उत्तर प्रदेश Switch to English
गोविंद बल्लभ पंत
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10 सितंबर 2025 को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 138वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए स्वतंत्रता के बाद उत्तर प्रदेश के विकास में उनके अतुलनीय योगदान को रेखांकित किया।
मुख्य बिंदु
गोविंद बल्लभ पंत के बारे में:
- प्रारंभिक जीवन: उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जन्मे पंत गोपाल कृष्ण गोखले और मदन मोहन मालवीय से प्रेरित थे।
- स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका: इनकी नमक मार्च (1930) और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) तथा भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय भागीदार रही।
- राजनीतिक यात्रा: संविधान सभा के सदस्य बने और भारतीय संविधान के निर्माण में योगदान दिया।
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में जी.बी. पंत ने जमींदारी उन्मूलन की दिशा में कार्य करने के साथ आधुनिकीकरण पर बल दिया।
- जी.बी. पंत को वर्ष 1955 में जवाहरलाल नेहरू ने केंद्रीय गृह मंत्री नियुक्त किया था और उन्होंने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में स्थापित करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
- सम्मान और विरासत: वर्ष 1957 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी राजनीतिक विरासत में चौधरी चरण सिंह जैसे यूपी के नेताओं का मार्गदर्शन शामिल है।
झारखंड Switch to English
प्रतिबिंब ऐप
चर्चा में क्यों?
झारखंड के DGP अनुराग गुप्ता की पहल पर विकसित झारखंड पुलिस का प्रतिबिंब ऐप देश में साइबर अपराधियों से निपटने के लिये देश में एक सशक्त साधन बन गया है।
- हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में आयोजित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान झारखंड सहित सभी IPS अधिकारियों को साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु प्रतिबिंब ऐप के प्रयोग का प्रशिक्षण दिया गया।
मुख्य बिंदु
- ऐप के बारे में:
- प्रतिबिंब ऐप एक विशेष GIS-आधारित सॉफ्टवेयर उपकरण है, जिसे अपराध अन्वेषण विभाग (CID) ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) और गृह मंत्रालय के सहयोग से विकसित किया है।
- इसका उद्देश्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को साइबर अपराधियों का पता लगाने, उनका मानचित्रण करने तथा धोखाधड़ी और अन्य डिजिटल अपराधों में संलिप्त अपराधियों को गिरफ्तार करने में सहायता करना है।
- इस ऐप को नवंबर 2023 में झारखंड के राँची में संयुक्त साइबर अपराध समन्वय टीमों (JCCT)-II की पहली क्षेत्रीय बैठक के दौरान लॉन्च किया गया।
- यह "समन्वय" प्लेटफॉर्म के माध्यम से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच डेटा साझाकरण और विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है।
- विशेषताएँ:
- वास्तविक समय आपराधिक मानचित्रण: प्रतिबिंब साइबर अपराधों से जुड़े मोबाइल नंबरों को GIS मानचित्र पर प्रदर्शित करता है, जिससे झारखंड और भारत में उनके भौगोलिक स्थानों का पता चलता है।
- डाटाबेस एकीकरण: यह अपराधियों द्वारा उपयोग किये जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल फोन और धोखाधड़ी वाले खातों के डेटा को संकलित तथा विश्लेषण करता है, जिससे पुलिस को अपराधियों का शीघ्र पता लगाने में सहायता मिलती है।
- हेल्पलाइन एकीकरण: यह ऐप राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन (1930) से एकीकृत है, जिससे जनता को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने में मदद मिलती है और अधिकारियों को शीघ्रता से प्रतिक्रिया देने में सहायता मिलती है।
- शैक्षणिक सहयोग: झारखंड पुलिस ने उन्नत प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और ज्ञान समर्थन के लिये प्रमुख संस्थानों (IIM राँची, BIT-मेसरा, XLRI जमशेदपुर, NIT जमशेदपुर) के साथ साझेदारी की है।
झारखंड Switch to English
ट्रांसजेंडर सहायता इकाई का गठन
चर्चा में क्यों?
