राजस्थान Switch to English
जैसलमेर में जीवाश्मों की खोज
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के जैसलमेर ज़िले के फतेहपुर में एक तालाब की खुदाई कर रहे श्रमिकों को संभवतः 180 मिलियन वर्ष पूर्व जुरासिक काल के एक पंख वाले सरीसृप के जीवाश्म मिले हैं, जो पश्चिमी भारत के जीवाश्म परिदृश्य को पुनः परिभाषित कर सकते हैं।
मुख्य बिंदु
- जीवाश्म के बारे में:
- ग्रामीणों ने एक “विशाल अस्थि-सदृश संरचना” तथा लकड़ी के समान कठोरता वाले पत्थर के जीवाश्म खोजे हैं।
- भूवैज्ञानिकों के अनुसार यह जीव लगभग 8 से 10 फीट लंबा रहा होगा, जबकि प्राप्त संरचना की लंबाई 6 से 7 फीट है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि ये अवशेष कशेरुकी जीवों (vertebrates) के जीवाश्म हो सकते हैं, सम्भवतः किसी उड़ने वाले शाकाहारी डायनासोर के।
- महत्त्व:
- ये जीवाश्म संभवतः जैसलमेर के लाठी संरचना (Lathi Formation) में खोजे गए पहले उड़ने वाले सरीसृप का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- लाठी संरचना अपने प्रचुर जीवाश्म भंडार के लिये प्रसिद्ध है, जो जुरासिक काल (लगभग 180 से 200 मिलियन वर्ष पूर्व) के दौरान जीवन के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
- यह खोज इस क्षेत्र के जीवाश्म मानचित्र में एक नया आयाम जोड़ेगी और अकाल व थायत क्षेत्र में मिले पूर्ववर्ती जीवाश्मों को भी संपूरित करेगी, जिन्हें डायनासोर युग से संबद्ध माना जाता है।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की टीमें जीवाश्मों की सटीक आयु तथा प्रजाति का पता लगाने के लिये उनकी विस्तृत जाँच करेंगी।
मध्य प्रदेश Switch to English
फुल डेप्थ रीक्लेमेशन (FDR) तकनीक
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग (PWD) भोपाल में भोजपुर मंदिर आने वाले पर्यटकों के लिये मार्ग को सुगम बनाने और लगातार गड्ढों की समस्या को दूर करने के लिये फुल डेप्थ रीक्लेमेशन (FDR) तकनीक का उपयोग कर सड़कों को सुधार रहा है।
मुख्य बिंदु
- फुल डेप्थ रीक्लेमेशन (FDR) के बारे में:
- यह प्रक्रिया सड़कों के "रीसाइक्लिंग" जैसी है। पुराने अस्फाल्ट को फेंकने के बजाय, इस तकनीक में मौजूदा सड़क सामग्री को पीसकर नीचे की मिट्टी के साथ मिलाया जाता है।
- यह मिश्रण नई सड़क के लिये आधार तैयार करता है तथा एक नवीन, स्थायी सतह प्रदान करता है।
- सुदृढ़ीकरण:
- आधार को और अधिक मज़बूत बनाने के लिये, सीमेंट, चूना या अस्फाल्ट इमल्शन जैसे बाइंडर वाले पदार्थ मिलाए जाते हैं।
- यह बाइंडर गोंद की तरह कार्य करता है, सामग्रियों को एक साथ जोड़ता है और एक ठोस आधार सुनिश्चित करता है, जो भारी यातायात और मौसम की परिस्थितियों को सहन कर सके।
- लाभ:
- लागत-प्रभावशीलता: यह तकनीक किफायती है, क्योंकि इसमें मौजूदा सामग्रियों का पुनः उपयोग होता है, जिससे नए संसाधनों की आवश्यकता कम हो जाती है।
- स्थायित्व: स्थिर आधार परत लंबे समय तक टूट-फूट को सहन कर सकती है, जिससे सड़क के रखरखाव के लिये एक स्थायी समाधान उपलब्ध होता है।
भोजपुर मंदिर
उत्तर प्रदेश Switch to English
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस उत्सव
चर्चा में क्यों?
