प्रारंभिक परीक्षा
सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना
चर्चा में क्यों?
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय राज्य मंत्री ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के प्रभावी उपयोग के लिये संशोधित MPLADS दिशा-निर्देश, 2023 में विस्तृत प्रावधान प्रस्तुत किये।
MPLADS योजना क्या है?
- MPLADS: MPLAD वर्ष 1993 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो संसद सदस्यों (सांसदों) को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाती है, जो स्थानीय ज़रूरतों के आधार पर सतत् सामुदायिक परिसंपत्तियों पर ध्यान केंद्रित करती है।
- राज्यसभा सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र के किसी भी ज़िले में कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं, जबकि मनोनीत सांसद देश के किसी भी राज्य में किसी भी ज़िले को चुन सकते हैं।
- कार्यान्वयन: राज्य नोडल विभाग इस योजना की निगरानी करता है, जबकि ज़िला प्राधिकरण परियोजना स्वीकृति, निधि आवंटन और कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- वित्त पोषण आवंटन: प्रत्येक सांसद को 2011-12 से प्रति वर्ष 5 करोड़ रुपए आवंटित किये जाते हैं, जो सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) द्वारा ज़िला प्राधिकारियों को 2.5 करोड़ रुपए की दो किस्तों में वितरित की जा रही थी।
- यह निधि व्यपगत नहीं होती है तथा यदि किसी वर्ष में इसका उपयोग नहीं किया जाता है तो इसे आगे बढ़ाया जा सकता है।
- सांसदों को अपने कोष का न्यूनतम 15% और 7.5% क्रमशः अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिये परिसंपत्तियाँ बनाने हेतु आवंटित करना होगा।
- विशेष प्रावधान: सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र या राज्य के बाहर राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं पर प्रति वर्ष 25 लाख रुपए तक व्यय कर सकते हैं तथा गंभीर प्राकृतिक आपदाओं के बाद राहत के लिये भारत में कहीं भी 1 करोड़ रुपए तक खर्च कर सकते हैं।
- अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण: निधियों को स्वच्छ भारत मिशन (SBM), परिसंपत्ति निर्माण के लिये MGNREGS के साथ अभिसरित किया जा सकता है या खेल अवसंरचना के लिये खेलो इंडिया से जोड़ा जा सकता है।
- पात्र कार्य: निधियों का उपयोग सरकारी भूमि पर अचल संपत्तियाँ बनाने और सरकारी स्वामित्व/नियंत्रण या अनुदान प्राप्त संस्थानों के लिये चल संपत्तियाँ तैयार करने में किया जा सकता है।
- निधि का उपयोग सहायता पंजीकृत सामाजिक कल्याण सोसाइटी की भूमि (≥3 वर्ष) पर अनुमत है, बशर्ते सांसद/उनके परिवार की भागीदारी न हो।
- निधियों का उपयोग न्यायालय परिसर में बार एसोसिएशन भवनों के लिये भी किया जा सकता है, लेकिन आवर्ती खर्चों के लिये नहीं।
MPLADS योजना के अंतर्गत निगरानी तंत्र क्या है?
