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शासन व्यवस्था

दवा नियामक प्राधिकरण की भूमिका कमजोर

  • 23 Jan 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा नीति आयोग के अंतर्गत दवाओं के मूल्य नियंत्रण के संबंध में एक समिति गठित की गई।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • नीति आयोग के तहत गठित समिति अब दवाओं पर मूल्य नियंत्रण निर्धारित करेगी, जबकि पहले इसका निर्धारण राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल्स मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceuticals Pricing Authority-NPPA) द्वारा किया जाता था।
  • वर्तमान में NPPA एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्यरत है अब तक यह देश की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक दवाओं (National List of Essential Medicines-NLEM) एवं उत्पादों की कीमतों को नियंत्रित करता था लेकिन इस नये आदेश के आने से दवाओं के मूल्य नियंत्रण पर समस्त शक्तियाँ इस समिति के पास आ गई हैं।

समिति के गठन की घोषणा

  • हाल ही में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा सस्ती दवाओं और स्वास्थ्य उत्पादों पर एक स्थाई समिति(Standing Committee on Affordable Medicines and Health Products-SCAMHP) गठित करने की घोषणा की गई जिसमे नीति आयोग के साथ-साथ वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव, NLEM के उपाध्यक्ष, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (Department of Industrial Policy & Promotion-DIPP) के संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, बायोमेडिकल उपकरणों/फार्मास्यूटिकल्स से संबंधित विशेषज्ञ शामिल होंगे।
  • इस आदेश के अनुसार, SCAMHP दवाओं और स्वास्थ्य उत्पादों की कीमतों के बारे में NPPA के लिये एक सिफारिश निकाय होगी।
  • वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्रालय, उचित दवाओं के मूल्य विनियमन के लिये सूची तैयार करता है। तत्पश्चात फार्मास्यूटिकल्स विभाग (DOP) इन आवश्यक दवाओं को राष्ट्रीय सूची के तहत (National List of Essential Medicines-NLEM) ड्रग्स (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO) की अनुसूची 1 में शामिल करता है। इसके बाद NPPA इस अनुसूची में दवाओं की कीमतें तय करता है।
  • NLEM के अंतर्गत सूचीबद्ध दवाओं एवं उपकरणों को NPPA द्वारा निर्धारित मूल्य पर बेचा जाना चाहिए, जबकि गैर-अनुसूचित सूची वाली दवाइयों को वर्ष में अधिकतम मूल्य में 10% वृद्धि की अनुमति है। वर्तमान में भारत में आवश्यक दवाओं की सूची में 750 से अधिक दवाइयाँ शामिल हैं।

पृष्ठभूमि

  • वर्तमान प्रणाली पिछले वर्ष प्रधानमंत्री कार्यालय में नीति आयोग द्वारा दी गई दवाओं के मूल्य निर्धारण प्रक्रिया का अनुसरण करती है, जिसमे दो समितियों के गठन करने का सुझाव दिया गया था पहला आवश्यक दवाओं को सूचीबद्ध करने के लिये और दूसरा इन दवाइयों मूल्य नियंत्रण के तहत लाने के लिये।
  • इस सुझाव के बाद ही स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक के तहत आवश्यक दवाओं पर समिति का गठन किया गया।
  • इस प्रणाली के अनुसार, समिति अपनी इच्छानुसार या DoP, NPPA तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की सिफारिशों पर मूल्य निर्धारण परीक्षण के मुद्दों पर विचार कर सकती है।

पैरा 19 की शक्तिओं के संबंध में

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  • NPPA दिये गए पैरा 19 की शक्तियों का प्रयोग सार्वजानिक हित के लिये करती है।
  • 2013 से सरकार द्वारा NPPA को यह शक्तियाँ प्राप्त हैं जिसका प्रयोग वह अनुसूचित और गैर-अनुसूचित दवाओं के मूल्य निर्धारण के संबंध में करती है।
  • 2017 में, NPPA की इन्ही शक्तियों के अंतर्गत कार्डिएक दवाओं (Cardiac Drugs), स्टेंट (Stents) और घुटना प्रत्यारोपण (Knee Implants) की कीमतों में वृद्धि की गई।

औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग

  • इसकी स्थापना 1995 में हुई, 2000 में औद्योगिक विकास विभाग में विलय करके इसका पुनर्गठन किया गया था।
  • यह भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

नीति आयोग (NITI Aayog)

  • इसका पूरा नाम ‘नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (National Institution for Transforming India-NITI) है।
  • यह एक ‘थिंक टैंक’ है, जिसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना है।

स्रोत – लाइव मिंट

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