झारखंड
झारखंड पी.सी.एस. मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम
- 29 Apr 2025
- 259 min read
प्रश्नपत्र-I (सामान्य हिंदी और सामान्य अंग्रेज़ी)
सामान्य हिंदी और सामान्य अंग्रेज़ी का प्रश्नपत्र एक संयुक्त प्रश्नपत्र होगा, जिसमें दो खंड होंगे, अर्थात् (i) हिंदी और (ii) अंग्रेज़ी। दोनों खंड समान अंकों के होंगे, अर्थात् प्रत्येक खंड 50 अंकों का होगा।
इस प्रश्नपत्र का उद्देश्य अभ्यर्थियों के उपर्युक्त दोनों भाषाओं के कार्यसाधक ज्ञान का परीक्षण करना है। अतः इस प्रश्नपत्र के दोनों खंडों में पूछे जाने वाले प्रश्न केवल मैट्रिक स्तर के होंगे और इनके आयाम निम्नलिखित तक सीमित होंगे:
(A) सामान्य हिंदी: 50 अंक |
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(क) निबंध (400 शब्दों का) |
15 अंक |
(ख) व्याकरण |
15 अंक |
(ग) वाक्य विन्यास |
10 अंक |
(घ) संक्षेपण |
10 अंक |
(B) General English: 50 marks |
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1. Essay (400 words) |
15 marks |
2.Grammar |
15 marks |
3. Comprehension |
10 marks |
4. Precis |
10 marks |
नोट: यह केवल एक अर्हक प्रश्नपत्र होगा, जिसमें 100 में से (हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों मिलाकर) प्रत्येक अभ्यर्थी को केवल 30 अंक प्राप्त करने होंगे।
इस प्रकार, 50 अंकों का सामान्य अंग्रेज़ी भाग शामिल किये जाने से हिंदी/क्षेत्रीय भाषा पृष्ठभूमि वाले अभ्यर्थियों के अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रश्नपत्र-II (भाषा एवं साहित्य)
अभ्यर्थियों के पास उपलब्ध सूची में से एक भाषा एवं साहित्य विषय का चयन करने का विकल्प होगा। यह प्रश्नपत्र कुल 150 अंकों का होगा।
भाषाओं एवं साहित्य की सूची |
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1. |
उड़िया भाषा एवं साहित्य |
2. |
बांग्ला भाषा एवं साहित्य |
3. |
उर्दू भाषा एवं साहित्य |
4. |
संस्कृत भाषा एवं साहित्य |
5. |
अंग्रेज़ी भाषा एवं साहित्य |
6. |
हिंदी भाषा एवं साहित्य |
7. |
संथाली भाषा एवं साहित्य |
8. |
पंचपरगनिया भाषा एवं साहित्य |
9. |
नागपुरी भाषा एवं साहित्य |
10. |
मुंडारी भाषा एवं साहित्य |
11. |
कुँड़ुख भाषा एवं साहित्य |
12. |
कुरमाली भाषा एवं साहित्य |
13. |
खोरठा भाषा एवं साहित्य |
14. |
खड़िया भाषा एवं साहित्य |
15. |
हो भाषा एवं साहित्य |
प्रश्नपत्र-III (सामाजिक विज्ञान)
(इतिहास एवं भूगोल)
सामाजिक विज्ञान के प्रश्नपत्र में दो भिन्न खंड होंगे; इतिहास और भूगोल; प्रत्येक खंड 100 अंकों का होगा।
अभ्यर्थियों के लिये यह अनिवार्य है कि वे प्रत्येक खंड में से एक अनिवार्य और दो वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर दें, अर्थात् कुल छह प्रश्न।
प्रत्येक खंड के अनिवार्य प्रश्न, जो संबंधित खंड के संपूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित होंगे, में दस वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे, जिनमें से प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा (10×2=20 अंक)।
इसके अतिरिक्त, इतिहास और भूगोल के प्रत्येक खंड में चार वैकल्पिक प्रश्न होंगे।
चूँकि इतिहास और भूगोल दोनों में चार भिन्न उपखंड हैं, अतः प्रत्येक उपखंड से एक प्रश्न किया जाना है, जिससे इतिहास एवं भूगोल के दो भिन्न खंडों से कुल चार वैकल्पिक प्रश्न बनेंगे। इनमें से अभ्यर्थियों को केवल दो प्रश्नों के उत्तर देने होंगे और प्रत्येक प्रश्न 40 अंकों का होगा।
वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर परंपरागत, विवरणात्मक शैली में लिखने होंगे, जो दीर्घउत्तरीय होंगे।
- सिंधु घाटी सभ्यता: उद्भव, प्राचीनता, विस्तार, मुद्रित लेखन सामग्री तथा मुख्य विशेषताएँ।
- आर्यों का उद्भव।
- वैदिक साहित्य की प्राचीनता तथा विभाजन: आरंभिक ऋग्वैदिककालीन समाज, अर्थव्यवस्था तथा धर्म।
