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झारखंड

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना

  • 08 Oct 2025
  • 17 min read

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पर एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम झारखंड के करमाटांड़ में आयोजित किया गया, जिसमें 163 प्रतिभागियों ने व्यावहारिक (हैंड्स-ऑन) प्रशिक्षण प्राप्त किया।

  • इस पहल का उद्देश्य कौशल विकास, वित्तीय सहायता और आधुनिक विपणन उपकरणों के साथ एकीकरण के माध्यम से पारंपरिक शिल्पकारों को सशक्त बनाना है।

मुख्य बिंदु 

  • कौशल विकास पर केंद्रित: 
    • प्रत्येक प्रतिभागी को प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिये 15,000 रुपए दिये गए, जिसमें प्रोत्साहन के रूप में 500 रुपए प्रतिदिन शामिल थे।
    • यह पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पारंपरिक शिल्पकारों के कौशल उन्नयन पर केंद्रित था, जिसे योजना के अंतर्गत मान्यता प्राप्त 18 पारंपरिक व्यवसायों में संचालित किया गया।
  • वित्तीय सहायता: 
    • प्रशिक्षित शिल्पकारों को न्यूनतम ऋण जोखिम के साथ 5% रियायती ब्याज दर पर 1 लाख की रुपए प्रथम ऋण किस्त उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे वे अपना व्यवसाय का विस्तार कर सकें या सूक्ष्म उद्यम प्रारंभ कर सकें।
  • प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
    • शुभारंभ वर्ष: 2023
    • योजना का प्रकार: केंद्रीय क्षेत्रक योजना
    • नोडल मंत्रालय: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME)
    • पात्रता: 18 वर्ष से अधिक आयु के पारंपरिक कारीगर और शिल्पकार, जो 18 चिह्नित व्यवसायों में संलग्न हों।
  • लाभ: 
    • पंजीकरण एवं मान्यता: विश्वकर्मा के रूप में मान्यता: PM विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आई.डी. कार्ड
  • ऋण सहायता:
    • संपार्श्विक मुक्त उद्यम विकास ऋण: 
      • 1 लाख रुपए तक 
      • 2 लाख रुपए तक 
    • 5% रियायती ब्याज दर:
      • भारत सरकार द्वारा 8% तक ब्याज अनुदान सीमा के अधीन 
      • ऋण गारंटी शुल्क भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा
  • कौशल उन्नयन: 
    • कौशल पहचान के बाद 5 दिन का बुनियादी प्रशिक्षण
    • 15 अथवा उससे अधिक दिन की उन्नत प्रशिक्षण
    • प्रशिक्षण वृत्ति: 500 रुपए प्रतिदिन 
  • टूलकिट प्रोत्साहन:
    • शुरुआत में DBT के माध्यम से 15,000 रुपए और तत्पश्चात् ई-RUPI/ईवाउचर के माध्यम से अंतरण तथा 500 रुपए की दैनिक वृत्ति, बाज़ार संपर्क, डिजिटल एकीकरण
  • लक्ष्य: 
    • कारीगरों और शिल्पकारों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में उन्नत करना और एकीकृत करना।
  • कुल परिव्यय: 
    • 5 वर्ष 2023-24 से 2027-28 के लिये 13,000 करोड़ रुपए
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