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राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA)

  • 11 Oct 2019
  • 29 min read

 Last Updated: July 2022 

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय सरकार की कार्यकारी शाखा की एक स्वतंत्र एजेंसी है जो नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ-साथ वैमानिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये उत्तरदायी है।

  • राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष अधिनियम, 1958 के तहत स्थापित।
  • मुख्यालय : वॉशिंगटन, डीसी, अमेरिका।

इतिहास

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका की पूर्व सोवियत संघ (वह सुपर पावर जो 1991 में कई संप्रभु देशों में विभक्त हो गई, जिसमें रूसी संघ, कज़ाखस्तान, यूक्रेन आदि हैं) के साथ सीधी प्रतिस्पर्द्धा थी। इस अवधि को शीतयुद्ध कहा गया।
  • 4 अक्तूबर, 1957 को सोवियत संघ के स्पुतनिक लॉन्च ने प्रथम बार किसी पिंड को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया था।
  • इसके बाद नवंबर में और भी बड़ा स्पुतनिक II छोड़ा गया जो लाइका नामक मादा डॉग को साथ ले गया।
  • जनवरी 1958 के आखिर में अमेरिका ने एक्सप्लोरर 1 लॉन्च किया, सेना की रॉकेट टीम ने द्वितीय विश्वयुद्ध में विकसित रॉकेट प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर इस मिशन को पूरा किया।
  • यद्यपि एक छोटा सा अंतरिक्षयान जिसका भार केवल 30 पॉण्ड था, ने वान एलेन रेडिएशन बेल्ट की खोज की। यह नाम यूनिवर्सिटी ऑफ लोवा के वैज्ञानिक डॉ. जेम्स वान एलेन के नाम पर रखा गया था जिसने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नए विषय की शुरुआत की।
  • एक्सप्लोरर 1 के बाद मार्च 1958 में नौसेना का वेंगार्ड लॉन्च किया गया जिसका व्यास 1.6 इंच और भार केवल 3 पाउंड था।
  • नासा का जन्म प्रत्यक्ष तौर पर स्पुतनिक की लॉन्चिंग और अंतरिक्ष में तकनीकी सर्वोच्चता दिखाने की भविष्य की दौड़ से जुड़ा था।
  • शीतयुद्ध की प्रतिद्वंद्विता के चलते अमेरिका के राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइज़नहावर ने 29 जुलाई, 1958 को नेशनल ऐरोनॉटिक्स एंड स्पेस एक्ट पर हस्ताक्षर किये, जिसमें पृथ्वी के वायुमंडल और अंतरिक्ष में उड़ान की समस्याओं पर अनुसंधान की व्यवस्था थी।
  • अंतरिक्ष में सैनिक बनाम नागरिक नियंत्रण पर लंबी बहस के बाद अधिनियम ने एक नई नागरिक एजेंसी को जन्म दिया जिसे राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) नाम दिया गया।

नासा के उद्देश्य

  • अंतरिक्ष के बारे में मानवीय ज्ञान को बढ़ाना
  • अंतरिक्ष संबंधी प्रौद्योगिकी के नवप्रवर्तन में विश्व का नेतृत्व करना
  • ऐसे वाहनों का विकास करना जो अंतरिक्ष में उपकरणों और सजीव जीवों दोनों को ले जा सके
  • अधिकतम संभव वैज्ञानिक उन्नति की प्राप्ति के लिये अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों से समन्वय करना

नासा के मिशन

पिछले 60 वर्षों में नासा ने विभिन्न मिशनों द्वारा उपर्युक्त में से लगभग सभी उद्देश्य प्राप्त किये हैं और यह विज्ञान के कुछ सबसे बड़े रहस्यों के उत्तर खोजने की सतत कोशिश कर रहा है जो कि बदलते विश्व के साथ विकसित हो रहे हैं।