एजेंसी/संस्था | कार्य |
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) |
निधि प्रवाह की निगरानी करता है, वार्षिक समीक्षा करता है, प्रगति रिपोर्ट प्रकाशित करता है तथा कैग (CAG) द्वारा अनुमोदित ऑडिट सुनिश्चित करता है। |
केंद्रीय नोडल एजेंसी |
परियोजना क्रियान्वयन की समीक्षा करती है तथा ऑडिट प्रक्रियाओं का प्रबंधन करती है। |
राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारें |
निगरानी समितियों का गठन करती हैं, प्रत्येक वर्ष कम-से-कम 1% कार्यों का निरीक्षण करती हैं तथा उच्च-मूल्य वाली परियोजनाओं के लिये तृतीय-पक्ष ऑडिट कराती हैं। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को सांसद द्वारा अनुशंसित परियोजनाओं के शीघ्र निष्पादन हेतु तकनीकी, वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति शक्तियाँ पूर्ण रूप से कार्यान्वयन ज़िला प्राधिकरण को सौंपनी होती हैं। |
ज़िला प्राधिकरण |
प्रत्येक वर्ष न्यूनतम 10% कार्यों का निरीक्षण करता है तथा फोटोग्राफिक दस्तावेज़ीकरण बनाए रखता है। |
कार्यान्वयन एजेंसियाँ |
स्थल निरीक्षण करती हैं तथा पूर्ण किये गए कार्यों का 100% सत्यापन सुनिश्चित करती हैं। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के अंतर्गत निधियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं? (2020)
- MPLADS निधियाँ टिकाऊ परिसंपतियों जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की भौतिक आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में ही प्रयुक्त हो सकती हैं।
- प्रत्येक सांसद की निधि का एक निश्चित अंश अनुसूचित जाति/जनजाति जनसंख्या के लाभार्थ प्रयुक्त होना आवश्यक है।
- MPLADS निधियाँ वार्षिक आधार पर स्वीकृत की जाती हैं और अप्रयुक्त निधि को अगले वर्ष के लिये अग्रेषित नहीं किया जा सकता।
- कार्यान्वित हो रहे सभी कार्यों में से कम-से-कम 10% कार्यों का ज़िला प्राधिकारी द्वारा प्रतिवर्ष निरीक्षण करना अनिवार्य है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) केवल 1, 2 और 4
उत्तर: (d)
प्रारंभिक परीक्षा
ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्ज़र्वेटरी (OCO)
चर्चा में क्यों?
अमेरिका ने नासा को निर्देश दिया है कि वह दो महत्त्वपूर्ण उपग्रहों, OCO-2 और OCO-3 के शीघ्र संचालन-समापन की तैयारी करे, जो वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का पता लगाते हैं और फसलों के स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं।
ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्ज़र्वेटरी (OCO) क्या है?
- परिचय: OCO नासा के पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों की एक शृंखला हैं, जिन्हें CO₂ के स्रोतों और अवशोषकों (Sinks) का पता लगाने और उनके वैश्विक जलवायु प्रणालियों पर प्रभाव के विषय में महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करने हेतु बनाया गया है।
- पहला मिशन, OCO (2009), प्रक्षेपण यान के फेयरिंग में समस्या के कारण विफल हो गया।
- हालाँकि, इसके बाद का मिशन, OCO-2 (2014), सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हुआ, जिसने वायुमंडलीय CO₂ को मापा, उसके स्रोतों और अवशोषकों की पहचान की तथा पौधों के प्रकाश-संश्लेषण की ‘दीप्ति’ के माध्यम से फसलों के स्वास्थ्य पर नज़र रखी।
- यह सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-synchronous polar orbit) में संचालित होता है, जिससे यह प्रतिदिन एक ही समय पर किसी भी स्थान का अवलोकन कर सकता है।
- ISS में स्थापित OCO-3 (2019) हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जिससे दिन में कई बार एक ही स्थान का अवलोकन संभव होता है और OCO-2 को पूरक डेटा उपलब्ध होता है।
- महत्त्व: OCO उपग्रह वैश्विक स्तर पर उच्च-रिज़ॉल्यूशन CO₂ डेटा प्रदान करते हैं, जो मौसमी और क्षेत्रीय उतार-चढ़ाव को ट्रैक करता है।