23 अगस्त, 2025 को मनाए गए राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर लखनऊ के सभी स्कूलों में अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की प्रगति का उत्सव मनाया गया।
मुख्य बिंदु
- उत्सव के बारे में:
- समारोह में NCERT द्वारा विकसित एक नया शैक्षिक मॉड्यूल ‘भारत: एक उभरती हुई अंतरिक्ष शक्ति’ लॉन्च किया गया।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऑनलाइन/ऑफलाइन सत्रों के माध्यम से छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में करियर के लिये प्रेरित करना है।
- छात्रों को अंतरिक्ष अन्वेषण से अवगत कराने के लिये दीक्षा, निष्ठा और इंडिया ऑन द मून पोर्टल जैसे संसाधनों का भी उपयोग किया गया।
- राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस
- यह दिवस चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग और 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर प्रज्ञान रोवर की स्थापना (deployment) की स्मृति में मनाया जाता है।
- चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के साथ ही भारत चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश और उसके दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र तक पहुँचने वाला पहला देश बन गया।
- भारत ने अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 23 अगस्त, 2024 को मनाया।
- थीम 2025:
- आर्यभट्ट से गगनयान: प्राचीन ज्ञान से अनंत संभावनाओं तक
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आयोजन:
- राष्ट्रीय सम्मेलन 2025, जिसका विषय था “विकसित भारत 2047 के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना”, इसमें विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका पर विचार किया गया।
- भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) ने “आर्यभट्ट से गगनयान: प्राचीन ज्ञान से अनंत संभावनाओं तक” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
- महत्त्व:
- यह भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं पर प्रकाश डालता है और इसका उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में करियर बनाने के लिये प्रेरित करना है, जिससे भारत के चल रहे अंतरिक्ष प्रयासों में योगदान मिलेगा।
उत्तर प्रदेश Switch to English
द कुंज का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने नई दिल्ली में भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा की विविध विरासत के उत्सव तथा उसके प्रोत्साहन हेतु समर्पित एक खुदरा एवं सांस्कृतिक गंतव्य "द कुंज" का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- कुंज के बारे में:
- द कुंज एक अभिनव पहल है, जो कारीगरों को सशक्त बनाने, बाज़ार पहुँच में सुधार लाने और डिज़ाइन-संचालित अनुभवात्मक दृष्टिकोण के साथ शिल्प क्षेत्र की पुनर्कल्पना करने पर केंद्रित है।
- विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय द्वारा परिकल्पित और विकसित इस पहल का उद्देश्य अपने अद्वितीय डिज़ाइन-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से हस्तशिल्प क्षेत्र में परिवर्तन लाना है।
- यह भारत की अपनी तरह की पहली पहल है, जिसे बड़े पैमाने पर शिल्पों को बढ़ावा देने और कारीगरों को “गाँव से ग्लोबल” तक पहुँचाने की केंद्र सरकार की परिकल्पना के अनुरूप तैयार किया गया है।
- द कुंज तीन महीने के उद्घाटन समारोह की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें शोरूम, लाइव शिल्प प्रदर्शननी, कारीगरों के नेतृत्व वाली कार्यशालाएँ, खाद्य-कला अनुभव तथा आकर्षक प्रदर्शनियों का सुव्यवस्थित संयोजन प्रस्तुत किया गया है।
- इस पहल की सफलता से यह अपेक्षा है कि यह भारत में इसी प्रकार की अन्य परियोजनाओं के लिये एक आदर्श के रूप में कार्य करेगी तथा पारंपरिक शिल्पकला तथा हस्तनिर्मित उत्कृष्टता के वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की भूमिका को और अधिक मज़बूत बनाएगी।