झारखंड
कुर्मी समुदाय को ST सूची में शामिल किये जाने जनजाति विरोध प्रदर्शन
- 08 Oct 2025
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चर्चा में क्यों?
चांडिल में जनजाति सामाजिक संगठनों द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन और धरना दिया गया, जिसका उद्देश्य कुर्मी (कुड़मी) समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की मांग का विरोध करना था।
- एक प्रतिनिधिमंडल ने भारत के राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सरकार से कुर्मियों को ST सूची में शामिल न करने की मांग की गई।
मुख्य बिंदु
विरोध के कारण
- जनजातीय अस्मिता पर खतरा:
- जनजातीय प्रतिनिधियों ने यह स्पष्ट किया कि कुर्मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने से मौजूदा जनजातीय समुदायों की विशिष्ट पहचान, परंपराएँ और संवैधानिक अधिकार प्रभावित होंगे।
- झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के जनजाति संगठनों ने इस कदम का विरोध करते हुए एकजुटता व्यक्त की।
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार:
- प्रदर्शनकारियों ने बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू, बुधु भगत और गंगा नारायण सिंह जैसे जनजातीय नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जनजातीय पहचान एक अद्वितीय सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास में निहित है, जो कुर्मी समुदाय से अलग है।
- 'रेल रोको' आंदोलन का विरोध:
- अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने के लिये कुर्मियों द्वारा चलाए जा रहे “रेल टेका आंदोलन” (रेल रोको आंदोलन) को जनजातीय नेताओं ने अन्यायपूर्ण दबाव की रणनीति बताते हुए जनजातीय स्वायत्तता के लिये चुनौती करार दिया।
कुर्मी समुदाय
- सामाजिक संरचना:
- कुर्मी मुख्यतः एक कृषक समुदाय है, जिनकी जनसंख्या जंगलमहल क्षेत्रों सहित पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा के छोटा नागपुर पठार और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में केंद्रित है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1931 की जनगणना में कुर्मियों को अनुसूचित जनजातियों के रूप में वर्गीकृत समुदायों में शामिल किया गया था और वर्ष 1950 में उन्हें अनुसूचित जनजातियों की सूची से बाहर कर दिया गया था।
- जब स्वतंत्र भारत में ST सूची तैयार की गई तो कुर्मियों को उसमें जगह नहीं मिली।
- वर्ष 1931 की जनगणना में कुर्मियों को अनुसूचित जनजातियों के रूप में वर्गीकृत समुदायों में शामिल किया गया था और वर्ष 1950 में उन्हें अनुसूचित जनजातियों की सूची से बाहर कर दिया गया था।
- कुर्मियों का पक्ष:
- उनका तर्क है कि ब्रिटिश कालीन दस्तावेज़ों में उन्हें जनजाति समुदाय के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और वे उस पहचान की बहाली चाहते हैं। वे यह भी दावा करते हैं कि वे अनुसूचित जनजातियों की धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।
- वर्ष 2004 में, झारखंड सरकार ने सिफारिश की थी कि कुर्मी समुदाय को OBC के बजाए ST सूची में शामिल किया जाए।