हरियाणा
सरकार ने पीएसएस के तहत खरीद को मंजूरी दी
- 13 Jun 2025
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चर्चा में क्यों?
सरकार ने 2025-26 ग्रीष्मकालीन फसल सीज़न के लिये मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात में मूँग तथा उत्तर प्रदेश में मूँगफली की खरीद को मंज़ूरी दे दी है।
मुख्य बिंदु
- दालों की खरीद:
- घरेलू दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने के लिये, सरकार ने खरीद वर्ष 2024-25 के लिये मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत राज्य उत्पादन के 100% तक तुअर (अरहर), उड़द तथा मसूर की खरीद की अनुमति दी है।
- केंद्रीय बजट 2025 में, सरकार ने PSS पहल को 2028-29 तक चार और वर्षों के लिये बढ़ा दिया है तथा केंद्रीय नोडल एजेंसियाँ – राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED) और राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) को पूर्ण राज्य उत्पादन स्तर तक दालों की खरीद हेतु अधिकृत किया गया है।
- PM-AASHA:
- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA), जिसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था, को 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी गई है।
- सितंबर 2024 में, सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (PSS), मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS) और बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS) को इसके घटक के रूप में शामिल करते हुए PM-AASHA की एकीकृत योजना को जारी रखने को स्वीकृति दी।
- इस योजना का उद्देश्य किसानों की उपज के लिये सुनिश्चित और उचित मूल्य सुनिश्चित करना, उनकी आय की रक्षा करना तथा उन्हें बाज़ार की अस्थिरता से बचाना है।
- PSS तब लागू की जाती है जब अधिसूचित दलहनों, तिलहनों या खोपरा का बाज़ार मूल्य, अधिकतम फसल अवधि के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चला जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त हो।
नोट:
- सरकार, किसानों को कीमतों में तेज़ गिरावट के दौरान संकटपूर्ण बिक्री से बचाने हेतु बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS) लागू करती है, विशेष रूप से फसल कटाई के समय जल्दी खराब होने वाले कृषि एवं बागवानी उत्पादों के लिये।
- मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS) एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत किसानों को मुआवज़ा दिया जाता है, जब उनकी उपज का बाज़ार मूल्य MSP से नीचे चला जाता है।
- भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED):
- नैफेड, बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत है।
- इसकी स्थापना 1958 में किसानों को लाभ पहुँचाने हेतु कृषि उपज के सहकारी विपणन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।