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स्टेट पी.सी.एस.

  • 13 Jun 2025
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झारखंड Switch to English

पीएम गति शक्ति के तहत मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएँ

चर्चा में क्यों?

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 6,405 करोड़ रुपए की लागत से झारखंड, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश के 7 ज़िलों में प्रस्तावित दो मल्टीट्रैकिंग रेलवे परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्य बिंदु

  • अनुमोदित परियोजनाओं का विवरण
    • कोडरमा–बरकाकाना दोहरीकरण (133 किमी) – झारखंड

      • यह परियोजना झारखंड के प्रमुख कोयला क्षेत्र से होकर गुज़रती है तथा पटना और राँची के बीच सबसे छोटा एवं कुशल रेल संपर्क प्रदान करती है।
    • बल्लारी–चिक्कजजूर दोहरीकरण (185 किमी) – कर्नाटक व आंध्र प्रदेश
      • यह रेलखंड कर्नाटक के बल्लारी एवं चित्रदुर्ग ज़िलों तथा आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले को कवर करता है।
    • ये परियोजनाएँ PM गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा हैं, जो बेहतर योजना के माध्यम से एकीकृत, मल्टी-मॉडल संपर्क को सक्षम बनाती हैं।
  • परिचालन एवं आर्थिक लाभ
    • बढ़ी हुई लाइन क्षमता से रेलगाड़ियों की गतिशीलता में वृद्धि होगी, भीड़भाड़ कम होगी तथा सेवा की विश्वसनीयता में सुधार होगा।
    • ये रेलमार्ग कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कृषि सामान और पेट्रोलियम उत्पादों जैसी महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के परिवहन में अहम भूमिका निभाते हैं।.
    • क्षमता विस्तार से 49 MTPA (मिलियन टन प्रति वर्ष) अतिरिक्त माल यातायात उत्पन्न होने की संभावना है।
  • पर्यावरण एवं स्थिरता लाभ:
    • रेलवे उन्नयन से तेल आयात में 52 करोड़ लीटर की कमी आने का अनुमान है तथा CO₂ उत्सर्जन में 264 करोड़ किलोग्राम की कमी होगी, जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
    • रेल परिवहन, जो एक स्वच्छ व ऊर्जा-कुशल साधन है, की ओर बदलाव भारत के जलवायु लक्ष्यों को समर्थन देता है और देश की रसद लागत को कम करने में सहायक है।
  • झारखंड कोयला क्षेत्र के बारे में:
    • झारखंड में खनिजों का विशाल भंडार है। राज्य के 7 ज़िलों (बोकारो, चतरा, धनबाद, गिरिडीह, हज़ारीबाग, कोडरमा तथा रामगढ़) वाला क्षेत्र राज्य का कोयला क्षेत्र (coal belt) कहलाता है।
    • देश के कुल खनिज भंडार का 40% झारखंड में स्थित है।
    • यह राज्य कूकिंग कोयले, यूरेनियम तथा पाइराइट का एकमात्र उत्पादक है।
    • यह भारत में कोयला, अभ्रक, कायनाइट तथा ताँबे के उत्पादन में प्रथम स्थान पर है।

पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान 

  • अक्तूबर 2021 में शुरू किया गया पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान 100 लाख करोड़ रुपए की एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य अगले पाँच वर्षों में भारत के बुनियादी ढाँचे में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
  • इसे BISAG-N (भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भूसूचना विज्ञान संस्थान) द्वारा डिजिटल मास्टर प्लानिंग टूल के रूप में विकसित किया गया है।
    • इसे गतिशील भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) प्लेटफॉर्म पर तैयार किया गया है, जिसमें सभी मंत्रालयों/विभागों की विशिष्ट कार्य योजनाओं के आँकड़ों को एक व्यापक डेटाबेस में शामिल किया गया है।
  • इस योजना का उद्देश्य ज़मीनी स्तर पर कार्य में तेज़ी लाने, लागत को कम करने और रोज़गार सृजन पर ध्यान देने के साथ-साथ आगामी चार वर्षों में बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं की एकीकृत योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।


मध्य प्रदेश Switch to English

अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि सम्मेलन 2025

चर्चा में क्यों?

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य विभाग ने, मध्य प्रदेश के इंदौर में अंतर्देशीय मत्स्य पालन तथा जलीय कृषि के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए "अंतर्देशीय मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि सम्मेलन 2025" का आयोजन किया।

