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भारत की संदिग्ध रजिस्ट्री और साइबर सुरक्षा पहल

  • 04 Sep 2025
  • 59 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों? 

भारत की ऑनलाइन संदिग्ध रजिस्ट्री ने 13 लाख धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोककर लगभग 5,100 करोड़ रुपए बचाए हैं और यह भारत के साइबर सुरक्षा प्रयासों में एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है 

संदिग्ध रजिस्ट्री क्या है? 

  • परिचय: वर्ष 2024 में शुरू की गई संदिग्ध रजिस्ट्री को राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आधार पर तैयार किया गया है और इसे भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने विकसित किया है। 
    • इसमें लगभग 1.4 मिलियन साइबर अपराधियों का डेटा शामिल है, जो वित्तीय धोखाधड़ी और अन्य साइबर अपराधों से जुड़े हैं तथा यह सभी बैंकों के साथ साझा किया गया है। 
    • यह डेटा राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय जाँच एवं खुफिया एजेंसियों के लिये भी उपलब्ध कराया गया है। 
  • उद्देश्य: यह रजिस्ट्री बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ग्राहक की पहचान सत्यापित करने तथा संदिग्ध खातों में वास्तविक समय में लेनदेन की निगरानी करने में सहायता करती है। 
    • NCRP से प्राप्त डेटा का उपयोग करके यह धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन को सुदृढ़ करता है और संभावित साइबर अपराधियों को चिह्नित करता है। 
  • संदिग्ध रजिस्ट्री की आवश्यकता: भारत को साइबर धोखाधड़ी से हर महीने 1,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा का नुकसान होता है। 80% से ज़्यादा साइबर अपराध के मामले वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े होते हैं। 
    • डिजिटल लेनदेन के बढ़ते पैमाने के लिये मज़बूत धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन और वास्तविक समय निगरानी की आवश्यकता है। 
  • प्रभाव: दिसंबर 2024 तक लगभग 1,800 करोड़ रुपए मूल्य के 6.1 लाख से अधिक धोखाधड़ी वाले लेनदेन अवरुद्ध कर दिये गए। 
    • बैंकों ने 8.67 लाख म्यूल खाते, 7 लाख सिम और 1.4 लाख डिवाइस फ्रीज कर दिये। वर्ष 2021 से अब तक, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत लगभग 3,850 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी पकड़ी गई है और संदिग्ध ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक किया गया है। 

भारत में साइबर अपराध की प्रवृत्तियाँ 

  • बढ़ते साइबर अपराध से नुकसान: NCRP के अनुसार, भारत में साइबर धोखाधड़ी में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिसमें वर्ष 2021 से 2024 के बीच लगभग 33,165 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। 
  • टियर 2 और 3 साइबर अपराध हॉटस्पॉट का विकास: देवघर, जयपुर, नूह, मथुरा, कोलकाता, सूरत, बेंगलुरु शहरी और कोझिकोड जैसे शहर साइबर अपराध हॉटस्पॉट के रूप में पहचाने गए हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधी अब छोटे शहरों को भी तेज़ी से निशाना बना रहे हैं।

Cyber_Crimes

भारत की साइबर सुरक्षा पहल क्या हैं? 

