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शासन व्यवस्था

केरल ने किया दवा कीमत निगरानी इकाई का गठन

  • 05 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केरल राज्य ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (Drugs Price Control Order-DPCO) के तहत आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कीमतों के उल्लंघन की जाँच करने के लिये एक मूल्य निगरानी और अनुसंधान इकाई (Price Monitoring and Research Units) स्थापित करने वाला पहला राज्य बन गया।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • केरल सरकार का यह प्रयास नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (National Pharmaceutical Pricing Authority-NPPA) द्वारा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये इस तरह की व्यवस्था प्रस्तावित करने के लगभग पाँच साल बाद आया है।
  • केरल के स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर (State Drugs Controller) ने बताया कि इस इकाई (Unit) के कामकाज को सुचारु रूप से चलाने के लिये केंद्रीय सहायता प्राप्त करने हेतु एक सोसायटी को पंजीकृत किया गया था।
  • इनके अनुसार बुनियादी ढाँचा स्थापित होते ही नया कार्यालय प्रभाव में आ जाएगा।
  • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कर्मचारियों की भर्ती और बुनियादी ढाँचे के लिये तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। केरल दूसरी श्रेणी में आता है, जिसकी जनसंख्या 3% से कम है, लेकिन देश की कुल जनसंख्या का 1% से अधिक है।
  • राज्य में एक परियोजना समन्वयक, दो फील्ड जाँचकर्ता और दो डेटा एंट्री ऑपरेटर होंगे।
  • इस इकाई द्वारा राज्य ड्रग्स कंट्रोल विंग की मदद किये जाने की उम्मीद जताई गई है, जो कर्मचारियों की भारी कमी के चलते गंभीर रूप से प्रभावित है। इस इकाई के सहयोग से दवा की कीमतों को अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकेगा।
  • सूत्रों के अनुसार, केरल में एक साल में लगभग 10,000 करोड़ रुपए की दवाइयाँ बेची जाती हैं, जबकि सार्वजनिक संस्थानों के दवा खरीद के आधिकारिक आँकड़ों का खुलासा नहीं किया गया है।

वर्तमान स्थिति

  • वर्तमान में कोई मूल्य नियंत्रण समीक्षा तंत्र नहीं है। राज्य का स्वास्थ्य सचिव इस इकाई का अध्यक्ष होगा तथा ड्रग्स नियंत्रक इसका सदस्य सचिव।
  • इसके अन्य सदस्यों में एक राज्य सरकार का प्रतिनिधि, निजी दवा कंपनियों के प्रतिनिधि, और उपभोक्ता अधिकार संरक्षण मंच भी शामिल हैं। ड्रग्स कंट्रोलर की अध्यक्षता में सोसायटी की एक कार्यकारी समिति भी होगी।
  • यह नई इकाई ‘स्टेट ड्रग कंट्रोलर्स’ और NPPA को अनुसूचित के साथ ही गैर-अनुसूचित दवाओं की सुनिश्चित कीमतों की निगरानी करने, DPCO के प्रावधानों के उल्लंघन का पता लगाने, कीमत के अनुपालन पर नज़र रखने, दवाओं के परीक्षण के नमूने एकत्र करने और बाज़ार-आधारित डेटा एकत्र करने में तकनीकी मदद उपलब्ध करेगी।
  • फार्मा कंपनियों पर DPCO द्वारा तय की गई श्रेणी की दवाओं की कीमतों पर ओवरचार्ज करने का आरोप लगाया गया है जबकि यह कार्य इसके दायरे से बाहर हैं।
  • PMRU स्थापित करने का सुझाव NPPA और राज्य ड्रग्स कंट्रोलर और राज्य ड्रग इंस्पेक्टरों के बीच दवा की कीमतों की निगरानी के लिये एक फील्ड-स्तरीय लिंक की कमी की पृष्ठभूमि के खिलाफ किया गया था।

स्रोत – द हिंदू

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