- लिच्छवियों तथा उनका गणतांत्रिक संविधान।
- मगध साम्राज्य का उत्कर्ष।
- मौर्य: साम्राज्य का विस्तार, कलिंग का युद्ध तथा इसके प्रभाव; अशोक का धम्म, विदेश नीति, मौर्य काल के दौरान कला और स्थापत्य का विकास।
- कुषाण: कनिष्क- साम्राज्य का विस्तार, उसकी धार्मिक नीति; कुषाण काल के दौरान कला, स्थापत्य तथा साहित्य का विकास।
- गुप्तः साम्राज्य का विस्तार, गुप्तकाल के दौरान भाषा और साहित्य, कला तथा स्थापत्य का विकास।
- हर्षवर्द्धन: उत्तरी भारत का अंतिम महान हिंदू शासक, उसके काल की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ।
- चोल: दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में नौवहन गतिविधियाँ, चोल प्रशासन कला तथा स्थापत्य।
- पल्लवों की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ।
- भारत पर अरब का आक्रमण।
- भारत पर गज़नवी का आक्रमण।
- दिल्ली सल्तनत: अलाउद्दीन खिलजी के बाज़ार तथा सैन्य सुधार, मुहम्मद बिन तुगलक की आदर्शवादी (Utopian) नीतियाँ।
- भारत पर मंगोल का आक्रमण।
- धार्मिक आंदोलन: (i) सूफी आंदोलन (ii) भक्ति आंदोलन।
- नई इस्लामिक संस्कृति का आगमन: इंडो-इस्लामिक स्थापत्य, हिंदी व उर्दू भाषाओं का विकास।
- मुगल: पानीपत का प्रथम युद्ध, शेरशाह सूरी की उपलब्धियाँ, मुगल साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण, अकबर के अधीन जागीरदारी तथा मनसबदारी व्यवस्था की स्थापना, अकबर की धार्मिक और राजपूत नीति, औरंगज़ेब की धार्मिक तथा राजपूत नीति, मुगल स्थापत्य एवं चित्रकारी, मुगल काल के दौरान आर्थिक स्थिति।
- मराठों का उदय: शिवाजी की उपलब्धियाँ, मराठों का उत्तर की ओर विस्तार तथा उनका पतन।
- यूरोपीय बस्तियों की शुरुआत: ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन तथा विकास, भारत में ब्रिटिश शक्ति का सुदृढ़ीकरण, प्लासी और बक्सर के युद्ध, मैसूर पर नियंत्रण, सहायक संधि, व्यपगत का सिद्धांत; राजगामी संपत्ति का सिद्धांत।
- औपनिवेशिक शासन का प्रतिरोध: कृषक, जनजातीय तथा सांस्कृतिक पुनर्जागरण, 1857 का विद्रोह।
- हिंदू समुदाय में समाज सुधार आंदोलन: ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन, प्रार्थना समाज तथा थियोसोफिकल सोसायटी ऑफ इंडिया।
- मुस्लिम समुदाय में समाज सुधार आंदोलन: वहाबी आंदोलन तथा अलीगढ़ आंदोलन।
- महिलाओं की स्थिति में सुधार हेतु संघर्ष: सती प्रथा का उन्मूलन, विधवा विवाह अधिनियम, सहमति विधेयक, महिला शिक्षा पर बल।
- ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भू-राजस्व प्रशासन: स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी तथा महालवाड़ी व्यवस्था।
- उन्नीसवीं सदी में भारत में राष्ट्रवाद का उदय: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन, नरमपंथी तथा गरमपंथी, स्वदेशी आंदोलन, होम रूल लीग आंदोलन, खिलाफत आंदोलन।
- महात्मा गांधी और जन राजनीति: असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन।
- भारत का विभाजन तथा परिणाम।
- स्वतंत्रता के पश्चात् भारत: भारतीय संघ में देशी रियासतों का विलय, भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन, नेहरू तथा इंदिरा गांधी के अंतर्गत गुटनिरपेक्ष की नीति, बांग्लादेश की मुक्ति।
- आदि धर्म अर्थात्- झारखंड की जनजातियों का सरना संप्रदाय।
- सदान अवधारणा तथा नागपुरी भाषा का उद्भव।
- झारखंड में जनजातीय विद्रोह तथा राष्ट्रवादी संघर्ष।
- बिरसा आंदोलन।
- ताना भगत आंदोलन।
- झारखंड में स्वतंत्रता आंदोलन।
- पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास, पृथ्वी का आंतरिक भाग, वेगनर का महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, प्लेट विवर्तनिकी, ज्वालामुखी, भूकंप और सूनामी।
- चट्टानों के प्रमुख प्रकार और उनकी विशेषताएँ; नदी, हिमनदों, शुष्क एवं कार्स्ट क्षेत्रों में भू-आकृतियों का विकास तथा विशेषताएँ।
- भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ: अपक्षय, वृहद् क्षरण, अपरदन और निक्षेपण, मृदा का निर्माण, भू-दृश्य चक्र, डेविस एवं पेंक के विचार। वायुमंडल का संघटन, संरचना तथा स्तरीकरण।
- सूर्यातप, पृथ्वी का ऊष्मा बजट।
- तापमान का क्षैतिज तथा लंबवत् वितरण, तापमान का व्युत्क्रमण।
- वायुराशियाँ तथा वाताग्र, उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण चक्रवात।
- वाष्पीकरण तथा संघनन: ओस, पाला, कोहरा, धुँध और बादल, वर्षा के प्रकार।
- जलवायु का वर्गीकरण (कोपेन तथा थॉर्नथ्वेट), हरितगृह प्रभाव, वैश्विक तापन तथा जलवायु परिवर्तन।
- जलीय चक्र, महासागरों व समुद्रों में तापन और लवणता का वितरण, तरंगें, ज्वार तथा धाराएँ, महासागरीय तल की प्रमुख उच्चावच विशेषताएँ।
- संरचना, उच्चावच और भू-आकृतिक विभाजन, अपवाह तंत्र, हिमालय तथा प्रायद्वीप।
- भारतीय मानसून प्रणाली, आगमन और निवर्तन, जलवायु के प्रकार (कोपेन तथा ट्रेवार्थ), हरित क्रांति एवं भारत की मुख्य फसलों पर इसका प्रभाव, खाद्य संकट।
- प्राकृतिक वनस्पति: वनों के प्रकार एवं वितरण, वन्यजीव संरक्षण, जैवमंडल आगार।
- मृदा के मुख्य प्रकार (आईसीएआर वर्गीकरण) तथा उनका वितरण, मृदा का निम्नीकरण और संरक्षण।
- प्राकृतिक आपदाएँ: बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूस्खलन।
- जनसंख्या वृद्धि, वितरण और घनत्व।
- आयु: लिंगानुपात, ग्रामीण-नगरीय संघटन।
- जनसंख्या: पर्यावरण और विकास।
- बस्तियों के प्रकार: ग्रामीण तथा नगरीय, नगरीय अकारिकी, नगरीय बस्तियों का कार्यात्मक वर्गीकरण, भारत में मानव बस्तियों की समस्याएँ।
- भूमि संसाधन: सामान्य भूमि उपयोग, कृषि भूमि उपयोग, प्रमुख फसलें, जैसे- चावल, गेहूँ, कपास, जूट, गन्ना, रबर, चाय व कॉफी की भौगोलिक दशाएँ तथा वितरण।
- जल संसाधन: औद्योगिक और अन्य उद्देश्यों के लिये उपलब्धता तथा उपयोग, सिंचाई, जल संकट; संरक्षण की विधियाँ- वर्षा जल संचयन और जल संभरण प्रबंधन, भू-जल प्रबंधन।
- खनिज व ऊर्जा संसाधन: वितरण और उपयोगिता: (i) धात्विक खनिज (लौह अयस्क, ताँबा, बॉक्साइट, मैंगनीज़) (ii) अधात्विक खनिज और परंपरागत खनिज (कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस) (iii) जल विद्युत और ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा बायोगैस) (iv) ऊर्जा स्रोत: उनका वितरण तथा संरक्षण।
- उद्योगों का विकास: उद्योगों के प्रकार; औद्योगिक अवस्थिति के कारक, चुनिंदा उद्योगों (लौह-इस्पात, सूती वस्त्र, चीनी व पेट्रोरसायन) का वितरण और बदलता स्वरूप; वेबर का औद्योगिक अवस्थिति का सिद्धांत व आधुनिक विश्व में इसकी प्रासंगिकता।
- परिवहन, संचार और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार:
- सड़क, रेलवे और जलमार्ग।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार, भारत के विदेशी व्यापार का बदलता स्वरूप।
- भू-गर्भीय इतिहास, भू-आकृतियाँ, अपवाह, जलवायु, मृदा के प्रकार और वन, कृषि और सिंचाई, दामोदर और सुवर्णरेखा नदी घाटी परियोजनाएँ, झारखंड के खनिज संसाधन, उनका दोहन और उपयोग।
- जनसंख्या-- वृद्धि, वितरण, घनत्व, जनजातीय आबादी और उनका वितरण, जनजातियों की समस्याएँ तथा जनजातीय विकास योजनाएँ, उनकी परंपराएँ, रीति-रिवाज़, त्योहार आदि।
- औद्योगिक एवं शहरी विकास, मुख्य उद्योग-- लौह, इस्पात और सीमेंट, कुटीर उद्योग।
- शहरी बस्तियों के स्वरूप और प्रदूषण समस्याएँ।
प्रश्नपत्र-IV (भारतीय संविधान और राजव्यवस्था, लोक प्रशासन तथा सुशासन)
- भारतीय संविधान, राजव्यवस्था और लोक प्रशासन के प्रश्नपत्र में दो भिन्न खंड शामिल होंगे, अर्थात् एक भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था पर और अन्य लोक प्रशासन एवं सुशासन पर आधारित होगा। प्रत्येक खंड 100 अंकों का होगा।
- अभ्यर्थियों को प्रत्येक खंड से एक अनिवार्य और दो वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। प्रत्येक खंड के अनिवार्य प्रश्न, जो संबंधित खंड के संपूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित होंगे, में दस वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे, जिनमें से प्रत्येक दो अंकों का होगा (2×10=20 अंक)।
