प्रारंभिक परीक्षा
निसार उपग्रह
- 31 Jul 2025
- 42 min read
स्रोत: द हिंदू
राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह, एक पृथ्वी अवलोकन मिशन, श्रीहरिकोटा से इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
निसार (NISAR) उपग्रह के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar), जिसे ISRO और NASA द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है, यह एकल प्लेटफॉर्म से दोहरी आवृत्ति रडार ((L-बैंड और S-बैंड) का उपयोग करने वाला पहला उपग्रह मिशन है, जिसमें पोलरिमेट्रिक और इंटरफेरोमेट्रिक डेटा सहित उन्नत माइक्रोवेव इमेजिंग क्षमताएँ हैं।
- तकनीकी सुविधाओं:
- ड्यूल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR):
- L-बैंड SAR (नासा द्वारा): यह वन आच्छादन, बर्फ और मिट्टी में प्रवेश कर सकता है; बायोमास और ज़मीन के बदलावों के अध्ययन के लिये उपयोगी।
- S-बैंड SAR (इसरो द्वारा): फसलें, आर्द्रभूमियाँ और सतही विशेषताओं की निगरानी के लिये उपयुक्त।
- प्रक्षेपण यान: भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क II (GSLV Mk II) (विशेष रूप से GSLV-F16 संस्करण), भारत का सबसे बड़ा रॉकेट, एक व्यय योग्य तीन-चरणीय प्रक्षेपण यान है।
- निसार मिशन के तहत इसरो पहली बार किसी उपग्रह को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करने के लिये GSLV का उपयोग कर रहा है।
- मिशन की अवधि: 5 वर्ष.
- चरण: मिशन में चार चरण शामिल हैं- प्रक्षेपण, तैनाती, कमीशनिंग और वैज्ञानिक संचालन।
- तैनाती चरण में उपग्रह से 9 मीटर की दूरी पर 12 मीटर का एंटीना लगाया जाएगा, जिसमें पहले 90 दिनों में कमीशनिंग की जाएगी तथा उसके बाद मिशन के बाकी भाग में वैज्ञानिक संचालन किये जाएंगे।
- ड्यूल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR):
- मिशन के उद्देश्य और कवरेज: NISAR मिशन पृथ्वी पर भूमि परिवर्तनों की निगरानी के लिये प्रत्येक 12 दिनों में हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्रदान करेगा।
- यह भूकंप, भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधि के कारण होने वाली भूमि विकृति पर नज़र रखेगा।
- वनों की बायोमास मात्रा और कार्बन स्टॉक का मापन।
- यह फसल विस्तार और विकास चक्र जैसे कृषि पैटर्न की निगरानी करता है तथा मौसमी और जलवायु परिवर्तनों के कारण आर्द्रभूमि में होने वाले परिवर्तनों का आकलन करता है।
- आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों में ग्लेशियर और समुद्री बर्फ के पिघलने सहित क्रायोस्फीयर गतिशीलता का अध्ययन करना।
- भारत के लिये महत्त्व: NISAR भारत-अमेरिका अंतरिक्ष संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, यह प्रक्षेपण भारत के एक वैश्विक विज्ञान साझेदार या ' विश्व बंधु ' के रूप में उदय को दर्शाता है।
- यह आपदा प्रबंधन, कृषि और जलवायु निगरानी का समर्थन करता है।
- इसके अलावा, भारत आर्टेमिस समझौते में शामिल हो गया है तथा मानव अंतरिक्ष उड़ान पर नासा के साथ सहयोग किया है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में एक गहरी साझेदारी को दर्शाता है।
रडार बैंड क्या है?
- रडार बैंड्स: लगभग 10 किलोहर्ट्ज़ (kHz) से 100 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) के बीच की आवृत्तियों वाली विद्युतचुंबकीय तरंगों को रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) कहा जाता है।
- इन RF को समान विशेषताओं वाले समूहों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें "बैंड्स" कहा जाता है, जैसे कि "S-बैंड," "L-बैंड" आदि।
- सामान्य रडार बैंड्स: रडार प्रणालियों में सामान्यतः उपयोग किये जाने वाले बैंड।
बैंड |
अनुमानित तरंगदैर्घ्य की सीमा (सेमी) |
अनुमानित आवृत्तियाँ |
UHF |
100 - 10 सेमी |
300 - 3000 मेगाहर्ट्ज़ (MHz) |
L |
30 - 15 सेमी |
1 - 2 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) |
S |
15 - 7.5 सेमी |
2 - 4 GHz |
C |
7.5 - 3.75 सेमी |
4 - 8 GHz |
X |
3.75 - 2.4 सेमी |
8 - 12 GHz |
K |
2.4 - 0.75 सेमी |
12 - 40 GHz |
Q |
0.75 - 0.6 सेमी |
40 - 50 GHz |
V |
0.6 - 0.4 सेमी |
50 - 80 GHz |
W |
0.4 - 0.3 सेमी |
80 - 90 GHz |
महत्त्व:
- निम्न आवृत्ति बैंड (L, S) वर्षा, बादल और वनस्पति के आर-पार जा सकते हैं, जिससे नक्शा निर्माण और पृथ्वी अवलोकन में सहायता मिलती है।
- उच्च आवृत्ति बैंड (X, Q, V, W) तेज़ और उच्च गुणवत्ता वाली छवियाँ प्रदान करते हैं, लेकिन ये मौसम और वायुमंडलीय स्थितियों से अधिक प्रभावित होते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न: निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (2014) अन्तरिक्ष यान प्रयोजन
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |