मुख्य परीक्षा
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण
- 26 Aug 2025
- 41 min read
संसदीय स्थायी समिति ने राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) की वर्ष 2024 में 11 आवश्यक दवा संरचनाओं पर 50% मूल्य वृद्धि की अनुमति देने के लिये आलोचना की है।
- वर्ष 2024 में NPPA ने औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश, 2013 के तहत और किफायती दवाइयाँ एवं स्वास्थ्य उत्पाद समिति (CAMPH), नीति आयोग के मार्गदर्शन में, बैक्टीरियल संक्रमण, दमा (Asthma) और द्विध्रुवी विकार (Bipolar Disorder) के उपचार में प्रयुक्त दवाओं सहित कई दवाओं की कीमतों में वृद्धि को मंजूरी दी।
दवा मूल्य निर्धारण पर स्थायी समिति के प्रमुख अवलोकन और सिफारिशें क्या हैं?
- प्रमुख अवलोकन:
- सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर चिंता: रसायन और उर्वरक पर संसदीय स्थायी समिति ने मूल्य वृद्धि के संभावित नकारात्मक प्रभावों पर गंभीर चिंता जताई, विशेष रूप से आवश्यक दवाओं की वहनीयता और उपलब्धता के संदर्भ में।
- सीमित औचित्य: समिति ने नोट किया कि NPPA ने मूल्य वृद्धि का औचित्य उत्पादन लागत, सक्रिय औषधि संघटक (API) और विनिमय दरों में बढ़ोतरी के आधार पर दिया, लेकिन दवाओं की वहनीयता पर इसके प्रभाव को पर्याप्त रूप से नहीं आँका गया।
- कैंसर दवा मूल्य निर्धारण में नियामकीय कमियाँ: राज्यसभा की याचिका समिति ने देखा कि NLEM 2022 में मूल्य नियंत्रण के तहत आने वाली कैंसर-रोधी दवाओं की संख्या 40 से बढ़कर 63 हो गई, लेकिन बड़ी संख्या में ऑन्कोलॉजी दवाएँ अब भी औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश, 2013 से बाहर हैं।
- संवैधानिक मूल्य नियंत्रण की इस कमी के कारण कैंसर दवाओं की कीमतें बहुत अधिक और प्राय: वहनीयता से बाहर हो जाती हैं, जिससे रोगियों की पहुँच गंभीर रूप से सीमित हो जाती है।
- प्रमुख सिफारिशें:
- मूल्य वृद्धि तंत्र पर पुनर्विचार: समिति ने सिफारिश की कि NPPA अपने निर्णय-निर्माण प्रक्रिया की पुनः समीक्षा करे, ताकि मूल्य वृद्धि तार्किक और जनता के लिये वहनीय बनी रहे।
- महत्त्वपूर्ण दवाओं पर मूल्य नियंत्रण का विस्तार: समिति ने सरकार से आग्रह किया कि मूल्य नियंत्रण नियमों का दायरा बढ़ाया जाएँ, विशेषकर ऑन्कोलॉजी दवाओं पर, ताकि वे पूरे जनसमूह के लिये सुलभ और किफायती हों।
- मूल्य समायोजन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना: समिति ने ज़ोर दिया कि भविष्य की किसी भी मूल्य वृद्धि में पारदर्शिता होनी चाहिये और उसे स्पष्ट मानदंडों के आधार पर लागू किया जाना चाहिये, जो जनकल्याण तथा रोगी की पहुँच को प्राथमिकता दें।
- गैर-आवश्यक दवाओं पर कड़ी निगरानी: समिति ने सिफारिश की कि NPPA को गैर-आवश्यक दवाओं पर निगरानी मज़बूत करनी चाहिये और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि निर्माता बिना उचित औचित्य के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) में वार्षिक 10% से अधिक की वृद्धि न कर सकें।
- नियमित निगरानी और समावेशन: समिति ने दवाओं की कीमतों की नियमित निगरानी और अधिक व्यापक दवाओं को मूल्य नियंत्रण के दायरे में शामिल करने की सिफारिश की, ताकि आम जनता को सुलभ व किफायती दवाएँ मिल सकें।
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) क्या है?
- परिचय: NPPA भारत में दवा मूल्य निर्धारण का स्वतंत्र नियामक है, जो दवाओं की उपलब्धता और वहनीयता सुनिश्चित करता है।
- इसे वर्ष 1997 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत फार्मास्यूटिकल्स विभाग के तहत स्थापित किया गया था।
- यह उपभोक्ताओं की वहनीयता और उद्योग के विकास के बीच संतुलन बनाता है तथा भारत की भूमिका को “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” के रूप में मज़बूत करता है।
- भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग का मूल्य 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2023-24) है और अनुमान है कि वर्ष 2030 तक यह 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
- पहुँच और पारदर्शिता: NPPA ने 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्राइस मॉनिटरिंग एंड रिसर्च यूनिट्स (PMRU) स्थापित करके अपने विस्तार को बढ़ाया है और फार्मा सही दाम (दवाओं की मूल्य जानकारी) तथा फार्मा जन समाधान (शिकायत निवारण) जैसे सार्वजनिक प्लेटफार्मों का संचालन करता है।
- इंटीग्रेटेड फार्मास्यूटिकल डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम 2.0 (IPDMS) डिजिटल प्रणाली फार्मास्युटिकल क्षेत्र में निगरानी, पारदर्शिता और जवाबदेही को मज़बूत करती है।
भारत में फार्मा क्षेत्र के नियम
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940
- ओषधि और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम, 1954
- राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 और औषधि प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना
और पढ़ें: भारत के फार्मास्युटिकल परिदृश्य का पुनरुद्धार। |
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में आवश्यक दवाओं के मूल्य निर्धारण में रोगियों की सामर्थ्य और दवा उद्योग की स्थिरता के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ):
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से भारत में सूक्ष्मजीवी रोगजनकों में बहु-दवा प्रतिरोध की घटना के कारण हैं? (2019)
- कुछ लोगों की आनुवंशिक प्रवृत्ति
- बीमारियों को ठीक करने के लिये एंटीबायोटिक दवाओं की गलत खुराक लेना
- पशुपालन में एंटीबायोटिक का प्रयोग
- कुछ लोगों में कई पुरानी बीमारियाँ
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4
उत्तर: (b)
मेन्स:
प्रश्न. भैषजिक कंपनियों के द्वारा आयुर्विज्ञान के पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट कराने से भारत सरकार किस प्रकार रक्षा कर रही है? (2019)