- इसके अतिरिक्त, प्रत्येक खंड में चार वैकल्पिक प्रश्न होंगे, जिनमें से अभ्यर्थियों को केवल दो प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। प्रत्येक प्रश्न 40 अंक का होगा। वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर परंपरागत, विवरणात्मक शैली में लिखने होंगे, जो दीर्घ उत्तरीय होंगे।
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना (पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक तथा समाजवादी) तथा इसके पीछे का दर्शन।
- भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएँ, जनहित याचिका की अवधारणा, भारतीय संविधान की आधारभूत संरचना।
- मूल अधिकार और मूल कर्त्तव्य।
- राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व।
- संघ सरकार:
- संघीय कार्यपालिका: राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य, उप-राष्ट्रपति, एक गठबंधन सरकार के अंतर्गत प्रधानमंत्री तथा मंत्रिपरिषद के कार्य।
- संघीय विधायिका: लोकसभा और राज्यसभा : गठन एवं कार्य, विधि निर्माण प्रक्रिया; संसदीय समितियाँ, कार्यपालिका पर संसद का नियंत्रण; संसद तथा इसके सदस्यों के विशेषाधिकार एवं भत्ते।
- संघीय न्यायपालिका: उच्चतम न्यायालय: इसकी भूमिका और शक्तियाँ, प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत तथा विधि का शासन, न्यायिक पुनर्विलोकन एवं न्यायिक सक्रियतावाद।
- राज्य सरकारः
- राज्य की कार्यपालिका: राज्यपाल की शक्तियाँ और कार्य, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद।
- राज्य की विधायिका: गठन, शक्तियाँ और कार्य (विशेष रूप से झारखंड के संदर्भ में)।
- राज्य की न्यायपालिका: उच्च न्यायालय: गठन, शक्तियाँ और कार्य, अधीनस्थ न्यायालय।
- पंचायतें और नगरपालिकाएँ: संविधान, शक्तियाँ, कार्य एवं उत्तरदायित्व (विशेष रूप से 73वें और 74वें संविधान संशोधन के संदर्भ में)।
- केंद्र-राज्य संबंध: प्रशासनिक, विधायी और वित्तीय।
- अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित प्रावधान।
- अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिये विधायिका तथा सेवाओं आदि में आरक्षित स्थानों से संबंधित विशेष प्रावधान।
- संविधान के आपातकालीन उपबंध।
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग)।
- भारत निर्वाचन आयोग।
- राजनीतिक दल और दबाव समूह।
- लोक प्रशासन: परिचय, अर्थ, विषय-क्षेत्र और महत्त्व।
- सार्वजनिक और निजी प्रशासन।
- संघीय प्रशासन: केंद्रीय सचिवालय, मंत्रिमंडल सचिवालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, योजना आयोग, वित्त आयोग।
- राज्य प्रशासन: राज्य सचिवालय, मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय।
- ज़िला प्रशासन: ज़िला मजिस्ट्रेट और ज़िलाधीश के कार्यालय का उद्भव एवं विकास, ज़िला कलेक्टर की बदलती भूमिका, न्यायपालिका के पृथक्करण का ज़िला प्रशासन पर प्रभाव।
- कार्मिक प्रशासन: सिविल सेवकों की नियुक्तियाँ: संघ लोक सेवा आयोग व राज्य लोक सेवा आयोग, सिविल सेवकों का प्रशिक्षण; नेतृत्व और इनके गुण, कर्मचारियों का नैतिक स्तर एवं उत्पादकता।
- प्राधिकरण का प्रत्यायोजन, केंद्रीकरण तथा विकेंद्रीकरण।
- नौकरशाही: उद्भव; इसके गुण और दोष; नीति-निर्माण और कार्यान्वयन में नौकरशाही की भूमिका, नौकरशाही तथा राजनीतिक कार्यपालिका के मध्य गठजोड़, सामान्यज्ञ बनाम विशेषज्ञ।
- विकासात्मक प्रशासन।
- आपदा प्रबंधन- आपदा के कारण, अर्थ एवं वर्गीकरण, आपदा न्यूनीकरण, अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक उपाय