  • संवैधानिक संदर्भ: पुलिस और लोक-व्यवस्था राज्य विषय हैं। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश साइबर अपराध सहित अन्य अपराधों को संभालते हैं, जबकि केंद्र मार्गदर्शन, समन्वय और वित्तपोषण प्रदान करता है। 
  • नीति तंत्र: 
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000: इसमें फिशिंग, स्मिशिंग और विशिंग जैसे साइबर अपराधों को दंड (जुर्माना और कारावास) सहित शामिल किया गया है। 
    • नए आपराधिक कानून: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 आधुनिक साइबर खतरों का समाधान करते हैं। 
    • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013: इसका उद्देश्य साइबर स्पेस की रक्षा करना, साइबर सुरक्षा क्षमता का निर्माण करना, कमज़ोरियों को कम करना और राष्ट्रीय डिजिटल सुरक्षा को सशक्त करना है। 
  • संस्थागत तंत्र: 
    • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): गृह मंत्रालय (MHA) के अंतर्गत स्थापित कार्यालय, जिसका उद्देश्य साइबर अपराध के प्रति समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है। 
      • I4C के अंतर्गत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) जनता को सभी प्रकार के साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है, जिसमें महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। 
      • I4C के अंतर्गत साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (CFMC) बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, IT मध्यस्थों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) को वास्तविक समय पर कार्रवाई हेतु एक ही मंच पर लाता है। 
      • समन्वय प्लेटफार्म पूरे देश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच साइबर अपराध डेटा, विश्लेषण, मानचित्रण और समन्वय हेतु एक वेब-आधारित पोर्टल है। 
      • हेल्पलाइन 1930 के माध्यम से वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई हेतु नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग एवं प्रबंधन प्रणाली (CFCFRMS) प्लेटफॉर्म 
    • CERT-In (भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल): साइबर सुरक्षा घटनाओं, कमज़ोरियों और समन्वित प्रतिक्रिया से निपटने के लिये IT अधिनियम, 2000 के तहत राष्ट्रीय एजेंसी। 
      • CERT-In राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (NCCC) का संचालन करता है, जो साइबर खतरों की स्थिति-जागरूकता सुनिश्चित करता है। साथ ही यह साइबर स्वच्छता केंद्र (Cyber Swachhta Kendra) चलाता है, जो मैलवेयर का पता लगाकर उसे हटाने का कार्य करता है और नागरिकों तथा संगठनों को निशुल्क उपकरण एवं साइबर सुरक्षा संबंधी मार्गदर्शन प्रदान करता है। 
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) इंटरपोल के नेतृत्व वाली साइबर अपराध सहयोग पहल में भाग लेता है। 
    • CBI, G-7 24/7 नेटवर्क की नोडल एजेंसी है, जो साइबर अपराध से संबंधित मामलों में डेटा संरक्षित करने के अनुरोध हेतु एक सुरक्षित माध्यम उपलब्ध कराती है। 
  • डिजिटल तंत्र 
    • ‘.bank.in’ बैंकों के लिये डोमेन: भारतीय बैंकों के लिये विशेष इंटरनेट डोमेन, जिसका उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी को कम करना और डिजिटल विश्वास को सशक्त करना है। 
    • ई-ज़ीरो FIR (e-Zero FIR): 10 लाख रुपए से अधिक की साइबर वित्तीय अपराध शिकायतों को स्वचालित रूप से प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में परिवर्तित करता है। 
    • MuleHunter.AI: चोरी की गई धनराशि को स्थानांतरित करने के लिये उपयोग किये जाने वाले म्यूल अकाउंटों का पता लगाने के लिये RBI द्वारा विकसित AI उपकरण। 
    • ASTR: दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा विकसित टेलीकॉम SIM सब्सक्राइबर सत्यापन के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेस रिक्गनीशन से लैस प्रौद्योगिकी संचालित समाधान (ASTR) का उपयोग एक ही व्यक्ति द्वारा विभिन्न नामों से लिये गए संदिग्ध मोबाइल कनेक्शनों की पहचान करने हेतु किया जाता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. साइबर अपराध को रोकने और उसका जवाब देने के लिये भारत द्वारा स्थापित संस्थागत तथा डिजिटल तंत्रों पर चर्चा कीजिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स

प्रश्न. भारत में व्यक्तियों के लिये साइबर बीमा के तहत धन की हानि और अन्य लाभों के भुगतान के अलावा, निम्नलिखित में से कौन से लाभ आम तौर पर कवर किये जाते हैं? (2020)  

  1. किसी के कंप्यूटर तक पहुँच को बाधित करने वाले मैलवेयर के मामले में कंप्यूटर सिस्टम की बहाली की लागत।   
  2. एक नए कंप्यूटर की लागत अगर ऐसा साबित हो जाता है कि कुछ असामाजिक तत्त्वों ने जानबूझकर इसे नुकसान पहुँचाया है।   
  3. साइबर जबरन वसूली के मामले में नुकसान को कम करने के लिए एक विशेष सलाहकार को काम पर रखने की लागत।   
  4. यदि कोई तीसरा पक्ष मुकदमा दायर करता है तो न्यायालय में बचाव की लागत 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(A) केवल 1, 2 और 4 
(B) केवल 1, 3 और 4 
(C) केवल 2 और 3 
(D) 1, 2, 3 और 4 

उत्तर: (b)

प्रश्न.  भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है?  (2017) 

  1. सेवा प्रदाता
  2. डेटा केंद्र
  3. निगमित निकाय

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(A) केवल 1 
(B) केवल 1 और 2 
(C) केवल 3 
(D) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न: साइबर सुरक्षा के विभिन्न घटक क्या हैं? साइबर सुरक्षा में चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जाँच करें कि भारत ने व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को किस हद तक सफलतापूर्वक विकसित किया है। (2022)

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