मिशन

विवरण

एडवांस्ड कंपोज़ीशन एक्सप्लोरर (ACE): 1997 में लॉन्च
  • सौर, अंतर-ग्रहीय, अंतर-तारकीय और आकाशगंगा संबंधी मूल वाले कणों, सौर पवन अयनों से आकाशगंगीय कॉस्मिक रे न्यूकले तक ऊर्जा रेंज विस्तार का अवलोकन करता है।
द ऐरोनोमी ऑफ आइस इन द मेसोस्फीयर सैटेलाइट (AIM): 2007 में लॉन्च
  • स्ट्रेंज क्लाउडस- इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर बैठे अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की कक्षा से इलेक्ट्रिक ब्लू नोक्टीलुसेंट (रात में चमकने वाले) बादलों को निहारते रहे थे।
  • नोक्टीलुसेंट या रात में चमकने वाले बादलों (NLCs) को पोलर मेसोस्फेरिक क्लाउडस (PMC) भी कहा जाता है।
  • AIM सैटेलाइट 550 किमी. की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
  • AIM रात में चमकने वाले बादलों की विस्तृत फोटो लेगा, उनका तापमान, रसायन प्रचुरता मापेगा, उनके धूसर ऐरोसोल की निगरानी करेगा और पृथ्वी पर गिरने वाली उल्काओं की गणना करेगा।
अपोलो मिशन: 1968 में लॉन्च
  • इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों ने कुल 11 अंतरिक्ष यात्राएं की और चंद्र भ्रमण किया।
  • प्रथम अपोलो उड़ान 1968 में हुई। चंद्रमा पर प्रथम लैंडिंग 1969 में हुई। चंद्रमा पर अंतिम लैंडिंग 1972 में हुई।
अपोलो-सोयूज़: एक कक्षीय भागीदारी शुरू: 1975 में लॉन्च
  • अपोलो-सोयूज़ परीक्षण परियोजना ऐसी प्रथम अंतरिक्ष उड़ान थी जिसमें दो भागीदार राष्ट्र एक साथ काम करते हुए अपने स्वयं के राष्ट्रीय अंतरिक्षयानों के साथ शामिल थे।
  • अमेरिका ने एक अपोलो कमांड मॉड्यूल भेजा, जबकि रूसियों ने एक सोयूज़ अंतरिक्षयान लॉन्च किया।
एक्वा (Aqua): 2002 में लॉन्च
  • एक्वा एक पृथ्वी विज्ञान सैटेलाइट मिशन है जो हमारी जल प्रणालियों पर जानकारी एकत्रित करता है।
  • इसमें 6 भिन्न-भिन्न अर्थ ऑब्ज़र्विंग उपकरण हैं और यह प्रतिदिन लगभग 89 गीगाबाइट डेटा उपलब्ध कराता है।
एक्वेरियस मिशन ऑपरेशन: 2011 से 2015
  • एक्वेरियस/(SAC)-D मिशन 10 जून, 2011 को लॉन्च हुआ और 8 जून, 2015 को तब समाप्त हुआ जब अंतरिक्षयान के पावर और ऊँचाई नियंत्रण प्रणाली के एक महत्त्वपूर्ण भाग ने काम करना बंद कर दिया।
  • एक्वेरियस/SAC-D ने समुद्र की सतह पर खारेपन (घुले नमक का सान्द्रण) को मानचित्रित किया, जो कि पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के दो बड़े घटकों- जल चक्र और समुद्र के फैलाव के प्रति हमारी जानकारी के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • अंतरिक्ष से समुद्रीय खारापन मापकर एक्वेरियस ने यह नई जानकारी दी कि समुद्र, वातावरण और समुद्री बर्फ के बीच ताज़े जल का व्यापक प्राकृतिक विनिमय समुद्र के फैलाव, मौसम और जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करता है।
आर्कटिक रिसर्च ऑफ द कंपोज़ीशन ऑफ द ट्रोपोस्फीयर फ्रॉम एयरक्राफ्ट एंड सैटेलाइट्स (ARCTAS) प्रचालन: 2 मार्च, 2008 से 20 अप्रैल, 2008 तक
  • आर्कटिक में वैश्विक जलवायु परिवर्तन से संबंधित महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय परिवर्तन हो रहे हैं।