मुख्य बिंदु

  • PMMSY के अंतर्गत प्रमुख मत्स्य परियोजनाओं का उद्घाटन:
    • केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत प्रमुख मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। मंत्री ने हलाली बाँध पर जलाशय मत्स्य पालन क्लस्टर का शुभारंभ किया और विभिन्न PMMSY-समर्थित पहलों की आधारशिला रखी, जिनका उद्देश्य जलीय कृषि ढाँचे को मज़बूत करना, मछली उत्पादन को बढ़ावा देना तथा अंतर्देशीय क्षेत्रों में आजीविका के अवसर सृजित करना है।
  • लाभार्थियों को सहायता और तकनीकी एकीकरण:
    • मंत्री ने मत्स्य सहकारी समितियों, मत्स्य कृषक उत्पादक संगठनों (FFPOs) और मत्स्य स्टार्टअप्स सहित अनेक लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किये।
    • मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और जलीय कृषि बीमा प्रदान किया गया, जिससे हाशिये पर स्थित समुदायों को एकीकृत डिजिटल पहुँच तथा केंद्रित बीमा कवरेज प्राप्त हुआ।
  • 2015 से अंतर्देशीय मत्स्य उत्पादन में वृद्धि:
    • वर्ष 2015 से सरकार ने मत्स्य पालन क्षेत्र को सशक्त बनाने हेतु विभिन्न प्रमुख योजनाओं के अंतर्गत 38,572 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
    • इसके परिणामस्वरूप भारत का कुल मछली उत्पादन 104% बढ़कर, 2013-14 में 95.79 लाख टन से 2024-25 में 195 लाख टन हो गया।
    • अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि ने इस उत्पादन में 75% से अधिक योगदान दिया, जो 2024-25 में 140% बढ़कर 147.37 लाख टन तक पहुँच गया।
    • यह क्षेत्र वर्ष भर उत्पादन, कुशल संसाधन उपयोग को संभव बनाता है तथा कम उपयोग वाली भूमि को आय-उत्पादक परिसंपत्तियों में परिवर्तित करता है, जिससे ग्रामीणों और छोटे किसानों की आजीविका को समर्थन मिलता है।
  • प्रौद्योगिकी-संचालित विकास और नवाचार:
  • भारत के मत्स्य क्षेत्र की स्थिति:
    • भारत, चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक तथा दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि देश है।
    • भारत मछली निर्यात में वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर है, जो विश्व मछली उत्पादन में 7.7% का योगदान देता है।
    • अंतर्देशीय मत्स्य पालन कुल उत्पादन का 75% से अधिक हिस्सा प्रदान करता है।
      शीर्ष मछली उत्पादक राज्य हैं – आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा कर्नाटक 

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)

  • मत्स्य पालन विभाग द्वारा संचालित कार्यक्रम PMMSY का उद्देश्य नीली क्रांति के लिये भारत के मत्स्य उद्योग को सतत् और ज़िम्मेदार तरीके से विकसित करना है।
    • यह मछुआरों के कल्याण को सुनिश्चित करते हुए क्षेत्र के व्यापक विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • PMMSY को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिये कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • उद्देश्य: 
    • PMMSY मत्स्य पालन, उत्पादकता, गुणवत्ता और बुनियादी ढाँचे में अंतराल को को कम कर मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण की गारंटी देते हुए मूल्य शृंखला का आधुनिकीकरण करता है।

नीली क्रांति

  • नीली क्रांति का तात्पर्य अंतर्देशीय, समुद्री मत्स्य पालन और जलीय कृषि के माध्यम से मछली उत्पादनउत्पादकता को बढ़ावा देने हेतु मत्स्य क्षेत्र के एकीकृत तथा सतत् विकास से है।
  • सरकार ने सभी चालू मत्स्यपालन योजनाओं को एक एकीकृत कार्यक्रम के रूप में पुनर्गठित किया, जिसे "नीली क्रांति: मत्स्यपालन का एकीकृत विकास और प्रबंधन" नाम दिया गया।
  • यह योजना कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जाती है, जो संपुर्ण क्षेत्र में लक्षित सहायता सुनिश्चित करती है।

उद्देश्य:

  • मछली उत्पादन को टिकाऊ और उत्तरदायित्वपूर्ण तरीके से बढ़ावा देना।
  • नई प्रौद्योगिकियों को अपनाकर इस क्षेत्र का आधुनिकीकरण करना।
  • खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • रोज़गार के अवसर सृजित करना तथा निर्यात को बढ़ावा देना।
  • समावेशी विकास को बढ़ावा देना तथा मछुआरों और मत्स्यपालकों को सशक्त बनाना।


हरियाणा Switch to English

सरकार ने पीएसएस के तहत खरीद को मंजूरी दी

चर्चा में क्यों?

सरकार ने 2025-26 ग्रीष्मकालीन फसल सीज़न के लिये मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात में मूँग तथा उत्तर प्रदेश में मूँगफली की खरीद को मंज़ूरी दे दी है

मुख्य बिंदु

  • दालों की खरीद:
  • PM-AASHA:
    • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA), जिसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था, को 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी गई है।
    • सितंबर 2024 में, सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (PSS), मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS) और बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS) को इसके घटक के रूप में शामिल करते हुए PM-AASHA की एकीकृत योजना को जारी रखने को स्वीकृति दी।
    • इस योजना का उद्देश्य किसानों की उपज के लिये सुनिश्चित और उचित मूल्य सुनिश्चित करना, उनकी आय की रक्षा करना तथा उन्हें बाज़ार की अस्थिरता से बचाना है।
    • PSS तब लागू की जाती है जब अधिसूचित दलहनों, तिलहनों या खोपरा का बाज़ार मूल्य, अधिकतम फसल अवधि के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चला जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त हो।

नोट:

  • सरकार, किसानों को कीमतों में तेज़ गिरावट के दौरान संकटपूर्ण बिक्री से बचाने हेतु बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS) लागू करती है, विशेष रूप से फसल कटाई के समय जल्दी खराब होने वाले कृषि एवं बागवानी उत्पादों के लिये।
  • मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS) एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत किसानों को मुआवज़ा दिया जाता है, जब उनकी उपज का बाज़ार मूल्य MSP से नीचे चला जाता है।
  • भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED):
    • नैफेड, बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत है।
    • इसकी स्थापना 1958 में किसानों को लाभ पहुँचाने हेतु कृषि उपज के सहकारी विपणन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।


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