम बनाती है।
- उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2028 तक ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया की उत्पादन क्षमता को 1 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
- नीति में 30% पूंजीगत सब्सिडी शामिल है, जो राज्य में पहली चार परियोजनाओं के लिये 40% तक जा सकती है।
ग्रीन हाइड्रोजन
- ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन जल (H₂O) को इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया से हाइड्रोजन (H₂) और ऑक्सीजन (O₂) में विभाजित करके किया जाता है। इस प्रक्रिया को सौर ऊर्जा या बायोमास गैसीकरण जैसे नवीकरणीय स्रोतों से संचालित किया जाता है।
- इसके उपयोगों में फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEVs), उर्वरक एवं रिफाइनरी जैसे औद्योगिक क्षेत्र तथा सड़क एवं रेल परिवहन क्षेत्र सम्मिलित हैं।
- हाइड्रोजन के अन्य प्रकार:
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इटरनल फ्लेम ऑफ होम्योपैथी अवार्ड
चर्चा में क्यों?
लखनऊ के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. पी.के. शुक्ला को होम्योपैथी में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये इटरनल फ्लेम ऑफ होम्योपैथी अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- यह पुरस्कार क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर द्वारा चौथे अखिल भारतीय होम्योपैथी अनुसंधान शिखर सम्मेलन 2025 में प्रदान किया गया, जो 16 अगस्त 2025 को JW मैरियट, गोवा में बर्नेट होम्योपैथी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित किया गया था।
होम्योपैथी
- होम्योपैथी एक चिकित्सा प्रणाली है, जो शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को सक्रिय करती है तथा इसके प्रभावों को बढ़ाने और दुष्प्रभावों को कम करने के लिये अत्यधिक तनुकृत पदार्थों का उपयोग करती है।
- भारत में इसका प्रवेश 18वीं शताब्दी में हुआ। प्रत्येक वर्ष 10 अप्रैल को ‘विश्व होम्योपैथी दिवस’ इसके संस्थापक डॉ. हैनिमैन के सम्मान में मनाया जाता है।
नोट: क्रॉसपैथी वह स्थिति है, जहाँ स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर अपनी मान्यता प्राप्त विशेषज्ञता से परे उपचार प्रदान करते हैं या दवाएँ लिखते हैं, जैसे आयुष चिकित्सक (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी) यदि ऐसी चिकित्सीय प्रक्रियाएँ करें या दवाएँ लिखें जो सामान्यतः एलोपैथिक (आधुनिक) चिकित्सा के लिये आरक्षित होती हैं।


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शोधगंगा पोर्टल
चर्चा में क्यों?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के शोधगंगा पोर्टल पर अपलोड किये गए शोध प्रबंधों के मामले में उत्तर प्रदेश के तीन विश्वविद्यालयों ने देश के शीर्ष 10 संस्थानों में स्थान प्राप्त किया।
मुख्य बिंदु
- शोधगंगा पोर्टल, जो देशभर के 840 विश्वविद्यालयों से 6,20,000 से अधिक प्रबंधों (Theses) का भंडार है, में उत्तर प्रदेश के संस्थान महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ताओं के रूप में उभरे हैं।
- इसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU), कानपुर विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने प्रमुख स्थान प्राप्त किये हैं। यह उपलब्धि राज्य में उच्च शिक्षा, अनुसंधान और शैक्षणिक उत्कृष्टता पर बढ़ते ध्यान को रेखांकित करती है।
- शीर्ष 10 राष्ट्रीय विश्वविद्यालय:
- अन्ना विश्वविद्यालय (17,028 शोध प्रबंध)
- मद्रास विश्वविद्यालय (15,396)
- कलकत्ता विश्वविद्यालय (14,837)
- सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (13,403)
- मुंबई विश्वविद्यालय (12,527)
- आंध्र विश्वविद्यालय (10,736)
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (10,709): शीर्ष योगदानकर्त्ताओं में 7वाँ स्थान (UP में प्रथम)
- छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय (10,279): शीर्ष योगदानकर्त्ताओं में 8वाँ स्थान (UP में दूसरा स्थान)
पंजाब विश्वविद्यालय (9,890). - बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (9,600): (UP में तीसरा स्थान)
- अन्य UP विश्वविद्यालयों का योगदान:.
- लखनऊ विश्वविद्यालय: 8,683 शोध प्रबंध
- चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ: 3,645 शोध प्रबंध
- बुंदेलखंड विश्वविद्यालय: 2,335 शोध प्रबंध
- पं. दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय: 1,161 थीसिस
- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ: 462 शोध प्रबंध
शोधगंगा: भारतीय शोध-प्रबंधों का एक डिजिटल भंडार
- परिचय:
- शोधगंगा भारतीय इलेक्ट्रॉनिक शोध-प्रबंधों और शोध-प्रबंधों का एक डिजिटल संग्रह है, जिसे INFLIBNET केंद्र द्वारा होस्ट तथा अनुरक्षित किया जाता है।
- यह एम.फिल. और पीएच.डी. अनुसंधान के लिये खुला मंच प्रदान करता है, जिससे व्यापक दृश्यता सुनिश्चित होती है, दोहराव कम होता है तथा भारतीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ती है।
- अधिदेश:
- UGC (एम.फिल./पीएच.डी. डिग्री प्रदान करने के लिये न्यूनतम मानक और प्रक्रिया) विनियमन, 2009 (संशोधित 2016) के तहत, सभी शोधकर्त्ताओं को वैश्विक पहुँच तथा संरक्षण की सुविधा के लिये अपने शोध प्रबंधों के इलेक्ट्रॉनिक संस्करण प्रस्तुत करना आवश्यक है।
- महत्त्व:
- "शोध" का अर्थ है अनुसंधान; "गंगा" भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।\
- दोनों मिलकर, शोधगंगा भारतीय बौद्धिक उत्पादन के भंडार का प्रतिनिधित्व करती है।
- यह शोध के दोहराव को रोकता है, गुणवत्ता को बढ़ावा देता है तथा शोधकार्य को डिजिटल रूप में संरक्षित करता है।
- विश्वविद्यालय एकीकरण:
- विश्वविद्यालय शोधगंगा को केंद्रीय बैकअप के रूप में उपयोग करते हुए अपने स्वयं के संस्थागत भंडार बनाए रख सकते हैं।
- सभी शोध-प्रबंधों तक एकीकृत पहुँच प्रदान करने के लिये वितरित रिपॉजिटरी से मेटा डाटा को केंद्रीय रूप से एकत्र किया जाता है।

