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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Oct 2025
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अंतर्राष्ट्रीय स्नो लेपर्ड दिवस और ‘#23for23’ पहल

चर्चा में क्यों?

भारत ने 23 अक्तूबर, 2025 को अंतर्राष्ट्रीय स्नो लेपर्ड दिवस मनाया, जिसमें ‘#23for23’ शीर्षक के तहत एक विशिष्ट राष्ट्रीय अभियान चलाया गया। इस अभियान ने लोगों को 23 मिनट शारीरिक गतिविधि के लिये समर्पित करने हेतु प्रेरित किया, ताकि स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुए) और उनके संवेदनशील उच्च ऊँचाई वाले आवासों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।

मुख्य बिंदु

  • परिचय: ‘#23for23’ अभियान को वर्ष 2023 के लिये 23 मिनट की सक्रिय भागीदारी का प्रतीक बनाकर शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण में जागरूकता और सार्वजनिक सहभागिता को बढ़ावा देना है।
    • यह अभियान ग्लोबल स्नो लेपर्ड और ईकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (GSLEP) के अंतर्गत, और स्नो लेपर्ड ट्रस्ट वर्ल्डवाइड के सहयोग से आयोजित किया गया।
  • भारत की संरक्षण उपलब्धियाँ:
    • भारतीय हिमालय में की गई पहली स्नो लेपर्ड गणना में 718 स्नो लेपर्ड पाए गए, जिनमें से 477 लद्दाख में हैं।
    • भारत ने उच्च ऊँचाई पर स्थित हिमालयों के लिये स्नो लेपर्ड को एक फ्लैगशिप (मुख्य) प्रजाति के रूप में चिह्नित किया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्नो लेपर्ड दिवस: यह दिवस वर्ष 2013 में स्थापित हुआ, जब किर्गिज़स्तान में बिशकेक घोषणा को अपनाने के बाद उन 12 देशों ने, जिनमें स्नो लेपर्ड की आबादी है, संरक्षण प्रयासों में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की
  • स्नो लेपर्ड की मेज़बानी करने वाले देश: अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान।

स्नो लेपर्ड (Panthera uncia): तथ्य

  • परिचय: मध्यम आकार की बिल्लियाँ जो अपनी चतुराई के लिये जानी जाती हैं और कठोर, ऊँचाई वाले वातावरण में जीवित रहने की क्षमता रखती हैं।
  • पर्यावास: मध्य और दक्षिण एशिया के पहाड़ों में मूल निवासी, आमतौर पर 9,800 से 17,000 फीट की ऊँचाई पर पाई जाते हैं।
    • वन्य में लगभग 3,500 से 7,000 स्नो लेपर्ड होने का अनुमान लगाया गया है।
  • विशेषताएँ: मोटे, धूसर-सफेद फर से युक्त, जो बर्फ और चट्टानों के बीच छिपने में सहायता करता है।
  • पारिस्थितिक महत्त्व: ये शीर्ष शिकारी और संकेतक प्रजाति के रूप में कार्य करती हैं, क्योंकि उनकी उपस्थिति उच्च ऊँचाई पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को दर्शाती है।
    • इनके शिकार से गिद्ध और भेड़िये जैसे अपशिष्ट का सेवन करने वाले जीवों को भोजन मिलता है, जिससे अन्य प्रजातियों का समर्थन होता है।


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