  • ARCTAS के फील्ड अभियान के एक भाग के रूप में नासा इस जलवायु संवेदनशील भाग में वायु प्रदूषण की भूमिका का व्यापक अध्ययन कर रहा है, ऐसा करने वाला यह प्रथम सबसे बड़ा हवाई (Airborne) प्रयोग है।
आर्टेमिस लूनर प्रोग्राम: मई 2019 में लॉन्च
  • नासा द्वारा अनावृत आर्टेमिस प्रोग्राम का उद्देश्य वर्ष 2024 में चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना है और यह किसी महिला को प्रथम बार चंद्रभ्रमण कराएगा।
  • यह पहल एक ऐसे समय पर सामने आई है जब देश 1969 में अपोलो की लैंडिंग की 50वीं वर्षगाँठ मना रहा है जिसने नील आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन को किसी दूसरे ग्रह की धरती पर पैर रखने वाला प्रथम व्यक्ति बनाया।
  • यूनानी देवता जो कि नासा के1960 और 70 के दशक में अपोलो कार्यक्रम का नामराशि था, की दो जुड़वाँ बहनें आर्टेमिस थीं, जो मनुष्यों को दोबारा चंद्रमा पर ले जाएंगी।
एयरबोर्न ट्रॉपिकल ट्रोपोपॉज एक्सपेरिमेंट (ATTREX): 2014 में लॉन्च
  • अपनी कम सघनता के बावजूद, स्ट्रेटोस्फेरिक वाटर वेपर का पृथ्वी के ऊर्जा बजट और जलवायु पर व्यापक प्रभाव है।
  • नवीन अध्ययन यह बताते हैं कि स्ट्रेटोस्फेयर की आर्द्रता में लघु बदलाव से भी ऐसे जलवायु प्रभाव हो सकते हैं जो ग्रीनहाउस गैसों में दशकीय वृद्धि की तुलना में महत्त्वपूर्ण हैं।
  • अटरेक्स (ATTREX) इन समस्याओं को हल करने के लिये नासा की लंबी दूरी के ग्लोबल हॉक अनमैंड एयरक्राफ्ट सिस्टम का प्रयोग कर माप अभियानों की एक लंबी शृंखला निष्पादित करेगा।
औरा- अंडरस्टैंडिंग एंड प्रोटेक्टिंग द एयर वी ब्रीद: 2004 में लॉन्च
  • औरा (ब्रीज़ के लिये लैटिन शब्द) वह कार्यक्रम है जो विश्व को प्रभावित करने वाली जटिल अनुक्रिया की निगरानी हेतु समर्पित है और यह नासा के सैटेलाइट व डेटा सिस्टम का प्रयोग करता है।
  • औरा का मापन ओज़ोन प्रवृत्ति, वायु की गुणवत्ता में परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन के साथ उनके संयोजन के बारे में प्रश्नों की जाँच में समर्थ बनाएगा।
बैरल (BARREL-Balloon Array for Radiation-belt Relativistic Electron Losses- 2013 और 2014)
  • यह एक बलून आधारित मिशन है जो रेडिएशन बेल्ट्स से दो बहु-बलून अभियानों के दौरान दक्षिणी गोलार्द्ध में संचालित होने वाले (तृतीय उत्तरी गोलार्द्ध अभियान के लिये विकल्प) सापेक्षकीय इलेक्ट्रॉन्स की तीव्र गति का मापन करता है।
  • बैरल (BARREL) दो अंटार्कटिक बलून अभियानों से गठित है जो 2013 और 2014 के आस्ट्रल ग्रीष्म में संचालित किये गए थे।
कैलिप्सो CALIPSO- The Cloud-Aerosol Lidar and Infrared Pathfinder Satellite Observation): 2006
  • कैलिप्सो सैटेलाइट उस भूमिका के बारे में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो कि बादल और वायुमंडलीय ऐरोसोल (हवा के कण) पृथ्वी के मौसम, जलवायु और वायु गुणवत्ता के नियमन में भूमिका निभाते हैं।
  • इसे 28 अप्रैल, 2006 को क्लाउडसैट सैटेलाइट पर क्लाउड प्रोफाइलिंग राडार सिस्टम के साथ लॉन्च किया गया।
