उत्तर प्रदेश
भारत की पहली ड्रोन फोरेंसिक प्रयोगशाला
- 19 Aug 2025
- 15 min read
चर्चा में क्यों?
देश में पहली बार एक ड्रोन फॉरेंसिक प्रयोगशाला उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान (UPSIFS), लखनऊ में स्थापित की गई है।
मुख्य बिंदु
- प्रयोगशाला के बारे में:
- इस प्रयोगशाला का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था और इसकी संकल्पना तथा स्थापना रोबोटिक्स और ड्रोन प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ मिलिंद राज द्वारा की गई है, जिन्हें 'भारत के ड्रोन मैन' के रूप में भी जाना जाता है।
- कार्य:
- यह प्रयोगशाला पुलिस को वास्तविक समय में ड्रोन को ट्रैक करने, डिकोड करने और जाँच करने में सक्षम बनाएगी, जिससे फोरेंसिक विशेषज्ञों को ड्रोन के उड़ान पथ, टेक-ऑफ स्थान, पेलोड क्षमता एवं विस्फोटक जैसे संभावित खतरों का पता लगाने में मदद मिलेगी।
- इससे ड्रोनों के फोरेंसिक पोस्टमॉर्टम में सहायता मिलेगी, जिससे उनके उद्देश्य और खतरे की संभावना का आकलन किया जा सकेगा तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को गैर कानूनी गतिविधियों में प्रयुक्त ड्रोनों को समझने में मदद मिलेगी।
- प्रशिक्षण:
- यह प्रयोगशाला पुलिस कर्मियों और फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिये एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में काम करेगी, जहाँ उन्हें मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जाएगा।
- इसके माध्यम से UP पुलिस में एक समर्पित ड्रोन बल तैयार किया जाएगा, जो सुरक्षा निगरानी, भीड़ नियंत्रण और आपराधिक घटनाओं में ड्रोन से जुड़े मामलों पर शीघ्र प्रतिक्रिया दे सकेगा।
- तकनीकी नवाचार और भावी प्रभाव:
- प्रयोगशाला में उन्नत डाटा अधिग्रहण उपकरण, रिवर्स-इंजीनियरिंग सिस्टम, कस्टमाइज्ड किट्स और हाई-टेक कंप्यूटिंग सिस्टम उपलब्ध कराए गए हैं।
- इनकी सहायता से अवैध गतिविधियों में प्रयुक्त ड्रोन को ट्रेस और विश्लेषित करना संभव होगा।
- अनुप्रयोग:
- यह प्रयोगशाला सीमा क्षेत्रों, कारागारों और हवाई अड्डों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा में सहायक होगी।
साथ ही, यह आपदा प्रबंधन और खोज एवं बचाव अभियानों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- यह प्रयोगशाला सीमा क्षेत्रों, कारागारों और हवाई अड्डों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा में सहायक होगी।