झारखंड सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के समक्ष आने वाली समस्याओं और चुनौतियों के समाधान हेतु एक विशेष सहायता इकाई स्थापित करेगी।
- यह निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित झारखंड ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की बैठक में लिया गया।
मुख्य बिंदु
- विशेष सहायता इकाई के बारे में:
- यह इकाई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्राप्त करने, आरक्षण का लाभ उठाने तथा विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच बनाने में मदद करेगी।
- यह पहल ट्रांसजेंडर समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास और गरिमा को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।
- बोर्ड के अंतर्गत गठित ट्रांसजेंडर सहायता इकाई संबंधित मुद्दों पर विचार करेगी, समाधान प्रस्तावित करेगी तथा व्यापक सिफारिशें करेगी।
- यह इकाई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्राप्त करने, आरक्षण का लाभ उठाने तथा विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच बनाने में मदद करेगी।
- ज़िला-स्तरीय समितियाँ:
- प्रत्येक ज़िले में उपायुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी।
- ये समितियाँ स्थानीय स्तर पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पहचान करेंगी और उन्हें आवश्यक सहयोग सुनिश्चित करेंगी।
- वर्तमान जनसंख्या:
- 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 4,87,803 ट्रांसजेंडर व्यक्ति पंजीकृत हैं, जिनमें से 13,463 झारखंड में रहते हैं।
- राज्यव्यापी सर्वेक्षण:
- राज्यव्यापी सर्वेक्षण में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्थिति का आकलन कर, ज़िलावार जनसंख्या की पहचान की जाएगी तथा उनकी आवश्यकताओं का दस्तावेज़ीकरण किया जाएगा।
- इससे सरकार को संसाधनों का कुशलतापूर्वक आवंटन करने, कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने तथा मुख्यधारा के समाज में समावेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
- चुनौतियाँ:
- कई ट्रांसजेंडर व्यक्ति अपनी पहचान बताने में हिचकिचाते हैं, जिससे उन्हें पहचान-पत्र, आरक्षण, पेंशन योजना, आयुष्मान कार्ड, गरिमा गृह और भेदभाव के विरुद्ध सुरक्षा प्राप्त करने में बाधा आती है।
नोट: बोकारो में, उपायुक्त ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान-पत्र प्रदान करने के लिये एक पहल शुरू की, जिससे "किन्नर" शब्द से हटकर उन्हें एक अलग पहचान प्रदान की जा सके।
ट्रांसजेंडर
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुसार, ट्रांसजेंडर अथवा उभयलिंगी व्यक्ति वह होता है, जिसकी लैंगिक पहचान जन्म के समय निर्धारित लिंग से सुमेलित नहीं होती है।
- जनसंख्या: वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, इनकी जनसंख्या लगभग 4.8 मिलियन है। इसमें इंटरसेक्स भिन्नता वाले ट्रांस-व्यक्ति, जेंडर-क्वीर और सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता वाले व्यक्ति जैसे किन्नर, हिजड़ा, आरावानी तथा जोगता शामिल हैं।
- LGBTQIA+ का हिस्सा: ट्रांसजेंडर व्यक्ति LGBTQIA+ समुदाय का हिस्सा हैं, जिन्हें संक्षिप्त नाम में "T" द्वारा दर्शाया गया है।
- LGBTQIA+ एक संक्षिप्ति (शब्दों के प्रथम अक्षरों से बना शब्द) है जो लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और एसेक्सुअल का प्रतिनिधित्व करता है।
- "+" उन अनेक अन्य अस्मिताओं को दर्शाता है जिनकी पहचान प्रकिया और अवबोधन वर्तमान में जारी है।
- इस संक्षिप्ति में निरंतर परिवर्तन जारी है और इसमें नॉन-बाइनरी तथा पैनसेक्सुअल जैसे अन्य पद भी शामिल किये जा सकते हैं।
- ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड: भारत में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्डों की स्थापना ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 तथा उससे संबंधित ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के प्रावधानों के तहत की जाती है।
- इन बोर्डों का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना, उनके लिये कल्याणकारी नीतियाँ और योजनाएँ बनाना तथा सामाजिक-आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देना है।
राजस्थान Switch to English
सीकर ज़िले में यूरेनियम खनन परियोजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान विधानसभा में अपने संबोधन में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने सीकर ज़िले की खंडेला तहसील में यूरेनियम खनन परियोजना का विवरण प्रस्तुत किया।
मुख्य बिंदु
यूरेनियम खनन परियोजना के बारे में:
- निवेश: यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (UCIL) इस खनन परियोजना में लगभग 3,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
- रोजगार: इस परियोजना का उद्देश्य स्थानीय रोजगार दर में सुधार और क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाना है।
- इससे 1,623 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की संभावना है, जिनमें से 80 प्रतिशत पद स्थानीय निवासियों के लिये आरक्षित होंगे।
- सहयोग: यह परियोजना एटॉमिक माइनरल्स डायरेक्टरेट फॉर एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च (AMD) और परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के सहयोग से संचालित की जा रही है।
- ये संगठन पहले से ही इस क्षेत्र में अन्वेषणात्मक खनन कर रहे हैं, जिसमें डिक्लाइन माइनिंग (ढलान खनन) और संबंधित कार्य शामिल हैं।
राजस्थान Switch to English
उदयपुर वेटलैंड मान्यता प्राप्त शहरों में शामिल
चर्चा में क्यों?