कैसिनी-हुजेंस ऑपरेशन (Cassini-Huygens Operation): 1997 से 2017
  • शनि के लिये कैसिनी मिशन अभी तक हुए ग्रह संबंधी अंतरिक्ष अनुसंधानों में सर्वाधिक महत्त्वाकांक्षी प्रयास है।
  • नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) और इटली की स्पेस एजेंसी एजेंसियाँ स्पाजीयल इटालियना (ASI) का संयुक्त प्रयास से कैसिनी अपने साथ हुजेंस नामक प्रोब भी ले गया जो शनि के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन के धरातल पर जनवरी 2005 में उतरा और इसने शानदार परिणाम दिये।
  • 15 सितंबर, 2017 को नासा के साथ इसका संपर्क टूट गया।
चंद्र एक्स-रे ऑब्ज़र्वेटरी स्पेस शटल कोलम्बिया द्वारा 1999 में लॉन्च
  • चंद्र एक्स-रे ऑब्ज़र्वेटरी नासा के बड़े ऑब्ज़र्वेटरी बेड़े का एक भाग है जिसमें हब्बल स्पेस टेलीस्कोप, स्पीट्जर स्पेस टेलीस्कोप और अब डिऑर्बिटेड कॉम्प्टन गामा रे ऑब्ज़र्वेटरी शामिल हैं।
  • चंद्रमा विश्व भर के वैज्ञानिकों को असाधारण पर्यावरण की एक्स रे इमेजेज़ को प्राप्त करने की सुविधा देता है ताकि ब्रह्मांड की संरचना और विकास को समझने में सहायता मिल सके।
  • यह नाम भारतीय अमेरिकी नोबेल विजेता सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर के सम्मान में रखा गया जिन्हें विश्व चंद्रमा (moon या luminous) के नाम से जानता है। उन्हें बीसवीं सदी का एक अग्रणी खगोल भौतिकविद माना जाता है।
सीआईएनडीआई (CINDI: Coupled Ion Neutral Dynamic Investigation Operation): C/NOFS सैटेलाइट ने नासा के CINDI की जाँच किया जो वर्ष 2008 में लॉन्च किया गया और 2015 में समाप्त हुआ।
  • सीआईएनडीआई (CINDI) ने पृथ्वी की भूमध्य रेखा के आसपास के अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का अध्ययन किया।
  • CINDI इन्वेस्टीगेशन कम्युनिकेशन/ नेविगेशन आउटेज फोरकास्ट सिस्टम (C/NOFS) जो एयरफोर्स रिसर्च प्रयोगशाला और स्पेस एंड मिसाइल कमांड टेस्ट एंड इवैल्यूएशन डाइरेक्टोरेट के वैज्ञानिक उद्देश्यों का एक मुख्य घटक है।
क्लेमेंटाइन (Clementine) ऑपरेशन: 25 जनवरी, 1994 से 21 जुलाई, 1994
  • क्लेमेंटाइन अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस ऑर्गनाइज़ेशन और नासा की एक संयुक्त परियोजना थी।
  • इसे अंतरिक्ष पर्यावरण में विस्तृत अनावरण के तहत सेन्सर और अंतरिक्षयान के उपकरणों के परीक्षण और चंद्रमा व नियर-अर्थ एसट्रॉयड 1620 जिओग्राफोस के वैज्ञानिक पर्यवेक्षण के लिये डिज़ाइन किया गया था।
क्लाउड-ऐरोसोल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (CATS) ऑपरेशन: 2015 से 2017
  • कैट्स (CATS) एक लीडार (lidar) आधारित रिमोट सेंसिंग उपकरण है जिसने वातावरणीय ऐरोसोल्स और क्लाउड्स का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से मापन किया।
क्लाउडसैट: 2006
  • क्लाउडसैट एक प्रायोगिक सैटेलाइट है जो अंतरिक्ष से बादलों और वर्षण के पर्यवेक्षण के लिये राडार का प्रयोग करता है।
क्लस्टर ईएसए (European Space Agency)/ नासा मिशन: 1996
  • क्लस्टर वर्तमान में पृथ्वी के चुंबकीय पर्यावरण और सौर वायु के साथ इसकी अनुक्रिया की तीन आयामों में जाँच कर रहा है।
