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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत आर्टेमिस समझौते में शामिल

  • 04 Jul 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आर्टेमिस समझौता, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, वर्ष 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि, संयुक्त राष्ट्र, अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली, चंद्रयान-3 मिशन, गगनयान

मेन्स के लिये:

आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत मिशन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान आर्टेमिस समझौते में शामिल होने की घोषणा की।

आर्टेमिस समझौता:

  • परिचय:
    • आर्टेमिस समझौता अमेरिकी विदेश विभाग और NASA द्वारा सात अन्य संस्थापक सदस्यों- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इटली, जापान, लक्ज़मबर्ग, संयुक्त अरब अमीरात और यूनाइटेड किंगडम के साथ वर्ष 2020 में नागरिक अन्वेषण को नियंत्रित करने तथा शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये चंद्रमा, मंगल, धूमकेतु, क्षुद्रग्रह तथा बाहरी अंतरिक्ष के उपयोग के लिये सामान्य सिद्धांत स्थापित किये गए हैं।
    • यह वर्ष 1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि की नींव पर आधारित है।
      • बाह्य अंतरिक्ष संधि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून की नींव के रूप में कार्य करती है जो संयुक्त राष्ट्र के तहत एक बहुपक्षीय समझौता है।
      • यह संधि अंतरिक्ष को मानवता के लिये साझा संसाधन के रूप में महत्त्व देती है, राष्ट्रीय विनियोग पर रोक लगाती है और अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करती है।
  • हस्ताक्षरकर्ता देश:

  • भारत गैर-बाध्यकारी आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला 27वाँ देश बन गया।
  • समझौते के तहत प्रतिबद्धताएँ:
    • शांतिपूर्ण उद्देश्य: हस्ताक्षरकर्ता अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये अंतरिक्ष गतिविधियों का संचालन करने हेतु सरकारों या एजेंसियों के बीच समझौता ज्ञापन (MOU) को लागू करेंगे।
    • सामान्य अवसंरचना: हस्ताक्षरकर्ता वैज्ञानिक खोज और वाणिज्यिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिये साझा अन्वेषण बुनियादी ढाँचे के महत्त्व को स्वीकार करते हैं।
    • पंजीकरण और डेटा साझाकरण: प्रासंगिक अंतरिक्ष वस्तुओं का पंजीकरण और वैज्ञानिक डेटा को समय पर साझा करना। जब तक हस्ताक्षरकर्ता की ओर से कार्य नहीं किया जाता तब तक निजी क्षेत्रों को छूट है।
    • धरोहर का संरक्षण: हस्ताक्षरकर्ताओं से ऐतिहासिक लैंडिंग स्थलों, कलाकृतियों और खगोलीय पिंडों पर गतिविधि के साक्ष्य को संरक्षित करने की उम्मीद की जाती है।
    • अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग: अंतरिक्ष संसाधनों के उपयोग से सुरक्षित और स्थायी अंतर्संचलानीयता को बढ़ावा और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं की गतिविधियों में हस्तक्षेप न करना। हस्तक्षेप को रोकने के लिये स्थान और प्रकृति के विषय में जानकारी साझा की जानी चाहिये।
    • मलबे का शमन: हस्ताक्षरकर्ता देशों द्वारा पुराने अंतरिक्ष यान के सुरक्षित निपटान और हानिकारक मलबे के उत्पादन को सीमित करने की योजना बनाना।

आर्टेमिस कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य मिशन:

  • आर्टेमिस-I: चंद्रमा पर मानवरहित मिशन:
    • आर्टेमिस कार्यक्रम 16 नवंबर, 2022 को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) पर "ओरियन" नामक अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के साथ प्रारंभ हुआ।
    • SLS, एक सुपर हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन, ओरियन को एक ही मिशन पर सीधे चंद्रमा पर ले गया।
  • आर्टेमिस-II: क्रू लूनर फ्लाई-बाई मिशन:
    • वर्ष 2024 के लिये निर्धारित आर्टेमिस-II, आर्टेमिस कार्यक्रम के अंतर्गत पहला मानवयुक्त मिशन होगा।
    • SLS में चार अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे क्योंकि यह पृथ्वी के चारों ओर विस्तारित कक्षा में कई गतिविधियाँ करता है।
      • मिशन में चंद्र उड़ान तथा पृथ्वी पर वापसी भी शामिल होगी।
  • आर्टेमिस-III: चंद्रमा पर मानव की वापसी:
    • वर्ष 2025 के लिये निर्धारित आर्टेमिस-III मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगा क्योंकि अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर लौटेंगे।
    • यह मिशन आर्टेमिस-II के चंद्र फ्लाई-बाई से आगे जाएगा, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर उतरने के साथ चंद्रमा का अधिक व्यापक रूप से अध्ययन करने की अनुमति प्राप्त होगी।
    • साथ ही वर्ष 2029 के लिये लूनर गेटवे स्टेशन की स्थापना की योजना बनाई गई है। यह स्टेशन अंतरिक्ष यात्रियों के लिये डॉकिंग पॉइंट के रूप में काम करेगा तथा वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ प्रयोगों की सुविधा प्रदान करेगा।

भारत के लिये समझौते से संबंधित लाभ और चुनौतियाँ:

  • लाभ:
    • आर्टेमिस समझौते में भारत की भागीदारी भारत को उन्नत प्रशिक्षण, तकनीकी प्रगति और वैज्ञानिक अवसरों तक पहुँच की सुविधा प्रदान करती है।
    • चंद्रयान-3 मिशन जैसे अपने चंद्र अन्वेषण लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में आर्टेमिस कार्यक्रम भारत के लिये लाभदायक हो सकता है।
    • नासा के साथ सहयोग से गगनयान मानव मिशन और आगामी महत्त्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिये भारत की क्षमता में सुधार होगा।
    • साथ ही भारत के लागत प्रभावी मिशन और अभिनव दृष्टिकोण से आर्टेमिस कार्यक्रम को भी लाभ होगा जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण में पारस्परिक प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
  • चुनौतियाँ:
    • चीन और रूस जैसी प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों (जिनके पास चंद्र अन्वेषण की अपनी योजनाएँ हैं) के खिलाफ अमेरिका के साथ गठबंधन के रूप में देखे जाने की संभावना।
    • आर्टेमिस समझौते की कानूनी स्थिति और निहितार्थों को लेकर अनिश्चितता, खासकर उस प्रावधान के संबंध में जिससे चंद्रमा तथा अन्य खगोलीय पिंडों पर अनियमित अन्वेषण की अनुमति मिलती है।
    • किसी भी वर्तमान अथवा भविष्य के बहुपक्षीय अंतरिक्ष समझौते या संधियों के तहत इसकी प्रतिबद्धताओं और आर्टेमिस समझौते के बीच संतुलन बनाए रखने की अनिवार्यता।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के थेमिस मिशन, जो हाल ही में खबरों में था, का उद्देश्य क्या है? (2008)

(a) मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का अध्ययन करना।
(b) शनि के उपग्रहों का अध्ययन करना।
(c) उच्च अक्षांश पर आकाश के रंगीन प्रदर्शन का अध्ययन करना।
(d) तारकीय विस्फोटों का अध्ययन करने के लिये एक अंतरिक्ष प्रयोगशाला का निर्माण करना।

उत्तर: (c)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

ISRO द्वारा प्रमोचित मंगलयान:

  1. को मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  2. ने भारत को USA के बाद मंगल के चारों ओर अंतरिक्ष यान को चक्रमण कराने वाला दूसरा देश बना दिया है।
  3. ने भारत को एकमात्र ऐसा देश बना दिया है जिसने अपने अंतरिक्ष यान को मंगल के चारों ओर चक्रमण कराने में पहली बार में सफलता प्राप्त कर ली है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1 और 3
(D) 1, 2 और 3

उत्तर: (C)


मेन्स:

प्रश्न. भारत की अपना स्वयं का अंतरिक्ष केंद्र प्राप्त करने की क्या योजना है और हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को यह किस प्रकार लाभ पहुँचाएगा? (2019)

प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में कैसे सहायक हुआ है? (2016)

स्रोत: द हिंदू

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