- सुशासन: सुशासन तथा उत्तरदायी शासन व्यवस्था का अर्थ एवं अवधारणा; सुशासन की मुख्य विशेषताएँ: जवाबदेहिता, पारदर्शिता, सत्यनिष्ठा और त्वरित समाधान; सुशासन में नागरिक समाज और लोगों की सहभागिता की भूमिका, शिकायत निवारण तंत्र: लोकपाल, लोकायुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, नागरिक चार्टर: उद्देश्य मशीनरी और उपाय (I) सेवा का अधिकार अधिनियम; (II) सूचना का अधिकार अधिनियम; (III) शिक्षा का अधिकार अधिनियम; (IV) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (v) घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम; (vi) माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम।
- मानव अधिकार: अवधारणा और अर्थ; मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा; राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग; राज्य मानवाधिकार आयोग; मानवाधिकार और सामाजिक मुद्दे; मानवाधिकार और आतंकवाद।
प्रश्नपत्र-V (भारतीय अर्थव्यवस्था, भूमंडलीकरण और सतत् विकास)
भारतीय अर्थव्यवस्था, भूमंडलीकरण और सतत् विकास के प्रश्नपत्र में पाँच खंड होंगे। खंड-I अनिवार्य होगा। इस खंड में बीस बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे, जिनमें से प्रत्येक दो अंकों का होगा (20 × 2 = 40 अंक)।
इस खंड के 20 वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को प्रश्नपत्र के पूरे पाठ्यक्रम से लिया जाएगा, जिनमें से 6 प्रश्न समूह A, 6 प्रश्न समूह B, 4 प्रश्न समूह C और 4 प्रश्नों को पाठ्यक्रम के समूह D से लिया जाएगा।
प्रश्नपत्र के खंड-II, III, IV और V में से प्रत्येक में दो वैकल्पिक प्रश्न होंगे, जिन्हें क्रमशः पाठ्यक्रम के समूह A, B, C व D से लिया जाएगा, जिनमें से अभ्यर्थियों को प्रत्येक समूह से केवल एक प्रश्न का उत्तर देना है। इनमें से प्रत्येक प्रश्न 40 अंकों का होगा।
इस प्रकार, कुल मिलाकर अभ्यर्थियों को 40 अंकों का एक वस्तुनिष्ठ अनिवार्य प्रश्न और 4 वैकल्पिक प्रश्नों का उत्तर देना होगा, जिनमें से प्रत्येक 40 अंकों का होगा। वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर परंपरागत, विवरणात्मक रूप में दिये जाएंगे; जो दीर्घ उत्तरीय होंगे।
- राष्ट्रीय आयः राष्ट्रीय आय की प्रारंभिक अवधारणा और इसकी गणना की विधियाँ, जैसे- जीडीपी, जीएनपी, एनडीपी, एनएनपी, जीएसडीपी, एनएसडीपी और डीडीपी स्थिर तथा चालू कीमतों पर, कारक लागत पर आदि।
- मुद्रास्फीति: अवधारणा, मुद्रास्फीति पर नियंत्रण; मौद्रिक, राजकोषीय और प्रत्यक्ष उपाय।
- जनसांख्यिकीय विशेषताएँ: कार्यबल संयोजन, वर्ष 2011 की जनगणना के विशेष संदर्भ में जनसांख्यिकीय लाभांश; राष्ट्रीय जनसंख्या नीति।
- कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाः राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्व, भारत में कृषि विकास- उत्पादन तथा उत्पादकता; निम्न उत्पादकता के कारण और कृषि उत्पादकता में सुधार हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम, हरित क्रांति, सदाहरित क्रांति और इंद्रधनुषी क्रांति: विश्व व्यापार संगठन और कृषि; कृषि आगतों और निर्गतों का विपणन तथा मूल्य निर्धारण।
- औद्योगिक अर्थव्यवस्थाः नीतिगत पहल और शुल्क।
- लोक वित्तः प्रकृति, लोक वित्त का महत्त्व और विषय-क्षेत्र/दायरा, सार्वजनिक राजस्व-सिद्धांत और करों के प्रकार; प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, प्रगतिशील और आनुपातिक, वैट (VAT) की अवधारणा।
- सार्वजनिक व्ययः सार्वजनिक व्यय के सिद्धांत; सार्वजनिक व्यय की वृद्धि के कारण और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव; आंतरिक व बाह्य उधार।
- बजट: बजट निर्माण के सिद्धांत; बजट के प्रकार- निष्पादन आधारित, शून्य आधारित, वित्तीय संसाधन प्रबंधन विभाग (FRMD)।
- राजकोषीय नीति: अवधारणा तथा रोज़गार प्राप्ति, स्थायित्व और आर्थिक विकास में राजकोषीय नीति की भूमिका।
- केंद्र-राज्य राजकोषीय संबंध, वित्त आयोग की भूमिका, 73वें व 74वें संवैधानिक संशोधन के वित्तीय पहलू।
- भारतीय मौद्रिक नीति तथा भारत में बैंकिंग व्यवस्था की संरचना।