कमर्शियल क्रू
  • नासा का कमर्शियल क्रू कार्यक्रम मानव अंतरिक्ष यातायात के विकास और उड़ान हेतु एक सहभागी कार्यक्रम है।
सीजीआरओ (CGRO) मिशन (1991 - 2000)
  • कॉम्प्टन (Compton) गामा रे ऑब्जर्वेटरी (GRO) उच्च-ऊर्जा ब्रह्मांड के पर्यवेक्षण को समर्पित परिष्कृत सैटेलाइट ऑब्ज़र्वेटरी थी।
  • 17 टन का कॉम्प्टन (Compton) 5 अप्रैल, 1991 को उड़ान के समय स्पेस शटल अटलांटिस पर अब तक का सबसे भारी खगोल भौतिकीय पेलोड था।
  • कॉम्प्टन (Compton) को सुरक्षित रूप से डिऑर्बिट कराकर पृथ्वी के वातावरण में 4 जून, 2004 को पुनः प्रविष्ट कराया गया।
कोब (COBE) ऑपरेशन: 1989 से 1993
  • कॉस्मिक बैकग्राउंड एक्सप्लोरर (COBE) मिशन का उद्देश्य था संपूर्ण खगोलीय वृत्त पर 1 माइक्रोमीटर से 1 सेंटीमीटर के बीच बिखरे रेडिएशन का सटीक मापन करना।
कॉस्मिक हॉट इंटरस्टेलर प्लाज़्मा स्पेक्ट्रोमीटर (CHIPS): 2003 में लॉन्च
  • चिप्स नासा का एक खगोल-भौतिकी अंतरिक्षयान है जो गर्म एवं छितरी हुई निहारिकाओं को एक मिलियन डिग्री तापमान पर लक्ष्य करता है।
क्यूबसेट्स
  • क्यूबसेट्स अनुसंधान अंतरिक्षयानों की एक श्रेणी है जिन्हें नैनो सैटेलाइट्स कहा जाता है।
  • क्यूबसेट्स 10 सेमी. x 10 सेमी. x 10 सेमी. के मानक आयामों (units या U) पर बनाए जाते हैं।
  • वे आकार में 1U, 2U, 3U, या 6U हो सकते हैं और महत्त्वपूर्ण रूप से 1.33 किग्रा (3 lbs) प्रति U हो सकते हैं।
क्यूरोसिटी (Curiosity): 2011
  • क्यूरोसिटी नामक रोवर नासा के मंगल अन्वेषण मिशन का एक भाग है। यह लाल ग्रह के रोबोटिक अन्वेषण का एक दीर्घावधिक प्रयास है।
  • क्यूरोसिटी को इस बात का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किया गया कि क्या मंगल पर कभी ऐसा पर्यावरण था जो लघु जीवन रूपों को सहारा देने में सक्षम था, जिन्हें माइक्रोब्स कहा जाता है।
  • इस मिशन का उद्देश्य ग्रह पर निवास की संभावनाओं की तलाश करना है।
साइक्लोन ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (CYGNSS): 2016 में लॉन्च
  • CYGNSS मिशन पृथ्वी के महासागरों पर वायु की गति मापने के लिये आठ माइक्रो सैटेलाइटस का प्रयोग करता है। यह तूफानों को समझने और उनकी भविष्यवाणी करने में वैज्ञानिकों की क्षमता में वृद्धि करेगा। प्रत्येक सैटेलाइट की सूचनाओं का आधार वे सिग्नल होंगे जो चार जीपीएस सैटेलाइट से प्राप्त होंगे।
डबल एसट्रॉयड रिडाइरेक्शन टेस्ट (DART) मिशन लॉन्चिंग: 2021
  • DART एक खतरनाक एसट्रॉयड की पृथ्वी पर टक्कर को रोकने के लिये प्रौद्योगिकी संबंधी एक ग्रहीय प्रतिरक्षा चालित टेस्ट है।
डॉन (Dawn) ऑपरेशन : 2007 से 2018
  • डॉन (Dawn) मुख्य एसट्रॉयड बेल्ट में दो सर्वाधिक विशाल पिंडों– वेस्टा (Vesta) और सेरेस (Ceres) पर एक मिशन था।
  • वेस्टा चट्टानी है, जबकि बौना ग्रह सेरेस बर्फीला है।
  • जब डॉन ने सेरेस और वेस्टा की यात्रा की तो अंतरिक्षयान हमें सोलर प्रणाली के समय में लौटा लाया।
  • अर्थ रेडिएशन बजट सैटेलाइट (ERBS)
परिचालन: 1984 से 2005
  • ERBS इस बात की जाँच के लिये डिज़ाइन किया गया था कि सूर्य से ऊर्जा का अवशोषण किस प्रकार होता है और यह पृथ्वी द्वारा कैसे पुनः विकीर्ण होती है। इस प्रक्रिया को समझने से पृथ्वी के मौसम के पैटर्न को अनावृत्त करने में सहायता मिली।
  • इसे स्पेस शटल चेलेंजर द्वारा लॉन्च किया गया था।
इकोसिस्टम स्पेसबोर्न थर्मल रेडियो मीटर एक्सपरिमेंट ऑन स्पेस स्टेशन (ECOSTRESS): 2018 में लॉन्च
  • ECOSTRESS पौधों का तापमान नापता है और उस सूचना का प्रयोग इस बात को बेहतर रूप से समझने के लिये करता है कि पौधों को कितने पानी की आवश्यकता है और तनाव के प्रति उनकी प्रतिक्रिया क्या होती है।
  • सतह का तापमान मापने के लिये यह एक मल्टी स्पेक्ट्रल थर्मल इंफ्रारेड रेडियोमीटर का प्रयोग करता है।
  • यह रेडियोमीटर वर्ष 2018 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर तैनात किया गया था। रेडियोमीटर धरातल के अब तक अंतरिक्ष से प्राप्त तापमान इमेजेज़ में सर्वाधिक विस्तृत तापमान की इमेज प्राप्त करेगा और किसी किसान के खेतों का तापमान मापने में समर्थ होगा।
फास्ट (FAST- the Fast Auroral Snapshot Explorer) ऑपरेशन: 1996 से 2009
  • फास्ट ने अरुणोदय के दौरान अयनीकृत गैस और कणों के व्यवहार पर अनुसंधान किया, जिसे प्लाज़्मा कहा जाता है ।
  • जब फास्ट ध्रुवों के ऊपर से गुज़रा तो इसने कणों, विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों व प्लाज़्मा के एक तीव्र, उच्च रेज़ोल्यूशन वाली डेटा की बौछार देखी जो कि अरुणोदय के सृजन के सर्वाधिक सामान्य क्षेत्र हैं।
गैलीलियो ऑपरेशन : 1989 से 2003
  • गैलीलियो अंतरिक्षयान ने बृहस्पति की लगभग आठ वर्षों तक परिक्रमा की और यह इसके सभी बड़े चंद्रमाओं के पास से गुज़रा।
  • इसके कैमरा और नौ अन्य उपकरणों ने रिपोर्टे भेजी जिसने अन्य बातों के अलावा वैज्ञानिकों को यह निर्धारित करने की सुविधा दी कि वृहस्पति के बर्फीले चंद्रमा ‘यूरोपा’ में संभवतः एक उपधरातलीय समुद्र है जिसमें पृथ्वी में पाए जाने वाले कुल जल की तुलना में अधिक जल है।
हब्बल स्पेस टेलीस्कोप: 1990 में लॉन्च
  • नासा ने पृथ्वी के प्रथम स्पेस आधारित ऑप्टिकल टेलीस्कोप का नाम अमेरिकी खगोलविद एडविन पी. हब्बल (1889-1953). के नाम पर रखा।
    • डॉ. हब्बल ने एक विस्तारित होते ब्रह्मांड की पुष्टि की जिसने बिग बैंग सिद्धांत के लिये आधार प्रदान किया।
  • हब्बल अंतरिक्ष में रखा जाने वाला प्रथम बड़ा ऑप्टिकल टेलीस्कोप है।
    • वातावरण की विकृति के ऊपर, वर्षा वाले बादलों और लाइट पोल्यूशन के बहुत ऊपर हब्बल की ब्रह्मांड पर लगातार नज़र बनी रहती है।
    • वैज्ञानिकों ने सुदूर स्थित तारों और आकाशगंगाओं के साथ-साथ हमारे सौरमंडल के ग्रहों के निरीक्षण के लिये हब्बल का उपयोग किया है।
आइसब्रिज मिशन (IceBridge Mission): 2009 में लॉन्च
  • आइसब्रिज पृथ्वी की ध्रुवीय बर्फ का अब तक का सबसे बड़ा हवाई सर्वेक्षण है।
  • यह आर्कटिक और अंटार्कटिक हिम परतों, हिम चट्टानों और समुद्री बर्फ का एक अद्वितीय त्रिआयामी दृश्य प्रदान करता है।
