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रेलवे का सबसे लंबा ग्रेड सेपरेटर ब्रिज
चर्चा में क्यों?
भारतीय रेलवे ने पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल में एक ऐतिहासिक परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के कतनी जंक्शन पर देश के सबसे लंबे एलिवेटेड ग्रेड सेपरेटर ब्रिज के निर्माण के साथ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
मुख्य बिंदु
- यह परियोजना, जो वर्ष 2020 में शुरू हुई थी और वर्ष 2025 तक पूरी होने वाली है, इसमें 91.40 मीटर तक के फैलाव वाले रेल ओवर रेल (ROR) पुल होंगे, जिनके माध्यम से ट्रेनें पूरे शहर को बाईपास कर सकेंगी, जिससे यातायात सुगम होगा और परिचालन दक्षता में वृद्धि होगी।
- 15.85 किमी लंबा यह नया एलिवेटेड पुल प्रधानमंत्री की गति शक्ति पहल के तहत जारी बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण का एक प्रमुख हिस्सा है।
पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान
- परिचय:
- यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे अक्तूबर 2021 में शुरू किया गया था। इसे 16 मंत्रालयों के प्रयासों को एकीकृत करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, ताकि सभी क्षेत्रों में निर्बाध बुनियादी अवसंरचना परियोजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
- उद्देश्य:
- यह 100 लाख करोड़ रुपए की एक परिवर्तनकारी पहल है, जिसका उद्देश्य अगले पाँच वर्षों में भारत के बुनियादी अवसंरचना में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।
- इसका विकास BISAG-N (भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भूसूचना विज्ञान संस्थान) द्वारा किया गया है।
- यह परियोजनाओं के शीघ्र निष्पादन, समयसीमा में कमी तथा अंतर-मंत्रालयी बाधाओं को दूर कर भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाने में सहायक है।
पीएम गति शक्ति के 6 स्तंभ
- व्यापकता: एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से विभिन्न मंत्रालयों की पहलों को एकीकृत करता है।
- प्राथमिकता निर्धारण: मंत्रालय राष्ट्रीय आवश्यकताओं के आधार पर परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से प्राथमिकता देते हैं।
- अनुकूलन: अंतराल की पहचान करता है, कुशल मार्गों का चयन करता है, लागत कम करता है और विलंब को न्यूनतम करता है।
- समन्वयन: विलंब से बचने के लिये मंत्रालयों के बीच समन्वय।
- विश्लेषणात्मक क्षमताएँ: बेहतर निर्णय लेने के लिये 200+ डाटा परतों वाला GIS-आधारित प्लेटफॉर्म।
- गतिशील निगरानी: प्रगति पर नज़र रखने के लिये उपग्रह इमेजरी का उपयोग करके वास्तविक समय परियोजना निगरानी।
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मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा प्रमुख परियोजनाओं को मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने भोपाल ज़िले की बैरसिया तहसील के बांदीखेड़ी गाँव में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर की स्थापना सहित विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं को मंज़ूरी दी।
मुख्य बिंदु
प्रमुख परियोजनाओं के बारे में:
- इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर (EMC):
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परिचय: भारत सरकार की EMC 2.0 परियोजना के तहत भोपाल ज़िले के बैरसिया तहसील के बांदीखेड़ी गाँव में एक नया इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर स्थापित किया जाएगा।
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EMC 2.0 योजना का लक्ष्य एक मज़बूत इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम विकसित करना, अवसंरचना प्रदान करना तथा परियोजनाओं और साझा सुविधाओं के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।
- उद्देश्य: यह क्लस्टर इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग (ESDM) क्षेत्र को प्रोत्साहित करेगा, जिसमें विश्व-स्तरीय अवसंरचना और कॉमन फैसिलिटी सेंटर (CFC) शामिल होंगे।
- प्रभाव: यह पहल डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं का समर्थन करती है, जिसका उद्देश्य निवेश बढ़ाना, रोज़गार सृजन करना, राजस्व में वृद्धि करना, उद्यमशीलता एवं नवाचार को बढ़ावा देना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
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- नए आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और वेलनेस सेंटर:
- स्थिति: ये नर्मदापुरम, मुरैना, बालाघाट, शाहडोल और सागर सहित विभिन्न स्थानों पर स्थापित किये जाएंगे।
- प्रत्येक महाविद्यालय में 100-बेड अस्पताल, छात्रावास, आवासीय क्वार्टर और फार्मेसी भवन होंगे।
- वित्तपोषण: राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत 350 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है (प्रत्येक महाविद्यालय के लिये 70 करोड़ रुपए, जिसमें केंद्र और राज्य के बीच 60:40 की वित्तीय साझेदारी होगी)।
- उद्देश्य: राज्य के विभिन्न मंडलों में आयुर्वेद आधारित स्वास्थ्य देखभाल और वेलनेस उद्योग को सशक्त बनाना।
- स्थिति: ये नर्मदापुरम, मुरैना, बालाघाट, शाहडोल और सागर सहित विभिन्न स्थानों पर स्थापित किये जाएंगे।
- एंडोक्राइनोलॉजी विभाग:
- मधुमेह और गैर-संक्रामक रोगों के बढ़ते मामलों के मद्देनजर, सरकार ने गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC), भोपाल में पहला समर्पित एंडोक्राइनोलॉजी विभाग स्थापित करने की स्वीकृति दी है।
- 'गीता भवन' योजना:
- उद्देश्य: शहरी स्थानीय निकायों में सुसज्जित अध्ययन केंद्र स्थापित कर पठन, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना।
- लक्ष्य एवं वित्तपोषण: वर्ष 2030 तक प्रत्येक ज़िले में एक 'गीता भवन' स्थापित करने का लक्ष्य, जिसमें निर्माण, विस्तार और रख-रखाव के लिये राज्य सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
- जनजातीय छात्रावासों के लिये छात्रवृत्ति में वृद्धि:
- जनजातीय छात्रावासों में मेस सुविधाओं के लिये छात्रवृत्ति की अवधि 10 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई है, जिसमें उपस्थिति के आधार पर लड़कों के लिये 1,650 रुपए प्रति माह और लड़कियों के लिये 1,700 रुपए प्रति माह की राशि दी जाएगी।
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मध्य प्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम 2025
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसमें कई आधुनिक प्रावधान शामिल किये गए हैं।
मुख्य बिंदु
- सिविल सेवा अवकाश नियम 2025 के बारे में:
- नए अवकाश नियम केंद्र सरकार के मानकों के अनुरूप हैं और वर्ष 1977 के नियमों का स्थान लेंगे।
- उल्लेखनीय परिवर्तनों में शामिल हैं:
- सार्वजनिक मातृत्व अवकाश अब सरोगेट माताओं के लिये भी उपलब्ध होगा।
- पितृत्व अवकाश गोद लेने वाले पिता के लिये 15 दिन का होगा।
- बाल देखभाल अवकाश अब एकल पुरुष कर्मचारियों तक भी विस्तारित किया गया है।
- गंभीर रूप से बीमार और विशेष क्षमता वाले कर्मचारियों के लिये अवकाश आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।