उदयपुर, जिसे प्रायः 'झीलों का शहर' कहा जाता है, ने रामसर वेटलैंड सिटी मान्यता प्राप्त की।
यह सम्मान पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा आयोजित स्वच्छ वायु सर्वेक्षण पुरस्कार तथा वेटलैंड शहर मान्यता समारोह 2025 के दौरान प्रदान किया गया।
मुख्य बिंदु
आर्द्रभूमि संरक्षण में उदयपुर के प्रयास
- परिचय: उदयपुर शहर पाँच प्रमुख आर्द्रभूमियों- पिछोला, फतेह सागर, रंग सागर, स्वरूप सागर और दूध तलई से घिरा हुआ है।
- ये आर्द्रभूमियाँ शहर की संस्कृति और पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं, शहर की सूक्ष्म जलवायु को बनाए रखने में सहायक हैं तथा चरम जलवायु घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- मान्यता: उदयपुर को यह सम्मान उसके उत्कृष्ट आर्द्रभूमि संरक्षण प्रयासों के लिये मिला है, जिससे वह विश्व के उन मुख्य शहरों में शामिल हो गया है, जिन्हें आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन के प्रति अपने व्यापक दृष्टिकोण के लिये मान्यता प्राप्त है।
- उदयपुर के प्रयासों में झील और आर्द्रभूमि संरक्षण में सक्रिय सामुदायिक भागीदारी के साथ-साथ शहरी नियोजन में आर्द्रभूमि प्रबंधन का सफल एकीकरण भी शामिल है।
वेटलैंड सिटी प्रमाणन (WCA)
- परिचय:
- WCA एक स्वैच्छिक मान्यता प्रणाली है, जिसे रामसर कन्वेंशन द्वारा कॉन्ट्रैक्टिंग पार्टियों (Conference of the Contracting Parties- COP) 12, 2015 के सम्मेलन के दौरान उन शहरों को मान्यता देने के लिये स्थापित किया गया था, जिन्होंने अपने शहरी आर्द्रभूमि की सुरक्षा हेतु असाधारण प्रयास किये हैं।
- यह पुरस्कार उन शहरी केंद्रों को दिया जाता है, जो आर्द्रभूमि की सुरक्षा, जैवविविधता संरक्षण को बढ़ावा देने तथा स्थायी आजीविका को समर्थन देने में असाधारण प्रयास करते हैं।
- इस योजना का उद्देश्य शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्र के आर्द्रभूमि संरक्षण तथा इसके उपयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही स्थानीय आबादी के लिये स्थायी सामाजिक-आर्थिक लाभ अर्जित करना भी है।
- WCA 6 वर्षों के लिये मान्य होता है।
- महत्त्व:
- यह शहरों को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के वेटलैंड्स जैसे मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्र के साथ सकारात्मक संबंध विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- इसका उद्देश्य प्राकृतिक या मानव निर्मित आर्द्रभूमि को महत्त्व देने वाले शहरों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाना है।
मध्य प्रदेश Switch to English
संबल योजना
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संबल योजना को श्रमिकों के लिये महत्त्वपूर्ण बताते हुए इसे भारत की “मानवता की सेवा” की सांस्कृतिक भावना का प्रतिबिंब बताया।
- उन्होंने एक-क्लिक प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के पाँचवें चरण में 7,953 श्रमिकों को 175 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये, जिससे उन्हें त्वरित, पारदर्शी और प्रभावशाली राहत मिली।
मुख्य बिंदु
- संबल योजना के बारे में:
- राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में राज्य के लाखों असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये मुख्यमंत्री जन-कल्याण (संबल) योजना शुरू की थी।
- संबल योजना में अब तक 1.77 करोड़ से अधिक श्रमिक पंजीकृत हैं तथा पंजीकरण अभी भी जारी है।
- यह कार्यक्रम मृत्यु, दुर्घटना या अन्य संकट की स्थिति में श्रमिकों और उनके परिवारों को अनुग्रहपूर्वक वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- सहायता: इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित सहायता प्रदान की जाती है:
- अंत्येष्टि सहायता: 5,000 रुपये
-
प्राकृतिक मृत्यु सहायता: 2,00,000 रुपये
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आकस्मिक मृत्यु सहायता: 4,00,000 रुपये
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आंशिक विकलांगता सहायता: 1,00,000 रुपये
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स्थायी विकलांगता सहायता: 2,00,000 रुपये
- वितरण:
- योजना की शुरुआत से अब तक, मध्य प्रदेश में 7,60,886 लाभार्थियों को 7,000 करोड़ रुपये से अधिक वितरित किये जा चुके हैं।
- नई श्रेणी:
- मार्च 2024 से, योजना का विस्तार गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों तक किया गया है, जिनमें सामान तथा सेवाओं की डोर-टू-डोर डिलीवरी करने वाले श्रमिक शामिल हैं।
- स्वास्थ्य सेवा लिंकेज:
- संबल लाभार्थियों को आयुष्मान भारत निरामय योजना के तहत भी लाभ प्राप्त हैं,, जो प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक मुफ्त चिकित्सा उपचार प्रदान करती है।