  • आइसब्रिज मिशन के दौरान एकत्रित डेटा वैज्ञानिकों को नासा के आइस, क्लाउड एंड एलेवेशन सैटेलाइट (ICESat) जिसे वर्ष 2003 में लॉन्च किया गया और वर्ष 2010 में डिऑर्बिट किया गया तथा आइससैट-2 जिसे 2018 में लॉन्च किया गया, के बीच ध्रुवीय पर्यवेक्षण में अंतर को पाटने में सहायता मिलेगी।
इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (ISS)
  • ISS एक बहु-राष्ट्रीय परियोजना है जो मानव द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित अभी तक की सबसे बड़ी एकल संरचना है।
  • इसकी मुख्य संरचना 1998 और 2011 के बीच पूरी हुई। यद्यपि नए मिशन और प्रयोग करने के लिये स्टेशन का सतत् विकास चलता रहता है।
  • नासा, रोस्कोस्मोस (रूस) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी स्पेस स्टेशन के तीन बड़े भागीदार हैं।
द जेम्स वेब (webb) स्पेस टेलीस्कोप लॉन्चिंग: 2021
  • द जेम्स वेब (webb) स्पेस टेलीस्कोप (जिसे कई बार JWST or Webb कहा जाता है) एक विशाल इंफ्रारेड टेलीस्कोप होगा जिसमें प्राइमरी मिरर 6॰5 मीटर का है।
  • यह टेलीस्कोप 2021 में फ्रेंच गुयाना से एरियन (Ariane) 5 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • यह ब्रह्मांड के प्रारंभिक दिनों में निर्मित प्रथम आकाशगंगा की खोज करेगा और तारों द्वारा ग्रहीय प्रणाली का सृजन देखने के लिये धूल-धूसरित बादलों के आर-पार झाँकेगा।
मार्स 2020 रोवर लॉन्चिंग: 2020
  • रोवर मंगल पर निवास-योग्य दशाओं के चिह्न खोजेगा।
ओरिअन (Orion) स्पेसक्राफ्ट: विकासावस्था में
  • ओरिअन अंतरिक्ष यात्रियों के लिये नासा का एक नया अंतरिक्षयान है।
  • यह अंतरिक्षयान मंगल की यात्रा में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
  • ओरिअन एक अनुसंधान वाहन की तरह कार्य करेगा जो कर्मी दल (क्रू) को अंतरिक्ष में ले जाएगा, आकस्मिक समापन (abort) क्षमता प्रदान करेगा, अंतरिक्ष यात्रा के दौरान कर्मी दल को मदद देगा और गहन अंतरिक्ष रिटर्न वेलोसिटी (वेग) से सुरक्षित पुनः प्रवेश प्रदान करेगा।
पेस PACE (Plankton, Aerosol, Cloud, ocean Ecosystem) लॉन्चिंग: 2022
  • पेस नासा का प्लांक्टोन, ऐरोसोल, क्लाउड, ओशन इकोसिस्टम मिशन है जो वर्तमान में मिशन डेवलपमेंट के डिज़ाइन चरण में है।
  • यह नासा के सैटेलाइट ऑब्ज़र्वेशन के 20 वर्षों के रिकार्ड, जो कि वैश्विक ओशन बायोलॉजी, ऐरोसोल्स (अत्यंत छोटे कण जो वातावरण में अटके हुए हैं) और बादलों के बारे में हैं, को विस्तारित और उसमें सुधार करेगा।
रोसेट्टा(Rosetta) ऑपरेशन : 2004 से 2016
  • रोसेट्टा 10 वर्षीय मिशन पर भेजा गया एक अंतरिक्षयान था जिसका कार्य था कॉमेट 67P/चुर्युमोव-गेरासीमेंकों(C-G) को समझना और कॉमेट के बारे में हमारे कुछ प्रश्नों का उत्तर देना था। यह यूरोपियन स्पेस एजेंसी का मिशन था।
  • रोसेट्टा वह प्रथम स्पेसक्राफ्ट था जिसने कॉमेट पर एक रोबोट की सॉफ्ट लैंडिंग कराई।

मार्च 2022 में, नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस सेंटर में परीक्षण के लिये लॉन्चपैड पर अपना आर्टेमिस आई मून मिशन शुरू किया।

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