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एशियाई कैनो स्लालम चैंपियनशिप
चर्चा में क्यों?
चीन के गुइझोऊ में प्रतिष्ठित एशियाई कैनो स्लालम चैंपियनशिप में मध्य प्रदेश जल क्रीडा अकादमी की महिला एथलीटों ने महिला कैनो स्लालम टीम स्पर्द्धा में रजत पदक जीता जबकि चीन ने स्वर्ण पदक जीता।
मुख्य बिंदु
- कैनो स्लालम के बारे में:
- कैनो स्लालम में प्रतियोगी एक श्वेत-जल मार्ग पर नौकायन करते हैं, जिसकी लंबाई सामान्यतः 300 मीटर तक होती है। इसमें उन्हें अधिकतम 25 अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम गेटों से होकर गुजरना होता है तथा सबसे कम समय प्राप्त करना होता है।
- चैंपियनशिप में भागीदारी:
- एशियाई कैनो परिसंघ ने 14 से 17 अगस्त वर्ष 2025 तक चैंपियनशिप का आयोजन किया जिसमें भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया सहित 10 देशों और क्षेत्रों के लगभग 100 एथलीट और कोच शामिल हुए।
- भारतीय टीम:
- भारतीय टीम में मध्य प्रदेश की तीन प्रतिभाशाली एथलीट शामिल थीं: शिखा चौहान, पल्लवी जगताप और रीना सेन।
- महत्त्व:
- रजत पदक भारतीय महिला टीम की हाल के वर्षों में सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों में से एक है। यह उपलब्धि जल-क्रीडाओं के क्षेत्र में भारत की प्रगति को भी दर्शाती है, जिसका श्रेय खिलाड़ियों के उन्नत प्रशिक्षण और अंतर्राष्टीय प्रदर्शन को जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय कैनो फेडरेशन (ICF)
- यह कैनो और कायक नौकायन खेलों की वैश्विक सर्वोच्च संस्था है। यह विश्वभर में 10 विधाओं की देखरेख करता है तथा अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) द्वारा मान्यता प्राप्त है।
- पाँच महाद्वीप (अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, यूरोप और ओशिनिया) ICF की कार्यकारिणी समिति और निदेशक मंडल में प्रतिनिधित्व करते हैं।
- प्रत्येक महाद्वीप अपने-अपने महाद्वीपीय अधिवेशन के दौरान महाद्वीपीय प्रतिनिधियों तथा एक अध्यक्ष का निर्वाचन करता है।


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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व
चर्चा में क्यों?
भोपाल स्थित राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) सेंट्रल जोन बेंच ने प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में वार्षिक दर्शन यात्रा (बांधवगढ़ किले तक) की अनुमति देने के लिये राज्य के अधिकारियों को फटकार लगाई है।
- कोर क्षेत्र किसी संरक्षित क्षेत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है जहाँ जैवविविधता और वन्य जीवन की सुरक्षा के लिये मानवीय गतिविधियाँ आमतौर पर प्रतिबंधित होती हैं।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- एक हरित कार्यकर्त्ता ने बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व की जैवविविधता पर बड़े पैमाने पर तीर्थयात्राओं के नकारात्मक प्रभाव को उजागर करते हुए एक याचिका दायर की, जिसमें बाँस की कटाई, अस्वास्थ्यकर शिविर, नदी प्रदूषण और वन्यजीवों का विघटन जैसे मुद्दों का उल्लेख किया गया, जो सभी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972), वन संरक्षण अधिनियम (1980) और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (1986) का उल्लंघन करते हैं।
- सिफारिशें:
- मध्य प्रदेश सरकार को तीन महीने के भीतर यात्राओं को विनियमित करने के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया गया है, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वन्यजीवों को न्यूनतम व्यवधान हो और अंतरिम अवधि में 2012 प्रोजेक्ट टाइगर दिशानिर्देशों का पालन किया जाए।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून द्वारा किये गए वहन क्षमता अध्ययन का हवाला देते हुए, NGT ने दर्ज किया कि हालांकि यह क्षेत्र सैद्धांतिक रूप से 7,000–8,000 तीर्थ यात्रियों को समायोजित सकता है, लेकिन बाघों, हाथियों और अन्य बड़े जानवरों की उपस्थिति के कारण सुरक्षित क्षमता केवल 4,000–5,000 आगंतुकों तक ही सीमित है।
- WII ने केवल वाहनों के माध्यम से प्रवेश, एक महीने पहले ऑनलाइन पंजीकरण और बेहतर भीड़ नियंत्रण की सिफारिश की।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व
- यह मध्य प्रदेश की विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच स्थित है।
- इस पार्क में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, पनपथा वन्यजीव अभयारण्य (कोर क्षेत्र) और आसपास का बफर क्षेत्र शामिल है, जो उमरिया, शहडोल और कतनी ज़िलों में फैला हुआ है।
- राजसी वन्यजीवन: यह स्थान रॉयल बंगाल टाइगर के साथ-साथ तेंदुए, जंगली कुत्ते और गौर जैसे अन्य वन्यजीवों के आवास के लिये प्रसिद्ध है।
- विविध आवास: इस रिज़र्व में घने जंगल, बाँस की वनस्पति, विशाल घास के मैदान और बारहमासी धाराएँ हैं, जो विभिन्न प्रजातियों, विशेष रूप से एकाकी बाघ के लिये समृद्ध वातावरण प्रदान करती हैं।