- भारत के व्यापार की संरचना और दिशा, भुगतान संतुलन की समस्या।
- आर्थिक विकास का अर्थ और मापन, अल्पविकास के अभिलक्षण।
- विकास के सूचकः मानव विकास सूचकांक (HDI), सकल घरेलू आय (GDI), जी.ई.एम. (GEM), भारत की मानव विकास सूचकांक में प्रगति।
- अर्थव्यवस्था की संवृद्धि में विदेशी पूंजी और प्रौद्योगिकी की भूमिका।
- सतत् विकासः सतत् विकास की अवधारणा व सूचकांक; आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय संधारणीयता, हरित जीडीपी की अवधारणा, भारत में सतत् विकास के लिये रणनीति और नीति।
- समावेशी संवृद्धि का अर्थ तथा 11वीं व 12वीं पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान विकासात्मक नीति एवं रणनीति।
- सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित वर्गों, जैसे- अनुसूचित जनजातियाँ, अनुसूचित जातियाँ, धार्मिक अल्पसंख्यक, पिछड़ी जातियाँ और महिलाओं से संबंधित विकास की स्थिति एवं मुद्दे; केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा उनके विकास हेतु शुरू की गई योजनाएँ (टीएसपी, एससीएसपी और अल्पसंख्यकों को शामिल करते हुए)।
- गरीबी और बेरोज़गारीः मापन और प्रवृत्तियाँ, गरीबी रेखा से नीचे (BPL) रह रहे परिवारों की पहचान, मानव गरीबी सूचकांक (HPI), बहुआयामी भारतीय गरीबी सूचकांक।
- खाद्य और पोषण सुरक्षाः भारत का खाद्य उत्पादन में रुझान और उपभोग, खाद्य सुरक्षा की समस्या- भंडारण की समस्या और मुद्दे, खरीद, वितरण, आयात और निर्यात, सरकारी नीतियाँ, योजनाएँ और कार्यक्रम, जैसे- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) स्कीम और मध्याह्न भोजन आदि।
- खाद्य और पोषण सुरक्षा हेतु सरकारी नीतियाँ।
- योजनागत रणनीति: भारतीय पंचवर्षीय योजनाओं के उद्देश्य और रणनीति, राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की भूमिका और कार्य, योजना आयोग।
- विकेंद्रीकृत योजनाः अर्थ और महत्त्व, पंचायती राज संस्थाएँ (PRI) और विकेंद्रीकृत योजना, भारत में मुख्य पहलें।
- नए आर्थिक सुधारः उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण, सुधारों का औचित्य और आवश्यकताएँ, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ, जैसे- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन की भूमिका, भारतीय अर्थव्यवस्था पर इनका प्रभाव।
- वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र के सुधार, आर्थिक सुधार और रूरल बैंकिग का रूरल क्रेडिट पर पड़ने वाला प्रभाव-- रूरल क्रेडिट के स्रोत एवं समस्याएँ, स्वयं सहायता समूह, सूक्ष्म वित्त, NABARD, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, ग्रामीण सहकारी बैंक, वित्तीय समावेशन।
- भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरणः विभिन्न क्षेत्रें पर पड़ने वाले इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) तथा विदेशी संस्थागत निवेश (FII) से जुड़े मुद्दे।
- कृषि क्षेत्र में सुधार तथा संवृद्धि पर इसका प्रभाव; सब्सिडी और कृषि पर होने वाले सार्वजनिक निवेश के मुद्दे, सुधार तथा कृषि संकट।
- भारत में औद्योगिक विकास और आर्थिक सुधारः औद्योगिक नीति में मुख्य परिवर्तन, औद्योगिक विकास पर इसका प्रभाव और सूक्ष्म व मध्यम उद्यमों की समस्याएँ; पुनर्निवेश के बाद की अवधि में भारत के औद्योगीकरण में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की भूमिका, सार्वजनिक उद्यमों का विनिवेश एवं निजीकरण।
- झारखंड की अर्थव्यवस्था की आर्थिक संवृद्धि और संरचना, क्षेत्रवार संरचना, पिछले दशक में एसडीपी तथा प्रति व्यक्ति एनएसडीपी में संवृद्धि, झारखंड में कृषि एवं औद्योगिक वृद्धि।
- झारखंड की जनसांख्यिकीय विशेषताएँः वर्ष 2001 तथा वर्ष 2011 की जनगणना के विशेष संदर्भ में जनसंख्या वृद्धि, लिंगानुपात, घनत्व, साक्षरता, कार्यबल का संघटन, ग्रामीण-नगरीय संघटन,अंतर्जनपदीय भिन्नताएँ इत्यादि।