- दशकों तक उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को पृथ्वी के फेफड़ों के रूप में जाता था, जो बड़ी मात्रा में CO₂ को अवशोषित करते हैं। हालाँकि, OCO-2 के आँकड़ों से पता चला कि उच्च अक्षांशों में स्थित शंकुधारी वनों (टाइगा) यानी बोरियल फॉरेस्ट भी CO₂ अवशोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- इसके अतिरिक्त, OCO के आँकड़ों से यह भी सामने आया कि अनावृष्टि या वनों की कटाई जैसी घटनाओं के दौरान प्राकृतिक कार्बन सिंक, कार्बन के स्रोत में बदल सकते हैं।
- प्रकाश संश्लेषण से उत्पन्न प्रकाश का पता लगाकर, OCO वैश्विक पादप वृद्धि का मानचित्र तैयार करते हैं, जिससे जलवायु शमन, उत्सर्जन में कमी और नीति निर्माण में सहायता मिलती है।
CO₂ और वैश्विक कार्बन चक्र
- परिचय: CO₂ एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है जो उस ऊष्मा को अवशोषित करती है, जिसका निर्गमन वापिस अंतरिक्ष में होता है और यह जीवन एवं पृथ्वी के वायुमंडलीय संतुलन को बनाए रखने के लिये आवश्यक है।
- CO₂ के स्रोत: जीवाश्म ईंधन का दहन, श्वसन, निर्वनीकरण और कार्बनिक पदार्थों का अपघटन।
- CO₂ के अवशोषक (Sinks): वनस्पति, वन और महासागर, जो मानव-निर्मित CO₂ का लगभग आधा भाग अवशोषित करते हैं।
- वैश्विक कार्बन चक्र: वैश्विक कार्बन चक्र वायुमंडल, महासागर, भूमि और जीवाश्म ईंधनों के बीच कार्बन का आदान-प्रदान है, जो कुछ सेकंड (प्रकाश संश्लेषण) से लेकर सहस्राब्दियों (जीवाश्म ईंधन का निर्माण) तक की अवधि में होता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. कार्बन डाइऑक्साइड के मानवोद्भवी उत्सर्जनों के कारण आसन्न भूमंडलीय तापन के न्यूनीकरण के संदर्भ में, कार्बन प्रच्छादन हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा/से संभावित स्थान हो सकता/सकते है/हैं ? (2017)
- परित्यक्त एवं गैर-लाभकारी कोयला संस्तर
- निःशेष तेल एवं गैस भण्डार
- भूमिगत गभीर लवणीय शैलसमूह
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3
उत्तर: (d)
प्रश्न. कृषि में शून्य-जुताई (Zero-Tillage) का/के क्या लाभ है/हैं? (2020)
- पिछली फसल के अवशेषाें को जलाए बिना गेहूँ की बुआई संभव है।
- चावल की नई पौध की नर्सरी बनाए बिना, धान के बीजाें का नम मृदा में सीधे रोपण संभव है।
- मृदा में कार्बन पृथक्करण संभव है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)
चर्चित स्थान
डार्डानेल्स जलडमरूमध्य
उत्तर-पश्चिमी तुर्की में वनाग्नि के कारण डार्डानेल्स जलडमरूमध्य को समुद्री यातायात के लिये अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
- डार्डानेल्स जलडमरूमध्य उत्तर-पश्चिमी तुर्की में स्थित एक महत्त्वपूर्ण संकीर्ण जलमार्ग है। यह यूरोप में स्थित गैलीपोली प्रायद्वीप को एशिया माइनर (एशिया के मुख्य भू-भाग) से अलग करता है।
- यह एजियन सागर को मरमरा सागर से जोड़ता है, जिससे बोस्फोरस जलडमरूमध्य के माध्यम से काला सागर तक आवागमन संभव होता है।
- डार्डानेल्स जलडमरूमध्य पर स्थित प्रमुख बंदरगाह गैलीपोली, इसाबात और कानाक्कले हैं, जो सभी तुर्की में स्थित हैं।
- ऐतिहासिक महत्त्व– डार्डानेल्स जलडमरूमध्य कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है, जिनमें फारसी आक्रमण (480 ईसा पूर्व) और प्रथम विश्व युद्ध का गैलीपोली अभियान शामिल हैं।
और पढ़ें: गैलीपोली की लड़ाई |
रैपिड फायर
OMC मुआवजा और PMUY सब्सिडी विस्तार
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (Oil Marketing Companies- OMC) को बजटीय सहायता देने की मंज़ूरी दी है, ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से कम दर पर LPG सिलेंडर बेचने से हुए नुकसान की भरपाई कर सकें।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिये प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत प्रति वर्ष 9 रिफिल तक 14.2 किलो सिलेंडर पर प्रति सिलेंडर 300 रुपए की लक्षित LPG सब्सिडी [प्रत्यक्ष हस्तांतरण लाभ (PAHAL) DBT योजना के माध्यम से] जारी रखने का भी निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)
