राजस्थान Switch to English
कलानुभाव: दिल्ली में राजस्थान शिल्प प्रदर्शनी
चर्चा में क्यों?
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) अजय कुमार सूद ने नई दिल्ली के कुंज में आयोजित कलानुभाव प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आजीविका कार्यक्रमों के तहत विकसित राजस्थान के हस्तशिल्प नवाचारों को उजागर किया गया।
मुख्य बिंदु
- मुख्य आकर्षण: कलानुभाव प्रदर्शनी में राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आजीविका कार्यक्रमों के अंतर्गत विकसित प्रमुख हस्तशिल्प, हथकरघा, कारीगरों द्वारा किये गए नवाचार तथा डिज़ाइन पंजीकृत उत्पाद प्रदर्शित किये गए हैं।
- स्थान: यह कार्यक्रम नई दिल्ली के द कुंज में आयोजित किया गया, जो कारीगरों को अपनी कृतियों को प्रदर्शित करने का एक विशेष मंच प्रदान करता है।
- उद्देश्य: प्रदर्शनी का उद्देश्य कारीगरों को सशक्त बनाना, उनके उत्पादों की बाज़ार तक पहुँच बढ़ाना और भारत के शिल्प क्षेत्र को गाँवों से वैश्विक बाज़ारों तक पहुँचाना है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्लस्टर पहल: जोधपुर सिटी नॉलेज एंड इनोवेशन क्लस्टर (JCKIC), कलानुभाव.इन और AR/VR टूल्स जैसे विज्ञान-प्रौद्योगिकी-सक्षम हस्तक्षेपों के माध्यम से कारीगरों की आजीविका को सशक्त करने, डिज़ाइन पंजीकरण को बढ़ावा देने तथा GI समर्थन प्रदान करने पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय प्राथमिकता संरेखण: यह प्रदर्शनी भारत में क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने और कारीगर पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिये समन्वित विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार प्रयासों का समर्थन करती है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
भेजा-बकौर कोसी पुल परियोजना
चर्चा में क्यों?
उत्तरी बिहार में निर्माणाधीन 13.3 किलोमीटर लंबा भेजा–बकौर कोसी पुल अब अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है, जिससे बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में गुणात्मक सुधार, यात्रा दूरी में कमी और क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना स्थान: भेजा–बकौर कोसी पुल का निर्माण बिहार में कोसी नदी पर किया जा रहा है।
- कोसी नदी: कोसी को प्रायः “बिहार का शोक” कहा जाता है। यह नदी तिब्बती पठार से उद्गमित होकर नेपाल से प्रवाहित होती हुई बिहार के कटिहार ज़िले में कुरसेला के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
- रणनीतिक संपर्क: इस पुल के चालू होने से यात्रा दूरी में लगभग 44 किलोमीटर की कमी आएगी, जिससे मधुबनी और सुपौल के बीच NH-27 के माध्यम से पटना के साथ सीधा संपर्क स्थापित होगा।
- क्षेत्रीय वाणिज्य: परियोजना से नेपाल और उत्तर-पूर्वी भारत के लिये निर्बाध परिवहन मार्ग उपलब्ध होने की संभावना है, जिससे सीमा-पार व्यापार तथा क्षेत्रीय वाणिज्य को प्रोत्साहन मिलेगा।
- योजना: यह परियोजना सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत माला परियोजना (चरण-I) के अंतर्गत विकसित की जा रही है।
- निवेश: परियोजना की अनुमानित लागत 1101.99 करोड़ रुपए है।
- परियोजना पूर्णता की समयसीमा: इसे वित्त वर्ष 2026–27 के दौरान पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- धार्मिक और पर्यटन स्थल: पुल के माध्यम से भगवती उच्चैठ, बिदेश्वर धाम, उग्रतारा मंदिर तथा सिंघेश्वर स्थान जैसे प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों तक आसान कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।
- परिवर्तनकारी प्रतीक: यह पुल उत्तरी बिहार में दशकों से चली आ रही बाढ़, भौगोलिक अलगाव और अविकास की स्थिति से निकलकर बेहतर संपर्क, समावेशी विकास तथा क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तनकारी प्रतीक है।
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