- झारखंड में गरीबी, बेरोज़गारी, खाद्य सुरक्षा, कुपोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य सूचकांकों की प्रस्थिति, प्रमुख पहलें, कृषि तथा ग्रामीण विकास के मुद्दे, प्रमुख कार्यक्रम एवं योजनाएँ; गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम; पीयूआरए (PURA), भारत निर्माण, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY), स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना (SGSY), इंदिरा आवास योजना (IAY), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) आदि; खाद्य सुरक्षा से संबंधित योजनाएँ।
- झारखंड में भूमि, वन और पर्यावरणीय मुद्देः भूमि सुधार और कृषक संबंध, जनजातीय भूमि अधिग्रहण, विकास से प्रेरित लोगों का विस्थापन; इसके प्रभाव तथा नीतिगत पहलें, वनों से संबंधित मुद्दे और वन अधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन, पर्यावरणीय निम्नीकरण और इससे निबटने हेतु राज्य की नीति।
- झारखंड में पंचवर्षीय योजनाएँ, 10वीं और 11वीं योजना की रणनीति और उपलब्धियाँ, टीएसपी और एससीएसपी, झारखंड में लोक वित्त की प्रवृत्तियाँ, झारखंड में औद्योगिक नीति और औद्योगिक विकास।
प्रश्नपत्र-VI (सामान्य विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी विकास)
- सामान्य विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी विकास के प्रश्नपत्र में छह खंड होंगे। खंड-I में वस्तुनिष्ठ प्रकार के 20 प्रश्न होंगे, प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का होगा (20 × 2 = 40 अंक)।
- इस खंड के लिये पाठ्यक्रम के पाँच समूहों में से प्रत्येक से चार प्रश्न लिये जाएंगे। प्रश्नपत्र के खंड-II, III, IV, V और VI में पाठ्यक्रम के समूह A, B, C, D और E से क्रमशः दो वैकल्पिक प्रश्न होंगे; जिनमें से अभ्यर्थियों को प्रत्येक समूह से केवल एक प्रश्न का उत्तर देना होगा, प्रत्येक प्रश्न 32 अंकों का होगा।
- वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर परंपरागत तरीके से दिये जाएंगे, जिनमें विवरणात्मक उत्तर देने होंगे, जो 500 से 600 शब्दों से अधिक नहीं होंगे। इस प्रकार, अभ्यर्थियों को कुल मिलाकर वस्तुनिष्ठ अनिवार्य प्रश्नों (40 अंक) और पाँच विवरणात्मक प्रकार के वैकल्पिक प्रश्नों (5 × 32 = 160 अंक) के उत्तर देने होंगे।
- मात्रक पद्धतियाँः MKS, CGS और SI
- चाल, वेग, गुरुत्व, द्रव्यमान, भार, बल, संघट्ट, कार्य, शक्ति और ऊर्जा की परिभाषा।
- सौरमंडल, सूर्य तथा अन्य ग्रहों के सापेक्ष पृथ्वी की स्थिति, सौरमंडल में पृथ्वी और चंद्रमा की गति, चंद्रग्रहण एवं सूर्यग्रहण।
- ध्वनि की अवधारणा और प्रकृति, तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति, अवश्रव्य एवं पराश्रव्य ध्वनियाँ, प्रकृति में अवश्रव्य ध्वनि के स्रोत, पराश्रव्य ध्वनि की विशेषताएँ और कुछ अनुप्रयोग।
- सजीव जगत, कोशिका की संरचना और उसके कार्य, जीवों की विविधता।
- जैव अणु- कार्बाेहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा की संरचना और कार्य, विटामिन एवं अभावजन्य रोग, एंज़ाइम, हार्मोन, पादप हार्मोन एवं वृद्धि नियंत्रण, जंतु हार्मोन एवं उनके कार्य।
- कोशिका प्रजनन: कोशिका चक्र, समसूत्री और अर्द्धसूत्री विभाजन।
- मेंडल का वंशानुक्रमः एक संकरीय क्रॉस, द्विसंकरीय क्रॉस, लिंग-संबद्ध वंशागति, लिंग निर्धारण, DNA की संरचना एवं कार्य, DNA की प्रतिकृति, प्रोटीन संश्लेषण, जीन विनियमन, विभेदन का आणविक आधार।
- पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति एवं विकास के सिद्धांत, मानव की उत्पत्ति एवं विकास सहित।
- झारखंड के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्र, वर्षा का प्रतिरूप तथा प्रत्येक क्षेत्र में ज्ञात अजैविक दबाव।
- वर्षा आधारित कृषिः राज्य के परंपरागत खाद्य और बागवानी फसलें, जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिये फसलों के विविधीकरण की आवश्यकता, वर्षा जल संचयन तथा झारखंड में कृषि उत्पादन वृद्धि में उसकी भूमिका, मत्स्य पालन।