- परिचय: वर्ष 2016 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) द्वारा ऐसे ग्रामीण तथा वंचित परिवारों, जोकि ईंधन के रूप में जलावन लकड़ी, कोयला, गोबर के उपले आदि जैसे पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन का उपयोग कर रहे थे, के लिये LPG जैसे स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई।
- उज्ज्वला 2.0: उज्ज्वला 2.0 (चरण 2) के अंतर्गत, विशेष प्रावधान प्रवासी परिवारों को पते के प्रमाण या राशन कार्ड की आवश्यकता के बजाय स्व-घोषणा के माध्यम से LPG कनेक्शन प्राप्त करने की अनुमति देते हैं।
- पात्रता: 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएँ, जिनके पास मौजूदा LPG कनेक्शन नहीं हैं, जो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण, अति पिछड़ा वर्ग, AAY, जनजातीय समूह, वनवासी, द्वीप निवासी, SECC-सूचीबद्ध परिवार या अन्य गरीब परिवारों जैसी श्रेणियों से संबंधित हैं।
- मुख्य लाभ: लाभार्थी परिवारों को खाना बनाने के लिये गैस सिलेंडरों पर सब्सिडी प्राप्त होती है।
- इससे घर के अंदर वायु प्रदूषण कम होने से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, महिलाओं के कठिन परिश्रम में कमी आई है, वनों की कटाई कम होने से पर्यावरण संरक्षण हुआ है तथा स्वच्छ ईंधन से खाना पकाना आसान होने से पोषण में वृद्धि हुई है।
- उपलब्धियाँ: जुलाई 2025 तक, देशभर में 10.33 करोड़ से अधिक पीएमयूवाई (PMUY) कनेक्शन जारी किए गए हैं।
- वर्ष 2019 से 2024 के बीच PMUY लाभार्थियों में प्रति व्यक्ति LPG की औसत खपत लगभग 49% बढ़ी है, जो LPG उपयोग में वृद्धि को दर्शाती है।
और पढ़ें: भारत में एलपीजी सब्सिडी पहल |
रैपिड फायर
आर्मेनिया - अज़रबैजान शांति समझौता
अमेरिका की मध्यस्थता से आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं, जो नागोर्नो-काराबाख पर लंबे समय से चल रहे संघर्ष को हल करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- शांति समझौता: दोनों देशों ने एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का संकल्प लिया, जिससे लगभग चार दशकों से चल रहा संघर्ष समाप्त हो गया है। इस समझौते में पारस्परिक क्षेत्रीय दावों को छोड़ने, बल प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने और अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
- अमेरिकी भूमिका और सामरिक महत्त्व: अमेरिका को दक्षिण काकेशस में 'ट्रंप मार्ग फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी' नामक ट्रांज़िट कॉरिडोर के विकास के विशेषाधिकार प्राप्त हुए हैं।
- नागोर्नो-काराबाख संघर्ष: नागोर्नो-काराबाख दक्षिण काकेशस में स्थित एक पहाड़ी और स्थलवर्ती क्षेत्र है। काकेशस एक पर्वतीय क्षेत्र है जो काला सागर और कैस्पियन सागर के बीच फैला हुआ है, और इसमें रूस, जॉर्जिया, अज़रबैजान और आर्मेनिया शामिल हैं।
- वर्ष 1917 में रूसी साम्राज्य के पतन के बाद, आर्मेनिया और अज़रबैजान दोनों ने नागोर्नो-काराबाख पर दावा किया, जिससे लंबे समय तक तनाव बना रहा। वर्ष 1994 में हुए युद्धविराम के बाद नागोर्नो-काराबाख पर अर्मेनियाई समर्थित बलों का नियंत्रण हो गया, हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह क्षेत्र अज़रबैजान का हिस्सा माना जाता रहा।
- वर्ष 2023 में एक सैन्य अभियान के बाद अज़रबैजान ने नागोर्नो-काराबाख पर पुनः नियंत्रण स्थापित कर लिया, जिससे हज़ारों जातीय अर्मेनियाई लोग वहां से विस्थापित हो गए।
- भारत का रुख: भारत इस शांति समझौते का समर्थन करता है, क्योंकि वह आर्मेनिया और अज़रबैजान को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का हिस्सा मानता है। यह परियोजना भारत के व्यापार मार्गों के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो भारत को रूस से जोड़ती है।
- इसके अतिरिक्त, भारत की आर्मेनिया के साथ मैत्री एवं सहयोग संधि (1995) भी है।
और पढ़ें: नागोर्नो-काराबाख संघर्ष का समाधान |