झारखंड
ट्रांसजेंडर सहायता इकाई का गठन
- 10 Sep 2025
- 26 min read
चर्चा में क्यों?
झारखंड सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के समक्ष आने वाली समस्याओं और चुनौतियों के समाधान हेतु एक विशेष सहायता इकाई स्थापित करेगी।
- यह निर्णय मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित झारखंड ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की बैठक में लिया गया।
मुख्य बिंदु
- विशेष सहायता इकाई के बारे में:
- यह इकाई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्राप्त करने, आरक्षण का लाभ उठाने तथा विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच बनाने में मदद करेगी।
- यह पहल ट्रांसजेंडर समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास और गरिमा को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।
- बोर्ड के अंतर्गत गठित ट्रांसजेंडर सहायता इकाई संबंधित मुद्दों पर विचार करेगी, समाधान प्रस्तावित करेगी तथा व्यापक सिफारिशें करेगी।
- यह इकाई ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्राप्त करने, आरक्षण का लाभ उठाने तथा विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच बनाने में मदद करेगी।
- ज़िला-स्तरीय समितियाँ:
- प्रत्येक ज़िले में उपायुक्त की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी।
- ये समितियाँ स्थानीय स्तर पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पहचान करेंगी और उन्हें आवश्यक सहयोग सुनिश्चित करेंगी।
- वर्तमान जनसंख्या:
- 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 4,87,803 ट्रांसजेंडर व्यक्ति पंजीकृत हैं, जिनमें से 13,463 झारखंड में रहते हैं।
- राज्यव्यापी सर्वेक्षण:
- राज्यव्यापी सर्वेक्षण में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्थिति का आकलन कर, ज़िलावार जनसंख्या की पहचान की जाएगी तथा उनकी आवश्यकताओं का दस्तावेज़ीकरण किया जाएगा।
- इससे सरकार को संसाधनों का कुशलतापूर्वक आवंटन करने, कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने तथा मुख्यधारा के समाज में समावेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
- चुनौतियाँ:
- कई ट्रांसजेंडर व्यक्ति अपनी पहचान बताने में हिचकिचाते हैं, जिससे उन्हें पहचान-पत्र, आरक्षण, पेंशन योजना, आयुष्मान कार्ड, गरिमा गृह और भेदभाव के विरुद्ध सुरक्षा प्राप्त करने में बाधा आती है।
नोट: बोकारो में, उपायुक्त ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान-पत्र प्रदान करने के लिये एक पहल शुरू की, जिससे "किन्नर" शब्द से हटकर उन्हें एक अलग पहचान प्रदान की जा सके।
ट्रांसजेंडर
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के अनुसार, ट्रांसजेंडर अथवा उभयलिंगी व्यक्ति वह होता है, जिसकी लैंगिक पहचान जन्म के समय निर्धारित लिंग से सुमेलित नहीं होती है।
- जनसंख्या: वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, इनकी जनसंख्या लगभग 4.8 मिलियन है। इसमें इंटरसेक्स भिन्नता वाले ट्रांस-व्यक्ति, जेंडर-क्वीर और सामाजिक-सांस्कृतिक अस्मिता वाले व्यक्ति जैसे किन्नर, हिजड़ा, आरावानी तथा जोगता शामिल हैं।
- LGBTQIA+ का हिस्सा: ट्रांसजेंडर व्यक्ति LGBTQIA+ समुदाय का हिस्सा हैं, जिन्हें संक्षिप्त नाम में "T" द्वारा दर्शाया गया है।
- LGBTQIA+ एक संक्षिप्ति (शब्दों के प्रथम अक्षरों से बना शब्द) है जो लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स और एसेक्सुअल का प्रतिनिधित्व करता है।
- "+" उन अनेक अन्य अस्मिताओं को दर्शाता है जिनकी पहचान प्रकिया और अवबोधन वर्तमान में जारी है।
- इस संक्षिप्ति में निरंतर परिवर्तन जारी है और इसमें नॉन-बाइनरी तथा पैनसेक्सुअल जैसे अन्य पद भी शामिल किये जा सकते हैं।
- ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड: भारत में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्डों की स्थापना ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 तथा उससे संबंधित ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के प्रावधानों के तहत की जाती है।
- इन बोर्डों का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना, उनके लिये कल्याणकारी नीतियाँ और योजनाएँ बनाना तथा सामाजिक-आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देना है।