- झारखंड में मृदा उर्वरता की स्थिति- मृदा स्वास्थ्य सुधार हेतु वर्मी कंपोस्ट और फार्म यार्ड मैन्यूर (FYM) के अनुप्रयोग, नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु, उनके अनुप्रयोग तथा जैविक कृषि की अवधारणा।
- कृषि वानिकी की अवधारणा, बंजर भूमि तथा उन्हें पुनः प्राप्त करने के साधन। राज्य के किसानों के लाभ हेतु सरकारी योजनाएँ।
- पारिस्थितिक तंत्र की अवधारणा, पारिस्थितिक तंत्र की संरचना और कार्य, प्राकृतिक संसाधन नवीकरणीय एवं अनवीकरणीय संसाधन
- पर्यावरणीय संरक्षण-इन-सीटू तथा एक्स-सीटू संरक्षण
- प्रदूषण: वायु, जल, ध्वनि और मृदा, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
- जैवविविधता: अवधारणा, हॉटस्पॉट, जैवविविधता के लिये खतरे
- वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दे: जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापन, ओज़ोन परत का क्षरण, अम्ल वर्षा, मरुस्थलीकरण
- पर्यावरणीय कानून: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम,
- वन संरक्षण अधिनियम।
- विज्ञान एवं तकनीकी पर राष्ट्रीय नीति
- देश की ऊर्जा खपत; ऊर्जा के परंपरागत एवं गैर-परंपरागत स्रोत; नाभिकीय ऊर्जा: इसके गुण तथा दोष, नाभिकीय नीति की प्रवृत्तियाँ, NPT और CTBT
- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी: भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम, विभिन्न उद्देश्यों हेतु उपग्रहों के अनुप्रयोग, भारतीय मिसाइल कार्यक्रम; सुदूर संवेदन; भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) और मौसम पूर्वानुमान, आपदा की चेतावनी, जल, मृदा एवं खनिज संसाधनों आदि के मानचित्रण में इसके अनुप्रयोग
- कृषि, पशु प्रजनन, औषधि निर्माण, खाद्य प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरणीय संरक्षण में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग; जैव प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के संभावित प्रतिकूल प्रभाव
- सूचना प्रौद्योगिकी: डाटा प्रोसेसिंग में कंप्यूटर एवं इसके अनुप्रयोग, डाटा प्रोग्राम्स, साइबर अपराध और साइबर कानून।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति: मलेरिया, कुष्ठरोग, क्षयरोग (TB), कैंसर, एड्स, अंधेपन आदि की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम।
लिखित परीक्षा में निम्नलिखित प्रश्न-पत्र शामिल होंगे:
विषय |
अवधि |
अंक |
टिप्पणी |
प्रश्न-पत्र-I: सामान्य हिंदी और सामान्य अंग्रेज़ी (50 अंक, प्रत्येक अलग उत्तर पुस्तिका में) |
3 घंटे |
100 |
यह प्रश्न-पत्र केवल योग्यता (क्वालीफाइंग) प्रकृति का होगा जिसमें 100 में से (हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों को मिलाकर) प्रत्येक अभ्यर्थी को न्यूनतम 30 अंक प्राप्त करने होंगे। |
प्रश्न-पत्र-II: भाषा और साहित्य: इस प्रश्न-पत्र के अंतर्गत प्रत्येक अभ्यर्थी को पंद्रह भाषाओं में से एक भाषा और साहित्य का चयन करना होगा। |
3 घंटे |
150 |
वर्णनात्मक प्रकार |
प्रश्न-पत्र-III: सामाजिक विज्ञान, जिसमें दो अलग-अलग खंड हैं – इतिहास और भूगोल – जिनका भार समान है। |
3 घंटे |
200 |
वर्णनात्मक प्रकार |
प्रश्न-पत्र-IV: भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था, लोक प्रशासन एवं सुशासन |
3 घंटे |
200 |
वर्णनात्मक प्रकार |
प्रश्न-पत्र-V: भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्वीकरण और सतत् विकास |
3 घंटे |
200 |
वर्णनात्मक प्रकार |
प्रश्न-पत्र-VI: सामान्य विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी विकास |
3 घंटे |
200 |
वर्णनात्मक प्रकार |
अंतिम मेरिट सूची के लिये अंकों को ध्यान में रखा जाएगा |
|
मुख्य परीक्षा (प्रश्न-पत्र I को छोड़कर) |
950 अंक |
साक्षात्कार परीक्षण |
100 अंक |
कुल योग |
1050 अंक |