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झारखंड

भारत छोड़ो आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित

  • 08 Oct 2025
  • 24 min read

चर्चा में क्यों?

भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिये 8 अक्तूबर 2025 को पटमदा में एक श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया, जिसे पटमदा और बोड़ाम की राष्ट्र शहीद सम्मान समिति ने संयुक्त रूप से आयोजित किया।

  • इस कार्यक्रम में स्थानीय नेता और शहीद भझारी महतो, लक्ष्मण महतो, मदीराम महतो, बिप्रा महतो, रतन माझी, जुड़न मुदी एवं दुर्गा चरण सिंह शामिल थे।

मुख्य बिंदु 

भारत छोड़ो आंदोलन

  • शुरुआत और उद्देश्य: 
    • महात्मा गांधी ने 8 अगस्त, 1942 को मुंबई में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन के दौरान इस आंदोलन की शुरुआत की। क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद, इस आंदोलन में ब्रिटिश शासन को तुरंत समाप्त करने की मांग की गई।
  • गांधी जी का आह्वान: 
    • गांधी जी ने गौवालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से “करो या मरो” का आह्वान किया, जिसमें भारतीयों से ब्रिटिश शासन के तत्काल अंत की मांग करने का आग्रह किया गया।
  • नारा और प्रतीकात्मकता: 
    • “भारत छोड़ो” का नारा मुंबई के समाजवादी और ट्रेड यूनियन नेता यूसुफ मेहर अली ने दिया था, जिन्होंने पहले “साइमन गो बैक” का नारा भी गढ़ा था। 
    • आंदोलन के दौरान, अरुणा आसफ अली एक प्रमुख हस्ती बन गईं, जिन्होंने गोवालिया टैंक मैदान पर अवज्ञा के प्रतीक के रूप में भारतीय ध्वज फहराया।
  • नए नेताओं का उदय: 
    • इस आंदोलन के दौरान डॉ. राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे नए नेता उभरकर सामने आए।
      • महिलाओं ने भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, कई महिलाओं ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया और प्राणों की आहुति तक दी, जैसे मतंगिनी हाज़रा, जो हाथ में तिरंगा लिये शहीद हुईं तथा सुचेता कृपलानी, जो बाद में भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश) बनीं।
  • भारत छोड़ो आंदोलन का स्वरूप: 
    • यह आंदोलन पहले के शांतिपूर्ण आंदोलनों जैसे असहयोग और सविनय अवज्ञा से अलग था, क्योंकि यह ब्रिटिश शासन की पूरी तरह समाप्ति के लिये जन विद्रोह था। 
      • हालाँकि गांधी जी ने अहिंसा पर ज़ोर दिया, लेकिन आंदोलन में आत्मरक्षा के लिये हिंसा को भी शामिल किया गया। इसमें ब्रिटिश संपत्तियों पर तोड़फोड़ और गुरिल्ला हमलों जैसी स्वतःस्फूर्त कार्रवाइयों की अनुमति थी।
    • कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, पूरे भारत में व्यापक विरोध प्रदर्शन, हड़तालें और तोड़फोड़ शुरू हो गई, जिसमें छात्रों और युवाओं ने, विशेषकर शहरी केंद्रों में, अगुवाई की।
    • मुस्लिम समुदाय ने अधिकांशतः QIM में भाग नहीं लिया, इसे एक हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन के रूप में देखा गया, जिसने बढ़ते सांप्रदायिक विभाजन और मुस्लिम लीग के अलग राज्य के लिये दबाव को उजागर किया।
  • विरासत: 
    • यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्त्वपूर्ण मार्ग बना, जिसने एकता और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः ब्रिटिश शासन का अंत हुआ।
    • भारत छोड़ो आंदोलन एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने भारत की भावी राजनीति को आकार दिया। गोवालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में, गांधी जी ने कहा था कि सत्ता भारत के लोगों के हाथ में होगी। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम को वास्तव में "हम भारत के लोगों" का प्रतीक बना दिया।
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